शिक्षाशास्त्र

इतिहास अध्यापक के गुण | इतिहास-शिक्षक के गुण

इतिहास अध्यापक के गुण | इतिहास-शिक्षक के गुण | Qualities of History Teacher in Hindi | History teacher’s qualities in Hindi

इतिहास अध्यापक के गुण (प्रस्तावना)

शिक्षक वह धुरी है जिसके चारों ओर पूर्ण शैक्षिक व्यवस्था घूमती है चाहे हमारा पाठ्यक्रम, फर्नीचर, पाठ्य-पुस्तकें, मूल्यांकन का कार्यक्रम, शिक्षण विधियों, निर्देशन कार्यक्रम, सहायक सामग्री एवं शिक्षालय भवन आदि कितने ही अच्छे क्यों न हों, जब तक शिक्षक द्वारा उनमें जीवन संचारित न किया जायेगा जब तक वह सफल नहीं हो पायेंगे। आज के युग में फिल्मों, चित्रों आदि पर बल दिया जाता है; परन्तु ये शिक्षा के उपकरण है। इनका शिक्षक के अभाव में कोई विशेष महत्त्व नहीं है। शिक्षक के हो द्वारा एक मस्तिष्क का दूसरे मस्तिष्क से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। अन्य उपकरणों के द्वारा ऐसा नहीं किया जाता ।

एडम्स महोदय ने शिक्षक को मनुष्यों का निर्माणकर्ता कहा है। दूसरे विद्वान् भी उसको राष्ट्र-निर्माता की उपाधि से विभूषित करते हैं। बालक के चरित्र-निर्माण एवं दृष्टिकोण के निर्माण में शिक्षक का महत्त्वपूर्ण हाथ है। शिक्षक को बालक के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। शिक्षण का दृष्टिकोण जैसा होगा वैसी ही भावनाएँ उसके छात्रों में संचारित हो जायेंगी । इतिहास के शिक्षक से हम महान् गुणों की कल्पना नहीं करते वरनु उसमें उन सामान्य गुणों का होना आवश्यक है जो कि अन्य शिक्षकों में होने चाहिए। इसके अतिरिक्त उसे अपने विषय का पूर्ण ज्ञान हो ।

इतिहास-शिक्षक के गुण

इतिहास-शिक्षक में निम्नलिखित गुणों की कल्पना की जाती है—

(1) विषय का ज्ञान –

इतिहास के शिक्षक से जिस बात की अपेक्षा की जाती है, वह है— इतिहास का ज्ञान । इतिहास के ज्ञान से हमारा आशय यह है कि जिस व्यक्ति को इतिहास का ज्ञान हो, वह उसके काल-कम का भी ज्ञान रखता हो। वह इतिहास की सुचनाओं के ज्ञान साथ-साथ उसके महत्व, सीमाएं तथा उपयोगिता से  भी परिचित हो। इतिहास एक घटना है, इस कारण इतिहास के शिक्षक को यह जानना आवश्यक है कि यह घटना कब, कैसे और क्यों घटित हुई।

प्रो० भाटिया के अनुसार, “Without a scholarly internet in history and without possessing an adequate and masterly knowledge of its facts, without enthusiasm that is catching, a teacher of history can not claim to be a successful one. He knows the value, significance and limitations of this factual information. He knows how they happened, why they happened how one led up to the other.”

(2) विश्व इतिहास का ज्ञान –

इतिहास शिक्षण का उद्देश्य यह है कि बालकों में विश्व बन्धुत्व की भावना विकसित की जाय। इस उद्देश्य की प्राप्ति के हेतु स्वयं इतिहास के शिक्षक को विश्व इतिहास का ज्ञान होना चाहिए, तभी वह अपने छात्रों में दूसरों के प्रति सद्भावना उत्पन्न करने में समर्थ हो सकेगा। हम इतिहास के शिक्षक से इस बात की अपेक्षा नहीं करते कि वह विश्व इतिहास का पारंगत पण्डित हो, परन्तु उसे विभिन्न जातियों की संस्कृतियों का ज्ञान तथा उनकी एक-दूसरे को क्या देन है ? इन बातों से अवगत होना आवश्यक है।

इस सम्बन्ध में प्रो० घाटे (Ghate) का कहना है—”A working know- ledge of world history and the fundamental facts of anthropology, the antiquity of man, the evolutionary stages of culture are an important requisite of successful history teacher.”

(3) निष्पक्ष एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण-

इतिहास के शिक्षक का एक आवश्यक गुण यह भी है कि वह निष्पक्ष एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखे। इतिहास के शिक्षक को पक्षपात तथा हठधर्मी से पृथक् रहना चाहिए।

(4) व्यवसाय निष्ठा –

इतिहास के शिक्षक का एक गुण यह है कि वह अपने विषय तथा व्यवसाय में निष्ठा रखे। निष्ठा के अभाव में वह अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में सफल नहीं हो सकता।

(5) उद्देश्यों का ज्ञान –

इतिहास के शिक्षक को अपने उद्देश्यों का भो ज्ञान होना चाहिए। इसके अतिरिक्त वह यह भी जाने कि किस स्तर पर किन उद्देश्यों के विकास पर बल दिया जाय।

(6) कथावाचक –

इतिहास के शिक्षक को कुशल कथावाचक भी होना चाहिए। प्रो० भाटिया के अनुसार, “The teacher must have a thorough knowledge of such stories and their background should be able to narrate them in a dramatic and expressive manner.”

(7) विशद् सहानुभूति एवं रचनात्मक कल्पना-शक्ति-

इतिहास के शिक्षक में विशद् ज्ञान, विस्तृत सहानुभूति, रचनात्मक कल्पना-शक्ति तथा अभिनयात्मक गुणों का होता आवश्यक है।

(8) इतिहास-शिक्षण के सिद्धांत एवं व्यवहार का ज्ञान-

इतिहास के शिक्षक को इतिहास शिक्षण के सिद्धान्तों तथा व्यावहारिक तथ्यों से परिचित होना चाहिए।

(9) वर्तमान घटनाओं का ज्ञान –

इतिहास के शिक्षक को नागरिक शास्त्र तथा वर्तमान घटनाओं से भी भिज्ञ होना चाहिए ।

(10) बालकों का ज्ञान –

इतिहास के शिक्षक को अपने बालकों का भी ज्ञान होना चाहिए। जब वह उनकी रुवियों, शक्तियों, नादमयकताओं आदि से परिचित होगा, तभी विषय को सजीव एवं वास्तविक बनाने में समर्थ होगा।

(11) व्यक्तित्व –

इतिहास के शिक्षक का व्यक्तित्व आकर्षक एवं संवेगात्मक रूप से सन्तुलित होना चाहिए। विभिन्न विद्वानों ने उसके व्यक्तित्व में विभिन्न गुणों के समावेश पर बल दिया है ।

(i) ब्राइस (Bryce) महोदय के अनुसार, “The teacher of History must have the power of realizing the dead past in a living present; fact, have a tough of imagination, as well as vastly larger amount of positive knowledge them he will attempt, to pile upon the mem- ory of his class.”

(ii) ई० एल० हल्लक महोदय के अनुसार, “History requires a teacher who is willing to be ever active, ever enquiring,’ ever on his guard against the numerous pitfalls which he set his path. He may well take as his motto that one of our ducal houses, Cavemouths.”

(iii) के० डी० घोष का कहना है कि जब तक इतिहास का शिक्षक अधोलिखित गुणों का अपने में समावेश नहीं करेगा तब तक वह सफल शिक्षक नहीं कहलाया जा सकता है :-

  1. शिक्षक में सत्य की खोज के लिए वास्तविक उत्साह का होना आवश्यक है।
  2. ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के प्रति सहानुभूति ।
  3. उसके आदर्श महान् हों।
  4. मानक की सर्वतोमुखी उन्नति को प्रोत्साहन देने के लिए सदैव सतर्क रहे।
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Pankaja Singh

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