शिक्षाशास्त्र

नवाचार का अर्थ एवं परिभाषा | नवाचार की विशेषताएँ | नवाचार की आवश्यकता और महत्व | शिक्षा के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण नवीन प्रवर्तन या नवाचार

नवाचार का अर्थ एवं परिभाषा | नवाचार की विशेषताएँ | नवाचार की आवश्यकता और महत्व | शिक्षा के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण नवीन प्रवर्तन या नवाचार | Meaning and definition of innovation in Hindi | Characteristics of Innovation in Hindi | Need and Importance of Innovation in Hindi | Some important innovation or innovation in the field of education in Hindi

नवाचार का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and Definition of Innovation)

‘नवाचार’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-‘नव’ और ‘आचार’ इसमें ‘नव’ शब्द नवीनता (Newness) का घोतक है और ‘आचार’ व्यवहार का। इस प्रकार जो स्थापित विधियों, परम्पराओं, वस्तुओं आदि में नवीनता का समावेश करें, उसे नवाचार कहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नवीन विधाओं का प्रचलन हो नवाचार कहलायेगा। नवाचार की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख शिक्षा-शास्त्रियों की परिभाषायें निम्नलिखित हैं।

एच०जी० बोनेट के शब्दों में- कोई विचार, व्यवहार या वस्तु जो नया है एवं वर्तमान अवस्थित प्रारूप से जो गुणात्मक दृष्टि से भिन्न है उसे नवाचार कहते हैं।”

ई०एम० रोजर्स के अनुसार- “नवाचार एक ऐसा विचार है जिसमें व्यक्ति नवीनता का अनुभव करता है। “

एम०बी० माइल्स का विचार है कि-“एक नवाचार जान-बूझकर किया जाने वाला नवीन विशिष्ट परिवर्तन है जिसे किसी प्रणाली के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक प्रभावकारी माना जाता है।

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि नवाचार एक ऐसा विचार है जिसे अपनाने वाला इसे एक नयी चीज के रूप में देखता और अनुभव करता है। शिक्षा के क्षेत्र में नयी तकनीकी, विधियों, प्रणालियों आदि का अविर्भाव हुआ है तथा उन्हें पुराने तकनीकों से अधिक सक्षम तथा उपयोगी पाया गया है अतः इनका प्रचलन दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इस प्रचलन को ही शिक्षा में नवाचार की संज्ञा दी जा सकती है।

नवाचार की विशेषताएँ-

नवाचार की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ स्पष्ट होता है-

  1. नवाचार एक नवीन विचार है।
  2. गुणात्मक दृष्टि में वर्तमान परिस्थितियों की क्योंकि इसके परिणाम गुणात्मक वृद्धि प्रदर्शित करते
  3. नवाचार जान-बूझकर किया जाने वाला एक नियोजित प्रयास है। अर्थात् यह सायास प्रयास है।
  4. नवाचार में हमेशा विशिष्टता के तत्व विद्यमान रहते हैं।
  5. कोई भी व्यक्ति नवाचार जानबूझ कर अपनाता है, अतः इसकी उपयोगिता स्वयं सिद्ध है।
  6. नवाचार वर्तमान परिस्थितियों में सुधार का नवीन सफल प्रयास है। यह आवश्यक नहीं कि नवाचार का हर नत्व नवीन ही हो। यह नवीन तथा पुरातन तत्वों का सम्मिश्रण है।

अतः नवाचार को मूलतः विचारों का समुच्चय मानना चाहिए, क्योंकि जब भी कोई नवाचार घटित होता है तब इसका संभोग या मिलन दो चार ऐसे तत्वों से होता है जो पहले से ही विद्यमान हो। अतः नवाचार नूतन और पुरातन का एक ऐसा सम्मिलित है।

नवाचार की आवश्यकता और महत्व

परिवर्तन इस युग का लक्षण है। आवश्यकता के परिणामस्वरूप बीवन के जिस क्षेत्र में परिवर्तन होता है वहाँ नये विचारों और नमी प्रवृत्तियों का महत्व बढ़ जाता है। व्यक्ति ‘पुराने’ परन्तु सामाजिक परिवर्तनों के द्वारा तेजी के साथ बदलती हुई परिस्थितियों के दौड़ में सर्वत्र इस बात की माँग है कि जनाकांक्षाओं एवं लक्ष्यों के अनुरूप शिक्षा में परिवर्तन किया जाय। इसी माँग के कारण आज शिक्षा में शिक्षा-शास्त्रियों के द्वारा शैक्षिक नवाचार (Educational Innovation) के रूप में नये विचार, नये कार्यक्रम, नयी विधियों और नई तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। तकनीकी विकास और उससे उत्पन्न सामाजिक अनिवार्यताएँ आज शिक्षा के स्वरूप को बहुत तेजी के साथ बदल रही हैं।

शैक्षिक नवाचार की आवश्यकता और भूमिका सम्बन्धित मुख्य बातें निम्नलिखित है-

  1. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि- तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या ने सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं के साथ अनेक शैक्षिक समस्याओं को भी जन्म दिया है। विद्यालयों की कक्षाओं में वहअब विद्यार्थियों की संख्या इतनी बढ़ गयी है कि पढ़ाना तो दूर, उन्हें कक्षाओं में ठीक से बैठना कठिन हो रहा है। एक प्रजातंत्रात्मक देश में जहाँ हम एक ओर सभी के समान अधिकारों के लिए वचनबद्ध हैं वहीं जनसंख्या विस्फोट का यह दबाव हमें बाध्य कर रहा है कि प्रचलित शिक्षा व्यवस्था का कोई विकल्प ढूंढा जाय जो जनाकांक्षाओं को पूरा करा सके।

छात्रों की भीड़ को शिक्षित करने के लिए अधिक विद्यालयों, अधिक उपकरणों और अधिक पुस्तकों की आवश्यकता है। सीमित संसाधनों के अन्तर्गत अधिक से अधिक छात्रों को शिक्षित करने के लिए हमें कुछ नवीन विधियों को अपनाना पड़ेगा जिससे प्रजातंत्रीय मान्यताओं के अनुरूप शिक्षा सबके लिए सुलभ हो सके। यह कार्य नवाचारों के आधार पर सम्भव है। विद्यालय के पाठ्यक्रम और संगठन प्रारूप को अब इस प्रकार बदलने की आवश्यकता है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण बढ़ती हुई शैक्षिक आवश्यकता की पूर्ति हो सके और पूर्ण साक्षरता के उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके।

  1. नवाचारों के संदर्भ में शिक्षक प्रशिक्षण- पाठ्यचर्याओं, पाठ्यक्रमों और शिक्षण की तकनीकों में बुनियादी परिवर्तन की आवश्यकता है, ज्ञान का विस्फोट (Explosion of Knowledge) पुराने शिक्षकों को बहुत पीछे छोड़ चुका है। इसलिए भावी नागरिकों को शैक्षिक प्रगति के लिए नवीन ज्ञान एवं नवीन शैक्षिक तकनीकी को ज्ञान को आवश्यकता को दृष्टि में रखते हुए शिक्षकों को नये ढंग से प्रशिक्षित करना आवश्यक है। हमें प्रत्येक विषय के शिक्षकों को विशेषतः विज्ञान, गणित एवं तकनीकी विषय के शिक्षकों की एक नयी दिशा का बोध करना है। शिक्षकों के प्रशिक्षण में नवाचारों का समावेश ही इस समस्या का समाधान कर सकता है। नवाचारों ने इस क्षेत्र में सराहनीय योगदान दिया है।
  2. विशिष्टीकरण की बढ़ती माँग- ज्ञान के विस्फोट और औद्योगीकरण की प्रक्रिया में विशिष्टीकरण (Specialization) की माँग को जन्म दिया है। नवीन यंत्रों एवं तकनीकी का संचालन विशिष्ट शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति ही कर सकते हैं। यह कार्य पुराने सांचे में नई पीढ़ी को ढालकर सम्भव नहीं होगा। शिक्षण एवं प्रशिक्षण की तकनीकी को नवीन रूप लेने वाले ज्ञान और उत्पन्न मांगों के अनुरूप बदलना होगा। अतः नवाचारों को अपनाना होगा।
  3. कम्प्यूटर का बढ़ता प्रयोग- आज जोवन के विभिन्न क्षेत्रों में संगणक (कम्प्यूटर) के प्रयोग ने परिवर्तन की गति को अत्यधिक तीव्रगामी बना दिया है। अतः आज की तेज चलने वाले सामाजिक विकास में समय की बचत एवं कम श्रम व समय में अधिक उपलब्धि की ललक ने नवाचारों का प्रोत्साहन दिया है, क्योंकि इसी से ये उद्देश्य प्राप्त किये जा सकते हैं। संगणक की भूमिका इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

शिक्षा के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण नवीन प्रवर्तन या नवाचार

  1. शिक्षा के क्षेत्र में, शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से, शिक्षा को वस्तुनिष्ठ, नियोजित एवं विकासोन्मुख साधन के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है।
  2. आजीवन शिक्षा की अवधारणा को क्रियान्वित करने के लिए अविरल अथवा सतद् शिक्षा व्यवस्था का प्रसार हो रहा है।
  3. औपचारिक शिक्षा के स्थान पर अनौपचारिक शिक्षा को अधिक महत्व दिये जाने की निरन्तर संस्तुति की जा रही है और इसका विकास भी हो रहा है ।
  4. प्रत्येक व्यक्ति को सुशिक्षित बनाने के उद्देश्य से दूर शिक्षा पर निरन्तर बल दिया गया है। इसके विभिन्न पाठ्यक्रम भी आरम्भ किये गये हैं।
  5. निर्विद्यालयीकरण अथवा विद्यालयों के स्थान पर कौशलों का विकास करने वाले केन्द्रोंक्षकी स्थापना के विचार को समस्त विश्व में मान्यता प्रदान की गयी है। खुले विश्वविद्यालय इसी दिशा में एक प्रयास है।
  6. शिक्षण एवं अनुदेशन के क्षेत्र में हार्डवेयर उपागम अथवा दृश्य-श्रव्य साधनों का विस्तार किया जा रहा है। कम्प्यूटर का शिक्षा में प्रयोग इसी दिशा में प्रयास है।
  7. शिक्षा को जीवन से सम्बद्ध करने के लिए, व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा से संयुक्त करने की योजनाओं पर बल दिया गया है। अतः व्यवसाय केन्द्रित शिक्षा पर बल दिया जा रहा है।
  8. प्रौढ़ शिक्षा के लिए अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये है।
  9. प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप ससे शैक्षिक अवसर सुलभ कराने के लिए खुले विश्वविद्यालयो की स्थापना एवं प्रसार हो रहा है।
  10. पाठ्य पुस्तकों के स्वरूप एवं मूल्यांकन की प्रविधियों में भी अनेक परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहे हैं। ग्रेड सिस्टम तथा प्रोग्राम लर्निंग आदि इसी दिशा में प्रयास है।
  11. ज्ञान को एकत्रित करने के उद्देश्य से अन्तर-अनुशासन उपागम को प्रयुक्त करने पर निरन्तर बल दिया जा रहा है। शोध में इसे विशेष महत्व दिया गया है।
  12. परीक्षा प्रणाली में परिवर्तन हेतु, वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित प्रश्न-पत्रों के निर्माण पर अधिक बल दिया जा रहा है और अधिकांश प्रवेश परीक्षायें इस प्रकार की हो रही हैं।
  13. अध्यापक एवं छात्र के मध्य संचालित होने वाले व्यवहारों को अंकित करने के उद्देश्य से अन्तःक्रिया विश्लेषण का विकास किया गया है।
  14. छात्राध्यापकों में शिक्षण कौशलों के विकास हेतु, सूक्ष्म शिक्षण तथा अनुकरणीय शिक्षण जैसी प्रभावपूर्ण प्रविधियों को प्रयुक्त किया जाने लगा है।
  15. अनुदेशन को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से व्यक्तिनिष्ठ अनुदेशन, कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन तथा अभिक्रमित अध्ययन का विकास किया जा चुका है।
  16. सामूहिक अनुदेशन के क्षेत्र में अनेक नवीन विधियों का विकास किया जा चुका है। कम्प्यूटर एसिस्टेड अनुदेशन इसी का परिणाम है।
  17. दृश्य-श्रव्य साधनों के प्रयोग को तकनीकी आधारों पर मुव्यवस्थित एवं प्रयुक्त किया जा रहा है।
  18. सामूहिक शिक्षण की दृष्टि से क्लोज्ड सर्किट दूरदर्शन एक महत्वपूर्ण उपागम के रूप में सामने आया है। इस सम्बन्ध में सफल प्रयोग हुए हैं।
  19. प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा सुलभ कराने की दृष्टि से, राष्ट्रीय उपमह दूरदर्शन योजना पर आधारित प्रयोग किये जा रहे हैं। भारत विगत कई वर्षों से इसका लाभ उठा रहा है।”
शिक्षाशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com

About the author

Pankaja Singh

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!