वित्तीय प्रबंधन

लाभांश से आशय | लाभांश के प्रकार | Meaning of Dividend in Hindi | Kinds of Dividends in Hindi

लाभांश से आशय | लाभांश के प्रकार | Meaning of Dividend in Hindi | Kinds of Dividends in Hindi

लाभांश से आशय (Meaning of Dividend)

संयुक्त पूँजी वाली कम्पनियों में कम्पनी के वास्तविक मालिक अंशधारी होते हैं। अतः कम्पनी को जो लाभ प्राप्त होता है उसका कुछ भाग अंशधारियों को उनके विनियोग पर प्रत्याय के रूपों में दिया जाता है। इसे ही लाभांश कहा जाता है। दूसरों शब्दों में, लाभ का वह हिस्सा जो कम्पनी के अंशधारियों को प्राप्त होता है, उसे लाभांश कहते हैं। लाभांश कम्पनी के लाभ का ही एकभाग होता है। लाभांश विभाजनयोग्य लाभों में से दिया जाता है। विभाजन योग्य लाभ से अभिप्राय कम्पनी के शुद्ध लाभ का एक तिहाई या कम्पनी के समता अंशों के अंकित मूल्य पर भुगतान की जाने वाली 12 प्रतिशत लाभांश की राशि व पूर्वाधिकार अंशों के अंकित मूल्य पर भुगतान की जाने वाली राशि में जो भी कम हो से है। शुद्ध लाभ का आशय कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत ह्रास आयकर की राशि घटाने के बाद शेष रहे लाभ से है। जब कम्पनी की समस्त आय में से व्यय घटा दिये जाते हैं तो शुद्ध लाभ बचता है। इस पर अंशधारियों का अधिकार होता है, किन्तु अंशधारी कम्पनी को लाभांश भुगतान के लिये बाध्य नहीं कर सकते। संचालक मण्डल लाभों का कुछ भाग अधिशेष के रूप में रख सकता है। संयोजक मण्डल चाहे तो लाभांश घोषित कर सकता है। किन्तु संचालक मण्डल केवल लाभांश की सिफारिश करते हैं। लाभांश की घोषणा वास्तव में अंशधारियों द्वारा ही वार्षिक साधारण सभा में की जाती है। किन्तु भारतीय कम्पनी अधिनियम के अनुसार संचालक मण्डल द्वारा सिफारिश की गई लाभांश की दर को कम तो कर सकते हैं किन्तु बढ़ा नहीं सकते।

लाभांश के प्रकार

(Kinds of Dividends)

लाभांश अनेक प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) नकद लाभांश (Cash Dividends )- यह लाभांश का सबसे अधिक प्रचलित तरीका है। अंशधारी भी नकदी में ही लाभांश प्राप्त करना अधिक पसन्द करते हैं क्योंकि इससे प्राप्त राशि को अपनी इच्छानुसार प्रयोग कर सकते हैं। जब कम्पनी की स्थिति ठीक होती है तो लाभांश नकद ही वितरित किया जाता है।

(2) स्कन्ध लाभांश या बोनस अंशों के रूप में लाभांश (Dividends as bonus Shares)- जब कम्पनी अपने लाभों का पूँजीकरीण करती है अथवा जब कम्पनी की तरल स्थिति ठीक नहीं होती है तो लाभांश बोनस अंशों के रूप में देती है। इस प्रकार के लाभांश में कम्पनी लाभांश की घोषित राशि के बराबर की कीमत के नए अंश अंशधारियों का आवंटित कर देती है जिनके लिए कोई भुगतान नहीं लिया जाता। ऐसे अंशों को बोनस अंश कहा जाता है।

(3) सम्पत्ति लाभांश (Property Dividends)- कभी-कभी कम्पनियाँ सम्पत्ति के रूप में भी लाभांश वितरित करती हैं। यदि कम्पनी के पास प्रतिभूतियाँ हो तो वह उन प्रतिभूतियों को लाभांश के रूप में वितरित करती है। इसी प्रकार कम्पनी की अन्य विभाजन योग्य वस्तु को भी लाभांश के रूपमें वितरित किया जा सकता है। किन्तु इस प्रकार का लाभांश प्रायः बहुत कम ही देखने को मिलता है। अंशधारी भी इसे पसन्द नहीं करते क्योंकि उनके लिए यह असुविधाजनक होता है।

(4) बन्ध पत्र लाभांश (Bond Dividend)- कम्पनी नकदी लाभांश के बदले‌ऋणपत्रों का निर्गमन करके करती हैं। इस प्रकार के ऋणपत्र प्रायः दीर्घकालीन आधार पर किये जाते हैं। वैसे यह व्यवस्था तभी सम्भव होती है जबकि कम्पनी की आर्थिक स्थिति ब्याज भार (Interest Charge) को भी वहन करने में समर्थ हो। जब कभी लाभांश के भुगतान के लिए प्रतिज्ञापत्र (Promissory Notes) दिया जाता है और ब्याज भी भुगतान करने का वादा किया जाता है, तो उसे विक्रय लाभांश (Scrip dividend) के नाम से भी जाना जाता है।

(5) अतिरिक्त लाभांश (Additional Dividend)- एक कम्पनी शुद्ध लाभांश नीति के अन्तर्गत विभाजनीय लाभ अधिक उपलब्ध होने के बावजूद भी नियमित लाभांश की दर में वृद्धि नहीं करती बल्कि अपेक्षाकृत अधिक लाभ की क्षतिपूर्ति व अंशधारियों को अतिरिक्त लाभांश का विररण करके करती है। इस प्रकार ऐसी स्थिति में जब कभी एक कम्पनी नियमित लाभांश के साथ अतिरिक्त लाभा का भुगतान करती है तो उसे अतिरिक्त लाभांश के साथ अतिरिक्त लाभांश का भुगतान करती है तो उसे अतिरिक्त लाभांश कहा जाता है। यदि कम्पनी के पास जरूरत से ज्यादा मात्रा में लाभ विभाजन के लिये उपलब्ध है तभी अतिरिक्त लाभांश का प्रश्न उठता है।

(6) अन्तरिम लाभांश (Interim Dividend)- एक कम्पनी वित्तीय वर्ष के समाप्त होने पर विभाजनीय लाभ की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित कर लाभांश की घोषणा करती है। व्यवहार में जब इस प्रकार के लाभांश की घोषणा करती है तो उसे नियमित लाभांश (Regular Dividend) कहा जाता है। लेकिन यदि कम्पनी का निदेशक मण्डल सुनिश्चित आधार पर सम्भावना पाता है कि कम्पनी को पर्याप्त मात्रा में विभाजनीय लाभ उपलब्ध हो जायेगा तो लेखा वर्ष के बीच में ही वह लाभांश की घोषणा अपने अंशधारियों के लिए करता है तो इसे अन्तरिम लाभांश कहा जाता है। आम तौर पर अन्तरिम लाभांश की घोषणा पूँजी बाजार की परिस्थितियों को प्रभावित करने अथवा लाभांश की अच्छी सम्भावनाओं के आधार किया जाता है।

(7) वस्तु के रूप में लाभांश (Dividends in an articles)- लाभांश के इस प्रकार में कम्पनी अंशधारियों को लाभांश के रूप में अपने द्वारा उत्पादित वस्तु दे देती है। अपनी वस्तु की दर कम लेकर लाभांश के मूल्य के बाराबर वस्तु उपभोक्ताओं को दे दी जाती है। उदाहरण के लिए कपड़ा उत्पादन करने वाली कम्पनी यदि लाभांश के रूप में लाभांश की राशि के बराबर मूल्य का कपड़ा अंशधारियों को दे दे तो इसे वस्तुओं के रूप में लाभांश कहा जाएगा। लाभांश भुगतान की यह प्रक्रिया अधिक सक्रिय नहीं है।

(8) संयुक्त लाभांश (Combined Dividend)- यदि लाभांश का कुछ भाग नकदी व कुछ भाग अंशों, ऋण पत्रों, सम्पत्ति या वस्तु में दिया जाए तो इसे संयुक्त लाभांश कहा जाता है।

(9) वैकल्पिक लाभांश (Optional Dividend)- यदि लाभांश का भुगतान सभी प्रकार से किया जाए व अंशधारी को यह विकल्प दिया जाए कि वह अपनी इच्छानुसार चाहे जिस प्रकार लाभांश का भुगतान प्राप्त करे तो इसे वैकल्पिक लाभांश कहा जाता है। इसमें अंशधारी चाहे तो नकदी में लाभांश ले सकता है या अन्य विकल्पों में से किसी को भी स्वीकार कर सकता है।

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Pankaja Singh

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