शिक्षाशास्त्र

नवोदय विद्यालय | नवोदय विद्यालय के उद्देश्य | Navodaya Vidyalaya in Hindi

नवोदय विद्यालय | नवोदय विद्यालय के उद्देश्य | Navodaya Vidyalaya in Hindi

नवोदय विद्यालय

(Novodaya Vidyalaya)

भारत की नवीन शिक्षा नीति के अन्तर्गत भारतीय सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं का निर्धारण किया गया है। विवृत विश्वविद्यालयों की स्थापना, शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रयोग, पत्राचार शिक्षा को प्रोत्साहन तथा वर्ग विहीन, नवोदय विद्यालयों की स्थापना हेतु योजनाओं का इनमें प्रमुख स्थान है। इन योजनाओं को देखने से यह ज्ञात होता है कि भारतीय सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने की दिशा में सचेत है और वह महत्व की अनुभूति कर चुकी है। पूर्व प्रधानमन्त्री श्री राजीव गाँधी के अनुसार भी-“सरकार नई शिक्षा नीति को शीघ्र ही कार्यान्वित कर रही है और यह नीति गुणात्मक शोधन व सुधार के लिये प्रयास करेगी। देश में अपनी सबसे बड़ी परिसम्पत्ति अपने मानव संसाधन को आज की तरह से अपनी सबसे बड़ी देयता, सबसे बड़ा बोझ समझने के बजाय अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाने की कोशिश करेगी।”

शिक्षा में अपेक्षित परिवर्तन होना ही चाहिए तथा मौलिकता की आवश्यकता को अनुभूत करते हुए पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी ने यह घोषित किया कि-

“शैक्षिक परिवर्तन होना ही चाहिए और इस परिवर्तन की आधारशिला नई शिक्षा नीति ही बनेगी। पुरानी शिक्षा प्रणाली को हमने जारी रखने की कोशिश की लेकिन हमें यह पता चला कि एक सीमा के बाद यह उपयुक्त नहीं है, और उसने हमारी जरूरतें पूरी नहीं की हैं। हमें अपनी आवश्यकतानुसार शिक्षा की मूलभूत प्रणाली पर कुछ मौलिक बुनियादी चिन्तन करना ही होगा।”

“नवीन शिक्षा नीति के द्वारा सही अर्थों में मनुष्यों का विकास होना चाहिए। इसके बाद ही कौशल या हुनर और पैसा कमाने की क्षमता होनी चाहिए। यदि हम मनुष्यों को विकसित कर सकते हैं तो कौशल या हुनर तथा पैसा कमाने की क्षमतायें अपने आप अस्तित्व में आ जायेंगी।”

मौलिकता, समानता, गुणात्मकता आदि के विचारों से ओत-प्रोत नवीन शिक्षा नीति के अन्तर्गत, नवोदय विद्यालय की स्थापना एक नवीन एवं महत्वपूर्ण प्रयास है। इन विद्यालयों की रूपरेखा का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार हैं-

(1) नवोदय विद्यालय के उद्देश्य-

इन विद्यालयों का प्रमुख उद्देश्य देश के योग्य विद्यार्थियों को समानता के आधार पर शिक्षा प्रदान करना है। एन० सी० आर०टी० की रजत जयंती पर इस सम्बन्ध में अपनी घोषणा करते हुए श्री राजीव गाँधी ने कहा कि-“हमारी राष्ट्रीय प्रणाली सभी विद्यार्थियों के लिए होनी चाहिए। चाहे वे कहीं भी रहते हों, चाहे वे किसी भी आयु स्तर के हों उनकी पहुँच इस तक होनी चाहिए। वर्तमान समय में शिक्षा प्रणाली में सामाजिक असमानता को पक्का बनाया है जिसे समानता लाने वाली प्रणाली के तौर पर समझा जाता है। वास्तव में वही प्रणाली असमानता को बनाये रखती है। अमीरों को जो शिक्षा मिलती है उसक तुलना में गरीबों को उपलब्ध शिक्षा कहीं बेहतर है। शिक्षा में उपरोक्त समानता लाने के लिए हमारा दूसरा साधन नवोदय विद्यालय होंगे। वे समानता के उत्कृष्टता या श्रेष्ठता के राष्ट्रीय एकता के पक्षधर हैं,पहली बार के किसी बेहतर संस्थान में प्रवेश पाने के लिये पढ़ने-सीखने की क्षमता को आधार मानेंगे। पैसा चुकाने या धन खर्च करने की क्षमता द्वारा ये विद्यालय परिचालित नहीं होंगे। यह दोषारोपण किया गया है कि ये सम्भ्रान्तवादी संस्थान होंगे। यह सफेद झूठ है। आज जो अच्छे संस्थान है वे ही संभ्रात वर्गवादी संस्थान होगें। इस संभ्रान्त वर्गवाद को भंग करने के लिये ही हम इन नवोदय विद्यालयों को देश में खोलने जा रहे हैं।

समानता पर आधारित उपरोक्त विचारों के अन्तर्गत नवोदय विद्यालयों के प्रमुख उद्देश्य हैं-

(i) समानता के आधार पर शिक्षा की व्यवस्था करना।

(ii) देश के छात्रों में राष्ट्रीय एकता का विकास करना।

(ii) प्रतिभाशाली छात्रों को अपनी योग्यताओं का विकास करने के अवसर प्रदान करना।

(2) नवोदय विद्यालय का संगठन-

देश के समस्त प्रतिभाशाली छात्रों को समानता के आधार पर शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नवोदय विद्यालय खोलने का निश्चय किया गया है। अनेक स्थानो पर ये नवोदय विद्यालय सन् 1987 ई० से अपना सत्र प्रारम्भ कर चुके हैं। 7वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत खोले गये इन विद्यालयों का प्रबन्ध नवोदय विद्यालय समिति के द्वारा किया जाता है । नवोदय विद्यालय समिति मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय की स्वायत्तशासी संस्था है। यह समिति ही केन्द्रीय विद्यालय संगठन के माध्यम से छात्रों को प्रवेश देगी तथा इस समिति के द्वारा हो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण के द्वारा ली गई परीक्षा के आधार पर छात्रों को प्रवेश दिया जायेगा। नवोदय विद्यालय के पाठ्यक्रम का निर्माण एन.सी० आरटी० के द्वारा किया गया है।

(3) पाठ्यक्रम-

विद्यालयों में भाषा का माध्यम हिन्दी व अंग्रेजी रखा गया है तथा क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व प्रदान किया गया है। पाठ्यक्रम के अन्तर्गत हिन्दी व अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त गणित, सामान्य विज्ञान, क्षेत्रीय भाषाओं, शारीरिक शिक्षा, कला एवं शिल्प विज्ञान को भी महत्व दिया गया है। अभी इन विद्यालयों में कक्षा 7 से कक्षा 12 तक के शिक्षण एवं पाठ्यक्रमों की ही व्यवस्था की गई है।

(4) अध्यापकों की नियुक्ति-

नवोदय विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति विद्यालय संगठन के द्वारा की जायेगी। नियुक्ति से पूर्व देश के समस्त इच्छुक अभ्यर्थियों को निर्धारित आवेदन पत्र भरना होगा। साक्षात्कार में सफल अभ्यर्थियों को देश के किसी भी नवोदय विद्यालय में कार्य हेतु नियुक्त किया जायेगा। शिक्षकों के रहने, भोजन आदि की व्यवस्था भी विद्यालय समिति द्वारा की जायेगी।

(5) प्रवेश समस्या-

वर्तमान सत्र में जिन विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया है वे सभी प्रवेश परीक्षा में सफल होने के उपरान्त ही शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। प्रवेश हेतु राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा की व्यवस्था की गई है। इस परीक्षा में देश का कोई भी विद्यार्थी भाग ले सकता है। परीक्षा का दायित्व एन० सी० आर० टी० को सौंपा गया है। यह संस्थान विस्तृत पाठ्यक्रम के आधार पर छात्रों की प्रवेश परीक्षा लेगा और उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को प्रवेश के योग्य घोषित करेगा। राष्ट्रीय एकता और समानता की अभिवृद्धि को दृष्टि में रखते हुए ग्रामीण अंचलों, पिछड़े वर्गों एवं अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के लिए पर्याप्त स्थान सुरक्षित रखे गये हैं साथ ही क्योंकि देश की अधिकांश जनता गाँवों में निवास करती है अतः इन विद्यालयों को ग्रामीण अंचलों में खोलने का निश्चय किया गया है।

(6) शुल्क एवं अन्य सुविधायें-

इन विद्यालयों में प्रवेश प्राप्त करने वाले छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त ये विद्यालय आवासीय होंगे तथा प्रत्येक छात्र को भोजन व रहने की व्यवस्था निशुल्क प्रदान की जायेगी। छात्रों की पुस्तकें, स्टेशनरी आदि का भार भी नवोदय विद्यालय समिति को वहन करना होगा। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी।

इस प्रकार नवोदय विद्यालय की स्थापना राष्ट्रीय एकता और समानता की भावना का प्रतीक है। इन विद्यालयों का मूल्यांकन भविष्य की विषय-वस्तु है परन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं है कि इन विद्यालयों में प्रतिभाशाली छात्रों को अपने विकास का पर्याप्त अवसर प्राप्त होगा और उसमें राष्ट्रीय एकता की अभिवृद्धि होगी।

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Pankaja Singh

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