मानव संसाधन प्रबंधन

क्षतिपूर्ति का अर्थ है | पुरस्कार तथा लाभ | क्षतिपूर्ति प्रबन्ध | Meaning of compensation in Hindi

क्षतिपूर्ति का अर्थ है | पुरस्कार तथा लाभ | क्षतिपूर्ति प्रबन्ध | Meaning of compensation in Hindi

क्षतिपूर्ति का अर्थ (meaning of compensation):

क्षतिपूर्ति को दूसरे शब्दों में पारितोषिक भी कहा जाता है क्षतिपूर्ति का सम्बन्ध संगठन में कर्मचारियों को मिलने वाले बाहरी पुरस्कार (Extrinsic reward) से है क्षतिपूर्ति का अर्थ कर्मचारियों को संगठन द्वारा प्राप्त होने वाली उस रकम या पारितोषिक से है जो सेवाएँ है उन्होंने संगठन को प्रदान की है। अर्थात् संगठन को कर्मचारियों द्वारा दी गई सेवाओं के बदले में जो कुछ भी मौद्रिक लाभ प्राप्त होता है, ‘क्षतिपूर्ति’ कहलाता है।

यह कहा जाता है कि “Compensation is the amount of remuneration paid to an employee by the employer in return to the employee’s Services to the company” अर्थात् संगठन को दिये गये योगदान के बदले में संगठन से जो कुछ भी एक कर्मचारी प्राप्त करता है, वही क्षतिपूर्ति है। प्रायः सभी कर्मचारी संगठन में कोई न कोई कार्य किसी न किसी पद पर करता है। कुछ लोग घरेलू (domestic) कम्पनियों में कार्य करते हैं तो कुछ विदेशी या बहुदेशीय कम्पनियों में अपने कार्य का योगदान देते हैं। इन कम्पनियों में कार्य करने के समय कर्मचारी कई प्रकार के जोखिम (Risk), असुविधाएं, कठिनाइयाँ, परेशानियाँ आदि उठाते हैं। विशेषकर बहुदेशीय कम्पनियों में तो यह जोखिम और भी अधिक है कि व्यक्ति को अपना घर बार, परिवार छोड़कर बाहर जाकर कार्य करने पड़ते हैं। कम्पनियाँ उनके उस परित्याग के बदले क्षतिपूर्ति पैकेज (Compensation Package) देती है। यह क्षतिपूर्ति पैकेज अर्न्तराष्ट्रीय मानव संसाधन प्रबन्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि कर्मचारियों की उचित क्षतिपूर्ति नहीं की जाती है, तो उनका मनोबल गिर जाता है तथा उनकी उत्प्रेरणा घट जाती है। अतः आज क्षतिपूर्ति प्रबन्ध (Compensation Management) मानव संसाधन प्रबन्ध का प्रमुख विषय बन गया है।

पुरस्कार तथा लाभ

(Reward and Benefits)

जैसा कि पूर्व में भी कहा गया है क्षतिपूर्ति पुरस्कार व लाभ एक दूसरे से जुड़े हुए शब्द हैं। पुरस्कार व लाभ क्षतिपूर्ति के अतिरिक्त भी हो सकते हैं या उसमें शामिल किये गये हो सकते हैं। पुरस्कार तथा लाभ एक प्रकार की उत्प्रेरणा है जो मौद्रिक व अमौद्रिक दोनों हो सकती है जबकि क्षतिपूर्ति का सम्बन्ध मौद्रिक लाभ से है। पुरस्कार एक प्रशंसा है जो कर्मचारियों को उनके बेहतर प्रदर्शन के बदले दिया जाता है। लाभ (Benefits) वे सुविधाएँ हैं जो कर्मचारियों व मानव संसाधनों को वेतन के अतिरिक्त प्रदान की जाती है। आनुषंगिक लाभ (Fringe Benefits) कर्मचारियों को दी गई वह सुविधा अथवा लाभ है जो उन्हें वेतन अथवा मजदूरी के अतिरिक्त नकद अथवा किस्त के रूप में दिया जाता है। यह वह लाभ व सुविधाएँ हैं जो राशि नियोक्ता द्वारा समयानुसार मजदूरी भुगतान के अतिरिक्त व्यय की जाती है; आनुषंगिक लाभ की श्रेणी में आती है। आनुषंगिक लाभ सामान्य मजदूरी के पूरक है। जिनसे कर्मचारी तथा उनके परिवार लाभान्वित होते हैं। पुरस्कार के मूलतः पाँच पहलू हैं। जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, वे हैं-

  1. पुरस्कार का मूल्य (Value of rewards)
  2. पुरस्कार की रकम (Number of rewards)
  3. पुरस्कार का समय (Timing of rewards)
  4. पुरस्कार की सम्भावना (Likelihood of rewards)
  5. पुरस्कार की स्पष्टता या न्यायशीलता (Fairness of rewards)

लाभ (Benefits) से आशय उन सभी वस्तुओं, लाभों या सुविधाओं से है जो व्यक्तिगत रूप से किसी कर्मचारी विशेष को दी जाती हैं और जिनका मौद्रिक मूल्य निर्धारित किया जा सकता है। जैसे पेंशन, अवकाश, वेतन, चिकित्सा बीमा, सेवा निवृत्ति लाभ आदि। लाभ के साथ-साथ आज कई प्रकार की सेवाएँ भी कर्मचारियों को उपलब्ध करायी जाती है जिसे मौद्रिक रूप में नहीं मापा जाता है। किन्तु कर्मचारी उसका उपयोग कर लाभान्वित होते हैं, जैसे- समाचार उपलब्ध कराना, ट्रान्सपोर्ट (यातायात) की सुविधा देना। मुफ्त भोजन या नाश्ता, चाय उपलब्ध कराना या सस्ती दर पर अन्य वस्तुएँ उपलब्ध कराना आदि।

क्षतिपूर्ति प्रबन्ध

(Compensation Management)

क्षतिपूर्ति प्रबन्ध कार्य मानव संसाधन प्रबन्ध के अन्य कार्यों की तुलना में काफी जटिल कार्य है किस कर्मचारी को उसके कार्यों के बदले में कितनी क्षतिपूर्ति दी जाय इसका निर्धारण करना काफी कठिन है। क्योंकि यदि उचित क्षतिपूर्ति नहीं की जाती है तो उससे व्यक्ति की उत्प्रेरणा घटेगी, उसका मनोबल गिरेगा, उसकी उत्पादकता घटेगी और संगठन की लाभदायकता भी घटेगी। कम क्षतिपूर्ति करने से संगठन के कर्मचारियों में असन्तोष उत्पन्न होगा और वह अनुपस्थिति (absenteeism) का कारण बनेगा, दूसरे कर्मचारी भी उससे प्रभावित होंगे। यदि अधिक क्षतिपूर्ति (Over-compensation) की जाती है तो यह भी संगठन एवं संगठन के लोगों को हानि पहुँचायेगा, उच्च क्षतिपूर्ति लागत (High Compensation Cost) संगठन की प्रतियोगिता की शक्ति को कम करेगा, लागत अधिक हो जाने से वैश्विक प्रतियोगिता का सामना करना कठिन हो जायेगा, संगठन की लाभदायकता में कमी होगी और अन्ततः संगठन को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। अधिक क्षतिपूर्ति कर्मचारियों में भी कई गलत प्रवृत्तियों को जन्म देती है।

उचित क्षतिपूर्ति (Adequate Compensation) का निर्धारण करना जटिल विषय एवं कार्य है। यह सत्य है कि क्षतिपूर्ति ही एकमात्र क्षमता बढ़ाने व रणनीति नियोजित करने का रास्ता नहीं है बल्कि उचित मानव संसाधन नियोजन, भर्ती, चयन, पदस्थापन, प्रशिक्षण एवं विकास, क्षमता निष्पादन, केरियर विकास आदि मानव संसाधन कार्य भी व्यक्ति की क्षमता बढ़ाने व उन्हें उत्प्रेरित करने में सहायक होते हैं।

किसी भी संगठन में और विशेषकर बहुदेशीय कम्पनियों में क्षतिपूर्ति प्रबन्ध के समक्ष निम्नलिखित घटकों के कारण जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।

  1. वेतन तथा लाभ का स्तर विभिन्न संगठनों तथा विभिन्न देशों में अन्तर पाया जाता है।
  2. जीवन की लागत (Cost of Living) में भी विभिन्न देशों में अन्तर पाया जाता है। जैसे जापान, की तुलना में भारत में जीवन की लागत में काफी अन्तर है।
  3. कुछ विशिष्ट प्रकार की सुविधाएँ जैसे मकान (Housing), चिकित्सा, शिक्षा आदि की व्यवस्था संगठनों के द्वारा की जाती है और कुछ उसके लागत को उसकी पै-पैकेज (Pay Package) में ही जोड़ देते हैं।
  4. कुछ संगठन कर्मचारियों के घरेलू देशी (Domestic Countries) से तुलना कर क्षतिपूर्ति का निर्धारण करते हैं।
  5. विदेशी विनिमय दरों में तीव्र परिवर्तन।
  6. आय कर की दरों में परिवर्तन। कुछ देशों में आयकर की दरें कम तो कुछ देशों में यह अधिक पायी जाती है।
  7. संगठन जिस देश में स्थापित है उस देश के स्थानीय वातावरण एवं दशाएँ क्षतिपूर्ति को प्रभावित करती हैं यही कारण है कि बहुदेशीय कम्पनियाँ विभिन्न देशों के स्थानीय वातावरण को ध्यान में रखकर पैकेज का निर्धारण करती हैं।
  8. विभिन्न देशों के सन्दर्भ (Countries Perspective) भी भिन्न-भिन्न होते हैं जैसे – कर की दरें, कानूनी वातावरण, व्यावसायिक वातावरण आदि।
  9. विभिन्न स्तर व श्रेणी के कर्मचारियों की अपेक्षाओं में अन्तर का पाया जाना।

ये सभी घटक उचित व पर्याप्त क्षतिपूर्ति प्रबन्ध के उद्देश्यों में जटिलताएँ खड़ी करते हैं। अतः क्षतिपूर्ति प्रबन्ध एक कठिन कार्य बन जाता है।

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Pankaja Singh

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