शून्य आधारित बजट प्रक्रिया | zero based budgeting process in Hindi
शून्य आधारित बजट प्रक्रिया
शून्य आधार पर बजट प्रक्रिया की अवधारणा वास्तविक रूप में ब्रिटिश विद्वान ई. हिल्टन यंग (E-Hilton yong) के विचारों से प्रभावित हुई है। उन्होंने ही पहले बजट कार्यक्रमों की प्रतिवर्ष औचित्य को सिद्ध करने की बात की थी। औपचारिक रूप से शून्य आधार बजट प्रक्रिया पहली बार सन् 1964 के वित्तीय वर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग में प्रयुक्त की गई थी। किन्तु यह प्रक्रिया उस समय असफल रही। इस असफलता के बहुत कारण थे। पहले विभाग के सभी अभिकरणों ने इस कल्पना (Assumption) को लेकर समय नहीं चुना गया। विनियोजन विधेयक के प्रस्तव बनाने में बहुत देर हो गई थी। अत; जो बजट बना रहे थे वे अपने कार्यक्रमों के लिए अधिक से अधिक धन लेने की बात कर रहे थे। उनके प्रस्तावों का मूल्यांकन करने की और ध्यान ही नहीं था। तीसरे, शून्य आधार बजट प्रक्रिया के क्रियान्वयन के लिए पत्रों सम्बन्धी कार्य (Paper work) इतना अधिक था कि सम्बन्धित लोग उचित प्रबन्ध नहीं कर सके।
पीटर ऐ-पियर (PeterA.Pyhrr) को इस तकनीक का जन्मदाता कहा जाता है क्योंकि इन्होंने ही यह नामकरण किया था। सन् 1969 ई-में अमेरिका में टैक्साज इन्स्टूमैण्ट मैण्ट (Texas Instrument) में प्रबन्धक के रूप में काम करते हुए उन्होंने शून्य आधार बजट प्रक्रिया को एक नियोजन बजट बनाने तथा नियन्त्रण करने के उपकरण के रूप में विकसित किया। सर्वप्रथम उन्होंने इसे कम्पनी के अनुसन्धान एवं विकास संभाग में प्रयुक्त किया। वहाँ इसकी सफलता के आधार पर इसे कम्पनी के अन्य सभी संभागों में प्रयुक्त किया। पियर ने बाद में “शून्य आधर बजट प्रक्रिया’ नामक पुस्तक भी लिखी तथा सन् 1970 में हारवर्ड बिजनैस रिब्यु में एक लेख लिखा।
जिम्मी कार्टर (Jimmy Carter) जो उस समय जोरजिया (Georgia) के गवर्नर थे, उन्होंने पियर को बुलाया तथा इस तकनीक को जोरजिया के राज्य में प्रयुक्त करने के लिए कहा। जोरजिया के राज्य में सन् 1973 के वित्तीय वर्ष में इस तकनीक को अपनाया गया। जिम्मी कार्टर इस तकनीक की सफलता से बहुत प्रभावित थे। जब वे संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के पद के चुनाव के लिए खड़े हुए तो उन्होंने अपने चुनाव घोषणा पत्र में यह भी लिखा कि वे राष्ट्रपति बनने पर शून्य आधार बजट प्रक्रिया का प्रयोग सारे देश में करेंगे। फलस्वरूप उनके राष्ट्रपति बनने पर इस तकनीक को बहुत प्रोत्साहन मिला। सन् 1979 के वित्तीय वर्ष से इस तकनीक का प्रयोग सभी संघीय विभागों में किया जाने लगा। यह तकनीक बहुत दिन तक जारी नहीं रही तथा कुछ ही वर्षों में इसकी औपचारिक प्रयुक्ति बन्द कर दी गई। किन्तु फिर भी विभिन्न कार्यक्रमों पर व्यय की समीक्षा अब भी जारी है जिसे शून्य बजट प्रक्रिया का प्रभाव कहा जा सकता है।
भारत सरकार में शून्य आधार बजट प्रक्रिया को सर्वप्रथम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (Science & Technology) विभाग में प्रयुक्त किया गया है। 1983के ज्ञापन के अनुसार सरकार ने विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के सभी विभागों, अभिकरणों तथा संस्थाओं में शून्य आधार बजट प्रक्रिया को सिद्धान्त रूप में स्वीकार कर लिया है। सातवी पंचवषीर्य योजना में भी इसे अपनाने की आवश्यकता पर जोर डाला गया।
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