वित्तीय प्रबंधन

पूंजी की औसत भार युक्त लागत | पूँजी की औसतन भारयुक्त लागत की गणना

पूंजी की औसत भार युक्त लागत | पूँजी की औसतन भारयुक्त लागत की गणना | Average Weighted Cost of Capital in Hindi | Calculation of average weighted cost of capital in Hindi

पूंजी की औसत भार युक्त लागत

इसका आशय यह है कि कम्पनी के प्रवन्धकों को किसी भी नवीनपरियोजना के लिये पूंजी की व्यवस्था करने से पूर्व इस बात से आधस्त होना होगा कि प्रस्तावित नवीन विनियोजन से अर्जित लाभ की पर (कर सहित) 8.25% से अधिक होगी। यदि प्रस्तावित पूँजी विनियोजन पर सम्मानित लाभ की दर इससे कम है तो ऐसा पूँजी विनियोजन लाभदायक नहीं माना जायेगा। अतः पूँजी की औसत भारयुक्त लागत ऐसा कार बिन्दु (Cuts off points) है जिसके आधार पर नवीन परियोजना में पूंजी लगाने के विषय में कम्पनी के प्रवन्धक सही एवं उचित निर्णय ले सकते हैं। पूंजी विनियोग के ऐसे समस्त प्रस्ताव जिनकी सम्भावित लाभ पर इस काट बिन्दु से कम है, विचारणीय नहीं होते हैं।

पूँजी की औसतन भारयुक्त लागत की गणना

पूँजी के विभिन्न साधनों की लागत समान नहीं होती है। कुछ साधन महंगे होते हैं तो कुछ साधन सस्ते। लेकिन प्रबन्धकों को एक उचित वित्तीय ढाँचा तैयार करने के लिये सस्ते एवं महँगे साधनों का एक उचित एवं संतुलन स्थापित करना एवं निरन्तर बनाये रखना होता है क्योंकि प्रबन्धक व्यवसाय में किसी एक साधन से ही अपनी समस्त वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकते हैं। मान लीजिये ऋण-पूँजी एक सस्ता साधन है और यदि कोई कम्पनी थोड़ी सी अंशपूँजी रखकर शेष आवश्यकताओं की पूर्ति ऋण-पूँजी से ही करना चाहे तो यह एक सीमा तक ही सम्भव हो सकता है उससे अधिक नहीं। प्रत्येक अनुवर्ती ऋण से बढ़ता जायेगा और उत्तररोत्तर अधिक ब्याज देकर ही कम्पनी आगे अतिरिक्त ऋण पूँजी प्राप्त नहीं कर सकेगी। आगे चलकर भविष्य में ऐसी स्थिति आ सकती है कि आय की तुलना में ब्याज का भार अधिक प्रतीत होने लगे। अतः व्यावहारिक  जीवन कम्पनी के वित्तीय ढाँचे में वित्त प्राप्ति के एक से अधिक साधनों का समावेश करना अति आवश्यक हो जाता है। यदि विभिन्न साधनों से उपलब्ध पूंजी की औसत संयुक्त लागत मालूम कर ली जाये तो इससे भविष्य में अतिरिक्त वित्त पूर्ति के साधन के बारे में निर्णय लेना अधिक सामान हो जायेगा। कम्पनी द्वारा विभिन्न साधनों से प्राप्त पूंजी की औसत भार युक्त लागत निम्न उदाहरण के माध्यम से स्पष्ट की जा सकती है-

उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण

मान लीजिये कि कम्पनी का एक रोकड़ रूपये की पूँजी ढाँचा इस प्रकार है-

पूँजी साधन

धनराशि (रूपये में)

1. 100-100 रूपये के 20,000 ऋण पत्र अनुबन्धित ब्याज दर 6%

(प्रथम निर्गमन) 20,00,000

2. 100-100रूपये के 10,000 ऋण पत्र (द्वितीय निर्गमन) अनुबंधित व्याज दर 7%

10,00,000

3. 100-100 रूपये मूल्य के 20,00 संचयी अधिमान्य अंश निर्धारित लाभांश दर 8%

20,00,000

4. 40,000 सामान्य अंश प्रतिअंश 100 रू०

40,00,000

5. प्रतिधारित आय

10,00,000

कुल पूँजीकरण

1,00,00,000

पिछले वर्षों में कम्पनी की प्रति अंश आय (ESP) 15 रूपये रही है। कम्पनी के अंश अंकित मूल्य पर ही बिक रहे हैं। निगम कर की दर 50% है। औसत भार युक्त लागत की गणना के लिये निम्नलिखित दो बातों को ज्ञात करना होगा-

(1) साधनों के लिये प्रयुक्त भार- सर्वप्रथम समस्या यह उत्पन्न होती है कि वित्त के किस मापन को कितना भार प्रदान किया जाये। यह भार प्रत्येक साधन के लेख मूल्य या बाजार मूल्य के आधार पर किया जा सकता है अधिकतर पूँजी ढाँचे में विभिन्न साधनों के पारस्परिक अनुपात के आधार पर ही वित्त के प्रत्येक साधन को भार प्रदान किया जाता है। इस आधार पर उपरोक्त वर्णित साधनों को अग्र प्रकार से भार युक्त किया जायेगा-

पूँजी साधन

धन राशि (लाख रूपये में)

प्रदत्त भार

(1) ऋण पत्र (1st निर्गमन)

20

.2

(2) ऋण पत्र (IInd निर्गमन)

10

.1

(3) अधिमान्य अंश पूँजी

20

.2

(4) सामान्य अंश पूंजी

40

.4

(5) प्रतिधारित आय

10

.1

 

100.00

1.0

(2) प्रत्येक साधन की पृथक लागत- इसके लिये पूँजी के विभिन्न साधनों की ‘कर रहित’केया ‘कर सहित’ लागत में से किसी एक का चयन करना होगा। इस उदाहरण में विभिन्न साधनों की कर रहित लागत का प्रयोग किया गया है जो इस प्रकार है-

वित्त साधन  

लागत (कर सहित) (% प्रतिवर्ष)

(1) ऋण पत्र (1st निर्गमन)

3.0

(2) ॠण पत्र (IInd निर्गमन)

3.5

(3) अधिमान्य अंश पूँजी

2.0

(4) सामान्य अंश पूँजी

12.0

(5) प्रतिधारित आय

9.0

प्रत्येक साधन के विषय में प्रदान किये जाने वाले भार तथा लागत को ज्ञात करने के बाद। प्रत्येक लागत को उसके भार से गुणा करके भारयुक्त लागत ज्ञात की जाती है। इस भारयुक्त लागत को जोड़ ही ‘पूँजी की औसत भारयुक्त लागत’ कहलाता है।

औसत भारयुक्त लागत

पूँजी का साधन

कर रहित लागत भार

भार

भारयुक्त लागत

(1) ऋण पत्र (1st निर्गमन)

3.0

2

0.60

(2) ऋण पत्र (IInd निर्गमन)

3.5

.1

0.35

(3) अधिमान्य अंश पूँजी

2.0

.2

1.60

(4) सामान्य अंश पूंजी

.12.0

.4

4.80

(5) प्रतिधारित आय

9.0

.1

0.90

 

 

 

8.25

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Pankaja Singh

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