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यशपाल की कहानी-कला की विशेषताएं | यशपाल की कहानी-कला की कथा-शिल्प सम्बन्धित विशेषताएं

यशपाल की कहानी-कला की विशेषताएं | यशपाल की कहानी-कला की कथा-शिल्प सम्बन्धित विशेषताएं

यशपाल की कहानी-कला की विशेषताएं

मुंशी प्रेमचन्द्र ने जिस यथार्थवादी विचारधारा को उत्पन्न किया उसका पल्लवन यशपाल ने पर्याप्त रूप से किया। समाज को बदलने के व्यापक उद्देश्य को लेकर लिखने वाले यशपाल की सामाजिक, राजनीतिक सभी कहानियों में जीवन के यथार्थ पूरी तरह प्रस्तुत हैं। अपने पात्रों की मनः स्थिति एवं बाह्य-जगत में उसके प्रतिफल को इन्होंने मनोवैज्ञानिक दृष्टि से अभिव्यक्त करने में पूरी सफलता प्राप्त की है। यशपाल जी आर्थिक वैषम्य को सभी समस्याओं की जड़ मानते हैं, इसीलिए इन्होंने शोषक वर्ग पर गहरी चोट की है। ऐसा इसलिए कि आप प्रगतिशील विचारधारा के पोषक कथाकार हैं। इसके अनुसार आपने साहित्य का उद्देश्य यह माना है कि सामाजिक विकास के अवरोधक तत्वों की अड़चन को साहित्यकार दूर करे। यही कारण है कि आपकी अधिकांश कहानियों के विषय मध्यवर्गीय समाज, विशेष कर मार्क्सवादी सिद्धान्तों से प्रभावित समाज से सम्बन्धित हैं। श्री यशपाल जी की कहानी-कला सम्बन्धित विशेषताओं पर इस प्रकार से प्रकाश डाला जा रहा है-

कथानक या कथावस्तु-

यशपाल जी के कथानक या कथा वस्तु की सर्वप्रथम विशेषता है- रेखाचित्र की सौन्दर्यमयता, इनकी कहानियों के कथानक सामाजिक और आर्थिक दोनों ही हैं। ऐसा होने पर इनको कहानियों के प्रति निर्णय देने की अस्पष्टता अवश्य दिखाई देती है। दूसरे शब्दों में यह कि यशपाल जी की कहानियों के प्रति पाठक वर्ग अंत तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है। फिर भी इनकी कहानियों के मुख्य स्वर विद्रोह, संघर्ष और आलोचना पर आधारित होते हैं।

पात्र और चरित्र-चित्रण-

यशपाल जी की कहानियों के पात्र मध्यवर्गीय समाज के पात्र हैं। इनके सभी पात्र किसी-न-किसी प्रकार की समस्याओं से ग्रसित हैं। आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और दार्शनिक समस्या इनके पात्रों की प्रधान समस्या है। इनके पात्रों की पहली विशेषता यह है कि ये स्वयं से सम्बन्धित समस्याओं से संघर्ष करने के साथ-साथ सभी प्रकार की समस्याओं से भी संघर्ष करते हैं। यथार्थपूर्ण चरित्रों को उभारने में यशपाल जी अत्यन्त कुशल हैं।

देशकाल या वातावरण-

यशपाल का कथा संसार अभावग्रस्त जीवन को दार्शनिक तत्वों से चुनने का संसार है। इनकी कथा-साहित्य की विशेषता उपयुक्त देश-काल या वातावरण का सांचा प्रस्तुत करना है। इनके द्वारा प्रस्तुत देशकाल की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें गंभीरता और रोचकता के साथ-साथ पैनापन और उपयोगिता जैसे उपयोगी तत्वों की अधिकता है। इसकी यह भी  विशेषता है कि वातावरण की एक रूपता नहीं अनेक रूपता भी दृटिगोचर होती है जो एक असाधारण कथाकार की अपेक्षित विशेषता को प्रकट कर देती है।

संवाद या कथोपकथन-

यशपाल जी के संवाद सैद्धान्तिक अधिक है। आपके कथोपकथन की सर्वाधिक विशेषता है- विस्तृतता दूसरे शब्दों में आपके संवाद अधिक लम्बे और विस्तृत हैं। पात्रानुकूलता और स्वाभाविकता आपके सम्वादों की ऐसी विशेषता है, जिससे समकालीन कथाकारों में आपकी अलग पहचान हो जाती है। विचारों की गंभीरता और प्रौढ़ता यशपाल जी के सम्वादों में कहीं भी देखे जा सकते हैं।

भाषा शैली-

यशपाल की भाषा शैलीगत विशेषता यह है कि उसमें निजतर और वैयक्तिकता है, इसमें मिश्रित शब्दावली के प्रयोग प्रवाहमय और अर्थसंगत है। बोलचाल के शब्द, अंग्रेजी के शब्द, उर्दू के शब्द आदि की प्रधानता कहीं भी देखी जा सकती है। सहजता और प्रखरता ये दोनों ही विशेषताएं आपकी शब्दावली प्रदान करती हैं। यशपाल जी की शैली में विवेचनात्मकता की प्रधानता है। इसके अतिरिक्त निजता और भावात्मकता भी आपकी शैलीगत विशेषताएं हैं।

उद्देश्य-

यशपाल जी एक उद्देश्यपूरक कथाकार हैं। इापके कथा संसार में वर्ग चेतना की अभिव्यक्ति, सामाजिक मान्यताओं का आग्रह, आर्थिक स्थिति का विवेचन आदि सोद्देश्यपूर्वक है। इस दृष्टि से आप एक सफल एवं समर्थ कथाकार सिद्ध होते हैं।

महत्व-

यशपाल जी का प्रेमचन्द्र के बाद हिन्दी कथा-संसार में प्रमुख स्थान है। आप अपने समकालीन प्रगतिशील कथाकारों में एक विशिष्ट भूमिका प्रस्तुत करने वाले आदर्श कहानीकार हैं। कथा और शिल्प दोनों ही दृष्टियों में आपको प्रेमचन्द्र की अगली पीढ़ी का कथाकार कहा जाता है।

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Pankaja Singh

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