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इतिहास में अभिनय | इतिहास में अभिनय का महत्व | भारतीय इतिहास में अभिनय के लिए उपयुक्त प्रकरण | इतिहास में अभिनय की सीमाएं

इतिहास में अभिनय | इतिहास में अभिनय का महत्व | भारतीय इतिहास में अभिनय के लिए उपयुक्त प्रकरण | इतिहास में अभिनय की सीमाएं | Acting in History in Hindi | Importance of Acting in History in Hindi | Episode suitable for acting in Indian history in Hindi | The limits of acting in history in Hindi

इतिहास में अभिनय प्रस्तावना

इतिहास में अभिनय का अभिप्राय है कि छात्र किसी ऐतिहासिक व्यक्ति या घटना से सम्बन्धित किसी प्रसंग का अभिनय करके अतीत को सजीव बनाने एवं उसे समझने का प्रयास करें। अभिनय के उचित प्रयोग से स्रोतों की भाँति अतीत को सजीव एवं रोचक बनाया जा सकता है। साथ ही यह छात्रों की विभिन्न शक्तियों एवं सामाजिक प्रवृत्तियों के विकास में सहायक है।

इतिहास में अभिनय का महत्व –

जैसे कि हम देख चुके हैं कि स्रोतों का अध्ययन इतिहास को रोचक एवं सजीव बनाता है। अभिनय इतिहास को सजीव बनाने के लिए एक अन्य महत्त्वपूर्ण साधन है। जब छात्र किसी ऐतिहासिक व्यक्ति का अभिनय करते हैं तो वे उसके चरित्र को सामान्य रूप से नहीं जानते वरन् उसको वास्तविक मनुष्य के रूप में जानने में समर्थ होते हैं। साथ ही उसके विचारों एवं भावनाओं को समझने का प्रयास करते हैं। ऐसा करके वे स्वयं को वैसा ही बनाने का प्रयास करते हैं ।

अभिनय वालकों की इन्द्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। साथ ही बालक इसके माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है, क्योंकि इन्द्रियाँ ज्ञान के मुख्य द्वार हैं। इसके अतिरिक्त अभिनय द्वारा बालकों की स्मरण- शक्ति, कल्पना-शक्ति एवं दृश्यात्मक निरीक्षण शक्ति का विकास किया जाता है । इतिहास में इसके उचित प्रयोग से छात्रों में ऐतिहासिक पात्रों के लिए सहानुभूति की भावना का विकास किया जाता है।

अभिनय का महत्व इस कारण भी माना जाता है कि इसके उपयोग से छात्रों को क्रिया करके सीखने के लिए उपयुक्त अवसर प्रदान किये जाते हैं। साथ ही वह उनको नैतिक प्रशिक्षण प्रदान करता है। बालक विभिन्न ऐतिहासिक चरित्रों का अभिनय करके उनके नंतिक गुणों को अपनी अनुसरण प्रवृत्ति के फलस्वरूप ग्रहण करने में समर्थ होता है।

भारतीय इतिहास में अभिनय के लिए उपयुक्त प्रकरण-

भारतीय इतिहास में अभिनय के लिए उपयुक्त प्रकरणों की कोई कमी नहीं है। हम उदाहरणस्वरूप कुछ प्रकरण नीचे दे रहे हैं।

  1. गौतम बुद्ध के जीवन की कुछ घटनाएँ; जैसे-गुह-याग, बुद्ध तथा सारथी का वार्तालाप आदि ।
  2. सिकन्दर तथा राजा पुर की भेंट।
  3. चन्द्रगुप्त एवं चाणक्य ।
  4. सोमनाथ की छूट।
  5. हुमायूँ की मृत्युशैय्या।
  6. राणाप्रताप के जीवन की कुछ घटनाएँ ।
  7. शिवाजी के जीवन से सम्बन्धित कुछ घटनाओं का अभिनय ।
  8. प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों के जीवन की कुछ घटनाओं का अभिनय ।
  9. महात्मा गाँधी के जीवन की घटनाएं।
  10. लालबहादुर शास्त्री के जीवन की कुछ घटनाओं का अभिनय ।

इतिहास में अभिनय की सीमाएं-

इतिहास में अभिनय के प्रयोग की कुछ सीमाएं निम्नलिखित हैं :-

  1. इतिहास में अभिनय का प्रयोग करने में एक विशेष कठिनाई ऐतिहासिक प्रसंगों की न्यूनता है।
  2. इसके प्रयोग में आर्थिक अभाव भी बाघा उपस्थित करता है। अभिनय के उचित प्रयोग के लिए उपयुक्त वेश-भूषा, वातावरण आदि की आवश्यकता है। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिये धन चाहिए । विद्यालय इसके लिए पर्याप्त धनराशि प्रदान नहीं कर पाते।
  3. इसके प्रयोग में संवादों की समस्या भी कठिनाई उत्पन्न करती है।
  4. इसके प्रयोग में अभिनय कला के ज्ञान का अभाव भी बाधा उत्पन्न करता है।
  5. समय का अभाव भी इसके प्रयोग में बाधा उत्पन्न करता है। विद्यालय की समय-तालिका में इतिहास को इतना समय नहीं मिल पाता कि शिक्षक इसके प्रयोग से प्रस्तावित पाठ्य-वस्तु को निर्धारित समय में पूर्ण कर सके।
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Pankaja Singh

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