भर्ती की प्रक्रिया | भर्ती की प्रक्रिया के पाँच अन्तः सम्बन्धित कदम | Recruitment Process in Hindi | Five interrelated steps in the process of recruitment in Hindi
भर्ती की प्रक्रिया
(Process of Recruitment)
भर्ती एक व्यवस्थित प्रक्रिया है। यह नौकरी तलाश करने वालों की खोज एवं आकर्षित करने की प्रक्रिया है। एक भर्ती प्रक्रिया तब सफल मानी जाती है जब वह वांछित योग्यता, गुण एवं प्रतिभा वाले व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। प्रायः एक छोटी आकृति के संगठन में भर्ती की प्रक्रिया मालिकों तथा प्रवन्धकों के द्वारा अनौपचारिक (Informal) रूप से कर लेती है, किन्तु बड़ी आकृति के संगठनों में इसकि प्रक्रिया मानव संसाधन विभाग द्वारा औपचारिक (Formal) रूप से की जाती है। प्रायः इसकी प्रक्रिया भर्ती की नीतियों (Recruitment Policy) के अन्तर्गत की जाती है और भर्ती की नीतियाँ अग्रलिखित घटकों से प्रभावित होती हैं:
(i) संगठन की आकृति तथा मानव संसाधन के प्रकार की आवश्यकता। (ii) पिछले भर्ती के प्रयास का अनुभव। (iii) उस क्षेत्र में श्रम बाजार की स्थिति एवं स्वभाव। (iv) उस क्षेत्र में श्रम संघवाद का स्थिति एवं प्रभाव। (v) कार्य की दशाएँ, मजदूरी तथा अन्य सुविधाएँ (vi) सामाजिक तथा राजनीतिक वातावरण। (vii) कानूनी वातावरण एवं कानूनी पक्ष आदि ।
भर्ती की प्रक्रिया के पाँच अन्तः सम्बन्धित कदम
इसकी प्रक्रिया निम्न पाँच अन्तः सम्बन्धित (Inter-related) कदमों (Steps) से होकर गुजरती है :
- भर्ती नियोजन का निर्माण (Formulation Recruitment Plan)- इसकी प्रक्रिया उपयुक्त नियोजन की प्रक्रिया के निर्माण से प्रारम्भ होती है। उपयुक्त नियोजन का निर्धारण एक महत्वपूर्ण एवं कठिन कार्य है। जब किसी संस्था में संगठन के विभिन्न स्तरों पर विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, तो उनके द्वारा किये जाने वाले कार्य की प्रकृति तथा उस कार्य को निष्पादित करने के लिए योग्यता, कौशल व गुणों आदि का सही-सही निर्धारण करना बहुत आवश्यक है। इसके लिए दो महत्वपूर्ण कार्य करने पड़ते हैं
(i) कार्य का विश्लेषण तथा (ii) वर्तमान कर्मचारियों का पुनरावलोकन
कार्य विश्लेषण के अन्तर्गत कार्य विवरण (Job Description) तथा कार्य विशिष्टीकरण (Job Specification) आदि तैयार कर ही उपयुक्त नियोजन तैयार किया जा सकता है।
- भर्ती नीति का विकास (Developing Recruitment Strategy)- उपयुक्त नियोजन के बाद दूसरा कदम इस की उपयुक्त नीतियाँ विकसित करना है। इस प्रक्रिया में इस बात का निर्धारण किया जाता है कि कहाँ से नौकरी चाहने वाले को प्राप्त किया जा सकता है, कैसे प्राप्त किया जा सकता है, कब प्राप्त किया जा सकता है। अतः इस प्रक्रिया को कहाँ (Where), कैसे (How), तथा कब (When) आदि की रणनीति के साथ जोड़कर देखा जाता है, ताकि इस प्रक्रिया को सफल बनाया जा सके और सही एवं योग्य मानव संसाधन को अपनी ओर आकर्षित किया जा सके।
- खोज प्रक्रिया का निर्धारण (Determining Search Operation)- इसकी प्रक्रिया के तीसरे कदम में हम भर्ती के स्रोतों का निर्धारण करते है। इसके अन्तर्गत इस बात का निर्धारण किया जाता है कि रिक्तियों की आपूर्ति आन्तरिक स्रोत की भर्ती या बाह्य स्रोत की भर्ती के माध्यम से की जायेगी। दूसरे कि इन दोनों स्रोतों में से किस पद्धति को अपनाया जाय ताकि अधिक-से-अधिक नौकरी तलाश करने वाले लोगों को आकर्षित किया जा सके और आवेदन- पत्र का एक बड़ा पूल (pool) बन सके।
- जाँच प्रक्रिया का निर्धारण (Determining Screening Process)- इस प्रक्रिया का यह चौथा कदम है। इस प्रक्रिया में कार्य विशिष्टीकरण के आधार पर निर्धारित योग्यता, गुण एवं प्रतिभा वाले आवेदकों की छँटनी की जाती है। प्रायः जितने भी आवेदन-पत्र रिक्तियों के आधार पर आये हैं उनकी छँटनी व जाँच करनी पड़ती है ताकि अपूर्ण व अयोग्य व्यक्तियों को पूर्व में ही अलग कर दिया जाय। यह प्रक्रिया चयन प्रक्रिया को सहायता करती है।
- प्रबोधन एवं पुनर्निवेशन (Monitoring and Feedback)- यह इसकी प्रक्रिया है का अन्तिम कदम है। इसके अन्तर्गत सम्पूर्ण भर्ती की प्रक्रिया का मूल्याकंन किया जाता है। यहाँ मानव संसाधन प्रबन्धकों को यह सुनिश्चित करना पड़ता है। भर्ती की प्रक्रिया ठीक प्रकार से चल रही है एवं उपयुक्त आवेदन-पत्र प्राप्त हो रहे है। यदि किसी प्रकार की कमी या दिक्कतें आ रही हैं तो यहाँ पर तत्काल दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि इसकी प्रक्रिया सफल हो सके और चयन की प्रक्रिया को प्रारम्भ किया जा सके।
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