शिक्षाशास्त्र

खुला विश्वविद्यालय | खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों की विशेषताएँ व उद्देश्य | खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों के लाभ | खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों का विकास

खुला विश्वविद्यालय | खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों की विशेषताएँ व उद्देश्य | खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों के लाभ | खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों का विकास

खुला विश्वविद्यालय

किसी देश की शिक्षा प्रणाली की उत्तमता केवल इस बात पर निर्भर नहीं होती है कि उसका गुणात्मक स्तर पर्याप्त ऊँचा है बल्कि इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह कहाँ तक देश के नागरिकों की वर्तमान नवीन एवं उच्च स्तरीय ज्ञान-विज्ञान से अवगत कराने में सफल हुई है, कहाँ तक उच्च शिक्षा में वंचित है, किन्तु उसको प्राप्त करने की आकांक्षा रखने वाले नागरिकों को विशेषतया पिछड़े एवं निर्बल सामाजिक वर्गों के लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करने में सफल हुई है। सन् 1985 के पूर्व व्यक्ति केवल ‘औपचारिक’ (Formal) विधि से ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकता था और यदि कोई व्यक्ति बीच में ही किसी कारणवश उच्च शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास छोड़ देता था तो उसे पुन: उस प्रवाह में आने के निमित्त अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। स्पष्ट शब्दों में यह कहा जा सकता है कि बिना माध्यमिक शिक्षा पूरी किये उच्च शिक्षा प्राप्त करना सम्भव न था । इस समस्या का समाधान और उच्च शिक्षा को सार्वजनीय बनाने की दिशा में ‘खुले विश्वविद्यालयों’ (Open Universities) की स्थापना की गयी जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम प्रयोग है। इसे हम सार्वजनिक विश्वविद्यालय प्रणाली के नाम से सम्बोधित कर सकते हैं। इन विश्वविद्यालयों को खुला या मुक्त विश्वविद्यालय इसलिए कहते हैं क्योंकि- इनमें शिक्षा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को किसी पूर्व डिप्लोमा या सर्टीफिकेट की आवश्यकता नहीं होती, (ii) इनमें आयु की सीमा नहीं होती, (iii) इनमें समय का कोई बन्धन नहीं होता, (iv) इनका कोई विशेष परिसर’  (Campus) नही होता, (v) इनमें किसी भी क्षेत्र का व्यक्ति प्रवेश ले सकता है, (vi) इन सभी बन्धनों से मुक्त होते हुये भी इन विश्वविद्यालयों में सामान्य विश्वविद्यालय की भाँति पाठ्यक्रम, परीक्षा, उपाधि आदि की व्यवस्था है। इस प्रकार खुले विश्वविद्यालयों का तात्पर्य उन विश्वविद्यालयों से है जिनमें प्रवेश करने के लिए किसी डिप्लोमा व सटीफिकेट एवं आयु तथा अध्ययन करने के लिए किसी समय एवं परिसर का बन्धन नहीं होता किन्तु इन सब बन्धनों से मुक्त होते हुए भी इनमें सामान्य विश्वविद्यालय के समान पाठ्यक्रम, परीक्षा, उपाधि आदि की व्यवस्था होती है।

खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों की विशेषताएँ व उद्देश्य

(Characteristics and Aims of Open Universities)

यदि हम खुले विश्वविद्यालयों के उपयुक्त वर्णित विवेचन पर पुनः एक विहंगम दृष्टि डालें तो हमें उनकी विशेषताओं व उद्देश्यों की ओर संकेत मिलता है । संक्षेप में, खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों की प्रमुख विशेषताएँ व उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

(1) खुले विश्वविद्यालयों के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के ‘अवसर’ (opportunities) प्राप्त होते हैं । विशेष रूप से जिन व्यक्तियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्राप्त होते हैं। विशेष रूप से जिन व्यक्तियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्राप्त नहीं हुये हैं वे अपनी आकांक्षा की पूर्ति इस माध्यम से करने में अवश्य समर्थ होंगे।

(2) इन विश्वविद्यालयों के माध्यम से व्यक्तियों को अपनी ‘प्रगति’ (Progress) एवं जीवन-शैली’ (Style of Life) का चुनाव करने के अवसर प्राप्त होते हैं।

(3) खुले विश्वविद्यालयों के माध्यम से वे लोग, जो पुराने ज्ञान के बल पर ही अपना कार्य चला रहे हैं, आधुनिक या नवीन ज्ञान-विज्ञान के सम्पर्क में आ सकेंगे।

(4) इन विश्वविद्यालयों में ‘प्रवेश’ (Admission) के लिये न तो औपचारिक शिक्षा एवं प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है और न ही किसी प्रकार की आयु का बन्धन होता है।

(5) खुले विश्वविद्यालयों में समाज के विशाल वर्ग को प्रति छात्र कम व्यय पर उच्च शिक्षा की सुविधा प्राप्त होती है।

(6) इन विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिये न तो ‘समय’ (Time) का बन्धन होता है और न ही इनका कोई परिसर’ (Campus) होता है।

(7) उच्च शिक्षा को सार्वजनिक बनाने की दिशा में खुले विश्वविद्यालय एक अभिनव एवं सफल ‘प्रयोग’ (Experience) हैं।

(8) इन विश्वविद्यालयों में किसी भी प्रदेश या क्षेत्र का व्यक्ति प्रवेश ले सकता है।

(9) खुले विश्वविद्यालयों द्वारा शिक्षण प्रदान करने का प्रमुख साधन दूरसंचार माध्यम होता है

(10) इन विश्वविद्यालयों में परम्परागत विश्वविद्यालयों की भाँति पाठ्यक्रम एवं परीक्षा दोनों ही होते हैं और उत्तीण होने पर ‘उपाधि’ (Degree) भी प्राप्त होती है।

खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों के लाभ

(Merits of Open Universities)

खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों के प्रमुख लाभ निम्न प्रकार हैं-

(1) यह व्यवसाय से जुड़े लोगों को उनके क्षेत्र की आधुनिकतम जानकारी प्राप्त करने में सहायता करता है।

(2) मुक्त विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या अधिक होती है। इसलिए यदि हम सीखने वालों पर प्रति व्यक्ति खर्च देखें तो खर्च कम होता है।

(3) यह जनता को समान शिक्षा अवसर प्रदान करने में सहायता करती है। बहुत से प्रौढ़ावस्था में अपनी पढ़ाई जारी करने के योग्य हो जाते हैं जिन्होंने पहले अवसर खो दिया था।

(4) यह परम्परागत विश्वविद्यालयों के भार को घटाता है, अन्यथा उन्हें ही लोगों की शिक्षा के लिये प्रावधान करना पड़ता।

9) प्रवेश के लिए कोई प्रतिबन्ध नहीं होता। कोई आयु सीमा अथवा पिछली योग्यता अथवा शक्ति की कोई शर्त नहीं होती । स्वाभाविक ही है कि बहुसंख्या इससे सन्तुष्ट प्रतीत होती है।

(6) विषय विशेषज्ञों की टीम अथवा वास्तविक रूप से योग्य व्यक्तियों द्वारा पाठ तैयार किए जाते हैं इससे शिक्षा का स्तर सुधरता है।

खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों का विकास

(Development of Open Universities)

विश्व में सर्वप्रथम सन् 1979 में इंग्लैण्ड में खुला विश्वविद्यालय स्थापित हुआ। प्रारम्भ में इस विश्वविद्यालय में पंजीकृत छात्रों की संख्या 25,000 थी, 1985 तक लगभग एक लाख तक पहुँच गयी। यह विश्वविद्यालय 300 केन्द्रों के माध्यम से रेडियो, टी. वी. व संचार के अन्य उपकरणों का प्रयोग शिक्षा के लिए करता है। इसके बाद चीन, जापान, नीदरलैण्ड, कोरिया, थाईलैण्ड,श्रीलंका, स्पेन तथा पाकिस्तान में खुले व मुक्त विश्वविद्यालय स्थापित हुये। भारत में सर्वप्रथम 1982 में आन्ध्र में अन्नामलाई खुला विश्वविद्यालय स्थापित किया गया जिसमें बी० ए० कॉम., बी. एस-सी., स्नातकोत्तर विषयों तथा व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम चलाये गये। मुम्बई में एन. एन. डी. टी. विश्वविद्यालय के स्वरूप को भी खुले विश्वविद्यालय में परिवर्तित कर दिया गया। सन् 1985 में संसद में पारित एक अधिनियम के द्वारा अखिल भारतीय इन्दिरा गाँधी खुला विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 और खुला विश्वविद्यालय

(New National Educational Policy, 1986 and Open University)

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत खुले या मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना पर बल दिया गया। इसमें मुक्त विश्वविद्यालय की क्रियान्वयन की व्यूह-रचना निम्न प्रकार है-

(i) यह कार्यक्रम सन् 1987 में प्रारम्भ कर दिया जायेगा।

(ii) सन् 1988 में स्नातक पाठ्यक्रम’ (Graduate Course) प्रारम्भ कर दिया जायेगा।

(iii) महिलाओं की आवश्यकताओं एवं शिक्षकों के अभिनवन में क्षेत्रों में ‘विशेष पाठ्यक्रमों’ (Special Courses) का आयोजन किया जायेगा।

(iv) दूरदर्शन पर शैक्षिक कार्यक्रमों के प्रसारण हेतु पृथक चैनल’ (Separate Channel) प्रस्तुत किया जायेगा।

(v) यह शैक्षिक कार्यक्रम मोडूलर पैटर्न एवं क्रेडिट प्रणाली के आधार पर सम्पन्न किया जायेगा। ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ (U.G.C.) से इसके लिए सहायता ली जायेगी।

(vi) कृषि, उद्योग एवं अन्य क्षेत्रों में विकास एवं प्रगति की जानकारी प्रदान की जायेगी।

(vii) राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन के ‘मानक’ (Norms) स्थापित किये जायेंगे।

(vii) प्रादेशिक स्तर पर खुले विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर पर क्रियाशील खुले विश्वविद्यालय से मार्गदर्शन लेंगे।

इस विश्वविद्यालय में छात्रों का मूल्यांकन’ (Evaluation) तीन रूपों में किया जायेगा,यथा (i) सर्वप्रथम छात्र स्वयं अपना मूल्यांकन करेंगे, (ii) तत्पश्चात् ट्यूटर छात्रों की उपलब्धि का मूल्यांकन उनके स्व-मूल्यांकन के आधार पर करेगा और (iii) अन्त में विश्वविद्यालय द्वारा अन्तिम मूल्यांकन किया जायेगा। खुले विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा प्राप्त करने का प्रमुख ‘साधन’ (Media) दूरसंचार माध्यम होगा। शिक्षा नीति में कहा गया है कि आधुनिक संचार प्रौद्योगिकी से देश एवं काल के बन्धनों पर काबू पा सकना सम्भव हो गया है। शैक्षिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग उपयोगी जानकारी के लिये, अध्यापकों के प्रशिक्षण एवं पुनः शिक्षण के लिए, शिक्षा की ‘गुणवत्ता’ (Quality) को सुधारने के लिए तथा कला एवं संस्कृति के प्रति जागरूकता एवं स्थायी मूल्यों के संस्कार उत्पन्न करने हेतु किया जायेगा। औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों प्रकार की शिक्षा के लिये इस प्रौद्योगिकी का उपयोग होगा। पाठ्यक्रम की अवधि पूरी होने पर विश्वविद्यालय के अध्ययन केन्द्रों पर ही ‘परीक्षा’ (Examination) ली जायेगी और सफल होने पर उपाधि’ (Degree) या प्रमाण-पत्र’ (Certificate) प्रदान किये जायेंगे।

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Pankaja Singh

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