समाचार लेखन | अच्छे समाचार लेखन के गुण
अच्छे समाचार लेखन
- रोचकता- रोचकता समाचार लेखन का दूसरा गुण है। संवाददाता को ऐसा तरीका ढूंढे निकालना चाहिए कि उसके पाठक उसके समाचार दिलचस्पी लें। समाचार लिखते समय उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लोगों को समाचार पत्र की एक प्रति खरीदने के लिए प्रेरित करना कठिन होता है और उससे भी कठिन होता है उन्हें समाचार पत्र पढ़ने के लिए प्रेरित करना। यह तभी संभव है जब समाचार रोचक होगा। संवाददाता को ब्यौरे इकट्ठा करने और उसे लिखने में कई घण्टे लगते है, यदि समाचार को काई न पढ़े तो मान लेना चाहिए कि उसने अपना समय नष्ट किया है। कई समाचार पढ़े ही नहीं जाते, क्योंकि उनका लेखन नीरस और अरुचिकर होता है।
- आकर्षक शैली- समाचारों की शैली आकर्षक होनी चाहिए। वे छोटे और स्पष्ट वाक्यों में लिखे जाने चाहिए। आज जीवन बहुत गतिमय हो गया है और लोगों की भाग-दौड़ और जल्दबाजी बढ़ गयी है, तब समाचार का स्पष्ट होना और भी अधिक आवश्यक हो गया है। समाचार लिखते समय संवाददाता को इस बात का का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि समाचार पाठकों को पसन्द आए। समाचार आकर्षक होने चाहिए। समाचारों को सजीव होना चाहिए जिससे कि वे पाठकों को रुचिकर लगे।
- सत्यता- समाचार में कोई असत्य या गलत बात नहीं लिखी जानी चाहिए। सत्य, सम्पूर्ण सत्य और मात्र सत्य ही संवाददाता का ध्येय होना चाहिए। सत्य चाहे जितना भी कठोर हो, संवाददाता को उसे ऐसे ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए कि वह अप्रिय न लगे। सत्य कहो, किन्तु इस प्रकार न कहो कि वह अप्रिय लगे।
- वस्तुनिष्ठता- विभिन्न घटनाओं के समाचारों में संवाददाता की अपनी पसन्द या नापसन्द का पुट आ ही जाता है। उसे यथासम्भव व्यक्तिगत पूर्व-धारणाओं और भावावेगों से दूर रहना चाहिए और मूलभूत सत्य पर ध्यान देना चाहिए। जागरुक संवाददाता को यह लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए। समाचार यथार्थ के निकट ही होना चाहिए।
- भाषागत सरलता- सवाददाता का भाषा पर अधिकार होना चाहिए। उसे आडम्बरपूर्ण शैली से बचना चाहिए क्योंकि उससे पाठक खीझ उठते है। संवाददाता को सदैव इस बात का स्मरण होना चाहिए कि समाचार पत्र विद्वानों द्वारा ही नहीं पढ़ा जाता अपितु साधारण लोगों द्वारा भी पढ़ा जाता है। भाषा इतनी सरल होनी चाहिए कि उसे कोई भी अनायास समझ ले। पत्रकारों को अपने समाचार पत्र के लिए लिखते समय अपनी विद्वता का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
- अन्वेषणात्मकता- अन्वेषणात्मक संवाद-लेखन वह होता है जिसमें घटनाओं की गहराई में पैठना होता है और पता लगाना होता है कि घटना किन कारणों से हुई। सामान्य संवाददाता आवश्यक ब्यौरे इकट्ठा करता है और अन्वेषक संवाददाता कारणों को ज्ञात करता है, प्रवृत्तियों का पता लगाता है और तथ्यों की व्याख्या करता है। कभी-कभी अन्वेषणात्मक संवाद लेखन के समाचारों को समाज की किसी प्रथा के विरुद्ध किसी समाचार-पत्र द्वारा चलाये जा रहे किसी आन्दोलन में, उपयोग में लाया जाता है।
इस प्रकार के संवाद-लेखनों में संवाददाता को पहले सभी तथ्य एकत्र कर लेने चाहिए। वह अपने कार्यालय में यह आशा करते हुए निष्क्रिय नहीं बैठ सकता कि तथ्य उसके पास अपने आप आ जायेंगे। कल्पना से तथ्य नहीं निकाले जा सकते चाहे कितना भी मन्थन किया जाये। तथ्यों को परिश्रमपूर्वक एकत्र करना पड़ता है। अन्वेषक-संवाददाता की कसौटी यह है कि वह कितनी अच्छी तरह से तथ्यों को एकत्र करता है और किस कुशलता से तथ्यों को समाचार के रूप में विकसित करता है जिससे कि समाज को उसके महत्व से परिचित कराया जा सके, इस बात से कि समाचार में वह मानवीय अभिरुचि का परिचय किस हद तक दे सकता है।
- अच्छा सूत्रपात- अनुभवी पत्रकारों का कथन है कि सूत्रपात में ही समाचार का सार- सर्वस्व होना चाहिए जिससे कि यदि शेष समाचार को काट भी दिया जाए तो भी समाचार अविकल बना रहे। समाचार के प्रत्येक दूसरे वाक्य से अतिरिक्त जानकारी मिलनी चाहिए। आज की प्रवृत्ति छोटे सूत्रपातों की है। औसत सूत्रपात तीन शब्दों से अधिक का नहीं होता। सामान्यतः इस सीमा के अंदर समाचार प्रभावोत्पादक ढंग से कहा जा सकता है। एक सम्पादक इस प्रकार कहता है कि औसत मनुष्य सूत्रपात का सारांश बीस शब्दों में बता देता है और मुख्य पंक्ति का लेखक उसे दस शब्दों में या उससे भी कम शब्दों में रखता है। संवाददाता को सदैव विशेषतः समाचार का सूत्रपात करते समय, घुमावदार उप-वाक्यों से बचना चाहिए।
अनुभवी संवाददाताओं की मान्यता है कि- “समाचार के सूत्रपात में ‘क्या, कब, कहाँ, किसने, क्यों, कैसे’ होने चाहिए।”
उदाहरण
“कैसे” सूत्रपात
केन्द्रीय सिंचाई मंत्री का आंध्र से पक्षपात, राज्यसभा में धारिया का आरोप
नई दिल्ली मंगलवार (प्रे.टू.)। सिंचाई और विद्युत मंत्री डॉ.के.एल. राव पर कल राज्यसभा में आरोप लगाते हुए सत्ता काँग्रेस के श्री मोहन धारिया ने कहा कि वे अन्य राज्यों के हितों के विरुद्ध आंध्र सरकार का संरक्षण कर रहे हैं। सदन में आंध्र प्रदेश के सभी दलों ने इस आरोप पर आपत्ति की, जबकि सम्बन्धित मंत्री डॉ. राव अविचलित बैठे रहे…।
“क्या” सूत्रपात
बंगाल के बंद के दौरान पुलिस पर अनेक स्थानों पर बम प्रहार
कलकत्ता, 4 दिसम्बर (नभाटा)। 24 घण्टे के बंगाल बंद के दरम्यान आज कलकत्ता में विभिन्न स्थानों पर पुलिसमैनों पर बम से प्रहार किये गये। वामपंथी दलों ने पुलिस ज्यादती और हिंसात्मक गतिविधि निवारक कानून तथा सार्वजनिक व्यवस्था रक्षण कानून के विरोध में बन्द का आह्वान किया था।
उत्तरी कलकत्ता में रात के अंध-कार के फैलते ही स्थिति बिगड़ गई। सड़कों और गलियों की बत्तियाँ बुझा दी गयीं और पुलिस गश्ती दल पर मनमाने ढंग से बम फेंके गये। काफी रात बीते तक प्रहार जारी था।
-नवभारत टाइम्स
“कब” सूत्रपात
(मद्रास) में छात्रों पर लाठी प्रकार : शिक्षा माध्यम का विरोध
(मद्रास), 6 दिसम्बर (नभाटा)। आज पुलिस ने सचिवालय के समक्ष एकत्र नगर के कालेजों के नारे लगाने वाले उन तीन हजार से अधिक छात्रों पर तब आँसू गैस छोड़ी और लाठी प्रहार किया जब उन्होंने शिक्षा-माध्यम के रूप में तमिल को लागू करने के विरुद्ध जोरदार प्रदर्शन करते हुए फोर्ट. सेंट जार्ज के निकट धावा बोलने का कथित प्रयास किया।
– नवभारत टाइम्स
“क्यों” सूत्रपात
नई दिल्ली, मंगलवार (नभाटा)। तालकटोरा गार्डन को राजधानी का सबसे बढ़िया उद्यान बनाने के लिए नयी दिल्ली नगर पालिका ने इसे नया रूप देना प्रारम्भ कर दिया है।
प्रकाशयुक्त फव्वारों की नहर का हिस्सा पूरा होने वाला है। नववर्ष दिवस पर यह जनता के लिए खोल दिये जाने की आशा है।
– नवभारत टाइम्स
“कहाँ” “सूत्रपात
शिलांग में पाकिस्तानी स्त्रियों द्वारा जासूसी : संसद में चिंता
नयी दिल्ली, मंगलवार (हिं.स.)। शिलांग में काम करने वाली दो पाकिस्तानी स्त्रियों के मेकमोहन लाइन सम्बन्धी दस्तावेजों समेत कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों को साथ लेकर पूर्वी पाकिस्तान में भाग निकलने के समाचार को लेकर आज लोकसभा में सदस्यों ने तीव्र चिन्ता प्रकट की और कहा कि असम, विदेशी, विशेषकर पाकिस्तानी गुप्तचरों का अड्डा बन गया है।
“कौन” सूत्रपात
एशियाई खेलकूद हेतु मशाल प्रज्जवलित
बैंकाक, मंगलवार (यू.पी.आई.)। स्याम नरेश भूमिवत अतुल्य तेज ने आज यहाँ, कल से शुरू हो रहे 12 दिवसीय छठे एशियाई खेलकूद की ज्योति जलाने हेतु मशाल प्रज्जवलित की।
– नवभारत
- प्रवाहमयता- प्रवाहमयता समाचार का अनिवार्य गुण है। कथा-कथन की कला की तरह. ही समाचार-कथन की कला भी होती है। सीधे-सादे समाचार के स्थान पर उसे कहानी का स्वरूप प्रदान करना ही कलाकारी है। इस विषय में एक अधिकारी विद्वान ने कहा है, “कोई भी कथा सत्य प्रतीत होनी चाहिए, सुसंगत होनी चाहिए, अच्छे ढंग से कही जानी चाहिए, संक्षिप्त और नयीं होनी चाहिए। जब कभी इन नियमों का उल्लंघन होगा बुद्धिमान मनुष्य उसे छोड़कर सो जायेगा, मूर्ख भले ही उसकी प्रशंसा करे।”
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