मांग के नियम | मांग के नियम के आधार | मांग का रेखा चित्र द्वारा स्पष्टीकरण | law of demand Based on law of demand in Hindi | Demand diagrammatic explanation in Hindi
मांग के नियम से आशय–
मांग का नियम, मांग एवं मूल्य का संबंध प्रदर्शित करता है। इसके आधार पर यह ज्ञात किया जा सकता है कि मूल्य के घटने या बढ़ने का मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
प्रोफ़ेसर मार्शल ने मांग के नियम की परिभाषा देते हुए लिखा है कि, “मूल्य बढ़ने पर वस्तुओं की मांग कम हो जाती है और मूल्य घटने पर वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है।”
अंतर स्पष्ट है कि मांग एवं मूल्य में विपरीत दिशा में परिवर्तन होता रहता है, जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है।
मांग के नियम के आधार–
मांग का नियम हास्य नियम पर आधारित है। यदि किसी वस्तु का उपभोग किया जाए तो उस वस्तु की उत्तरोत्तर इकाइयों से प्राप्त होने वाली उपयोगिता क्रमशः कम होती जाती है। जब हमारे पास आवश्यकता से अधिक वस्तुएं होती हैं तो उनसे प्राप्त होने वाली उपयोगिता भी कम होती जाती है, और उन वस्तुओं के लिए पहले से कम मूल्य दिया जाता है। अतः मांग का नियम यह बताता है। कि जब वस्तु का मूल्य कम होता है तो उसका मान बढ़ जाती है और जब वस्तुओं की पूर्ति कम हो जाती है तो उसकी उपयोगिता बढ़ जाने से उसका मूल्य अधिक दिया जाना संभव हो जाता है। अतः मूल्य अधिक हो जाने पर वस्तुओं की मांग कम हो जाती है। प्रायः मांग मूल्य का अनुपातिक संबंध नहीं होता, अतः यह नियम एक प्रवृत्ति का द्योतक है।
मांग के नियम का स्पष्टीकरण–
प्रत्येक उपभोक्ता अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना चाहता है जो उपभोग द्वारा ही संभव हो सकती है। वस्तु के उपभोग से उपयोगिता प्राप्त होती है।प्रत्येक अगली कई के साथ उपयोगिता कम होती जाती है। अतः वह प्रत्येक अगली इकाई के लिए कम मूल्य देताजाएगा। यदि उसे अधिक मूल्य देना पड़े तो उस वस्तु का उपभोग कम कर दिया जाएगा और वह उसी कम मात्रा में उपयोग करेगा।
उदाहरण– मनाई एक व्यक्ति सेब क्रय करना चाहता है। यदि सेब 5 रुपये प्रति किलो है तो ग्राहक केवल 1 किलो सेब क्रय करेगा। यदि सेब का मूल्य घटाकर 4 रुपये 10 किलो हो जाए, तो क्रेता 2 किलो सेब खरीद लेगा। यदि सेब और सस्ता होकर 2 रुपये प्रति किलो हो जाए तो सेम 3 किलो तक खरीदे जा सकते हैं। आता है आगे भी सेब के मूल्य में कमी आने पर सेब की मांग में निरंतर वृद्धि होती जाएगी। विभिन्न मूल्यों पर सेब की तालिका को अगर प्रकार से रखा जा सकता है-
मांग तालिका
मुल्य प्रति किलो रु. में | सेब की मांग |
5 | 1 |
4 | 2 |
3 | 3 |
2 | 4 |
1 | 5 |
उपर्युक्त विवेचन व सारणी से स्पष्ट हो जाता है कि जैसे जैसे सेब का मूल्य कम होता जाता है वैसे वैसे सेब की मांग भी बढ़ती जातीहै। इसके विपरीत मूल्य बढ़ जाने से सेब की मांग भी कम होती जाती है। अतः मांग एवं मूल्य में विपरीत संबंध पाया जाता है और दोनों एक- दूसरे से प्रभावित होते हैं।
मांग का रेखा चित्र द्वारा स्पष्टीकरण–
मांग के नियम को संलग्न रेखा चित्र की सहायता से समझाया जा सकता है-
चित्र में सेब की मांग OX अक्ष पर तथा मूल्य OY अक्ष पर मां पर गए हैं। चूंकी अ ब रेखा सेब का मूल्य तथा किसी मूल्य पर सेव की मांग का संबंध प्रदर्शित करती है अतः अ ब रेखा मांग की वक्र रेखा है।
मांग वक्र दाएं को नीचे की ओर क्यों झुकाता है? अथवा मांग का नियम क्यों लागू होता है? अथवा मांग के नियम के लागू होने के कारण–
मांग वक्र दाएं और झुकते हैं। इसको मांग वक्र कार्यात्मक ढाल भी कहा जाता है। मांग वक्र का नीचे की ओर ढाल कीमत और मांग के विपरीत संबंध को स्पष्ट करता है। किसी वस्तु की मांग ऊंची कीमत पर कम तथा कम कीमत पर अधिक होती है। ऐसा क्यों है कि लोग किसी वस्तु को नीची कीमत पर अधिक तथा ऊंची कीमत पर कम मात्रा में खरीदते हैं?मांग के नियम अथवा मांग वक्र के नीचे की ओर झुकने के निम्न कारण उत्तरदाई हैं-
- सीमांत उपयोगिता हास्य नियम–
मांग नियम उपयोगिता हास्य नियम पर आधारित है। उपयोगिता हास नियम, जैसा कि हम पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं, यह बताता है कि जैसे-जैसे एक वस्तु की अधिकाधिक इकाइयों का उपयोग किया जाता है, उत्तरोत्तर इकाइयों से प्राप्त सीमांत उपयोगिता घटती जाती है।
इससे स्पष्ट है कि मांग का नियम सीमांत उपयोगिता हादसे नियम पर आधारित है।
- आय का प्रभाव–
आय प्रभाव मांग के नियम के लागू होने काएक अत्यंत महत्वपूर्ण कारण है। यदि किसी वस्तु के मूल्य में कमी हो जाती है तो उसका ऐसे उपभोक्ता की आय में वृद्धि होना है क्योंकि अब वह पहले के बराबर धन व्यय करके ही उस वस्तु को पहले से अधिक मात्रा में खरीद सकता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि इस वर्ष संतानों की अच्छी फसल के कारण संतरे की कीमत 10 रुपये प्रति दर्जन से घटकर 5 रुपये प्रति दर्जन रह जाती है। ऐसी स्थिति में जो उपभोक्ता 3 दर्जन संतरे प्रति सप्ताह खरीदते थे, उतनी ही मुद्रा ब्यय करके अब 6दर्जन संतरी प्रति सप्ताह खरीदेंगे। इससे स्पष्ट है कि कीमतें घटने पर उपभोक्ताओं की वास्तविक आय बढ़ जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप वस्तु की मांग अधिक हो जाती है। इसके विपरीत कीमतें बढ़ने पर उपभोक्ताओं की वास्तविक आय कम हो जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप वस्तु की मांग कम हो जाती है।
- प्रतिस्थापन प्रभाव–
यदि किसी वस्तु की कोई स्थापन्न वस्तु है तो वस्तु की कीमत में कमी होने पर उस वस्तु की अपनी स्थापन्न वस्तुओं की तुलना में अधिक मांग हो जाती है। इस प्रकार उपभोक्ता ही स्थानापन्न वस्तुओं के स्थान पर उसका उपयोग करने लगते हैं।
- क्रेताओं की संख्या में परिवर्तन-
एक वस्तु के मूल्य में परिवर्तन होने पर उसके उपभोक्ताओं की संख्या में भी परिवर्तन हो जाता है। दूसरे शब्दों में,किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि उपभोक्ताओं की संख्या में कमी तथा मांग में कमी लाती है तथा कीमत में कमी उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि या मांग में वृद्धि लाती है।
- एक वस्तु के विविध उपयोग–
यदि एक वस्तु के विविध उपयोग हो सकते हैं तो इसके मूल्यों में परिवर्तन होने पर उसकी मांग पूर्ण रूप से परिवर्तित होगी। उदाहरण के लिए विद्युत का प्रयोग अनेक कार्यों में किया जाता है, जैसे प्रकाश, भोजन बनाने, टी. वी., फ्रिज, कूलर आदि चलाने के लिए। यदि इसके मूल्य में वृद्धि हो जाए तो इसका प्रयोग कुछ आवश्यककार्यों में ही किया जाने लगेगा और फल स्वरुप इसकी मांग कम हो जाएगी।
उपर्युक्त सभी कारक मांग वक्र के नीचे की ओर झुकने के लिए उत्तरदाई हैं। मांग वक्र काढाल तथा मांग नियम दोनों ही कीमत और मांग के विपरीत संबंध को प्रकट करते हैं।
मांग के नियम की मान्यताएं–
मांग का नियम केवल उसी समय सिद्ध होता है जबकि अन्य बातें समान रहे अर्थात यह समान नियम निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है-
- उपभोक्ताओं में परस्पर प्रतियोगिता होनी चाहिए।
- उपभोक्ताओं की रुचि व फैशन में कोई अंतर नहीं होना चाहिए।
- स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धि एवं उनके मूल्यों में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
- देश में मुद्रा की मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
- भविष्य में वस्तु के मूल्य में कोई कमी या वृद्धि नहीं होनी चाहिए।
- वास्तु निम्न कोटि की नहीं होनी चाहिए।
- धन के वितरण में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
- जनसंख्या में अत्यधिक परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
- उपभोक्ता के स्वाद आय एवं अन्य प्रतियोगी वस्तुओं के मूल्यों में कोई भेद नहीं होना चाहिए।
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