अर्थशास्त्र

कर का अर्थ एवं परिभाषा | कर की प्रमुख विशेषतायें | meaning and definition of tax in Hindi | salient features of tax in Hindi

कर का अर्थ एवं परिभाषा | कर की प्रमुख विशेषतायें | meaning and definition of tax in Hindi | salient features of tax in Hindi

 कर का अर्थ एवं परिभाषा-

कर राज्य की आय का मुख्य साधन है, जो राज्य को अनिवार्य रूप से किया जाता है। अन्य शब्दों में, कर राज्य को किया जाने वाला अनिवार्य भुगतान है, जिसके बदले में करदाता को कोई प्रतिफल नहीं प्राप्त होता है। इसकी कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं-

“कर सरकार को दिया जाने वाला अनिवार्य भुगतान है, जो कि करदाता द्वारा बिना प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त की आशा के दिये जाते हैं।”- टेलर

“कर वह मूल्य है जो प्रत्येक नागरिक सरकार को सामान्य सार्वजनिक सेवाओं की लागत के बदले में, जिसे वह उपभोग करेगा, देता है।”– प्रो. डी. मार्को

“कर एक अनिवार्य अंशदान है, यद्यपि इसे इच्छा पूर्वक भी भुगतान किया जा सकता है, लेकिन यह कानूनी अपराधों का दण्ड स्वरूप नहीं है।’– प्रो. ब्यूहलर

“कर सार्वजनिक सत्ता द्वारा लगाया गया एक अनिवार्य अंशदान है, चाहे उसके बदले में करदाता को उतनी सेवायें प्रदान की जायें या नहीं और किसी पर इसे कानूनी सजा के रूप में नहीं लगाया जाता।”– डाल्टन

“कर जनता द्वारा सरकार को किया गया एक अनिवार्य अंशदान है, जो सामान्य जनता के हित पर व्यय करने हेतु लगाया जाता है और किसी को विशेष लाभ प्रदान नहीं किए जाते।” –सेलिगमैन

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि “कर एक अविार्य भुगतान है जो सरकार व्यक्तियों से (जो प्राकृतिक अथवा सम्मिलित हो सकते हैं) सामान्य हित की दृष्टि से प्राप्त करती है और इसके बदले करदाता को कोई प्रत्यक्ष सेवा, सुविधा या वस्तु प्रदान नहीं की जाती है।”

कर की प्रमुख विशेषतायें-

कर की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-

(1) अनिवार्य अंशदान- कर एक अनिवार्य अंशदान है और यह अंशदान सामान्य उपयोग के लिए किया जाता है। चूंकि यह एक अनिवार्य अंशदान है, अतः कोई भी व्यक्ति कर का भुगतान करने से इन्कार कर सकता है। इस प्रकार का राज्य को दिया जो वाला एक अनिवार्य भुगतान है और प्रत्येक व्यक्ति को कर देना पड़ता है, जिस पर कि राज्य द्वारा कर लगाया जाता है, भले ही वह वयस्क हो या अवयस्क अथवा नागरिक हो या विदेशी। यद्यपि कर एक अनिवार्य भुगतान है किन्तु इसकी भी कुछ सीमायें हैं। जैसे- यदि किसी विशेष वस्तु पर कर लगाया जाता है, तो उस वस्तु का उपभोग न करके व्यक्ति विशेष कर से बच सकता है। इस सीमा के अतिरिक्त कर एक अनिवार्य भुगतान ही है और इसकी यही विशेषता इसको अन्य प्रकार की सरकारी आय से पृथक करती है।

(2) कर के बदले कोई लाभ न प्राप्त होना- कर भुगतान करने के बदले करदाता को प्रतिफल के रूप में कोई विशेष लाभ नहीं प्राप्त होता है क्योंकि कर का सरकारी व्यय से प्राप्त लाभ से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता और करदाता भी सरकार से उसी अनुपात में कोई लाभ प्राप्त करने का कोई अधिकारी नहीं है। इस प्रकार कर का भुगतान इसलिए नहीं किया जाता कि कर देने वाले व्यक्ति को राज्य से कोई लाभ प्राप्त हुआ है अथवा राज्य ने उसके लिए कोई सेवा की है। कर की इस विशेषता को भी कुछ सीमायें हैं। उदाहरणार्थ- मनोरंजन कर केवल उन्हीं व्यक्तियों द्वारा अदा किया जाता है, जो मनोरंजन का लाभ प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार भूमि कर केवल उन्हीं व्यक्तियों द्वारा अदा किया जाता है जिनके पास भूमि होती है अथवा जो भूमि से लाभ उठाते हैं। इस स्थिति पर प्रकाश डालते हुए डी मार्कों ने लिखा है कि आधुनिक राज्यों में राज्य एवं व्यक्तियो में कर का भुगतान एक विनिमय क्रिया है, जिसमें व्यक्ति कर के रूप में भुगतान करते हैं और उसके बदले में राज्य सेवायें प्रदान करता है।

(3) कर की आय का समान हित में उपयोग- राज्य को प्राप्त होने वाली कर आय का व्यय सार्वजनिक हित में किया जाता है न कि किसी एक व्यक्ति पर या वर्ग विशेष पर। अन्य शब्दों में, जिस व्यक्ति से कर लिया जाता है उसे किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष लाभ देने की गारण्टी नहीं दी जाती है। सरकार प्रायः धनी वर्ग से आय प्राप्त करके उसे निर्धन वर्ग पर व्यय करती है जिससे सार्वजनिक कल्याण में वृद्धि की जा सके।

(4) व्यक्तिगत दायित्व- करारोपण करदाता पर व्यक्तिगत दायित्व डालता है। इसका आशय यह है कि व्यक्ति पर कर लगा है तो उसका कर्त्तव्य या दायित्व है कि उसे अदा करे। उदाहरणार्थ- मान लीजिए व्यक्ति की आय पर कर लगाया गया है, किन्तु लोगों को आय कई स्रोतों से प्राप्त हो सकती है। अतः सम्भव है कि सरकार को लोगों की आय के सभी स्रोतों का ज्ञान न हो। इस स्थिति में करदाता का कर्तव्य है कि वह अपनी कुल आय को ध्यान में रखे।

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Pankaja Singh

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