जन सम्पर्क से अभिप्राय | प्रचार से अभिप्राय | जन सम्पर्क की मुख्य विशेषताएँ | विज्ञापन तथा व्यक्तिगत विक्रय में अन्तर | विज्ञापन तथा प्रचार में अन्तर | Meaning of public relations in Hindi | Meaning of propaganda Salient in Hindi | Features of Public Relations in Hindi | Difference between advertising and personal selling in Hindi | difference between advertising and promotion in Hindi
प्रचार या जन सम्पर्क से अभिप्राय
(Meaning of Public Relations)
सामान्य शब्दों में, जन सम्पर्क से अर्थ किसी भी संस्था तथा उसकी जनता के मध्य संचार सम्बन्धों से ही लगाया जाता है। किन्तु विद्वान जन सम्पर्क को पैनी दृष्टि से देखते परखते एवं परिभाषित करते हैं। अतः प्रमुख विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषायें निम्न प्रकार हैं-
स्टेन्टन (W.J. Stanton) के मतानुसार, “जन सम्पर्क किसी संगठन का व्यापक एवं समग्र संवाद-सम्प्रेषण प्रयास है, जिसका उद्देश्य विभिन्न समूहों के दृष्टिकोण या व्यवहार को उस संगठन के प्रति प्रभावित करना है।”
ब्यूएल (Buell) के अनुसार, “जन सम्पर्क उन सभी क्रियाओं के लिए एक व्यापक शब्द है जो किसी कम्पनी या संस्था की ख्याति में सकारात्मक अभिवृद्धि करने के लिए की जाती है।”
वर्ल्ड असेम्बली ऑफ पब्लिक रिलेशन्स एसोसिएशन (World Assembly of Public Relations Association) के अनुसार, “जन सम्पर्क प्रवृत्तियों का विश्लेषण करने, उनके परिणामों का पूर्वानुमान लगाने, संगठन के नायकों से परामर्श करने तथा कार्यों के नियोजित कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने की कला तथा सामाजिक विज्ञान है, जिससे संगठनों एवं जनता, दोनों के ही हित पूरे होंगे।”
फ्रैंक जेफकिन्स के शब्दों में, “जन सम्पर्क में वे सभी आन्तरिक एवं बाह्य नियोजित संदेश सम्मिलित हैं जो एक संगठन एवं उनकी जनता के बीच विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आपसी समझ बूझ से सम्बन्धित होते हैं।”
उपरोक्त परिभाषाओं के अध्ययन करने से यह बात स्पष्ट होता है कि जन सम्पर्क वह व्यावहारिक कला है, जिसमें संदेशों या संवादों के माध्यम से किसी संगठन तथा उससे सम्बन्धित विभिन्न समूहों के मध्य परस्पर सम्पर्क स्थापित कर उस संगठन या संगठन के उत्पादों के प्रति जनता के विचारों एवं व्यवहार को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है।
जन सम्पर्क की मुख्य विशेषताएँ
(Chief Characteristics of Public Relations)
जन सम्पर्क कार्य की प्रकृति को भली प्रकार से समझने के लिए उसकी प्रमुख विशेषताओं को समझना भी उपयुक्त होगा। जो इस प्रकार हैं-
- जन सम्पर्क किसी संगठन तथा उनके विभिन्न समूहों के मध्य सम्पर्कों की द्विमार्गी प्रक्रिया है।
- यह संगठन एवं उससे सम्बन्धित समूहों के बीच सम्पर्क करने की व्यावहारिक कला तथा विज्ञान दोनों ही है।
- जन सम्पर्क का उद्देश्य व्यावसायिक संस्था तथा उसके उत्पादों की ख्याति प्रतिष्ठा, माँग तथा लाभों में अभिवृद्धि करना है।
- जन सम्पर्क आन्तरिक एवं बाह्य दोनों ही समूहों के साथ अनिवार्य है।
- जन सम्पर्क संवादों या संदेशों के सम्प्रेषण से किया जाता है।
- यह संस्था तथा विभिन्न वर्गों के बीच आपसी समझ को भी बढ़ाता है।
- जन सम्पर्क विभिन्न जन समूहों के व्यवहार एवं विचारों को संस्था के प्रति अनुकूल बनाने में सहायता करता है।
- जन सम्पर्क जनता को सूचना एवं शिक्षा दोनों ही प्रदान करने का साधन है।
- यह प्रत्येक व्यावसायिक संस्था का सामाजिक दायित्व है।
- जन सम्पर्क एक व्यवसाय बन गया है, जिसकी निश्चित आचार संहिता भी बनायी जाने लगी है।
- संस्था के संवर्द्धनात्मक प्रयासों में यह विज्ञापन, विक्रय कला, विपणन कार्यों में कभी प्राथमिक कार्य होता है, तो कभी यह कार्य उसके समानान्तर रूप से किया जाता है।
विज्ञापन तथा व्यक्तिगत विक्रय में अन्तर
(Distinction between Advertisement and Personal Selling)
अन्तर का आधार |
विज्ञापन |
व्यक्तिगत विक्रय |
1.प्रभाव |
विज्ञापन किसी भी वस्तु के गुणों व उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालता है। |
व्यक्तिगत विक्रय प्रत्येक ग्राहक की आवश्यकता की वस्तु की श्रेष्ठता एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालता है । |
2. प्रयोग |
विज्ञापन का प्रयोग समाज को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। |
व्यक्तिगत विक्रय अलग-अलग रुचि वाले ग्राहकों को उनकी इच्छा के अनुसार संतुष्टि प्रदान करने में सहायक है। |
3. ग्राहक को प्रेरणा |
विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को अव्यक्तिगत रूप से प्रेरित किया जाता है। |
व्यक्तिगत विक्रय के माध्यम से विज्ञापन से आकर्षित ग्राहकों को माल का क्रय करने के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रेरित किया जाता है। |
4. शंकाओं का समाधान |
विज्ञापन प्रत्येक ग्राहक का उत्तर देने तथा उसकी जिज्ञासा को शान्त करने में असमर्थ है। |
व्यक्तिगत विक्रय प्रत्येक ग्राहक का उत्तर देने व उसकी जिज्ञासा को शान्त करने में पूर्ण समर्थ है। |
5. भावी ग्राहक के साथ सम्बन्ध |
विज्ञापन द्वारा भावी ग्राहक से व्यक्गित सम्बन्ध स्थापित नहीं होता है। |
व्यक्तिगत सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। |
6. माध्यम |
विज्ञापन लिखित, मुद्रित या चित्रमय हो सकता है। |
व्यक्तिगत विक्रय मौखिक होता है। |
विज्ञापन तथा प्रचार में अन्तर
(Distinction between Advertisement and Publicity)
विज्ञापन तथा प्रचार के बीच अन्तर के प्रमुख कारणों को निम्न तालिका में प्रस्तुत किया जा रहा है
अन्तर का आधार |
विज्ञापन |
प्रचार |
1. व्यय |
विज्ञापन के लिए विज्ञापक को व्यय करना पड़ता है। |
प्रचार के लिए प्रायोजक को व्यय नहीं करना पड़ता है। दूसरे शब्दों में, यह एक मुफ्त विज्ञापन है। |
2. नाम |
विज्ञापन में विज्ञापन देने वाले व्यक्ति का नाम स्पष्ट होता है। |
प्रचार में प्रचारकर्ता का नाम नहीं होता है। |
3. अवैयक्तिकता |
विज्ञापन सदैव अवैयक्तिक होता है। |
प्रचार अवैयक्तिक और वैयक्तिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं। |
4. स्थान |
विज्ञापन स्पष्ट रूप से अखबारों, पत्रिकाओं व विज्ञापनों के अन्य माध्यमों में दिए जाते हैं। |
प्रचार सामग्री समाचारों के रूप में या मनोरंजन के कॉलमों या सम्पादकीय लेख में दी जाती है। |
5. सच्चाई |
इनमें सच्चाई अपेक्षाकृत कम पायी जाती है। |
इनमें सच्चाई अधिक होती है। |
6. पाठक |
विज्ञापन को बहुत कम लोग पढ़ते हैं। |
प्रचार या प्रकाशन को वे लोग भी पढ़ते, सुनते या देखते हैं जो विज्ञापन नहीं देखते, पढ़ते क्योंकि ये समाचारों के रूप में या मनोरंजक स्वरूप में होते हैं। |
विपणन प्रबन्ध – महत्वपूर्ण लिंक
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- उत्पाद के जीवन चक्र का अर्थ | उत्पाद के जीवन चक्र की परिभाषा | उत्पाद जीवन-चक्र की विभिन्न अवस्थायें या चरण
- नवीन उत्पाद के विकास की प्रक्रिया | नये उत्पाद की असफलता के कारण
- उत्पाद जीवन चक्र को प्रभावित करने वाले घटक या तत्व | वस्तु जीवन चक्र के समय विपणन नीतियाँ
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