मांग की आय लोच | आय प्रभाव ऋणात्मक भी हो सकता है | income elasticity of demand in Hindi | The income effect can also be negative in Hindi
मांग की आय लोच–
उपभोक्ता की मांग उनकी आय का भी फलन है उसकी मांग उसकी आय से निर्धारित या प्रभावित होती है (यदि अन्य बातें समान रहे)। यदि उपभोक्ता की आय बढ़ती है तो उसकी मांग की वस्तुओं के लिए बढ़ती है और यदि आय घटती है तो उपभोक्ता की वस्तुओं के लिए मांग भी घटती है। उपभोक्ता की आय बढ़ने से उसकी मांग में किस अनुपात में परिवर्तन होता है, इसी मांग की आय लोच द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
वाटसन के अनुसार, “मांग की आय लोच से अभिप्राय आय में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के परिणाम स्वरूप मांगी गई मात्रा में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात से है।”
मांग की आय लोच को निम्न सूत्र से मापा जा सकता है- )
(ey) = मांग की मात्रा में आनुपातिक परिवर्तन/आय मैं अनुपातिक परिवर्तन
गणितीय रूप में,
ey = (∆x/x) / (∆y/y) = (∆x) / (∆y) y/x
जहां-
ey =मांग की आय लोच
∆x = मांग में परिवर्तन (आय परिवर्तन के बाद)
x = प्रारंभिक मांग,
∆y = आय में परिवर्तन,
Y = प्रारंभिक आय।
मांग की आय लोच की श्रेणियां–
मांग की कीमत लोच की तरह मांग की आय लोच की भी पांच श्रेणियां हैं, जिनकी व्याख्या निम्नलिखित है-
- इकाई से अधिक (ey > 1) – उपभोक्ता की आय में जिस अनुपात में वृद्धि होती है उस अनुपात में से अधिक अनुपात में उपभोक्ता की मांग में वृद्धि हो तो इसे ईकाई से अधिक मांग की आय लोच (ey > 1) कहते हैं। अर्थात,
∆y/y < ∆x/x
इस प्रकार की आय लोच विलासिता की वस्तुओं में पाई जाती है।
- इकाई से कम (ey < 1) – उपभोक्ता की आय में वृद्धि जिस अनुपात में होती है, उस अनुपात से कम अनुपात में उपभोक्ता की मांग में वृद्धि होती है तो ऐसी वस्तुओं की मांग की आय लोच इकाई से कम (ey < 1) होती है क्योंकि आय की वृद्धि से कम अनुपात में उपभोक्ता इन वस्तुओं की मांग में वृद्धि करता है। अर्थात,
∆y/y < ∆x/x
आवश्यक वस्तुओं के संबंध में मांग की आय लोच इकाई से कम होती है।
- इकाई के बराबर (ey = 1) – इस दशा में उपभोक्ता आय में वृद्धि अथवा कमी के अनुपात में ही वस्तु की मांग में वृद्धि अथवा कमी करता है अर्थात जितना परिवर्तन आय में होता है उतना ही मांग में होता है। अर्थात-
∆y /y < ∆x/x
- ऋणात्मक आय लोच (ey < 0) – जिन वस्तुओं के उपभोग की मात्रा उपभोक्ता की आय में वृद्धि के साथ घटती है ऐसी वस्तुओं के संबंध में आय लोच ऋणात्मक होती है। इन वस्तुओं में निम्न कोर्ट की वस्तुओं के संबंध में आय लोच शून्य से कम होती है। अर्थात –
सूत्र रूप में– ey < 0
∆x /x < ∆y/y
- शून्यात्मक आय लोच (ey = 0) – जब उपभोक्ता की आय बढ़ने या घटने पर वस्तु की मांग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता मांग स्थिर है तब मांग की लोच शून्य होती है।
अर्थात ∆x / x < 0
अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- करारोपण के आधुनिक सिद्धान्त | modern theories of taxation in Hindi
- प्रत्यक्ष कर से आशय | विशेषताएं | प्रत्यक्ष करों के गुण | प्रत्यक्ष करों के दोष
- हैबरलर का अवसर लागत सिद्धान्त | अवसर लागत सिद्धान्त की मान्यतायें | अवसर लागत सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन
- पारस्परिक माँग का सिद्धान्त | पारस्परिक माँग का सिद्धान्त की मान्यतायें | मार्शल का प्रस्ताव वक्र | मिल के पारस्परिक माँग सिद्धान्त का महत्व | मिल के सिद्धान्त की आलोचनायें
- व्यापार को शर्ते | वस्तु व्यापार की शर्ते | वस्तु व्यापार की शर्तों की सीमाएं
- सकल वस्तु-विनिमय व्यापार की शर्ते | व्यापार की आय शर्ते | इसकी आलोचनाएँ
- मुक्त व्यापार सन्धि | Free trade agreement in Hindi (FTA)
- सार्वजनिक लोकवित्त का अर्थ एवं परिभाषा | राजस्व की परिभाषाएँ
- लोक वित्त की प्रकृति | लोक वित्त विज्ञान है या कला | राजस्व विज्ञान है अथवा कला
- लोकवित्त की विषय-सामग्री | सार्वजनिक वित्त के क्षेत्र | राजस्व के मुख्य विभाग | राजस्व की विषय-सामग्री | राजस्व की विषय सामग्री
- राजस्व का महत्व | आर्थिक क्षेत्र में महत्व | सामाजिक क्षेत्र में महत्त्व | राजनीतिक क्षेत्र में महत्व | लोक वित्त के महत्त्व
- निजी वित्त से आशय | लोकवित्त तथा निजी वित्त में समानतायें | निजी वित्त तथा लोक वित्त में अन्तर
- बजेटरी व्यवस्था | निजी वस्तुओं की अवधारणा | सार्वजनिक वस्तुओं की अवधारणा | सार्वजनिक वस्तुओं की विशेषतायें | निजी एवं सार्वजनिक वस्तुओं में अन्तर
- सार्वजनिक वित्त का प्रमुख उद्देश्य (सिद्धान्त) | लोक वित्त के परम्परागत उद्देश्य | आधुनिक विचारधारा-राज्य का आधुनिक उद्देश्य या सिद्धान्त
- अधिकतम सामाजिक लाभ के सिद्धान्त | अधिकतम सामाजिक लाभ के सिद्धान्त के मुख्य तत्त्व
- सार्वजनिक व्यय का अर्थ | सार्वजनिक व्यय या लोकव्यय के विभिन्न सिद्धान्त | भारत में लोक व्यय के सिद्धान्तों का पालन
- भारत में सार्वजनिक व्यय के सिद्धान्त | Principles of Public Expenditure in India in Hindi
- सार्वजनिक व्यय के वर्गीकरण का अर्थ | अच्छे वर्गीकरण की विशेषताएँ | लोक-व्यय का वर्गीकरण
- सार्वजनिक व्यय के प्रभाव | सार्वजनिक व्यय के उत्पादन एवं वितरण पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव
- डॉ० डाल्टन का सार्वजनिक व्यय के प्रभावों का वर्गीकरण | Dr. Dalton’s Classification of Effects of Public Expenditure in Hind
Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- [email protected]