भारत में जन विस्फोट | भारत में अनियन्त्रित जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारण

भारत में जन विस्फोट | भारत में अनियन्त्रित जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारण | Mass explosion in India in Hindi | Reasons responsible for uncontrolled population growth in India in Hindi

भारत में जन विस्फोट

हमने भारत की जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न दशकों के आंकड़ों का अवलोकन किया। साथ ही, यहां की जन्म-दर, मृत्यु-दर एवं आवास-प्रवास के तथ्यों का विश्लेषण भी किया। ये सारे तथ्य इस बात के द्योतक हैं कि भारत में प्रतिवर्ष जनसंख्या वृद्धि तेजी से हो रही है जिसने हमारे आर्थिक विकास, प्रशासन, सामाजिक कल्याण, आदि को प्रभावित किया है। भारत आज विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे नम्बर का देश है। बढ़ती जनसंख्या ने हमारे यहां बेकारी और गरीबी में वृद्धि की है। इसलिए कहा जाता है कि भारत में जन-विस्फोट हो रहा है और यदि इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके भयंकर परिणाम होंगे।

भारत में अनियन्त्रित जनसंख्या वृद्धि (जन विस्फोट) के लिए उत्तरदायी कारण

(1) गर्म जलवायु– गर्म जलवायु के कारण यहां लड़कियों में शीघ्र ही परिपक्वता जाती है और वे कम उम्र में हो सन्तान पैदा करने के योग्य हो जाती हैं। प्रजनन की प्रक्रिया के लम्बी अवधि तक चलते रहने के कारण अधिक सन्ताने जन्म लेती हैं।

(2) बाल विवाह – बाल विवाह प्रथा के कारण छोटे-छोटे बच्चों का विवाह करवा दिया जाता है, अतः स्त्रियों उत्पाद काल (15 से 35 वर्ष की आयु) का पूरा-पूरा उपयोग होता है। इस कारण से अधिक संख्या में सन्तानें जन्म लेती हैं।

(3) मनोरंजन के साधनों का अभाव – मनोरंजन के साधनां का अभाव होने के कारण निम्न वर्ग के लोगों और ग्रामीणों में स्त्री ही मनोरंजन का साधन समझी जाती है।

(4) संयुक्त परिवार प्रणाली- संयुक्त परिवार प्रथा के प्रचलन के कारण परिवार के वयोवृद्ध व्यक्ति अपने बेटों और पौत्रों का विवाह अपने सामने ही सम्पन्न होते देखना चाहते हैं। ऐसे परिवारों में बच्चों के लालन-पालन में कोई कठिनाई नहीं होती। साथ ही बड़ा कुटुम्ब समाज में सत्ता, शक्ति एवं प्रतिष्ठा का भी सूचक माना जाता रहा है।

(5) अशिक्षा – शिक्षा के अभाव के कारण लोग जनसंख्या वृद्धि के परिणामों को नहीं समझते और अबोध गति से सन्तानों को जन्म देते हैं।

(6) निम्न जीवन-स्तर- निम्न जीवन स्तर के कारण लोग यह सोचते हैं कि अधिक सन्तान होंगी तो वे भी उत्पादन कार्य में लग कर अधिक धन अर्जित करेंगे और जीवन स्तर की उन्नत कर सकेंगे। साथ ही यहां निम्न जीवन-स्तर के कारण सन्तानों को शिक्षा-दीक्षा, पालन-पोषण और ऐशो- आराम के लिए अधिक खर्च नहीं करना पड़ता है। अत: यदि परिवारों में सन्तानों की संख्या बढ़ती भी है तो किसी को कोई कष्ट नहीं होता।

(7) परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी का अभाव- परिवार नियोसजन के साधनों के प्रति पूर्ण जानकारी का अभाव एवं अरुचि भी जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी है।

(8) विवाह की अनिवार्यता- विवाह की अनिवार्यता के कारण प्रत्येक भारतीय को अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए विवाह करना होता है। विवाह भारत में एक धार्मिक संस्कार है और मनुष्य का आवश्यक कर्तव्य भी। अतः जब विवाह होगा तो उसका आवश्यक परिणाम सन्तानोत्पत्ति होगी परन्तु विदेशों में विवाह करना बहुत कुछ व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर है।

(9) पुत्र प्राप्ति को अधिक महत्व – पुत्र को अधिक महत्व देने के कारण तब तक सन्तानोत्पत्ति होती रहती है जब तक कि कोई पुत्र न हो जाय। धर्मशास्त्रों में मोक्ष प्राप्ति के लिए पुत्र की उत्पत्ति को आवश्यक माना गया है।

(10) चिकित्सा सुविधाएं- चिकित्सा की सुविधाओं के कासरण भारत में मृत्यु दर घटी है और जन्म-दर बढ़ी है।

(11) पश्चिम का प्रभाव- पपाश्चात्य मूल्यों के बढ़ते प्रभाव के कारण स्त्री-पुरुषों मे सहवास की स्वतन्त्रता बढ़ी है।

(12) चलचित्रों, अश्लील साहित्य, तड़क-भड़क एवं चुस्त पोशाक आदि ने यौन उत्तेजना पैदा की है।

(13) भाग्यवादी – भाग्यवादी होने के कारण भारतीय यह समझते हैं कि सन्तान ईश्वर की देन है और जिसने जन्म दिया है खाने को भी वही देगा। साथ ही वे जन्म-दर नियन्त्रण को पाप मानते हैं। इस्लाम धर्म में भी जन्म को अच्छा माना गया है। बाइबिल में भी अधिक जन्म को स्वीकार करते हुए लिखा है कि वृद्धि करों और पृथ्वी को लोगों से भर दो।

(14) जनहानि में कमी- युद्धों और शान्तिकाल में कुछ अपवादों को छोड़कर भारत में जनसंख्या की हानि बहुत कम हुई है। डॉ. चन्द्रशेखर का मत है कि पिछली पांच दशाब्दियों में भारत में कुछ अपवादों को छोड़कर मानव क्षति कम हुई है।

(15) शरणार्थियों का आगमन- भारत में जनसंख्या वृद्धि का एक कारण पड़ोसी देशों से शरणार्थियों का आना भी है।

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