माध्यमिक शिक्षा का संचालन | माध्यमिक शिक्षा का प्रशासन

माध्यमिक शिक्षा का संचालन | माध्यमिक शिक्षा का प्रशासन

माध्यमिक शिक्षा का संचालन व प्रशासन

(Management and Administration of Secondary Education)

स्वतन्त्र भारत में माध्यमिक शिक्षा के संचालन एवं प्रशासन के प्रमुख साधन निम्न प्रकार हैं-

(1) निजी संस्थायें एवं माध्यमिक शिक्षा का प्रशासन एवं संचालन-

निजी संस्थाओं ने माध्यमिक शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत के विभिन्न राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक माध्यमिक विद्यालयों का संचालन निजी संस्थाओं द्वारा ही किया जाता है। इन माध्यमिक विद्यालयों को पृथक-पृथक प्रबन्ध समितियाँ होती हैं। इन प्रबन्ध समितियों के सदस्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापक एवं स्थायी अध्यापकों के प्रतिनिधि होते हैं।

आर्थिक प्रबन्ध की दृष्टि से समस्त विद्यालयों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-

(i) सरकारी विद्यालय

(ii) स्थानीय संस्थाओं द्वारा संचालित विद्यालय

(ii) सहायता प्राप्त निजी विद्यालय

(iv) असहायता प्राप्त निजी विद्यालय

सरकारी विद्यालय आर्थिक दृष्टि से पूर्णरूपेण सरकार पर निर्भर रहते हैं । स्थानीय संस्थायें अपने विद्यार्थियों से लिये गये शुल्क आदि द्वारा विद्यालय का संचालन करती हैं। सहायता प्राप्त निजी माध्यमिक विद्यालय छात्र शुल्क एवं सरकारी अनुदान आदि द्वारा संचालित होते हैं तथा असहायता प्राप्त निजी माध्यमिक विद्यालयों की आर्थिक व्यवस्था विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा की जाती है।

(2) स्थानीय संस्थायें एवं माध्यमिक शिक्षा का प्रशासन एवं संचालन

हण्टर कमीशन द्वारा प्रस्तुत सुझावों के आधार पर 1883-84 में माध्यमिक शिक्षा का समस्त कार्यभार स्थानीय संस्थाओं को सौंप दिया गया तब से लेकर वर्तमान समय तक विभिन्न स्थानीय संस्थाओं द्वारा इस कार्य को प्रतिपादित किया जा रहा है। सन् 1974-75 में स्थानीय संस्थाओं द्वारा संचालित माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की कुल संख्या लगभग 8 लाख थी। 1978-79 में सरकारी एवं गैर सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत कुल छात्रों की संख्या 218-2 लाख थी तथा षष्ठम पंचवर्षीय योजना में 345 लाख विद्यार्थियों को माध्यमिक शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया था।

3) राज्य सरकार-माध्यमिक शिक्षा का प्रशासन एवं संचालन-

भारत के संविधान में यह कहा गया है कि माध्यमिक शिक्षा का समस्त कार्यभार राज्य सरकारों का है। माध्यमिक शिक्षा पूर्ण रूप से राज्य सरकार के प्रत्यक्ष नियन्त्रण में रहती है। राज्य सरकार निम्नलिखित साधनों के माध्यम से इस शिक्षा का संचालन एवं प्रशासन करती है-

शिक्षा मन्त्रालय एवं शिक्षा विभाग राज्य की शिक्षा नीति का निर्धारण शिक्षा मन्त्रालय करता है। शिक्षा मन्त्रालय द्वारा ही माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था, उसका पाठ्यक्रम, विद्यालयों हेतु नियमों का निर्धारण किया जाता है। यह मन्त्रालय माध्यमिक शिक्षा से सम्बन्धित एक न एक समस्यायें यथा-अध्यापकों का वेतन, पाठ्यक्रम आदि के सम्बन्ध में अपनी नीति का निर्धारण करता है। इसलिए आज हमारे देश में शिक्षा नीति में असमानता दृष्टिगोचर होती है।

शिक्षा मन्त्रालय द्वारा माध्यमिक शिक्षा हेतु निर्धारित नीतियों को शिक्षा विभाग ही कार्यान्वित करता है। इसके अतिरिक्त शिक्षा विभाग के कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-

(1) राज्य सरकार द्वारा विभिन्न संस्थाओं को दिये गये अनुदान के सम्बन्ध में जानकारी रखना।

(ii) सहायता प्राप्त समस्त शिक्षालयों का संचालन करना आदि ।

(iii) सहायता प्राप्त समस्त विद्यालयों का निरीक्षण ।

शिक्षा विभाग का सर्वोच्च अधिकारी शिक्षा निदेशक होता है। शिक्षा निदेशक की सहायतार्थ अनेक उप-शिक्षा संचालक होते हैं। माध्यमिक विद्यालय मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-

(i) सरकारी माध्यमिक विद्यालय एवं (ii) गैर सरकारी माध्यमिक विद्यालय ।

(4) केन्द्रीय सरकार-माध्यमिक शिक्षा का प्रशासन एवं संचालन-

भारत के संविधान में यह कहा गया है कि माध्यमिक शिक्षा राज्य की व्यवस्था है तथा केन्द्र सरकार का इससे कोई सम्बन्ध नहीं है। मात्र केन्द्र शासित प्रदेशों में ही भारत सरकार (केन्द्र) माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था देखती है। केन्द्र सरकार का राज्यों में माध्यमिक शिक्षा से कोई सम्बन्ध न होते हुए भी शिक्षा सम्बन्धी विषयों में परामर्श देने के साथ हो वित्तीय सहायता भी केन्द्र प्रदान करता रहता है। उनका मार्गदर्शन एवं नेतृत्व करता है तथा माध्यमिक शिक्षा में परिष्करण हेतु अनेक सुझाव एवं कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन प्रदान करने के लिए राज्यों में अनेक राजकीय ब्यूरो की स्थापना की है। माध्यमिक स्तर पर केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित कार्य कर रही है-

(i) शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन- शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के विभाग के अन्तर्गत एक ब्यूरो की स्थापना की जिसे केन्द्रीय परिषद या केन्द्रीय शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन कहते हैं। इस ब्यूरो के कार्य निम्नलिखित हैं-(a) व्यावसायिक निर्देशन हेतु सामग्री संकलित करना (b) निर्देशन से सम्बन्धित साहित्य तैयार करना (c) निर्देशन सेवाओं की प्रगति तथा आवश्यकताओं हेतु जागरूकता उत्पन्न करना। केन्द्रीय सरकार ने केन्द्रीय शैक्षिक एवं व्यावसायिक ब्यूरो द्वारा प्रस्तुत सुझावों के आधार पर विभिन्न राज्यों में शैक्षिक एवं व्यावसायिक ब्यूरो को स्थापित करने का प्रयत्न किया, परिणामस्वरूप इस प्रकार के ब्यूरो लगभग समस्त राज्यों में स्थापित किये गये हैं। केन्द्रीय सरकार द्वारा इन ब्यूरो को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

(ii) केन्द्रीय विद्यालय- भारत सरकार ने दूसरे वेतन आयोग के प्रतिवेदन में केन्द्रीय विद्यालयों को खोलने की योजना क्रियान्वित की। इस योजना के अन्तर्गत अब तक लगभग 130 से अधिक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खोले जा

चुके हैं। इन समस्त शिक्षालयों का पाठ्यक्रम समान रखा गया है तथा शिक्षण का माध्यम भी एकसमान ही है। इन विद्यालय में कक्षा 8 तक के छात्रों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है । कक्षा 9, 10 तथा 11 के छात्रों से नाममात्र का शुल्क लिया जाता है। वर्तमान में इन विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की संख्या लगभग 85000

(iii) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने तीन विभागों की स्थापना करके शिक्षा के क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्य किया है। इस परिषद द्वारा स्थापित तीन विभाग निम्नलिखित हैं-

(क) राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान- राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान दिल्ली में स्थित है तथा यह संस्थान अपने कार्यों का संचालन 6 विभागों द्वारा करता है। इस राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के 6 विभाग इस प्रकार हैं–

(a) वैज्ञानिक शिक्षा विभाग

(b) शिक्षा पर्यवेक्षण विभाग

(c) शिक्षा प्रशासन विभाग

(d) अध्यापक शिक्षा विभाग

(e) पंजीकरण एवं मूल्यांकन विभाग

(0श्रृव्य-दृश्य शिक्षा विभाग

उपरोक्त समस्त विभागों द्वारा यह संस्थान माध्यमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों के मूल्यांकन की रीतियों, पाठ्य पुस्तकों आदि के सम्बन्ध में अनुसन्धान कार्य करता है तथा इनकी प्रगति से सम्बन्धित सामग्री की प्राप्ति हेतु अन्य देशों से सम्बन्ध स्थापित करता है।

(ख) केन्द्रीय शिक्षा संस्थान- केन्द्रीय शिक्षा संस्थान दिल्ली में स्थित है। इस संस्थान का आर्थिक दृष्टि से समस्त प्रबन्ध भारतीय सरकार द्वारा किया जाता है। इस केन्द्रीय संस्थान द्वारा शिक्षण क्षेत्र में अत्यन्त सराहनीय कार्य किये जा रहे हैं। केन्द्रीय शिक्षा संस्थान के सम्बन्ध में कोठारी आयोग ने यह सुझाव दिया है कि इस संस्थान को दिल्ली विश्वविद्यालय को दिया जाना चाहिए तथा इसी विश्वविद्यालय में ही शिक्षा विभाग की स्थापना की जानी चाहिए।

(ग) क्षेत्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय– भारत सरकार ने अनेक स्थानों पर क्षेत्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय की स्थापना की है यथा-मैसूर, अजमेर, भोपाल आदि। इन महाविद्यालयों द्वारा शिक्षण प्रशिक्षण हेतु विस्तृत पाठ्यक्रम प्रदान किये जाते हैं तथा छात्र अध्यापकों को प्रशिक्षण काल में ही व्यावहारिक ज्ञान भी प्रदान किया जाता है।

(iv) केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद्- माध्यमिक शिक्षा के प्रारूप में समानता लाने के लिए तथा जिन छात्रों के अभिभावकों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण होता रहता है, उन विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु हमारी सरकार ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना की है। यह परिषद उच्चतर माध्यमिक एक वर्षीय पाठ्यक्रम तथा उच्चतर माध्यमिक की परीक्षा लेती है।

(v) केन्द्र प्रशासित प्रदेश तथा माध्यमिक शिक्षा- भारतीय सरकार समस्त केन्द्र प्रशासित प्रदेशों यथा-दिल्ली, त्रिपुरा, मणिपुर आदि हेतु प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा की व्यवस्था करती है तथा इन क्षेत्रों की शिक्षा का समस्त व्यय वहन करती है।

(vi) विस्तार एवं सेवा कार्यक्रम- माध्यमिक शिक्षा हेतु “प्रसार कार्यक्रम के निदेशालय” के द्वारा भारत सरकार ने माध्यमिक अध्यापकों को विभिन्न प्रकार से लाभान्वित किया है। इन प्रसार कार्यक्रमों के अन्तर्गत कार्य करने वाले व्यक्तियों को शैक्षिक साधनों के विकास तथा शिक्षालयों में पुस्तकालयों के प्रयोग के परिष्करण हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है तथा साथ ही यथा समय विभिन्न शिक्षालयों में माध्यमिक अध्यापकों के ज्ञान में वृद्धि करने एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण को आधुनिक बनाने हेतु विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। अनेक विश्वविद्यालयों तथा प्रशिक्षण महाविद्यालयों में इसके द्वारा लगभग 100 केन्द्र स्थापित किये गये हैं।

(vii) पब्लिक विद्यालय एवं अन्य संस्थायें-केन्द्रीय सरकार समस्त राज्यों के माध्यमिक विद्यालयों के अतिरिक्त 18 पब्लिक विद्यालयों का भी संचालन करती है। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय सरकार ने माध्यमिक शिक्षा की प्रगति एवं परिष्करण हेतु अनेक संस्थानों का निर्माण किया है यथा-लक्ष्मीबाई शारीरिक महाविद्यालय, केन्द्रीय अंग्रेजी संस्थान आदि।

(viii) आर्थिक सहायता- माध्यमिक शिक्षा के कार्यों के संचालन हेतु केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकारों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। केन्द्र द्वारा प्रस्तावित योजनाओं के संचालन हेतु आर्थिक व्यय केन्द्रीय सरकार ही वहन करती है।

(5) माध्यमिक शिक्षा परिषदें– कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग द्वारा प्रस्तुत सुझावों के आधार पर अनेक राज्यों में पन्द्रह माध्यमिक शिक्षा परिषदों की स्थापना की गई तथा सन् 1965 में इन माध्यमिक शिक्षा परिषदों की संख्या में वृद्धि की गई। इन परिषदों का मुख्य कार्य परीक्षा का संचालन करना तथा पाठ्यक्रम का निर्धारण करना है। लेकिन कुछ परिषदें शिक्षा विभाग को परामर्श देने का कार्य भी करती हैं तथा शिक्षा विभाग के प्रशासनिक कार्यों को भी प्रभावित करती हैं।

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