संवेदनशीलता विश्लेषण तकनीक | संवेदनशीलता विश्लेषण की प्रक्रिया | संवेदनशीलता विश्लेषण की सीमाएँ

संवेदनशीलता विश्लेषण तकनीक | संवेदनशीलता विश्लेषण की प्रक्रिया | संवेदनशीलता विश्लेषण की सीमाएँ | Sensitivity Analysis Techniques in Hindi | Process of sensitivity analysis in Hindi | Limitations of Sensitivity Analysis in Hindi

संवेदनशीलता विश्लेषण तकनीक

(Sensitivity Analysis Technique)

क्योंकि भविष्य अनिश्चित होता है इसलिए संवेदनशीलता विश्लेषण तकनीक के अनतर्गत इस बात का विश्लेषण किया जाता है कि यदि किसी परियोजना के कुछ घटक जैसे बिक्री या विनियोग अपने अनुमानित मूल्यों से परिवर्तित हो जाये तो क्या वह परियोजना ऐसी परिस्थितियों में भी लाभदायक रहेगी अर्थात् इस विश्लेषण के अन्तर्गत इस बात की संवेदनशीलता का विश्लेषण किया जाता है कि क्या परिवर्तित परिस्थितियों में भी परियोजना लाभप्रद रहेगी। यह विश्लेषण निम्न प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देता है-

(i) शुद्ध वर्तमान मूल्य क्या होगा यदि बिक्री अनुमानित 7,50,000 इकाइयों की अपेक्षा 60,000 इकाइयाँ ही रह जायें।

(ii) शुद्ध वर्तमान मूल्य क्या होगा यदि परियोजना का जीवन काल अनुमानित 12 वर्ष की जगह 10 वर्ष रह जाये।

इस प्रकार जोखिम विश्लेषण की यह तकनीकि इस बात का अध्ययन कराती है कि परिवर्तित विपरीत परिस्थितियों में परियोजना की लाभप्रदत्ता की स्थिति क्या होगी?

संवेदनशीलता विश्लेषण की प्रक्रिया

(Procedure of Sensitivity Analysis)

संवेदनशीलता विश्लेषण में निम्नलिखित कदम उठाये जाते हैं-

(1) सर्वप्रथम परियोजना के मूल्य घटकों जैसे बेची गयी मात्रा, प्रति इकाई मूल्य, परियोजना का जीवन काल आदि में और शुद्ध वर्तमान मूल्य के बीच सम्बन्ध स्थापित किया जाता है।

(2) विचरणों के प्रकार तथा प्रत्येक मूल घटक के सम्भावित मूल्य का अनुमान लगाया जाता है।

(3) शुद्ध वर्तमान मूल्य पर घटकों के अन्तरों (विचरण) के प्रभाव का अध्ययन करते हैं।

संवेदनशीलता विश्लेषण की इस प्रक्रिया को हम अप्रलिखित उदाहरण द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-

स्पष्टीकरण-

यहाँ पर

NPV = Net Present Value of the Project

(परियोजना का शुद्ध वर्तमान मूल्य)

Q = Number or units sold annually (वार्षिक विक्रीत इकाइयों की संख्या)

P = Selling Price per unit (प्रति इकाई विक्रय मूल्य)

V = Variable cost Per unit (प्रति इकाई परिवर्तनशील लागत)

F = total Fixed cost, excluding depreciation and interest (कुल स्थायी लागत ह्रास एवं ब्याज को छोड़कर)

D = Annual depreciation charge (वार्षिक ह्रास)

T = Income tax rate (आयकर की दर)

r = Cost of Capital (पूँजी की लागत)

n = Project life in years (परियोजना का जीवन काल)

S = Net salvage value (अवशेष का शुद्ध मूल्य)

I = Initial Cost (प्रारम्भिक लागत)

इस प्रकार संवेदनशील विश्लेषण जोखिम मूल्यांकन की एक बहुप्रचलित विधि है। यह विधि प्रमुख रूप से निम्न बातों पर प्रकाश डालती है-

(1) यह विधि प्रबन्धकों पर निम्न स्तर घटकों को पहचानने व उनके आपसी सम्बन्धों की जानकारी हेतु दबाव डालती है।

(2) यह विधि यह भी दर्शाती है कि निम्न स्तर के घटकों को शक्तिशाली बनाने के लिए क्या परिवर्तन किये जायें।

(3) यह इस बात का भी संकेत देती है कि निम्न स्तर के घटकों में सुधार हेतु आगे क्या कार्यवाही की जाये।

संवेदनशीलता विश्लेषण की सीमाएँ

(1) यह अपने उद्देश्यों में विफल हो सकता है- यदि यह विश्लेषण केवल जटिल मूल्यों को ही प्रदर्शित करता है तो परियोजना की जोखिम विशेषताओं पर प्रकाश नहीं डाल सकता जिससे यह अपने उद्देश्यों में विफल हो जाता है।

(2) घटकों के आपसी अन्तर्सम्बन्धों को ध्यान में रखना- यदि सभी मूल घटक आपस में एक-दूसरे से अन्तर्सम्बन्धित होते हैं तो एक घटक में परिवर्तन करने तथा अन्य घटकों के समान रहने की दशा में हुए परिवर्तनों का अध्ययन अर्थपूर्ण नहीं रह जायेगा। जैसे कीमत में परिवर्तन का प्रभाव जानने का प्रयास किया जाये जबकि मात्रा स्थिर रखी जाये तो ऐसी दशा में यह विश्लेषण कोई अर्थ नहीं निकाल पाएगा क्योंकि कीमत व मात्रा एक दूसरे से अति निकट संबंध रखते हैं।

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