मानव संसाधन प्रबंधन

प्रभावशाली निष्पादन मूल्यांकन पद्धति का नियोजन एवं विकास | Planning or Development of an effective Performance Appraisal System in Hindi

प्रभावशाली निष्पादन मूल्यांकन पद्धति का नियोजन एवं विकास | Planning or Development of an effective Performance Appraisal System in Hindi

प्रभावशाली निष्पादन मूल्यांकन पद्धति का नियोजन एवं विकास

(Planning or Development of an effective Performance Appraisal System)

प्रायः एक प्रभावशाली निष्पादन मूल्यांकन कार्यक्रम विकसित करने के पूर्व निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए या उनमें निम्नलिखित स्तरों को शामिल किया जाना चाहिए।

(1) निष्पादन मूल्यांकन के सम्पूर्ण उद्देश्यों का निर्धारण (Determine Overall Approach to Performance Appraisal) – निष्पादन मूल्यांकन एक बहुउद्देश्यीय योजना है। अन्ततः निष्पादन मूल्यांकन के प्रारम् में उनके सम्पूर्ण उद्देश्यों व दृष्टिकोणों को भली-भांति निश्चित किया जाना चाहिए। उद्देश्यों व दृष्टिकोणों के निर्धारण में निम्नलिखित बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए :

(i) निष्पादन मूल्यांकन कराने के पीछे क्या उद्देश्य हैं ?

(ii) निष्पादन मूल्यांकन से क्या लाभ होने की सम्भावना है?

(iii) निष्पादन मूल्यांकन की क्या मुख्य विशेषताएं हैं?

(2) कहां और कैसे निष्पादन मूल्यांकन प्रारम्भ किया जाए? (Where and how should P.A. Introduced?) – निष्पादन मूल्यांकन कहां और कैसे प्रारम्भ किया जाए? यह एक विचारणीय प्रश्न है। सबसे उत्तम तो यह होगा कि निष्पादन मूल्यांकन पूरे संगठन में ऊपर से नीचे तक प्रारम्भ किया जाना चाहिए। इसके लिए उच्च प्रबन्धकों को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए कि इसे कैसे प्रारम्भ किया जाए। सबसे उत्तम व सामान्य पद्धति यह है कि इस उद्देश्य के लिए एक परियोजना टीम (Project Team) या कार्यकारी समूह (Working Group) का गठन किया जाना चाहिए।

(3) निर्णय लें कि किसे शामिल कियाजा रहा है? (Decide who is to be covered?) – निष्पादन मूल्यांकन कार्यक्रम बनाते समय यह निर्णय लेना चाहिए कि इस योजना में किसे शामिल किया जा रहा है या किसका मूल्यांकन किया जा रहा है। पहले निष्पादन मूल्यांकन प्रवन्धकों तक ही सीमित था, किन्तु आज उसका विस्तार सभी स्तर तक के कर्मचारियों, पेशेवरों (Professionals), प्रशासकों, तकनीकी व्यक्तियों आदि तक गया है। अतः कार्यक्रम इसके अनुकूल बनाए जाने चाहिए कि निष्पादन मूल्यांकन में किसे शामिल किया जा रहा है।

(4) निर्णय लें कि सभी स्तर पर समान दृष्टिकोण अपनाए जायेंगे? (Decide Whether the same approach should be adopted at each level) – प्रभावशाली निष्पादन कार्यक्रम व पद्धति विकसित करने के लिए यह निर्णय लेना आवश्यक होगा कि सभी स्तर की क्षमता के निर्धारण में समान दृष्टिकोण रखे जाएंगे या अलग-अलग होंगे। प्रायः सभी स्तर के कर्मचारियों की क्षमता का मापन अलग-अलग दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए, क्योंकि हर स्तर पर कार्यरत व्यक्तियों की क्षमता अलग-अलग होती है।

(5) परियोजना टीम का गठन (Set up Project Team) – निष्पादन मूल्यांकन के लिए परियोजना टीम व कार्यकारी समूह (Working Group) का गठन किया जाना चाहिए जिसमें उच्च पदों पर स्थित व्यक्तियों, प्रबन्धकों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी शामिल किया जाना चाहिए। मानव संसाधन विकास विभाग के व्यक्तियों तथा बाहरी सलाहकार (Outside Consultant) की भूमिका इस दिशा में उपयोगी मानी जाती है।

(6) मानव संसाधन विभाग की भूमिका की व्याख्या (Define role of human resource department) – मानव संसाधन विभाग की भूमिका निष्पादन मूल्यांकन के संचालन एवं लागू करने में स्पष्ट होनी चाहिए। उच्च प्रबन्धकों के सहयोग से यह कार्य मानव संसाधन विभाग के ऊपर सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि सफलतापूर्वक निष्पक्ष प्रक्रिया संचालित हो सके।

(7) निर्णय लें कि क्या बाहरी सलाहकारों का प्रयोग किया जाए ? (Decide whether to use out sic consultants) – बाहरी निष्पक्ष व्यक्तियों, सलाहकारों का भी सहयोग लिया जाना चाहिए। मूल्यांकन प्रक्रिया में यदि आवश्यक हो तो अनुभवी व विशेषज्ञ सलाहकारों का भी सहयोग लिया जा सकता है ताकि एक सुन्दर, आकर्षक व प्रभावशाली पद्धति विकसित की जा सके।

(8) निष्पादन प्रबन्ध प्रक्रिया एवं आलेखन का निर्धारण (Determine Performance Management System and Documentation) – निष्पादन प्रक्रिया प्रबन्ध एवं आलेखन एक तकनीकी व महत्वपूर्ण कार्य है। निष्पादन प्रक्रिया के लिए एक मूल्यांकन फॉर्म का निर्माण करना पड़ता है। मूल्यांकन फॉर्म ऐसे बनाए जाने चाहिए जो सम्पूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति कर सकें। इसमें विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है कि किस विधि से कर्मचारियों की क्षमता का अंकन किया जाएगा व उसका प्रारूप क्या होगा। मूल्यांकन फॉर्म में कर्मचारी के व्यक्तिगत एवं कार्य निष्पादन दोनों से सम्बन्धित प्रश्नों व सूचनाओं की व्यवस्था होनी चाहिए साथ ही वर्तमान क्षमता के साथ-साथ भविष्य की सम्भावनाओं पर भी केन्द्रित होनी चाहिए। अतः प्रयास होना चाहिए कि निष्पादन मूल्यांकन पद्धति व फॉर्म सरल हों, किन्तु सभी उद्देश्यों की पूर्ति करने वाले हो।

(9) पायलट (चालक) जांच (Pilot Test) – निष्पादन मूल्यांकन एक पायलट योजना की तरह नहीं है, क्योंकि इसका जीवन चक्र सामान्यतः एक वर्ष में पूरा हो जाता है। फिर दूसरे वर्ष में पुनः प्रारम्भ होता है। अतः इससे सम्बन्धित सम्पूर्ण कार्यों की निश्चित अवधि में ही पूरा कर लेना होता है, उसे दूसरे वर्षों पर टाला नहीं जा सकता है। अतः इसकी जांच-परख की व्यवस्था होनी चाहिए कि कार्य निर्धारित समय पर हो रहा है या नहीं।

(10) नियोजन लागू करने का कार्यक्रम (Plan Implementation programme) निष्पादन मूल्यांकन के लिए एक नियोजन बनाना आवश्यक है और उस नियोजन के अनुकूल कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। कार्यक्रम निष्पादन में मुख्यतः निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाना चाहिए :

(i) संगठन के विभिन्न हिस्सों में निष्पादन मूल्यांकन को जारी करने की तिथि।

(ii) मूल्यांकन निष्पादन की प्रक्रिया।

(iii) प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि।

(11) मूल्यांकक का प्रशिक्षण (Training of Appraiser) – मूल्यांकन संगठन की आवश्यकता एवं उद्देश्यों के अनुसार हो, इसके लिए मूल्यांककों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। सामान्यतः यह मानकर चला जाता है कि मूल्यांकक अपने अधीनस्थों के मूल्यांकन की सामर्थ्य रखता है, परन्तु फिर भी मूल्यांककके प्रशिक्षण की आवश्यकता को कम आंका नहीं जा सकता है। प्रशिक्षण की आवश्यकता मूल्यांकन को विभिन्न बिन्दुओं के महत्व को आंकने में समर्थ बनाने के लिए आवश्यक है।

(12) निष्पादन मूल्यांकन का प्रबोधन एवं मूल्यांकन (Monitoring and Evaluation Performance Appraisal) – निष्पादन मूल्यांकन का प्रबोधन शीघ्रता एवं कुशलता से किया जाना चाहिए ताकि किसी प्रकार की उत्पन्न कठिनाइयों एवं कमियों को सुधारा जा सके। कर्मचारियों की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए सूचनाओं का संकलन और उसे अधिक सार्थक बनाने व उससे उचित निष्कर्ष निकालने के साथ-साथ ही सावधानी बरतनी चाहिए।

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Pankaja Singh

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