वित्तीय प्रबंधन

वित्तीय विवरण विधि | औसत प्रत्याय विधि | औसत प्रत्याय विधि के गुण | औसत प्रत्याय विधि के दोष या सीमाएँ

वित्तीय विवरण विधि | औसत प्रत्याय विधि | औसत प्रत्याय विधि के गुण | औसत प्रत्याय विधि के दोष या सीमाएँ | Financial Statement Method in Hindi | Average Return Method in Hindi | Properties of Average Return Method in Hindi | Demerits or Limitations of Average Return Method in Hindi

वित्तीय विवरण विधि या औसत प्रत्याय विधि

(Financial Statement Method or Average Rate of Return Method)

इस विधि के अनेक नाम हैं। इसे लेखांकन विधि (Accounting Method) या विनियोग पर प्रत्याय (Return on Investment) या औसत प्रत्याय दर (Unadjusted Rate of Return) भी कहते हैं। इस विधि के अनुसार किसी परियोजना में किये गये विनियोग की प्रत्याय दर ज्ञात की जाती है। इस विधि में समय का समायोजन नहीं किया जाता है इसलिये इसे समायोजित प्रत्याय दर विधि भी कहते हैं। इस विधि के अनुसार विभिन्न परियोजनाओं में से उस परियोजना को श्रेष्ठ विकल्प में चुना है। जिसकी प्रत्याय दर सबसे अधिक हो। किन्तु जब एक ही परियोजना को स्वीकार या अस्वीकार करना हो तब परियोजना की प्रत्याय दर प्रबन्ध द्वारा स्वीकार्य न्यूनतम दर के बराबर अथवा उससे अधिक होनी चाहिये। इस विधि के अनुसार दीर्घकालीन परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जाता है।

इस विधि के अनुसार प्रत्याय दर दो प्रकार से ज्ञात की जा सकती है-

(i) प्रारम्भिक विनियोग पर प्रत्याय दर (Accounting Rate of Return on Initial Investment) – प्रारम्भिक विनियोग पर प्रत्याय की दर विनियोग एवं विनियोग पर अनुमानित औसत शुद्ध आय का अनुपात होती है। सूत्र के रूप में –

Accounting Rate of Return on Initial Investment = (Estimated Net Annual Income after Depreciation and Tax/ Initial investment) x100

(ii) औसत विनियोग पर प्रत्याय दर (Accounting Rate of Return on Average Investment)- इस विधि के अन्तर्गत शुद्ध आय का अनुपात प्रारम्भिक विनियोग से न निकालकर औसत विनियोग से निकाला जाता है। प्रारम्भिक विनियोग में निरस्तरण मूल्य (Scrap Value) को जोड़कर उसमें दो का भाग देकर औसत विनियोग ज्ञात किया जाता है।

सूत्र रूप में –

Accounting Rate of Return (A.R.R.). on Average Investment –

Or       A.R.R. =  (Average Annual Income-Average Annual Depreciation/ Average Investment) ×100

A.R.R. = (Estimated Average Net Income After Tax and Depreciation /Average Investment) × 100

Or A.R.R. = Average annual Income

{(Initial Investment-Scrap Value/ Life of the Project)/ 1/2(initial Investment + Scrap Value)} × 100

सामान्यता इस विधि का प्रयोग ही ठीक रहता है।

Where,

Average Depreciation = Initial Investment -Scrap Value/ Life of the Project

Average Investment = (Initial Investment + Scrap Value)/2

औसत प्रत्याय विधि के गुण

(1) यह अत्यधिक सरल विधि है।

(2) इस विधि में परियोजना के सम्पूर्ण जीवन पर विचार किया जाता है।

(3) इस विधि में लाभदायकता की जाँच के आधार पर परियोजना का चुनाव किया जाता है।

(4) इसमें ह्रास की राशि घटाकर शुद्ध आय की गणना की जाती है जो सैद्धान्तिक दृष्टि से उचित है।

(5) इस विधि को अपनाकर पूँजी का सर्वोत्तम प्रयोग किया जा सकता है।

औसत प्रत्याय विधि के दोष या सीमाएँ

(1) इस विधि में समय कारक पर विचार नहीं किया जाता है।

(2) इस विधि द्वारा व्यावसायिक लाभों पर पड़ने वाले सूक्ष्म प्रभावों की जाँच सम्भव नहीं है।

(3) इस विधि द्वारा विनियोग की उचित प्रत्याय दर का निर्धारण सम्भव नहीं है।

(4) इस विधि में प्रयुक्त आय एवं विनियोग की धारणा अस्पष्ट है।

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Pankaja Singh

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