ऐतिहासिक भ्रमणों के महत्व | ऐतिहासिक पर्यटन की योजना | Need and importance of history room in Hindi | History room decoration and its arrangement in Hindi
ऐतिहासिक भ्रमणों के महत्व
एक युग था जब कि शिक्षा के क्षेत्र में पर्यटन को किसी भी प्रकार कका महत्त्व नहीं दिय जाता था । छात्रों को केवल पुस्तकीय शिक्षा ही प्रदान की जाती थी। उनकी कक्षा के अन्दर ही शिक्षा प्रदान करना अध्यापक अपना परम कर्त्तव्य समझता था । कक्षा के बाहर भी ज्ञानार्जन किया जा सकता है, इसकी कोई कल्पना भी नहीं करता था । शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान के प्रवेश ने इस विचारधारा का खण्डन किया। रूसो और पेस्टालॉजी प्रथम मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने भ्रमण विधि को महत्व दिया और पुस्तकीय शिक्षा से अधिक क्षेत्रीय कार्य (Field work) को प्रधानता दी। इन दोनों विद्वानों के अनुसार पुस्तकें पढ़कर ज्ञान प्राप्त करने के बजाय प्रकृति का निरीक्षण करके ज्ञान प्राप्त करना कहीं उचित है ।
भ्रमण विधि का जितना अच्छा उपयोग इतिहास में हो सकता है, उतना और किसी विषय में नहीं । इतिहास-शिक्षण में पर्यटन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए नाथूराम ने लिखा है – “इतिहास का सम्बन्ध अतीत से है। हम अपने वर्तमान को भली प्रकार अतीत के माध्यम से ही समझ सकते हैं, परन्तु अतीत का अभ्यास हमें विभिन्न रूपों में होता है। दूसरे शब्दों में अतीत की उन्नति तथा अवनति का ज्ञान हमें सभ्यता तथा संस्कृति के द्वारा होता है। ऐतिहासिक इमारत, भवन, सड़क, पुल आदि भौतिक वस्तुएं हमारी सभ्यता के प्रतीक है। अतः छात्रों को देश की प्राचीन सभ्यता का ज्ञान कराने के लिए यह आवश्यक है कि इन स्मारकों तथा ऐतिहासिक स्थलों का पर्यटन कराया जाय । कक्षा में बैठकर इतिहास का केवल मौखिक अध्ययन होता है; परन्तु ऐतिहासिक पर्यटन के द्वारा इतिहास अध्ययन में वैज्ञानिकता तथा वास्तविकता आ जाती है।”
स्थानीय इतिहास का शिक्षण बिना पर्यटन के सफल हो नहीं सकता। छात्र कक्षा से बाहर निकलकर नगर के आस-पास के खण्डहर, स्मारक, प्रसिद्ध इमारतें तथा युद्ध-स्थल बादि का स्वयं निरीक्षण करके वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने के साथ- साथ अपनी निरीक्षण तथा जिज्ञासा प्रवृत्तियों को भी सन्तुष्ट करते हैं । पर्यटन विधि के इतिहास शिक्षण में निम्न लाभ है-
1 – छात्र जब ऐतिहासिक इमारतों की विशालता और भव्यता को देखते हैं तो उन्हें अपने पूर्वजों की महानता का ज्ञान होता है। वे उनके विषय में जानने का प्रयास करते हैं और इस प्रकार इतिहास के लिए उनमें रुचि जाग्रत होती है।
2- स्थानीय इतिहास का शिक्षण जितना प्रभावशाली पर्यटन विधि द्वारा होता है, उतना किसी और विधि से नहीं।
3 – इतिहास को नीरसता से बचाने के लिए पर्यटन विधि सर्वोत्तम है।
4 – ‘भवन निर्माण कला’ का जितना अच्छा ज्ञान पर्यटन विधि द्वारा कराया जा सकता है, उतना किसी और विधि के द्वारा नहीं। किसी युग की चित्रकला का ज्ञान भी पर्यटन विधि द्वारा हो कराया जा सकता है।
5- पर्यटन विधि का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जब बालक स्थानीय भवनों तथा वातावरण से प्रेम करना सीख जाता है तो आगे चलकर यही प्रेम देश-प्रेम में परिवर्तित हो जाता है ।
6- ऐतिहासिक पर्यटनों द्वारा छात्र ऐतिहासिक स्रोतों एवं सत्य की भी जानकारी कर लेते हैं ।
7- ऐतिहासिक पर्यटन कक्षा-कार्य का पूरक होता है जो बात कक्षा में नहीं दिखाई जा सकती तथा समझाई जा सकती, वह वास्तविक पदार्थ दिखाकर सरलता से समझाई जा सकती है ।
ऐतिहासिक पर्यटन की योजना
1 – सर्वप्रथम यह निश्चय किया जाना आवश्यक है कि किस स्थान पर छात्र को ले जाया जाय । व्यर्थ इधर-उधर भटकने की अपेक्षा स्थान का निश्चय पहले से कर लेना आवश्यक है। वह स्थान सबसे अधिक उत्तम है जहाँ एक से अधिक ऐतिहासिक भवन होते हैं ।
2- पर्यटन से पूर्व ही उसकी भली प्रकार तैयारी कर ली जाय। कक्षा में छात्र परस्पर वाद-विवाद द्वारा यह निश्चय करें कि पर्यटन का उद्देश्य क्या हो ? उसका संगठन किस प्रकार किया जाय तथा परस्पर कार्य का वितरण किस ढंग से किया जाय। सुविधा के लिए एक समिति का भी आयोजन किया जा सकता है।
3- पर्यटन के लिए आवश्यक सामग्री का आयोजन भी करना आवश्यक है। पानी की बोतल या धर्मस, चाकू, फीता, रूलर, पेन्सिल, दूरदर्शक यन्त्र, प्राथमिक चिकित्सा की वस्तुएं एक नोटबुक, कैमरा, नाश्ता तथा अन्य वस्तुएँ ।
4 – किसी भवन या स्मारक को देखने के पश्चात् छात्रों से उस पर प्रश्न किये जाएँ।
5- छात्रों को भी युद्ध-स्थल, भवन आदि से सम्बन्धित प्रश्न करने की छूट दी जाय।
6 – जिस समय बालक निरीक्षण कर रहे हों, उस समय छात्रों को प्रमुख बातें नोट करने के लिए माज्ञा दे दी जाय।
7 – पर्यटन के पश्चात् वाद-विवाद किया जाय जिसमें छात्र तथा अध्यापक दोनों भाग लें। इसके उपरान्त पर्यटन में देखी गई प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों तथा युद्ध-स्थल आदि के विषय में निबन्ध लिखवाये जायें।
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