वित्तीय प्रबंधन

पूँजी का राशनिंग | प्रस्तावित परियोजनाएँ | लाभक्षमता सूचकांक

पूँजी का राशनिंग | प्रस्तावित परियोजनाएँ | लाभक्षमता सूचकांक | Rationing of Capital in Hindi | Proposed Projects in Hindi | profitability index in Hindi

पूँजी का राशनिंग

(Rationing of Capital)

पूँजी बजटन की अन्तिम समस्या उपलब्ध पूँजी के विभिन्न वैकल्पिक विनियोगों के बँटवारे की है। व्यवसाय में पूँजी की पूर्ति सीमित होती है और उसकी लागत भी होती है। अतः फर्म में इस सीमित पूँजी को विभिन्न प्रतियोगी विनियोगों में इस प्रकार बाँटना चाहिए जिससे उसके लाभ अधिकतम हो सकें। यह ही पूँजी का राशनिंग कहलाता है।

सामान्यता फर्म अपने व्यापार का विसतार उस सीमा तक करने की चेष्टा करती हैं जहाँ सीमान्त प्रतिफल पूंजी की सीमान्त लागत के समान रह सके। अतः वे उन परियोजनाओं में विनियोग करना स्वीकार करती है जिनका वर्तमान मूल्य अतिरेक धनात्मक हो तथा उन परियोजनाओं का बहिष्कार करती हैं जिनका मूल्य अतिरेक ऋणात्मक हो। परस्पर निरस्त विनियोग परियोजनाओं में से उनको स्वीकार करती हैं जिनका वर्तमान मूल्य अतिरेक अपेक्षाकृत ऊँचा हो।

किन्तु संस्थाएँ प्रायः अपने आकार को उपर्युक्त सैद्धान्तिक सीमा तक नहीं बढाती। कुछ दशाओं में यह नीति परियोजना-समूह की समस्या का परिणाम होती है, किन्तु अधिकतर यह नीति इस कारण अपनाई जाती है कि संस्थाएँ बाह्य पूंजी का प्रयोग नहीं करना चाहतीं। कुछ प्रबन्धक ऋण-पूंजी का तो प्रयोग करते हैं, किन्तु सामान्य अंशपूंजी का निर्गमन नहीं करना चाहते, क्योंकि इससे संस्था पर उनका नियंत्रण कम होने की सम्भावना रहती है। कुछ अन्य प्रबन्धक सुरक्षा तथा नियंत्रण को इतना अधिक महत्व देने लगते हैं कि सभी प्रकार की बाह्रा पूंजी के विरोधी हो जाते हैं। ये सब बातें पूँजी राशनिंग की समस्या को जन्म देती हैं। पूँजी राशनिंग की दशा में विनियोग- सम्बन्धी निर्णय समय-समायोजित प्रतिफल दर के अनुसार लिये जाते हैं। श्रेष्ठतम योजनाओं को पहले कार्यान्वित किया जाता है और अन्य को उसके बाद। यह क्रिया जब तक की जाती है तब तक कि उपलब्ध विधि समाप्त न हो जाये, किन्तु किसी भी परियोजना की समय-सीमायोजित प्रतिफल दर, पूँजी की लागत दर से कम नहीं होनी चाहिए।

उदाहरण- किसी संस्था के प्रबन्धकों के समक्ष अतिरिक्त पूँजी विनियोग हेतु निम्नलिखित परियोजनाएँ प्रस्तुत की गई हैं। प्रत्येक परियोजना की समय-समायोजित प्रतिफल दर उसके सम्मुख दी गई है। संस्था में पूँजी की लागत 10% है तथा विनियोग हेतु उपलब्ध निधि 60,000 रु० है। प्रबन्धकों को कौन-सी योजनायें स्वीकार करनी चाहिए और क्यों?

प्रस्तावित परियोजनाएँ

आवश्यक राशि (रू0)

समय-समायोजित प्रतिफल दर

(1) पट्टे पर भवन क्रय

20,000

25%

(2) लेखांकन प्रणाली का यंत्रीकरण

12,000

22%

(3) कार्यालय भवन का आधुनिकीकरण

15,000

18%

(4) शक्ति के साधनों में वृद्धि

9,000

16%

(5) अनुषंगी कम्पनी का क्रय

36,000

15%

(6) माल लादने की मशीन का क्रय

3,000

12%

(7) ट्रक का क्रय

5,000

11%

(8) माल स्थानान्तरित करने की मशीन

2,000

 9%

(9) नवीन संयंत्र का निर्माण

23,000

 8%

(10) मोटर गाड़ी का क्रय

2,000

 7%

हल– इस परिस्थिति में संस्था के प्रबन्धकों को परियोजना क्रमांक 1, 2, 3, 4 तथा 6 को स्वीकार करना चाहिये, क्योंकि यहाँ प्रतिबन्धक घटक (Limiting Factor) विनियोग हेतु उपलब्ध निधि की मात्रा (60,000रु0) तथा पूँजी की लागत 10% है।

उपर्युक्त परियोजनाओं को स्वीकार करने से 59,000 रु० निधि आवश्यक होगी जो उपलब्ध निधि की सीमा के भीतर है तथा सबसे कम लाभप्रद परियोजना पर भी 10% समय- समायोजित प्रतिफल दर प्राप्त हो सकेगी जो पूँजी की लागत से अधिक है। किसी भी दशा में परियोजना क्रमांक 8,9 और 10 को स्वीकार नहीं करना चाहिये, क्योंकि उनकी प्रतिफल दर, पूँजी की लागत से कम है।

लाभक्षमता सूचकांक ( Profitability Index) –

वर्तमान मूल्य-अतिरेक के आधार पर परियोजनाओं का श्रेष्ठता क्रमांक करने से भ्रामक निष्कर्ष निकल सकते हैं। उदाहरणार्थ यदि 15,00,000 रु० के विनियोग से प्राप्त रोकड़ प्रवाहों को वर्तमान मूल्य 15,73,850 रु0 हो और 10,000 रू० के विनियोग से प्राप्त रोकङ्ग-प्रवाहों का वर्तमान मूल्य 12,500 रु0 हो तो प्रथम विनियोग से 73,850 रु० तथा द्वितीय विनियोग से 2,500 रु0 वर्तमान मूल्य-अतिरेक प्राप्त होता है, किन्तु केवल इन तथ्यों के आधार पर प्रथम विनियोग को द्वितीय विनियोग से श्रेष्ठतर नहीं कहा जा सकता। केवल अतिरेक की मात्रा के आधार पर परियोजनाओं की तुलनात्मक श्रेष्ठता निश्चित नहीं की जा सकती। इसके लिये प्रत्येक परियोजना में विनियोग और रोकड़ प्रवाहों के वर्तमान मूल्य का अनुपात ज्ञात करना आवश्यक होगा। इस अनुपात को लाभ क्षमता अनुपात (Profitability Index) या वर्तमान मूल्य निर्देशांक (Present Worth Index) कहते हैं। उपर्युक्त, उदाहरण में यह अनुपात निम्नलिखित प्रकार है-

प्रथम विनियोग 15,73,850Rs./15,00,000Rs. = 1.04

द्वितीय विनियोग 12,500Rs./ 10,000Rs. = 5.25

अतः द्वितीय परियोजना में विनियोग करना श्रेष्ठतर है।

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Pankaja Singh

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