
तटस्थता वक्र | उदासीनता वक्र विश्लेषण | तटस्थता तालिका | तटस्थता मानचित्र | indifference curve in Hindi | Indifference Curve Analysis in Hindi | neutrality table in Hindi | neutrality map in Hindi
तटस्थता वक्र / उदासीनता वक्र-
तटस्थता वक्र मात्राओं के उन संयोगों को दर्शाने वाले बिंदुओं का मार्ग है, जिनके बीच व्यक्ति ‘तटस्थ’ रहता है। व्यक्ति के तटस्थरहने का कारण यह है कि इस रेखा का प्रत्येक बिंदु संतुष्टि की समान मात्रा का सूचक है। अतः तटस्थता रेखा को ‘समान संतुष्टि रेखा’ भी कह सकते हैं।
उदासीनता वक्र विश्लेषण–
उदासीनता वक्र विश्लेषण की रीति में उपभोक्ता ‘प्रतियोगिता’के स्थान पर ‘अनुराग क्रम’को अपनाता है। अनुराग क्रम दो वस्तुओं के बीच उपभोग के अनुराग को प्रकट करता है। वह दो वस्तुओं की विभिन्न मात्राओं के संयोगों के उन संयोगों को सूचित करता है, जोउपभोक्ता को एक समान उपयोगिता प्रदान करते हैं और जिनके चयन में उपभोक्ता तटस्थ होता है। अतः अनुराग क्रम के आधार पर एक उदासीन वक्र सूची बनाई जा सकती है। यह सूची उन संयोगों का संकलन है, जोकि उपभोक्ता को ‘समान संतुष्टि’ (या उपयोगिता) प्रदान करते हैं।‘कितनी’संतुष्टि प्रदान करते हैं, इसका विवेचन ही इस रीति में आवश्यक बना दिया गया है (क्योंकि इसका मापन करना कठिन है।) इस प्रकार तटस्थता विश्लेषण में उपयोगिता विश्लेषण की भांति काल्पनिक स्वभाव पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं रह गई है। एक विशेष लाभ यह है कि इसके द्वारा खरीदी गई वस्तु के मूल्य में होने वाले परिवर्तन के आय और प्रतिस्थापन प्रभाव को भी स्पष्ट किया जा सकता है।
तटस्थता तालिका–
तटस्थता वर्कर को भली-भांति समझने हेतु हमको तटस्थता और तटस्थता मानचित्र पर विचार करना होगा।
तटस्थता तालिका |
संक्याएँ |
||
सन्योग क्रम संख्या |
सेब (X) |
आम (Y) |
|
1 |
1 |
+ |
3 |
2 |
2 |
+ |
2 |
3 |
3 |
+ |
1 |
तटस्थता तालिका–
यह वह तालिका है जो किन्ही 2 वस्तुओं के ऐसे विभिन्न संयोगों को बताती है, जो कि व्यक्ति विशेष प्रदान करते हैं। मान लीजिए कि उपभोक्ता को सेबों और आमों के जिन विभिन्न संयोगों से् सामान संतुष्टि मिलती है (और इसलिए वह इनमें से किसी भी संयोग को चुन सकता है) पूर्व पृष्ठांकित तालिका में प्रदर्शित किए गए हैं। उपभोक्ता को 1 सेब और 3 आमों के संयोग से उतनी ही संतुष्टि मिलती है जितनी कि 2 आम व 2 सेबों के या 3 सेबों और 1 आम के संयोग से मिलती है। ग्राफ पेपर पर समान संतुष्टि के बिंदुओं को ग्राफ पेपर पर समान संतुष्टि के बिंदुओं को निर्धारित करके और फिर उन्हें मिलाकर तटस्थता रेखा खिचिया बनाई जा सकती है। साथ के चित्र में I तटस्थता रेखा है। इस पर प्रत्येक बिंदु आमों व सेबों की एक विशेष संयोग को दर्शाता है और ऐसे प्रत्येक संयोग से सामान संतुष्टि प्राप्त होती है।
तटस्थता मानचित्र–
पूर्व पृष्ठांकित तालिका में सेब व आमके समान संतुष्टि प्रदान करने वाले सहयोग ही लिए गए हैं। अब यदि उन सभी संयोगों का अध्ययन करें जो कि समान व असमान संतुष्टि प्रदान करने वाले हैं, तो पता चलेगा कि पहले की भांति विभिन्न संयोगों को एक ही तटस्थता रेखा द्वारा दिखाना संभव ना होगा, वरण कई तटस्थता रेखाओं द्वारा ऐसा किया जा सकेगा। जब अनेक तटस्थता रेखाओं को जो उपभोक्ता विशेष के लिए दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों से प्राप्त संतुष्टि के विभिन्न स्तरों को बताती है, एक ही चित्र में दिखाया जाता है, तब ऐसे चित्र को तटस्थता मानचित्र कहते हैं।
संलग्न चित्र में किसी भी तटस्थता रेखा के सभी बिंदु समान संतुष्टि वाले संयोग दिखाते हैं लेकिन I1 पर किसी बिंदु द्वारा दिखाए गए संयोग से प्राप्त संतुष्टि की मात्रा I2 पर किसी बिंदु द्वारा सूचित संयोग से सांप से संतुष्टि की मात्रा समान न होगी। ये दोनों संयोग, जो दो विभिन्न रेखाओं पर स्थिर बिंदुओं द्वारा दिखाए गए हैं, असमान संतुष्टि प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे वक्र दाएं को ऊपर की ओर खिसकने जाते हैं, संतुष्टि का स्तर ऊंचा होता जाता है, और जैसे-जैसे वक्र बाएं को नीचे की ओर खिसकते हैं संतुष्टि का स्तर नीचा होता जाता है। उदाहरणार्थ I3 वक्र की तुलना में I4 एवं I5 वर्क ऊंचे संतुष्टि स्तर और I2 व I1 वक्र नीचे संतुष्टि स्तर को दर्शाते हैं।
तटस्थता रेखाओं की मान्यताएं–
(1) एक उपभोक्ता किसी वस्तु की कम मात्रा की तुलना में अधिक मात्रा पसंद करता है बशर्ते उसे किसी अन्य वस्तु के उपभोग को कम ना करना पड़े। अब वस्तु का उपभोग (मात्रा) बढ़ने से उपभोक्ता का संतुष्टि स्तर बढ़ जाता है।
(2) उपभोक्ता के लिए यह बताना संभव है कि वस्तुओं का यह संयोग दूसरे संयोग की अपेक्षा कम संतुष्टि (उपयोगिता) प्रदान करता है या अधिक।
(3) व्यक्ति को यह ज्ञात रहता है कि एक संयोग से दूसरे संयोग पर जाने से प्राप्त उपयोगिता कम होगी, बढ़ेगी या बराबर रहेगी।
(4) उपभोक्ता विवेक संगत व्यवहार करता है अर्थात अपने व्यय से अधिकतम संतुष्टि पाने का प्रयास करता है।
तटस्थता वक्रों का स्वभाव-
तटस्थता वक्रों की प्रकृति समझने के लिए उपभोक्ता के काल्पनिक ‘तटस्थता सारणी’ बनानी होती है।
मेयर के अनुसार, “उदासीनता तालिका वह तालिका है, जो 2 वस्तुओं के ऐसे संयोग बताती है, जिनसे किसी व्यक्ति को समान संतोष प्राप्त होता है। यदि इस तटस्थता तालिका को एक रेखा के रूप में दिखाया जाए तब हम ‘तटस्थता वक्र’ प्राप्त हो जाता है।”
यदि उपभोक्ता को दो वस्तुओं की विभिन्न मात्राओं के संयोग से अलग-अलग संतुष्टि प्राप्त होती है, तभी इन्हें विभिन्न उदासीन-वक्रों द्वारा दर्शाया जाता है। जब बहुत से उदासीन वक्रों कोई कहीं रेखा चित्र द्वारा दर्शाया जाता है, जब यह ‘उदासीनता मानचित्र’ कहलाता है। उदासीनता मानचित्र में विभिन्न वक्रों द्वारा उपभोक्ता की अभिरुचि यों की विभिन्न रचनावलियों को प्रदर्शित किया जाता है।
अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण | भारत में सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण
- शून्य आधारित बजट प्रक्रिया | zero based budgeting process in Hindi
- सार्वजनिक आगम का अर्थ | सार्वजनिक आगम की परिभाषा | सार्वजनिक आगम के विभिन्न स्रोत
- सार्वजनिक आगम का वर्गीकरण | Classification of Public Proceeds in Hindi
- करभार का अर्थ | कराघात एवं करापात से आशय | कर भार या कर विवर्तन का विश्लेषण | कर भार अथवा कर विवर्तन के सिद्धान्त
- कर का अर्थ एवं परिभाषा | कर की प्रमुख विशेषतायें | meaning and definition of tax in Hindi | salient features of tax in Hindi
- कर/ करारोपण का अर्थ एवं परिभाषायें | करारोपण के प्रमुख सिद्धान्त
- करारोपण के आधुनिक सिद्धान्त | modern theories of taxation in Hindi
- प्रत्यक्ष कर से आशय | विशेषताएं | प्रत्यक्ष करों के गुण | प्रत्यक्ष करों के दोष
- उत्पत्ति हास्य परिवर्तनशील अनुपात नियम | परिवर्तनशील अनुपात नियम की व्याख्या
- कीमत लोच के प्रकार । कीमत लोच को प्रभावित करने वाले तत्व
- मांग की कीमत लोच क्या है? | मांग की लोच की श्रेणियां | मांग की लोच को मापने के ढंग
- मांग का अर्थ | मांग की परिभाषा | मांग को प्रभावित करने वाले तत्व
- मांग की आय लोच | आय प्रभाव ऋणात्मक भी हो सकता है
- मांग की कीमत लोच | आय लोच एवं आड़ी लोच | मांग के तीनों प्रकार
- उदासीनता वक्र की विशेषताएं | तटस्थता वक्र की विवेचना
- उपभोक्ता का संतुलन | उपभोक्ता के संतुलन को तटस्थता वक्र
- मांग के नियम | मांग के नियम के आधार | मांग का रेखा चित्र द्वारा स्पष्टीकरण
- मूल्य प्रभाव, आय प्रभाव व प्रतिस्थापन प्रभाव के बीच संबंधों की विवेचना
Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com