कीमत लोच के प्रकार । कीमत लोच को प्रभावित करने वाले तत्व | Types of Price Elasticity in Hindi | Factors Affecting Price Elasticity in Hindi
कीमत– लोच के प्रकार-
कीमत संबंधी परिवर्तनों के प्रति मांग की प्रतिक्रियात्मकता के अंश के आधार पर मांग की कीमत लोच निम्न पांच प्रकार (या श्रेणियां) बताए गए हैं-
(1) लोचदार मांग या मूल्य सापेक्ष मांग–
जब किसी वस्तु की मांग उसी अनुपात में बदलती है जिस अनुपात में वस्तु का मूल्य बदला है, तब उस वस्तु की मांग को ‘लोचदार मांग’ या ‘मूल्य सापेक्ष मांग’ कहते हैं, जैसे-यदि घड़ी का मूल्य दोगुना हो जाए और उसकी मां आधी रह जाए या उसकी कीमत आधी रह जाए और मांग दुगनी हो जाए ऐसा प्रायः सुख कर वस्तुओं की मांग के संबंध में होता है।
उपरोक्त रेखा चित्र में DD वस्तु की मांग की लोच ‘इकाई के बराबर’ प्रदर्शित करता है। ऐसे मांग-वक्र को ‘सम-भुज’या आयताकार अतिपरवलयकार कहा जाता है। रेखाचित्र से स्पष्ट है कि वस्तु की प्रारंभिक कीमत ON है, जिस पर वस्तु की OM माता मांगी जाती है। वस्तु की कीमत बढ़ कर ON” हो जाने पर मांग की मात्रा घट कर OM” रह जाती है; किंतु कीमत घटकर ON’रह जाने पर मांग की मात्रा बढ़ कर OM’हो जाती है। प्रत्येक दशा में वस्तु की मांगी कई मात्रा में आनुपातिक परिवर्तन उसकी कीमत में अनुपातिक परिवर्तन के बराबर रहता है।
(2) अत्यधिक लोचदार मांग या अत्यधिक मूल्य सापेक्ष मांग–
जब मुरली में मामूली-सा परिवर्तन होने पर किसी वस्तु की मांग में बहुत अधिक परिवर्तन हो जाता है अर्थात जब वस्तु की मांग में परिवर्तन उसके मूल्य से अधिक अनुपात में होता है, तब ऐसी वस्तु की मांग ‘सापेक्षिक रूप से लोचदार’ या ‘अत्यधिक लोचदार मांग’ कहलाती है, जैसे- रेडियो की कीमत मैं 25% की कमी हो जाने पर उसकी मांग में 50% की वृद्धि हो जाए या कीमत में 15% की वृद्धि हो जाने पर उसकी मांग में 25% की कमी हो जाए। ऐसा प्रायः विलास-वस्तुओं के संबंधों में होता है। मार्शल ने इस प्रकार की मांग की लोच को ‘इकाई से अधिक’कहां है।
प्रस्तुत चित्र में DD मांग वक्र वस्तु की मांग को अत्यधिक लोचदार दर्शाता है। वस्तु की कीमत ON से बढ़कर ON” हो जाने पर उसकी मांगी गई मात्रा OM से घटकर OM”रह जाती है। परंतु वस्तु की कीमत ON से घटकर ON”रह जाने पर उसकी मांग मात्रा OM से बढ़कर OM’हो जाती है। प्रत्येक दशा में मांगी गई मात्रा में आनुपातिक (प्रतिशत) परिवर्तन कीमत में आनुपातिक (प्रतिशत) परिवर्तन से अधिक रहता है।
(3) पूर्णतया लोचदार मांग या पूर्णतया मूल्य सापेक्ष मांग–
जब मूल्य बदले बिना मांग में असीमित परिवर्तन हो जाए, जब ऐसी मांग ‘पूर्णतया लोचदार’कहलाती है। वस्तु की कीमत में अत्यंत सूछ्म गिरावट आ जाने से उसकी मांग का सीमित विस्तार होता है तथा कीमत में अत्यंत सूछ्म वृद्धि हो जाने से मांग शून्य तक घट जाती है।
प्रस्तुत रेखा चित्र में DD मांग वक्र वस्तु की मांग की अनंत क्लोज प्रदर्शित करता है। वस्तु की कीमत OD रहते हुए कभी मांगी गई मात्रा OM से बढ़कर OM’हो जाती है और कभी OM से घटकर OM” हो जाती है। ऐसी स्थिति व्यवहारिक जीवन में बहुत कम पाई जाती है।
(4) बेलोचदार मांग या मूल्य निरपेक्ष मांग-
जब किसी वस्तु की मांग में परिवर्तनइसके मूल्य में परिवर्तन के अनुपात से बहुत कम होता है, अर्थात मूल्य में अधिक परिवर्तन होने पर वस्तु की मांग मात्रा में थोड़ा-सा परिवर्तन होता है, तब उस वस्तु की मांग ‘बेलोचदार’या मूल्य निरपेक्ष’कहलाती है, जैसे-गेहूं का मूल्य 25% कम हो जाए और मांग में केवल 5% की वृद्धि हो या कीमत में 15% की वृद्धि होने पर मांग में केवल 5% की कमी हो। ऐसा प्रायर आवश्यक वस्तुओं के संबंध में होता है। मार्शल ने ऐसी मांग-लोच को ‘इकाई से कम’ कहां है।
प्रस्तुत रेखा चित्र में DD मांग-वक्र है, जो OX अक्ष पर OY की अपेक्षा बड़ा कौन बनाता है अर्थात OX अच्छे से दूर होने की प्रवृत्ति दिखाता है और OY धुरी के पास होता जाता है। वस्तु की कीमत ON से बढ़कर ON” हो जाने पर मांगी गई मात्रा OM से घटकर OM” रह जाती है; किंतु वस्तु की कीमत ON से घटकर ON” रह जाने पर उसकी मांग- मात्रा OM से बढ़कर OM” हो जाती है। प्रत्येक दशा में मांगी गई मात्रा में आनुपातिक (प्रतिशत) परिवर्तन कीमत में आनुपातिक (प्रतिशत) परिवर्तन से कम रहता है।
(5) पूर्णतया बेलोचदार मांग या पूर्णतया निरपेक्ष–
जब किसी वस्तु के मूल्य में भारी परिवर्तन के बावजूद उसकी मांग में कोई परिवर्तन नहीं होता है, तब ऐसी वस्तु की मांग ‘पूर्णतया बेलोचदार’ या ‘पूर्णतया मूल्य–निरपेक्ष’ कहलाती है। ऐसी मांग-लोच ‘शून्य’ कहीं जाती है, जबकि पूर्णतया मूल्य-सापेक्ष मांग की लोच असीमित कहलाती है।
प्रस्तुत रेखा चित्र में DD मांग वक्र की शून्य लोच प्रदर्शित करता है। वस्तु की कीमत भले ही ON से बढ़कर ON” हो जाये या ON से घटकर ON’रह जाये; प्रत्येक दशा में मांगी गई मात्रा समान अर्थात OD बनी रहती है। पूर्णतया मूल्य-सापेक्ष मांग की तरह, पूर्णतया मूल्य-निरपेक्ष मान भी काल्पनिक स्थिति है।
मांग की लोच के निर्धारक–
किसी वस्तु की मांग का लोच दरिया बेरोजगार होना अनेक घटकों पर निर्भर करता है। मांग की लोच को प्रभावित या निर्धारित करने वाले प्रमुख घटक निम्न प्रकार हैं-
- वस्तु का गुण– सामान्यतया जीवन-रक्षक एवं प्रतिष्ठारक्षक वस्तुओं की मांग बेलोचदार; आरामदायक तथा कुशलता-रक्षक वस्तुओं की मांग लोचदार तथा विलास-वस्तुओं की मांग अधिक लोचदार होती है।
- वस्तु का मूल्य– मांग की लोच पर वस्तु के मूल्य का विशेष प्रभाव होता है। बहुत ऊंचे या बहुत नीचे मूल्य पर मांग की लोच बहुत कम होती है। जिन वस्तुओं का मूल्य बहुत अधिक होता है, उनकी मांग प्राय: कम लोचदार होती है; क्योंकि ऐसी वस्तुओं को केवल धनी व्यक्ति ही खरीदते हैं।
- वस्तु के वैज्ञानिक प्रयोग– जो वस्तुएं एक से अधिक उपयोग में काम आ सकती है, उनकी मांग लोचदार होती है, जैसे-दूध, कोयला, बिजली आदि।
- स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता– यदि किसी वस्तु के स्थान पर अन्य वस्तुओं का उपयोग हो सकता है, तब उस वस्तु की मांग अधिक लोचदार होती है।
- वस्तु प्रयोग स्थगन की संभावना– यदि किसी वस्तु का उपभोग भविष्य के लिए टाला जा सकता है, तब उसकी मांग लोचदार होगी।
- उपभोक्ता की रूचि, स्वभाव तथा फैशन- मनुष्य को जिस वस्तु के प्रयोग की आदत पड़ जाती है या जिस वस्तु के पक्ष में रुचि उत्पन्न हो जाती है या जिस वस्तु का प्रयोग प्रचलित फैशन के अनुकूल है, उस वस्तु की मांग कम लोचदार होती है।
- आर्थिक स्थिति- धनी व्यक्ति के लिए विलास वस्तुओं की मांग बेरोजगार होती है (क्योंकि उनके पास धन प्रचुर मात्रा में),जबकि मध्यम वर्ग के व्यक्तियों के लिए इन वस्तुओं की मांग लोचदार होती है। उदाहरणार्थ-धनी व्यक्ति के लिए मारुति कार की मांग बेरोजगार तथा मध्यम वर्ग के लिए लोचदार होती है।
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