विपणन प्रबन्ध

फुटकर व्यापारी व थोक व्यापारी में अन्तर | विभागीय भण्डारों एवं शृंखला भण्डारों में अन्तर | आवृतिया तथा दलाल में अन्तर

फुटकर व्यापारी व थोक व्यापारी में अन्तर | विभागीय भण्डारों एवं शृंखला भण्डारों में अन्तर | आवृतिया तथा दलाल में अन्तर |Difference between retailer and wholesaler in Hindi  | Difference between departmental stores and chain stores in Hindi  | Difference between frequency and broker in Hindi 

फुटकर व्यापारी व थोक व्यापारी में अन्तर

(Distinguish between Retailer and Wholesaler)

अन्तर का आधार

फुटकर व्यापारी

थोक व्यापारी

1. वितरण श्रृंखला

यह वितरण श्रृंखला की अन्तिम कड़ी है।

यह वितरण श्रृंखला कथोक व्यापारी कड़ियों में से एक है।

2. व्यापार की नीति

यह थोक व्यापारियों से थोड़े-थोड़े माल का क्रय करके पुनः विक्रय करता है।

यह उत्पादक या निर्माता से माल का भारी मात्रा में क्रय कर फुटकर व्यापारियों को विक्रय करता है।

3. माल की मात्रा

यह छोटी-छोटी मात्रा में माल का विक्रय करता है।

यह फुटकर व्यापारी को उसकी आवश्यकतानुसार थोड़ी-2 मात्रा में माल का विक्रय करता है।

4. पूँजी की मात्रा

एक फुटकर व्यापारी कम पूँजी से व्यवसाय कर सकता है।

थोक व्यापारी के लिए बहुत बड़ी मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है।

5. वस्तुओं की सं०

फुटकर व्यापारी अनेक वस्तुओं का व्यापार करता है।

यह कुछ सीमित वस्तुओं का ही व्यापार करता है।

विभागीय भण्डारों एवं शृंखला भण्डारों में अन्तर

अन्तर का आधार

विभागीय भण्डार

शृंखला भण्डार

1. स्थिति

इन भण्डारों की स्थिति शहरों के बीचों-बीच होती है।

ये भण्डार प्रायः सामान्य जनता बस्तियों में स्थापित किये जाते हैं।

2. संख्या

नगर में एक संस्था प्रायः एक ही विभागीय भण्डार खोलती है।

श्रृंखला-भण्डार एक शहर में कई हो सकते हैं।

3. क्षेत्र

ये शहरी क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं।

ये शहरों एवं कस्बों में स्थापित किये जाते हैं।

4. ग्राहक

इन भण्डारों के ग्राहक प्रायः धनी व्यक्ति होते हैं।

इन भण्डारों के ग्राहक प्रायः सामान्य आय वर्ग के होते हैं।

5. वस्तुओं का मूल्य

इन भण्डारों पर उपलब्ध वस्तुओं का मूल्य प्रायः बाजार मूल्यों से अधिक होता है।

शृंखला भण्डारों पर उपलब्ध वस्तुओं का मूल्य बाजार मूल्य की अपेक्षा प्रायः कम ही होता है।

6. भवन

इन भण्डारों के भवन बहुत बड़े होते हैं।

हिना भंडारों के भवन बहुत ही छोटे होते हैं। दूसरे शब्दों में, भंडार सामान्य दुकानों से ही स्थापित किए जाते हैं।

7. बन्द करना

यदि विभागीय भण्डार का कोई विभाग हानि पर चल रहा है तो उसे बन्द करना कठिन होता है।

यदि शृंखला भण्डार हानि पर चल रहा है तो उसे बन्द करना बहुत सरल है।

आवृतिया तथा दलाल में अन्तर

(Distinction between Factor and Broker)

अन्तर का आधार

आढ़तिया

दलाल

1. माल का अधिकार

आढ़तिया का माल पर अधिकार होता है।

बेचे जाने वाले माल पर दलाल का अधिकार नहीं होता

2. क्रेता और विक्रेता का सम्पर्क

आढ़तिया द्वारा माल बेचे जाने पर माल के क्रेता और विक्रेता का प्रत्यक्ष सम्पर्क नहीं होता है।

दलाल द्वारा माल को बेचा जाता है तो क्रेता तथा विक्रेता के बीच प्रत्यक्ष सम्पर्क  हो जाता है।

3. अपने नाम में माल बेचना

आइतिया अपने प्रधान का माल अपने नाम से बेच सकता है।

दलाल अपने प्रधान का माल अपने नाम से नहीं बेचता है।

4. धनराशि प्राप्त करना

आढ़तिया नियोक्ता की ओर से विक्रय किये माल का भुगतान प्राप्त कर सकता है,

दलाल को इस प्रकार का अधिकार नहीं होता है। उसकी रसीद दे सकता है।

5. उत्तरदायित्व

आदतिया द्वारा माल विक्रय करने की दशा में आढ़तियें का दायित्व होता है।

दलाल द्वारा माल विक्रय करने की दशा में दलाल का कोई दायित्व नहीं होता है। दलाल के प्रधान का ही समस्त दायित्व बना रहता है।

6. स्थायित्वता

प्रायः आकृतिया एक लम्बे समय तक कार्य करता है। यह सामान्य प्रतिनिधि के समान होता है।

दलाल प्रायः एक सौदे विशेष के लिए ही नियुक्त किया जाता है। उसकी स्थिति एक विशेष एजेण्ट की भाँति ही रहती है।

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Pankaja Singh

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