विपणन प्रबन्ध

वितरण वाहिकाओं के कार्य | Functions of Distribution Channel in Hindi

वितरण वाहिकाओं के कार्य | Functions of Distribution Channel in Hindi

वितरण वाहिकाओं के कार्य

(Functions of Distribution Channel)

वितरण वाहिकाओं द्वारा किये जाने वाले प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. वित्त का प्रबन्ध करना (To Manage Finance)- अधिकांश निर्माताओं के वित्तीय साधन अपर्याप्त होते हैं। थोक व्यापारी ऐसे निर्माताओं से बड़ी मात्रा में वस्तुऐं खरीदकर उनको तुरन्त भुगतान कर देते हैं और फुटकर व्यापारियों को उनकी आवश्यकतानुसार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बेचते रहते हैं जिससे निर्माताओं की वित्तीय कठिनाई दूर हो जाती है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी निर्माता अपने वितरकों या स्टाकिस्ट की नियुक्ति करके उनसे धरोहर (Security) के रूप में भी काफी धनराशि प्राप्त कर लेते हैं, जिससे उनकी वित्त की आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है।
  2. कीमत निर्धारित करना (Pricing)- आधुनिक व्यावसायिक युग में निर्माता को यदि विपणन कार्य में सहायता प्राप्त करनी है तो उसे वस्तु की कीमत के निर्धारण के सम्बन्ध में वितरण वाहिकाओं या मध्यस्थों के सुझावों को अवश्य ही आमन्त्रित करना चाहिए क्योंकि मध्यस्थों का बाजार और उपभोक्ताओं से प्रत्यक्ष सम्पर्क होता है। इस बात को निर्माता की अपेक्षा मध्यस्थ अच्छी प्रकार से जानते हैं कि उपभोक्ता अमुक वस्तु के लिए कितनी कीमत दे सकेंगे। अतः कीमत निर्धारण में मध्यस्थों या वितरण वाहिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
  3. निर्णयों का नैत्यीकरण (Routinisation of Decisions)- वितरण वाहिकायें वितरण निर्णयों को नियमबद्ध करने का कार्य करती हैं। एक बार वितरण वाहिका की स्थापना हो जाने के पश्चात् वस्तु निर्माता द्वारा उपभोक्ता तक एक निश्चित मार्ग से होकर ही गुजरती है जिससे वितरण लागतों में कमी आती है। निर्माता के वितरण सम्बन्धी निर्णय निश्चित और नैत्यिक प्रकृति के होते हैं।
  4. संचार में सहायता (Aid in Communication)- निर्माता को उपभोक्ताओं और बाजार की बदलती हुई परिस्थितियों का ज्ञान नहीं होता है। मध्यस्थ ही निर्माता एवं उपभोक्ता के बीच एक ऐसी कड़ी है जो कि समय-समय पर उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं एवं बाजार में होने वाले परिवर्तनों की सूचना निर्माता तक पहुँचाता है तथा जिसके अनुसार निर्माता वस्तु का निर्णय करके सफलता प्राप्त करते हैं।
  5. संवर्धनात्मक क्रियायें (Promotion Activities)- आधुनिक समय में विक्रय वृद्धि हेतु वैयक्तिक विक्रय (Personal Selling), विज्ञापन (Advertisement), एवं विक्रय संवर्धन (Sales Promotion ) आदि संवर्धनात्मक क्रियायें सम्पादित की जाती हैं। ये संवर्धन क्रियायें प्रायः निर्माता और मध्यस्थ दोनों के द्वारा सम्पादित की जाती हैं। कुछ बड़े स्तर के थोक व्यापारी तो इन संवर्धन सम्बन्धी सम्पूर्ण क्रियाओं को स्वंय ही करते हैं। फुटकर व्यापारी अपनी दुकान (भण्डार) में वस्तु का क्रय बिन्दु प्रदर्शन (Point of Purchase Display) करते हैं, जिसका ग्राहकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
  6. वस्तु वितरण में सहायता (Aid in Distribution of Goods)- वितरण वाहिकाओं या मध्यस्थों द्वारा निर्माता की वस्तुओं को उपभोक्ताओं तक वितरित करने में सहायता प्रदान की जाती है। वास्तव में इस कार्य के लिए ही तो वितरण वाहिकाओं का प्रयोग किया जाता है।
  7. उपभोक्ताओं की सेवा करना (Servicing the Consumers)- आज वितरण माध्यम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य उपभोक्ताओं की सेवा करना है। वास्तव में इन्हीं के माध्यम से उपभोक्ताओं को वस्तु मिलती है और यदि उनको कोई कठिनाई होती है तो उन्हीं के माध्यम से उसका समाधान किया जाता है।
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Pankaja Singh

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