लोक वित्त की प्रकृति | लोक वित्त विज्ञान है या कला | राजस्व विज्ञान है अथवा कला
के राजस्व (लोक वित्त) की प्रकृति से तात्पर्य-
राजस्व की प्रकृति से तात्पर्य यह जानने से है कि राजस्व विज्ञान है अथवा कला। यदि राजस्व विज्ञान है तो वास्तविक विज्ञान है अथवा आदर्श विज्ञान या दोनों।
लोक वित्त या राजस्व एक विज्ञान के रूप में
यह विचार करने से पहले कि राजस्व एक विज्ञान है या नहीं ‘विज्ञान’ शब्द का अर्थ जान लेना चाहिये।
विज्ञान का अर्थ-
विज्ञान शब्द ‘विद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है जानना। किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान या अध्ययन को विज्ञान कहते हैं। विज्ञान नियम व सिद्धान्तों का समूह है और ये नियम व सिद्धान्त कारण व परिणाम में सम्बन्ध स्थापित करते हैं।
विज्ञान के प्रकार-
विज्ञान दो प्रकार का होता है-(1) वास्तविक विज्ञान, (2) आदर्श विज्ञान वास्तविक स्थिति का अध्ययन करता है और कारण व परिणाम में सम्बन्ध स्थापित करता है। यह क्या है’ प्रश्न का उत्तर देता है आदर्श विज्ञान मानव-व्यवहार के लिये आदर्श प्रस्तुत करता है।‘यह क्या होना चाहिये’ प्रश्न का उत्तर देता है। वह विषय की अच्छाई या बुराई की विवेचना करता है।
राजस्व एक विज्ञान है-
राजस्व एक विज्ञान है क्योंकि इसमें सरकार की वित्तीय क्रियाओं और सम्बन्धित पहलुओं का व्यवस्थित रूप से अध्ययन किया जाता है तथा इनके संचालन के लिय उपयुक्त नियम व सिद्धान्त बनाये जाते हैं। राजस्व को विज्ञान मानने के पक्ष में प्लेहन ने निम्न तर्क दिये हैं-
(i) यह मानवीय ज्ञान के एक निश्चित एवं सीमित क्षेत्र का ही अध्ययन करता है, सम्पूर्ण क्षेत्र का न हीं।
(ii) इसमें तथ्यों और सिद्धान्तों का क्रमबद्ध संग्रह किया जाता है।
(ii) इसके अपने कुछ नियम हैं जो इसी विज्ञान में लागू किये जाते हैं अन्य विज्ञानों में नहीं।
(iv) इसके अध्ययन एवं अन्वेषण के लिये वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
(v) यह किसी विशेष घटना की निश्चित व्याख्या कर सकता है और पूर्वानुमान भी लगा सकता है।
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राजस्व एक वास्तविक विज्ञान है-
इसके अन्तर्गत राजकोषीय नीतियों की वास्तवि स्थिति का अध्ययन किया जाता है। इसमें यह देखा जाता कि वर्तमान में किन राजकोषीय नीतियों का पालन किया जा रहा है। इन नीतियों के अपनाने का कारण क्या है तथा इनके सम्भावित परिणाम क्या हैं? इस प्रकार राजस्व एक वास्तविक विज्ञान है।
राजस्व एक आदर्श विज्ञान है-
राजस्व के आदर्शात्मक पहलू के अन्तर्गत संसाधनों का आदर्श वितरण, आय का आदर्श स्तर तथा रोजगार का आदर्श स्तर आदि निर्धारित किये जाते हैं। फिर विद्यमान स्थिति से तुलना करके यह पता लगाया जाता है कि हम आदर्श से कितने पीछे हैं। इसके बाद आदर्श तक पहुँचने के लिये सुधार सुझाये व अपनाये जाते हैं।
इस प्रकार राजस्व वास्तविक विज्ञान व आदर्श विज्ञान दोनों है।
राजस्व एक आश्रित विज्ञान है-
राजस्व एक विज्ञान तो है परन्तु यह एक आश्रित विज्ञान है। यह अपनी विषय-सामग्री के लिये अर्थ-विज्ञान तथा राजनीति विज्ञान दोनों पर निर्भर है।
राजस्व कला के रूप में
कला का अर्थ-
कला शब्द ‘कृत’ धातु से बना है जिसका अर्थ किसी कार्य को उत्तम ढंग से करना है। कीन्स के शब्दों में “कला एक दिये हुए उद्देश्य की प्राप्ति के लिये नियमों की एक प्रणाली है।” कला का कार्य क्या है और क्या होना चाहिये’ की खाई को पाटना है। किसी आदर्श तक पहुँचाने के लिये रास्ता बताना कला का कार्य है।
राजस्व कला है-
राजस्व के वैज्ञानिक रूप के अन्तर्गत सरकारों के आय और व्यय के सिद्धान्तों और नीतियों का अध्ययन किया जाता है। परन्तु जब इन नीतियों और सिद्धान्तों का प्रयोग सरकार की वित्तीय समस्याओं को हल करने के लिये किया जाता है तो राजस्व कला का रूप धारण कर लेता है। राजस्व का कला रूप उस समय प्रकट होता है जब देश की सरकार अनेक स्रोतों से आय प्राप्त करके उसे इस प्रकार व्यय करने का निश्चय करती है कि समाज को अधिकतम लाभ प्राप्त हो। बजट का बनाना स्वयं एक कला है। श्रीमती उर्सुला हिक्स के अनुसार, “राजस्व एक कला है क्योंकि इसका सम्बन्ध वास्तविक समस्याओं से है।”
अतः स्पष्ट हो जाता है कि राजस्व (लोक वित्त) न केवल विज्ञान है वरन् कला भी है।
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