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औद्योगिक क्रांति | औद्योगिक क्रांति का अर्थ एवं परिभाषा | औद्योगिक क्रांति की विशेषतायें | सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति होने के कारण | औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम

औद्योगिक क्रांति | औद्योगिक क्रांति का अर्थ एवं परिभाषा | औद्योगिक क्रांति की विशेषतायें | सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति होने के कारण | औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम | Industrial Revolution in Hindi | Meaning and definition of industrial revolution in Hindi | Features of Industrial Revolution in Hindi | First of all, due to the Industrial Revolution in England in Hindi | Social consequences of the Industrial Revolution in Hindi

औद्योगिक क्रांति

इंग्लैंड, जो आज विश्व के प्रधान औद्योगिक देशों में एक है, कृषि प्रधान देश था। यहाँ की 80 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर थी एवं देश में गांवों की प्रधानता थी किन्तु 18वीं शताब्दी में हुई औद्योगिक क्रांति ने सम्पूर्ण आर्थिक ढांचे में परिवर्तन कर दिया। ओद्योगिक क्रांति के कारण ही इंग्लैंड अपने साम्राज्य को इतना फैला सका, जिसके बारे में यह कहा जाता था कि इनके साम्राज्य में कभी सूरज अस्त नहीं होता था। औद्योगिक क्राति में इंग्लैण्ड में न केवल उत्पादन प्रणालियां, नये उद्योगों, आर्थिक संस्थाओं, व्यापारिक पद्धतियों का प्रादुर्भाव हुआ वरन् नये विचारों का भी प्रारम्भ हुआ। इस प्रकार औद्योगिक क्रांति से न केवल आर्थिक वरन् सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में भी परिवर्तन हुए।

औद्योगिक क्रांति के बाद इंग्लैण्ड विश्व से सबसे अधिक विकसित राष्ट्र माना जाने लगा। प्रथम महायुद्ध आर्थिक मंदी व द्वितीय महायुद्ध के बुरे प्रभावों व कुछ सामाजिक समस्याओं के कारण आज इंग्लैंड की स्थिति वह नहीं रही जो पहले थी। अन्य देश आर्थिक विकास की दौड़ से आगे निकल गये व इंग्लैण्ड पीछे रह गया। किन्तु फिर भी आज इंग्लैंड विश्व के विकसित देशों में से एक है।

औद्योगिक क्रांति का अर्थ एवं परिभाषा

इंग्लैण्ड में 18वीं शताब्दी में इतने महत्त्वपूर्ण व मौलिक परिवर्तन हुए कि इन्हें क्रांति कह जाता है। ये परिवर्तन क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र से अधिक थे, अतः इसे औद्योगिक क्रांति कहा जाता है। साधारणतः 1017 की रूस की क्रांति। किन्तु वास्तव में क्रांति का अर्थ परिवर्तन से होता है। ये परिवर्तन हिंसात्मक भी हो सकते हैं व नहीं भी। यहाँ परिवर्तन हिंसात्मक नहीं थे हिंसात्मक क्रांतियों से राजनैतिक परिवर्तन हो सकते हैं, आर्थिक या औद्योगिक नहीं। आर्थिक परिवर्तन की गति बहुत धीमी होती है किन्तु इंग्लैण्ड में परिवर्तन मौलिक, बहुत महत्वपूर्ण एवं तीव्र थे अतः इन्हें क्रांति कहा जाता है।

श्रीमती एल.सी. नोल्स के अनुसार “औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग इसलिए नहीं किया जाता कि परिवर्तन की प्रक्रिया तीव्र थी वरन् इसलिए कि पूर्ण होने पर यह परिवर्तन पूर्णतया मौलिक थे।”

मोरिस डॉब के अनुसार, “इस काल में सामाजिक सम्बन्धों एवं उद्योग के ढांचे में परिवर्तन की गति एवं उत्पादन व्यापार की मात्रा इतनी अधिक ऊंची थी क्रांतिकारी परिवर्तन के अलावा और अन्य शब्द से नहीं पुकारा जा सकता।”

ए. बिर्नी व साउथगेट ने भी इन परिवर्तनों के लिए क्रांति शब्द का ही प्रयोग किया है।

साउथगेट के अनुसार, 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तथा 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश उद्योगों को महत्ववपूर्ण एवं व्यापक परिवर्तनों से गुजरना पड़ा। ये परिवर्तन सभी क्षेत्रों में थे किन्तु औद्योगिक क्षेत्र में अधिक थे। इनके अच्छे व बुरे दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े। इन सबका वर्णन करते हुए बिर्नी ने कहा है-‘ इसके अन्तर्गत परिवर्तन इतने गहरे एवं व्यापक थे, गुण-दोषों के अनोखे सम्मिश्रण में इतने दुखदायी एवं भौतिक उत्थान एवं सामाजिक ऋण के संयोग में इतने नाटकीय थे कि उन्हें क्रांतिकारी कहना ही उचित है।’

औद्योगिक क्रांति की विशेषतायें

आर्थिक इतिहास के लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स के भुतपूर्व प्रोफेसर डॉ. (श्रीमती) एल. सी.ए. नोल्स के अनुसार, “तथाकथित औद्योगिक क्रांति में छः महान् परिवर्तन अथवा विकास हुए जो समस्त एक-दूसरे पर निर्भर थे।’ वे महान् परिवर्तन अग्रांकित हैं-

(1) इंजीनियरिंग का विकास- औद्योगिक क्रांति के कारण इंजीनियरिंग का विकास हुआ। समस्त औद्योगिक अवस्था में यंत्रीकरण बढ़ने लगा और इंजीनियरिंग ज्ञान तथा इंजीनियरों की संख्या में वृद्धि हुई।

(2) लोहा निर्यात में क्रांति-मशीनों के निर्माण व अन्य निर्माण कार्यों के लिए लोहे की मांग बढ़ी इस काल में लोहे का निर्माण में आश्चर्यजनक सुधार किये गये।

(3) वस्त्र उद्योग में वाष्प शक्ति का उपयोग- वस्त्र उद्योग में वाष्प शक्ति द्वारा चालित यंत्रों का प्रयोग किया गया। सर्वप्रथम उनका प्रयोग सूत कातने में हुआ और फिर बुनने में। सूती वस्तु उद्योग के पश्चात् ऊनी तथा रेशमी वस्त्रों में भी इस शक्ति का उपयोग किया जाने लगा।

(4) रासायनिक उद्योगों का विकास- वस्त्र उद्योग में बढ़ते उत्पादन के साथ कदम मिलाने के साथ रंगाई, छपाई आदि की रीतियों में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आवश्यक थे। फलतः रासायनिक उद्योगों का उदय एवं विकास हुआ।

(5) कोयला उद्योग का विकास-यह समस्त विकास एवं परिवर्तन उन्ततः कोयला उद्योग पर टिके हुए थे जो विभिन्न उद्योगों के लिए तत्कालीन प्रमुख संचालक शक्ति का साधन था। फलतः कोयला खनन में धीरे-धीरे यंत्रीकरण अपनाया जाने लगा जिससे शीघ्र व कम लागत पर कोचला निकाला जा सके।

(6) यातायात के साधनों में परिवर्तन- यातायात में यंत्रीकरण और वाष्म शक्ति का प्रयोग हुआ तथा नये-नये साधनों का विकास हुआ।

सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति होने के कारण

यहाँ यह प्रश्न उठता है कि औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही क्यों हुई। इंग्लैण्ड के अलावा अन्य देशों में भी औद्योगिक क्रांति हुई किन्तु बाद में इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में शुरू हुई। जर्मनी में 18वीं शताब्दी के अन्त में फ्रांस अमेरिका में 19वीं शताब्दी में व रूस व अन्य देशों में 20वीं शताब्दी में हुई। वास्तव में औद्योगिक क्रांति के लिए दो बातों का का होना आवश्यक है। पहला आवश्यक पृष्ठभूमि का पाया जाना या दूसरा जनता व सरकार की औद्योगिक क्रांति के लिए रुचि, तत्परता व सहयोग। इंग्लैण्ड में सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति होने का कारण यही था कि यहाँ दोनों दशायें पूरी होती थीं। विस्तृत रूप से इंग्लैण्ड में सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति में आने के निम्न कारण थे-

(1) अनुकूल स्थिति- इंग्लैंड की स्थिति इस प्रकार की है कि उसका विश्व के सभी देशों से निकट सम्पर्क रहा है। यह यूरोप का भाग होते हुए भी इंग्लिश चैनल द्वारा यूरोप के मुख्य भू-भाग से अलग है। स्वेज नहर के बन जाने के बाद पूर्व के देशों के भी निकट आ गया है। इस स्थिति के कारण इंग्लैण्ड विश्व का केन्द्र बिन्दु रहा।

(2) अनूकूल जलवायु- इंग्लैंड की जलवायु भी आर्थिक विकास के अनुकूल है। यहां की जलवायु समशीतोष्ण है। गर्म समुद्री धारा के कारण यहां की जलवायु बहुत ठण्डी नहीं हो पाती है। साथ ही यहाँ का जलवायु स्वास्थ्यप्रद है, अतः कारखानों में वर्ष भर कार्य होता रहता है।

(3) अनुकूल समुद्र तट- इंग्लैंड का समुद्र तट बहुत लम्बे व कटा-फटा है। इसके कारण यहां बहुत अधिक बन्दरगाह प्राकृतिक हैं। जहां बड़े से बड़े जहाज आकर ठहर सकते हैं। समुद्र तट साल भर खुला रहता है। इसलिए यहां के निवासी बड़े अच्छे नाविक होते हैं व मछली व्यवसाय यहां उन्नति पर है। (4) विस्तृत प्राकृतिक साधन-इंग्लैंड साधनों के दृष्टि कोण से बहुत भाग्यशाली है आवश्यक कृषि योग्य भूमि तो इंग्लैंड में है ही साथ ही उद्योगों के विकास के लिए आवश्यक खनिज साधन लोहा व कोयला यहाँ काफी मात्रा में व साथ-साथ मिलते हैं।

(1) आर्थिक कारण

(1) पूँजी की प्रधानता- प्राकृतिक साधनों का प्रयोग बिना पूंजी के असम्भव है। इंग्लैंड में पूंजी संचय के लिए पर्याप्त सुविधायें थीं। इंग्लैंड ने उपनिवेशों में व्यापार में बहुत अधिक लाभ कमाया व उन देशों का शोषण भी किया, इससे उसके पास अधिक पूंजी एकत्रित हो गई। सरकारी नीति भी पूंजी संचय के लिए उपयुक्त थी। विदेशी व्यापार पक्ष में होने से भी बहुत धन एकत्र हुआ। बैंकों के विकास ने इसमें सहयोग दिया। बैंक ऑफ इंग्लैंड की स्थापना होने के बाद इंग्लैंड में बैंकिंग व्यवस्था तेजी से विकसित हुई।

(2) श्रम का अभाव – इंग्लैंड में मांग की तुलना में श्रम का अभाव था। किन्तु इंग्लैंड में इस कमी की पूर्ति आधुनिक यंत्रों, आविष्कारों से की गई। यदि इंग्लैंड आधुनिक यंत्रों का प्रयोग न करता तो श्रम अभाव उसके लिए अभिशाप बन जाता। किन्तु आधुनिक यंत्रों की खोज का प्रमुख कारण ही श्रम का अभाव था। नोल्स के अनुसार जहां फ्रांस में करोड़ पौण्ड के व्यापार के लिए 260 लाख जनसंख्या थी वहां इंग्लैंड में 3.2 करोड़ पौण्ड के व्यापार के लिए केवल 90 लाख जनसंख्या थी। इस अभाव को दूर करने का एक तरीका था और वह था यंत्रों का प्रयोग और इंग्लैंड ने यही किया।

(3) श्रमिक कुशलता में श्रमिकों का अभाव तो था किन्तु यहाँ श्रमिक अधिक कुशल एवं मेहनती थे। जलवायु अच्छी होने के कारण वहां के श्रमिक मेहनती होते हैं वे जल्दी नहीं थकते। इसी प्रकार अन्य देशों में आन्तरिक कलहों के कारण कई कुशल श्रमिक भागकर इंग्लैंड आ गये। आज भी इंग्लैंड के श्रमिकों की कुशलता विश्वविख्यात है।

(4) यातायात के विकसित साधन – इंग्लैंड में पहले यातायात के साधनों का अभाव था किन्तु बाद में इंग्लैंड ने आन्तरिक एवं बाह्य यातायात के साधनों का विकास कर लिया। सड़कों का विकास किया गया। यातायात के साधनों के विकास से कच्चा माल कारखानों तक पहुंचाने में सुविधा होने लगी।

(5) वैज्ञानिक आविष्कार- इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के पूर्व कई वैज्ञानिक आविष्कार हुए जिनसे बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हुआ।

जान. के. प्लाइंग शटल, जेम्स हारप्रीब्ज का स्पिनिंग जेनी, आर्कराइट का वाटर फ्रेम, सैम्युअल क्राम्पटन का म्यूल कार्टराइट का पावर तूम, विटन की कॉटनजिन, जेम्स वाट का भाप का इंजन आदि प्रमुख आविष्कार दे।

(6) विस्तृत बाजार- इंग्लैंड को विस्तृत बाजार की सुविधा थी। इंग्लैंड का उस समय कई देशों पर अधिकार था अतः उसने इस प्रकार की नीति अपनाई की कच्चा माल उन देशों से लाया जाता था व तैयार माल उन देशों में बेचा जाता था। अब तैयार माल बेचने को कई देशों के द्वार खुले थे। इंग्लैंड ने इस परिस्थिति का लाभ उठाया व अपने देश में औद्योगिक विकास किया।

(7) प्रबन्ध की कुशलता- कुशल प्रवन्धकों के अभाव में समस्त साधनों के होते हुए भी  परिणाम आशानुकूल प्राप्त नहीं हो सकते। इंग्लैंड के निवासी प्रारम्भ से ही कुशल प्रबन्धक रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने औद्योगिक विकास किया व समस्त विश्व में अपने यहाँ उत्पादित वस्तुओं को बाजार बनाया।

(8) सामूहिक शक्ति- इंग्लैंड ने कई देशों पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। अपने अधीन इन देशों से इंग्लैंड को पूंजी व कच्चा माल प्राप्त होता था व निर्मित माल के विक्रय के लिए बाजार उपलब्ध होता था।

(9) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता- व्यक्तिगत स्वतन्त्रता औद्योगिक विकास में सहायक होती है। व्यक्तिगत स्वतन्त्रता होने से व्यक्ति मनचाहा उद्योग व व्यवसाय चुन सकता है व आर्थिक उन्नति होती है। इंग्लैंड में व्यक्तिगत स्वतन्त्रता ने भी औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहन दिया। इस स्वतन्त्रता के कारण यूरोप के अन्य देशों से भी उद्योगपति व व्यवसायी यहां आकर बस गये व औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में लाने में सहायक हुए।

(10) सरकारी नीति- सरकारी नीति ने भी औद्योगिक क्रांति में सहयोग दिया। इंग्लैंड की सरकारी की नीति उद्योग के प्रति सहयोग की थी। करों की कमी के कारण लागत अधिक नहीं होती थी। कच्चे माल के निर्यात व पक्के माल के आयात पर प्रतिबन्ध लगाया गया। आयातों पर ऊंचे कर भी लगाये गये। कुछ उद्योगों को विकास करने के लिए उन्हें संरक्षण भी दिया गया। इन सभी नीतियों ने औद्योगिक क्रांति के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

(11) विकसित मुद्रा एवं पूंजी बाजार- इंग्लैंड में मुद्रा एवं पूंजी बाजार ने भी औद्योगिक क्रांति में सहयोग दिया। बैंकिंग व्यवस्था सुदृढ़ थी। उसके पास पर्याप्त वित्तीय साधन थे। सरकार ने भी बैंकों को सहायता दी। बैंक ऑफ इंग्लैंड की स्थापना के बाद तो मुद्रा बाजार और भी संगठित हो गया।

(2) राजनीतिक कारण

(1) राजनैतिक शान्ति- इंग्लैंड की प्राकृतिक स्थिति के कारण इंग्लैंड बाहरी आक्रमणों से बचा रहा, साथ ही उसके सामुद्रिक बेड़ों ने भी इसका बचाव किया। इंग्लैंड ने जो भी युद्ध लड़े, वे अन्य देशों की भूमि पर लड़े। इस प्रकार की राजनैतिक शान्ति के कारण एक ओर तो सरकार अपना पूर्ण ध्यान औद्योगिक विकास की तरफ दे सकता व दूसरी ओर विनियोक्ता बड़े उद्योगों में पूंजी लगाने में हिचकिचाते नहीं थे। नोल्स के अनुसार, ‘ब्रिटेन की राजनीतिक सुरक्षा इतनी अच्छी थी कि लोग बड़े उद्योगों में आवश्यक पूंजी लगाने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करते थे।”

(2) सामाजिक कारण- इंग्लैंड में शिक्षा की उन्नति हुई। इसमें धार्मिक कट्टरता कम हुई। शिक्षा के कारण नये आविष्कारों व पद्धतियों को अपनाने में जनता की सक्रियता थी व सभी वर्गों के लिए सभी प्रकार का बलिदान करने को तत्पर थी, जिसने अपनी आवश्यकताओं को कम करके बचत व विनियोग में वृद्धि की। श्रमिकों ने अपनी अधिकतम कार्य-क्षमता से कार्य किया।

इस प्रकार उपरोक्त सभी कारणों ने इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया। प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण अन्य देशों की अपेक्षा औद्योगिक क्रांति पहले हुई।

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम इस प्रकार हैं-(1) जनसंख्या में वृद्धि क्रांति के फलस्वरूप देश की आय में पर्याप्त वृद्धि हुई जिसके परिणामस्वरूप इंग्लैंड की जनसंख्या में भी काफी वृद्धि हुई। एक अनुमान के अनुसार 1701 में ग्रेट ब्रिटेन की जनसंख्या लगभग 55 लाख थी, जो 1801 तक 90 लाख हो गयी थी। उसके बाद जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई क्योंकि सन् 1851 तक यह दूनी हो गयी और 1901 तक पुनः यह दुगनी हो गयी। यद्यपि यह कहना जनता की आय में वृद्धि के कारण हुई तथापि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जनसंख्या वृद्धि के महानतम कारणों में यह भी एक प्रमुख कारण है।

(2) श्रमिकों के महत्व मे कमी- बड़े पैमाने पर उत्पादन होने व मशीनों के उद्योगों से श्रमिकों का महत्व कम हो गया और स्वतन्त्रता का भी अन्त हो गया। अब उद्योगपतियों के अनुसार ही कार्य करना आवश्यक हो गया। श्री ऑग तथा शार्प के शब्दों में, अब श्रमिक संपत्तिहीन, मुद्राहीन तथा गृहहीन प्रतिहारी मात्र रह गये।”

(3) संयुक्त परिवार प्रथा का विघटनऔद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप नगरों में बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना हुई। काम की तलाश में ग्रामों से बड़ी संख्या में लोग नगरों में आने लगे लेकिन नगरों में क्योंकि रहने की समस्या थी, अतः वे पहले तो अपने साथ परिवार लाये ही नहीं, बाद में वे केवल अपनी पत्नी-बच्चों के साथ रहने लगे। इस प्रकार संयुक्त परिवारों के स्थान पर छोटे-छोटे परिवारों का विकास हुआ।

(4) परम्पराओं, प्रथाओं आदि में परिवर्तन– औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप लोगों का रहन-सहन, खान-पान, धार्मिक विश्वास, कला, साहित्य आदि सब बदल गया। लोगों का प्राचीन परम्पराओं, प्रथाओं, रूढ़ियों आदि से विश्वास हटने लगा। लोगों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचना व कार्य करना प्रारम्भ कर दिया।

(5) शहरीकरणदेश की अधिकांश जनता शहरों में आकर रहने लगी। शहरों में अनेक समस्याओं का जन्म हुआ, जिसने नगरीय जीवन को सामान्य लोगों के लिए एक भयंकर अभिशाप बना दिया था और यह अभिशाप आज भी नगरीय एवं औद्योगिक जीवन का एक लक्षण-सा बना हुआ है। बड़े नगरों के निर्माण के कारण दूषित एवं अस्वस्थ वातावरण उत्पन्न होने लगा एवं व्यभिचारों में वृद्धि तथा नैतिक स्तर में कमी होने लगी, अतः स्वास्थ्य की समस्याओं को दूर करने की ओर ध्यान देना आवश्यक हो गया।

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Pankaja Singh

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