शिक्षाशास्त्र

उच्च शिक्षा का प्रशासन व संचालन | विश्वविद्यालय का आन्तरिक प्रशासन

उच्च शिक्षा का प्रशासन व संचालन | विश्वविद्यालय का आन्तरिक प्रशासन

उच्च शिक्षा का प्रशासन व संचालन

(Administration and Management of Higher Education)

भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रशासन व संचालन की जानकारी से पूर्व यह जान लेना आवश्यक है कि भारत में कितने प्रकार के विश्वविद्यालय हैं। भारत में मुख्य रूप से चार प्रकार के विश्वविद्यालय हैं-

(1) सम्बन्धक विश्वविद्यालय- सम्बन्धक विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य सम्बन्ध महाविद्यालय में होता है। इनका पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय द्वारा निश्चित किया जाता है तथा परीक्षा भी विश्वविद्यालय की देख-रेख में होती है। इन विद्यालयों का निरीक्षण यथा समय विश्वविद्यालय के प्रशासन द्वारा होता है । कालीकट,कानपुर, आगरा इसी तरह के विश्वविद्यालय हैं।

(2) प्राध्यापनिक तथा सम्बन्धक विश्वविद्यालय-प्राध्यापनिक तथा सम्बन्धक विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य विश्वविद्यालय के विभागों तथा महाविद्यालयों में होता है। अध्यापन कार्य विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त व्याख्याता करते हैं। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालयों द्वारा मान्यता प्राप्त प्राध्यापक भी इन विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य करते हैं।

सम्बन्धक महाविद्यालयों का कार्य विश्वविद्यालय की देख-रेख में होता है तथा इन महाविद्यालयों को विश्वविद्यालयों के नियमों तथा निर्देशों का पालन करना होता है।

(3) संघात्मक तथा प्राध्यापनिक विश्वविद्यालय-संघात्मक विश्वविद्यालय के अन्तर्गत गिने जाने वाले विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय पास-पास होते हैं तथा प्रत्येक महाविद्यालय में किये जाने वाले विभिन्न कार्य विश्वविद्यालय के निर्देश एवं निर्देशों के अनुसार होते हैं। इन महाविद्यालयों पर विश्वविद्यालय का नियन्त्रण होने के कारण किसी भी कार्य को करने में इनको आन्तरिक स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं होती। केरल, त्रिवेन्द्रम आदि विश्वविद्यालय संघात्मक विश्वविद्यालय की श्रेणी में आते हैं।

(4) एकात्मक तथा निवासात्मक विश्वविद्यालय-एकात्मक विश्वविद्यालय एक ही केन्द्रीय स्थान पर स्थित रहते हैं। यह विश्वविद्यालय अपना अध्यापन कार्य महाविद्यालय तथा स्वयं के विभागों की सहायता स करते हैं। इन महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालय के विभागों पर विश्वविद्यालय का पूर्ण नियन्त्रण होता है। एकात्मक विश्वविद्यालय निवासात्मक होते हैं। विश्वभारती, कल्याणी, पन्तनगर, कुरुक्षेत्र, रुड़की आदि विश्वविद्यालय एकात्मक विश्वविद्यालय की श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं।

विश्वविद्यालय का आन्तरिक प्रशासन

(Internal Administration of University)

उपरोक्त समस्त प्रकार के विश्वविद्यालयों का आन्तरिक प्रशासन प्राय: एकसमान होता है केंद्रीय विश्वविद्यालय का आन्तरिक प्रशासन प्रायः एक विश्वविद्यालयों का अनौपचारिक अध्यक्ष राज्य का गर्वनर होता है। प्रत्येक विश्वविद्यालय में प्रतिदिन के प्रशासन की देखभाल हेतु एक वेतन प्राप्त उपकुलपति होता है। इस उपकुलपति की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए होती है। इसका कार्यकाल प्राय: 3 से 5 वर्ष का होता है। इस सम्बन्ध में कोठारी आयोग ने यह सुझाव दिया था-“उपकुलपति वह व्यक्ति होना चाहिए जो अध्यापकों तथा छात्रों को विश्वास में रखकर अपने व्यक्तित्व एवं विद्वता के परिणामस्वरूप पद प्राप्त कर सके।” उपकुलपति की नियुक्ति राज्यपाल एक चयन समिति की सहायता से करता है।

विश्वविद्यालय के प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने हेतु चार संस्थायें होती हैं-

(1) सीनेट-विश्वविद्यालय की सीनेट में विभिन्न स्तरीय विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं अन्य संस्थाओं के सदस्यों को प्रतिनिधित्व दिया जाता है। प्रतिनिधित्व के सम्बन्ध में कोठारी आयोग ने यह सुझाव दिया कि सीनेट में छात्रों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। सीनेट का प्रमुख कार्य है–विश्वविद्यालय नीति का निर्धारण करना तथा नीति निर्धारण से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान करना।

(2) सिण्डीकेट-विश्वविद्यालय के प्रशासन एवं संचालन में सिण्डीकेट का सर्वाधिक महत्व होता है। सिण्डीकेट के प्रतिनिधि उपकुलपति, प्रदेश का शिक्षा संचालक, सीनेट का प्रतिनिधि, विभिन्न संकायों के प्रतिनिधि तथा विभिन्न महाविद्यालयों के वरिष्ठ प्रधानाचार्य होते हैं। सिण्डीकेट के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

(i) विश्वविद्यालय के प्रतिदिन के कार्यों की व्यवस्था करना, (ii) विश्वविद्यालय की सम्पत्ति की रक्षा की व्यवस्था करना, (i) धनकोष की व्यवस्था करना तथा (iv) प्रशासन से सम्बन्धित सभी कार्यों का निर्धारण करना।

(3) शैक्षणिक परिषद-शैक्षणिक परिषद शिक्षा सम्बन्धी समस्त समस्या का समाधान करती है। इस परिषद के प्रमुख कार्य हैं-(i) परीक्षाओं की व्यवस्था करना, (ii) पाठ्यवस्तु अथवा पाठ्यचर्चाओं का निर्धारण करना, (iii) शिक्षण हेतु वातावरण बनाये रखना । इस परिषद के सदस्य महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य होते हैं।

(4) संकाय- विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों से सम्बन्धित अनेक संकाय होते हैं यथा-कला संकाय. विज्ञान संकाय आदि । इनके वरिष्ठ अधिकारी को संकाय अधिष्ठाता कहा जाता है। इसका कार्य शैक्षणिक परिषद की सहायता से पाठ्यक्रम, शिक्षण का संगठन तथा परीक्षाओं का संचालन करना है।

भारत में विश्वविद्यालयों का स्वरूप

इस समय हमारे देश में प्रशासन एवं वित्त की दृष्टि से तीन प्रकार के विश्वविद्यालय हैं-

(1) केन्द्रीय विश्वविद्यालय (Central Universities)-  इन विश्वविद्यालयों के प्रशासन एवं वित्त क सम्पूर्ण भार केन्द्र सरकार पर है। देश का राष्ट्रपति इनका अध्यक्ष (Visitor) होता है। इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति (अध्यक्ष, Visitor) का होता है। इन विश्वविद्यालयों की सीनेट अथवा कोर्ट द्वारा बनाए गए नियम केन्द्र सरकार की स्वीकृति के बाद ही लागू होते हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, विश्व भारती और इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इसी प्रकार के विश्वविद्यालय हैं

(2) राज्य विश्वविद्यालय (State Universities)- इन विश्वविद्यालयों के प्रशासन एवं वित्त का भार प्रान्तीय सरकारों पर है । हाँ, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से इन्हें विकास अनुदान (Development Grant) अवश्य मिलता है । प्रान्त का राज्यपाल इनका कुलाधिपति (Chancellor) होता है। इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल (कुलाधिपति, Chancellor) द्वारा होती है। इन विश्वविद्यालयों की सीनेट अथवा कोर्ट द्वारा बनाए गए नियम राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद ही लागू होते हैं। इलाहाबाद, आगरा, कानपुर एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय इसी प्रकार के विश्वविद्यालय हैं। प्रान्तीय सरकारों द्वारा स्थापित खुले विश्वविद्यालय भी प्रान्तीय विश्वविद्यालयों की श्रेणी में आते हैं।

(3) समकक्ष विश्वविद्यालय (Deemed Universities)-  इन विश्वविद्यालयों के प्रशासन एवं वित्त का भार इनकी संस्थापक एवं प्रबन्ध संस्थाओं पर होता है। इनके कुलाधिपति की नियुक्ति के विषय में कोई सर्वमान्य नियम नहीं है। इस प्रकार के कुछ विश्वविद्यालयों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (U.G.C.) दोनों प्रकार का अनुदान (Maintenance Grant and Development Grant) देता है और कु विश्वविद्यालयों को केवल विकास अनुदान (Development Grant) ही देता है। इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति इनकी संस्थापक संस्था द्वारा होती है। इन विश्वविद्यालयों को भी कोई नियम लागू करने से पहले सरकार से स्वीकृति लेनी आवश्यक होती है। दयालबाग (आगरा), गुरुकुल कांगड़ी (हरिद्वार और वनस्थली विद्यापीठ (वनस्थली) इसी प्रकार के विश्वविद्यालय हैं।

कार्य क्षेत्र की दृष्टि से पाँच प्रकार के विश्वविद्यालय हैं-

(i) शिक्षण एवं सम्बद्धक विश्वविद्यालय (Teaching and Affiliating Universities)- इनमें शिक्षण कार्य भी होता है और ये अपने क्षेत्र के महाविद्यालयों को सम्बद्धता भी प्रदान करते हैं। ये अपने और अपने से सम्बद्ध महाविद्यालयों के लिए पाठ्यक्रमों का निर्माण करते हैं, छात्रों की परीक्षा लेते हैं और उन्हें उपाधियाँ देते हैं। आगरा, कानपुर, गोरखपुर एवं जयपुर विश्वविद्यालय इसी प्रकार के विश्वविद्यालय हैं।

(ii) सम्बद्धक विश्वविद्यालय (Affiliating Universities)-  इनमें शिक्षण कार्य की व्यवस्था नहीं होती, ये केवल अपने क्षेत्र के महाविद्यालयो को सम्बद्धता प्रदान करते हैं, उन पर नियन्त्रण रखते हैं, उनके लिए पाठ्यक्रम निर्धारित करते हैं, उनके छात्रों की परीक्षा लेते हैं और सफल छात्रों को उपाधियाँ देते हैं। छत्तीसगढ़ प्रान्त में स्ववित्तपोषित विश्वविद्यालयों में कई विश्वविद्यालय इसी प्रकार के हैं। उत्तर प्रदेश में अब इस प्रकार का कोई विश्वविद्यालय नहीं है।

(iii) संघात्मक विश्वविद्यालय (Federal Universities)-  ये वे विश्वविद्यालय हैं जिनके अन्तर्गत आस-पास के अनेक महाविद्यालय होते हैं और प्रत्येक महाविद्यालय विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा प्रदान करता है। हमारे देश में इस प्रकार के केवल चार विश्वविद्यालय हैं दिल्ली, इन्दौर, मुम्बई और बैंगलौर।

(iv) एकात्मक विश्वविद्यालय (Unitary Universities)-  ये वे विश्वविद्यालय हैं जिनके क्षेत्र में अपने कॉलिज होते हैं, ये किसी अन्य कॉलिज को अपने से सम्बद्ध नहीं करते । इन्हें अपने शिक्षकों की नियुक्ति करने एवं उन्हें पदोन्नति देने का अधिकार होता है। अलीगढ़,बनारस और इलाहाबाद इसी प्रकार के विश्वविद्यालय हैं। समकक्ष विश्वविद्यालय भी इसी वर्ग में आते हैं।

(v) खुले विश्वविद्यालय (Open Universities)- ये वे विश्वविद्यालय हैं जो खुली शिक्षा की व्यवस्था करते हैं। इनमें दो प्रकार के विश्वविद्यालय हैं-एक वे जिनका क्षेत्र प्रान्त विशेष तक सीमित है और दूसरे वे जिनका क्षेत्र पूरा देश है। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के क्षेत्र में तो पूरे देश के साथ-साथ कई अन्य देश भी आते हैं।

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Pankaja Singh

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