विपणन प्रबन्ध

वाहिका प्रबन्ध सम्बन्धी निर्णय से आशय | Meaning of Channel-Management Decision in Hindi

वाहिका प्रबन्ध सम्बन्धी निर्णय से आशय | Meaning of Channel-Management Decision in Hindi

माध्यम या वाहिका प्रबन्ध सम्बन्धी निर्णय से आशय

(Meaning of Channel-Management Decision)

किसी वस्तु के विपणन में वितरण माध्यम का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि चुनाव उचित रूप से नहीं होता तो परिणामस्वरूप उपभोक्ता को वस्तु आसानी से उचित मूल्य पर नहीं मिल पाती है और निर्माता भी अपने कार्यक्रम के अनुसार लाभ प्राप्त नहीं कर सकता है। जब निर्माता वितरण-माध्यम के स्वरूप का निर्णय कर लेता है तो उसके समक्ष तीन प्रबन्ध सम्बन्धी समस्याएँ आती हैं जिनके सम्बन्ध में उसको निर्णय लेने पड़ते हैं। इन विभिन्न समस्याओं के सम्बन्ध में निर्णय लेने को ही वाहिका प्रबन्ध सम्बन्धी निर्णय कहते हैं। ये समस्याएँ निम्न हैं –

  1. माध्यम सदस्यों का चुनाव करना (Selection of Channel Members) – एक निर्माता द्वारा अपने वितरण-माध्यम के स्वरूप का निर्णय कर लेने के बाद वितरण-माध्यम के सदस्यों का चुनाव करना पड़ता है। इसके लिए कुछ निर्माताओं को तो जिनकी बाजार में अच्छी ख्याति होती है स्वतः ही मध्यस्थों के द्वारा प्रस्ताव किये जाते हैं, लेकिन कुछ निर्माताओं को इस प्रकार के प्रस्ताव नहीं मिलते हैं और उनको ऐसी संस्थाएँ ढूँढ़नी पड़ती है जो मध्यस्थ बनने के लिए तैयार हों। इस कार्य के लिए निर्माता द्वारा विभिन्न प्रकार के विज्ञापन किये जाते हैं जिससे उनके पास मध्यस्थ बनने के प्रस्ताव आ जाते हैं। इन मध्यस्थों का चुनाव करते समय सामान्यतया एक निर्माता इन बातों का पता लगाता है कि- (1) प्रत्याशी व्यवसायी को व्यवसाय करते हुए कितना समय हो चुका है (2) उसकी प्रगति कैसी है (3) बाजार में उसकी ख्याति कैसी है (4) क्या वह अच्छा भुगतान करने वाला है (5) उसका व्यवसाय बाजार में किस स्थान पर है आदि जिन संस्थाओं के सम्बन्ध में उपुर्यक्त लक्षण धनात्मक होते हैं उनको मध्यस्थ सदस्य के रूप में चुना जा सकता है।
  2. मध्यस्थ-सदस्यों को प्रेरित करना (Motivation of Channel Members) – जब माध्यम सदस्यों का चनाव कर लिया जाता है तो फिर प्रवन्धकों के समक्ष एक समस्या आती है कि मध्यस्थों को अधिक विक्रय के लिए कैसे प्रेरित किया जाये। इसके लिए एक निर्माता को न तो अत्यधिक प्रेरणा करनी चाहिए और न न्यून प्रेरणा अत्यधिक प्रेरणा देने से यद्यपि बिक्री बढ़ जाती है लेकिन लाभों की मात्रा कम हो जाती है। इसी प्रकार न्यून प्रेरणा से न तो बिक्री में ही वृद्धि होती है और न लाभों में। अतः एक निर्माता को बीच का रास्ता अपनाना चाहिए जिससे बिक्री में वृद्धि हो, लाभ भी उचित मात्रा में बने रहे तथा मध्यस्थ को भी अधिक विक्रय के लिए प्रेरणा मिलती रहे। किसी भी प्रेरणा सम्बन्धी निर्णय को लेते समय मध्यस्थों के दृष्टिकोण को ध्यान में रखना चाहिए और निर्णय ऐसा लिया जाना चाहिए जिससे मध्यस्थ नाराज न हो, बल्कि अधिक विक्रय के लिए प्रेरित हो।
  3. माध्यम सदस्यों का मूल्यांकन करना (Evaluation of Channel embers) एक निर्माता को अपने द्वारा नियुक्त मध्यस्थों के कार्यों का मूल्यांकन भी समय-समय पर करते रहना चाहिए जिससे कि जिन मध्यस्थों की बिक्री उचित नहीं है उनको बिक्री बढ़ाने के लिए कहा जा सके और उसके बाद भी यदि वे क्रियाशील न हों तो उन्हें हटाया जा सके। इस कार्य को निम्न प्रकार सम्पन्न किया जा सकता है-

(अ) प्रत्येक मध्यस्थ की पिछली बिक्री से तुलना करना – इसमें प्रत्येक मध्यस्थ की बिक्री की तुलना उसकी पिछले वर्षों की बिक्री से की जाती है। साधारणतया पिछले कई वर्षों की बिक्री का औसत निकाल लेते हैं जिसको एक आदर्श या प्रमाप मानते हैं। यदि किसी विक्रेता की बिक्री किसी वर्ष इस प्रकार निकाले हुए औसत से गिर जाती है तो निर्माता द्वारा उसके कारणों की  जाँच की जाती है। यदि ये कारण मध्यस्थ द्वारा ही निर्मित हैं- जैसे ग्राहकों के साथ उचित व्यवहार न करना, प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग न करना, संवर्द्धन के कार्यों में असहयोग, आदि तो उनका निराकरण मध्यस्थ के साथ बातचीत कर भविष्य में सहयोग का आश्वासन प्राप्त कर लिया जा सकता है। लेकिन यदि कारण देश की आर्थिक व राजनैतिक स्थिति से सम्बन्धित है तो मध्यस्थ के विरुद्ध कोई कार्यवाही करने की आवश्यकता नहीं है।

(ब) प्रत्येक मध्यस्थ की बिक्री की उसके लिए निर्धारित कोटे से तुलना करना- इसके अन्तर्गत सर्वप्रथम मध्यस्थ की बिक्री का कोटा उस क्षेत्र की सम्भावना बिक्री के आधार पर निर्धारित किया जाता है और फिर उसी अवधि की वास्तविक बिक्री की तुलना इस कोटे से की जाती है। यदि उनकी बिक्री इस कोटे से कम होती है तो इसके कारणों की जाँच की जाती है व मध्यस्थ से विचार-विमर्श कर भावी उपायों की रूपरेखा बनायी जाती है तथा उसे एक निश्चित अवधि में विक्री बढ़ाने के लिए कहा जा सकता है।

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Pankaja Singh

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