मांग का अर्थ | मांग की परिभाषा | मांग को प्रभावित करने वाले तत्व | Meaning of Demand in Hindi | Definition of Demand in Hindi | factors affecting demand in Hindi
मांग से आशय–
साधारण बोलचाल की भाषा में इच्छा एवं आवश्यकता को ही मांग कहा जाता है।परंतु अर्थशास्त्र में इसका उपयोग भिन्न अर्थों में किया जाता है। प्रायः प्रभावपूर्ण इच्छा को मांग कहा जाता है। यदि इच्छा को पूर्ण करने के लिए हमारे पास पर्याप्त साधन हों और साधनों को व्यय करने के लिए भी तत्पर हों, तुमसे मांग कहा जाता है।
मांग की परिभाषा–
- बेनहम के अनुसार, “किसी वस्तु की मांग से आशय उस वस्तु की मात्रा से है, जो किसी विशेष समय पर क्रय किया जाता है।”
- जे.एस.मिल के मतानुसार, “मांग से हमारा आशय, मांगी गई मात्रा है,परंतु ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि यह माता स्थिर ना होकर मूल्य के आधार पर परिवर्तित होती रहती है।”
- पेन्सन के मतानुसार, “मांग एक भावपूर्ण इच्छा है।”
मांग को प्रभावित करने वाले तत्व/कारक–
यह तत्व (कारक) निम्नलिखित हैं-
- आय में परिवर्तन- यदि किसी उपभोक्ता की आय में परिवर्तन हो जाए तो विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के लिए उसकी मांग में भी परिवर्तन हो जाता है। यह आवश्यक नहीं है कि परिवर्तन उसी अनुपात में हो जितना की आय में हुआ हो। उन वस्तुओं को जिनको उपभोक्ता विलासिता की वस्तुएं समझकर उपभोग नहीं कर सकता था, उन्हीं वस्तुओं को आराम की बस तुम्हें समझ कर अधिक उपयोग करने लगता है।
- वस्तु के मूल्य में परिवर्तन– वस्तु के मूल्य का प्रत्यक्ष संबंध वस्तु की मांग से होता है जब किसी वस्तु के मूल्य में कमी आती है, तो उसे वस्तु की मांग में वृद्धि हो जाती है और मूल्य में वृद्धि होने पर मांग में कमी आती है।
- धन का वितरण– यदि समाज में धन का समान वितरण है, तू समाज के सभी सदस्य अधिक मात्रा में वस्तुओं की मांग कर सकेंगे। इसके विपरीत, यदि धन का वितरण इतना असमान है कि अधिकांश लोगों को राष्ट्रीय आय का एक छोटा सा हिस्सा ही प्राप्त होता है, तो वस्तुओं की मांग भी कम होगी।
- उपभोक्ता की रुचि व फैशन– वस्तु की मांग पर उसके उपभोक्ताओं की आदतों, रुचियों एवं फैशन, आदि का भी प्रभाव पड़ता है। हाल ही में टी.वी., फ्रिज, कूलर आज की मांग में जो वृद्धि हुई है वह इसी तत्व का परिणाम है।
- व्यापार की दशा में परिवर्तन– व्यापारिक परिस्थितियों में जो चक्रीय उच्चावचन होते हैं,उनका भी वस्तुओं की मांग पर प्रभाव पड़ता है। तेजी के समय सभी आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि होती है और इसके फलस्वरूप सभी वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है। इसके विपरीत मंदी-काल मैं सभी वस्तुओं की मांग कम हो जाती है।
- जनसंख्या में परिवर्तन– देश में जनसंख्या बढ़ जाने से वस्तुओं और सेवाओं की मांग अधिक हो जाती है और कम जनसंख्या से वस्तुओं और सेवाओं की मांग कम हो जाती है।
- मनुष्य के विचार– मनुष्य के व्यक्तिगत विचारों का भी किसी वस्तु की मांग पर प्रभाव पड़ता है। राष्ट्रीय विचार वाले व्यक्तियों के लिए खादी का मूल्य बढ़ जाने पर भी खादी की मांग कम नहीं होगी।इसके विपरीत विदेशी वस्त्रों का मूल्य अत्यंत कम हो जाने पर भी वे उसकी मांग नहीं करेंगे.
उपर्युक्त तत्वों के अतिरिक्त सरकारी नीति, ज्ञान का स्तर, कुल सामाजिक व्यय की दशा, विज्ञापन आदि तत्व भी किसी वस्तु के लिए व्यक्ति की मांग को प्रभावित करते हैं।
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