अर्थशास्त्र

प्रकट अधिमान सिद्धांत | प्रकटित अधिमान विधि तथा अनधिमान वक्र विधि में अंतर

प्रकट अधिमान सिद्धांत | प्रकटित अधिमान विधि तथा अनधिमान वक्र विधि में अंतर | Manifest Preference Theory in Hindi | Difference between revealed preference method and indifference curve method in Hindi

प्रकट अधिमान सिद्धांत

यह सिद्धांत बताता है कि एक उपभोक्ता वस्तुओं के किसी एक विशेष संयोग को खरीदने के लिए या तो अपनी पसंद या वस्तु के सस्ता होने की दृष्टिकोण को अपनाता है। उदाहरणार्थ, माना वस्तुओं के दो संयोग A तथा B हैं और उपभोक्ता B संयोग की तुलना में A सहयोग को खरीदता है। इसका तात्पर्य यह है कि या तो B संयोग A सहयोग की तुलना में अधिक महंगा है और उपभोक्ता A संयोग को B संयोग से सस्ता होने के कारण खरीदता है और यदि A संयोग B सहयोग की तुलना में महंगा है तो उपभोक्ता A संयोग को अपनी अधिक पसंद होने के कारण खरीदता है और B संयोग को A सहयोग की तुलना में प्रकट रूप से निम्न कोटि का समझता है। इस विवेचना को चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है।

चित्र से स्पष्ट है कि OX केला तथा OY संतरे की ओर संकेत करता है। PM मूल्य रेखा है। उपभोक्ता मूल्य रेखा PM पर स्थित A,B,C तीन संयोगों में किसी भी संयोग को खरीद सकता है। इसी प्रकार वह मूल्य रेखा के नीचे D,E,F मैं से किसी भी सहयोग को खरीद सकता है क्योंकि इनका मूल्य कम है या यह सस्ते हैं पर उनकी मात्रा कम है। इसलिए वह उन्हें नहीं खरीदेगा PM मूल्य रेखा पर स्थित बिंदु H तथा G संयोग यह संकेत करते हैं कि वे A,B,C संयोग से अधिक मांगे हैं और उपभोक्ता की आय से परे हैं। इसलिए इनके क्रय करने का कोई प्रश्न नहीं उठता। माना कि उपभोक्ता A संयोग को खरीदना है जिसमें केले की मात्रा OM1 तथा संतरे की मात्रा OP1 है। यह उपभोक्ता के संतुलन की स्थिति की ओर संकेत करती है। PM1 मूल्य रेखा के ऊपर और नीचे के कोई भी संयोग को A की तुलना में निम्न कोटि का समझा जाता है। उपभोक्ता A संयोग के लिए चुनाव अधिमान को प्रकट करता है। इस प्रकार कहा जाता है कि प्रो. सेम्युलसन का ‘प्रकट अधिमान सिद्धांत’ शक्तिशाली क्रम पर आधारित है।

चित्र से स्पष्ट है कि उपभोक्ता A संयोग कि अन्य संयोगों के ऊपर एक निश्चित अभिमान को प्रकट करता है। तटस्थता वक्र में प्रो. हिक्स ने मजबूत क्रम के स्थान पर कमजोर क्रम को स्वीकार किया है।

प्रकटित अधिमान विधि तथा अनधिमान वक्र विधि में अंतर-

  • तटस्थता वक्र में प्रो. हिक्स ने मजबूत क्रम के स्थान पर कमजोर क्रम को स्वीकार किया। इसके विपरीत प्रो. सेम्युलसन ने प्रकट अधिमान विधि में मजबूत क्रम को स्वीकार किया है।
  • प्रो. जे. आर. हिक्स एक अतिरिक्त मान्यता को मानकर चलते हैं कि एक उपभोक्ता वस्तुओं की अधिक मात्रा के संयोग को वस्तुओं की कम मात्रा के संयोग की तुलना में सदैव पसंद करेगा।
  • हिक्स का विचार सांख्यिकी है तथा सेम्युलसन का प्रकट अधिमान सिद्धांत एक सांख्यिकी विचार नहीं है।

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Pankaja Singh

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