मानव संसाधन प्रबंधन

मानव संसाधन नियोजन के अवरोध | मानव संसाधन नियोजन की समस्याएं | मानव संसाधन नियोजन को प्रभावकारी बनाने के उपाय

मानव संसाधन नियोजन के अवरोध | मानव संसाधन नियोजन की समस्याएं | मानव संसाधन नियोजन को प्रभावकारी बनाने के उपाय | Barriers to Human Resource Planning in Hindi | Human Resource Planning Problems in Hindi | Measures to make human resource planning effective in Hindi

मानव संसाधन नियोजन के अवरोध/समस्याएं

(Barriers / Problems of Human Resources Planning)

प्रभावपूर्ण मानव संसाधन नियोजन मानव संसाधन प्रवन्ध प्रक्रिया की सफलता की पूर्व निर्धारित शर्तें हैं। इस तथ्य से कतई इन्कार नहीं है कि प्रभावपूर्ण मानव संसाधन नियोजन ही संगठन को सफलता के उच्च शिखर तक ले जा सकता है। फिर भी कुछ आन्तरिक व बाह्य ऐसे घटक हैं, जो प्रभावपूर्ण मानव संसाधन के नियोजन में बाधाएँ उत्पन्न करते हैं। उनमें से महत्वपूर्ण निम्न प्रकार हैं:

  1. मानव संसाधन नियोजन तथा निगम रणनीति में अनुपयुक्त सम्बद्ध (Improper Linkage between HRP and Corporate Strategy)- मानव संसाधन नियोजन तथा संगठन की सम्पूर्ण रणनीतिक नियोजन (Strategic Plan) में समन्वय का अभाव पाया जाता है। यह स्पष्ट है कि मानव संसाधन प्रबन्ध निगम के उद्देश्यों की प्राप्ति में सबसे अहम् भूमिका निभाता है, किन्तु निगम की रणनीति में तथा मानव संसाधन प्रवन्ध के नियोजन की नीति में आपसी समन्वय के अभाव या अनुपयुक्त सम्बन्धों के कारण प्रभावपूर्ण मानव संसाधन नियोजन विकसित करने में भारी बाधा उत्पन्न होती है। अतः सही व्यक्ति का सही समय पर सही कार्य के लिए चयन करने में समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
  2. मानव संसाधन नियोजन का अपर्याप्त सम्मान (Inadequate Appreciation of HRP)- कई संगठनों में मानव संसाधन नियोजन को पर्याप्त सम्मान नहीं दिया जाता है। अर्थात मानव संसाधन के प्रभावपूर्ण नियोजन को महत्व नहीं देते हुए यह कहा जाता है कि श्रम बाजार में इतनी बेरोजगारी है और मानव संसाधन की उपलब्धता की कोई समस्या नहीं है। जब जितनी मात्रा में जिस प्रकार के मानव संसाधन की आवश्यकता होगी, उपलब्ध कराया जा सकता है। अतः मानव संसाधन नियोजन कोई महत्वपूर्ण विषय नहीं है, किन्तु यहाँ स्पष्ट कर देना उचित है कि मानव संसाधन नियोजन मात्रात्मक (Quantitative) के साथ-साथ गुणात्मक (Qualitative) नियोजन की प्रक्रिया हैं। अतः गुणवान व्यक्ति (Quality people) की हमेशा कमी पायी जाती है।
  3. दृष्टिकोण में जड़ता (Rigidity in Attitude)- प्रभावपूर्ण मानव संसाधन नियोजन की एक बड़ी बाधा उच्च प्रवन्धकों तथा मानव संसाधन प्रबन्धकों के दृष्टिकोण की जड़ता है। वे लचीला (Flexible) न होकर कठोर (Rigid) होते हैं और संगठन में आने वाले बदलाव तथा नई कार्य संस्कृति (New Job Culture) आदि को विकसित नहीं होने देते हैं। वे यह समझने लगते हैं कि मानव संसाधन नियोजन एक विलासिता (Luxury) है, जबकि यह समय की सबसे बड़ी माँग है।
  4. लम्बी अवधि तथा अल्प अवधि मानव संसाधन नियोजन में संघर्ष (Conflict between Long term and Short-term HRP) – मानव संसाधन नियोजन अल्पकालीन के लिए तथा दीर्घकालीन दोनों होने चाहिए। अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन मानव संसाधन नियोजन में संतुलन व समन्वय स्थापित होना चाहिए न कि संघर्ष
  5. कर्मचारियों के स्थानान्तरण में अवरोध (Resistance in Transfer of Employees)- कई बार ऐसा पाया जाता है कि एक कर्मचारी को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानान्तरण करना कठिन हो जाता है। कर्मचारियों के स्थानान्तरण में कर्मचारियों द्वारा विरोध उनका स्वभाव बन गया है। यह पाया जाता है कि यूरोपीय बहुदेशीय कम्पनियाँ स्थानान्तरण के समय जब कर्मचारियों का स्थानान्तरण एक देश से दूसरे देश में करती हैं तो वह महत्वपूर्ण व गहन प्रशिक्षण भी प्रदान करती हैं ताकि कर्मचारी दूसरे देश में जाकर वहाँ की जिम्मेदारी को सँभाल सके। इस तरह की व्यवस्था भारतीय कम्पनियों में भी होनी चाहिए। जरा सोचें कि एक व्यक्ति केरल में जन्म लेता है, वहीं शिक्षा ग्रहण करता है और उसकी नौकरी असम में होती है,क्षतो वह पूर्णतः महसूस करेगा कि वह एक नये देश में प्रवेश कर गया है। इस समस्या का समाधान निकालना होगा।
  6. असमान विकास के अवसर (Imbalance Growth Prospects)- ऐसा भी पाया जाता है कि विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को एक ही कम्पनी में समान विकास के अवसर नहीं प्राप्त होते हैं। इसके लिए अन्तर विभागीय संघर्ष (Inter-departmental conflict) को बहिष्कृत कर संतुलन कायम करना होगा। इसका सबसे उत्तम समाधान चक्रवार हस्तांतरण (Rotational assignments) गहन प्रशिक्षण देने के बाद करने से है।
  7. कार्यकारी परिवर्तन की बढ़ती दरें (Rate Growing Executive Turnover)- मानव संसाधन नियोजन की एक सबसे बड़ी समस्या यह बन गई है कि आज कार्यकारी परिवर्तन की दरें बढ़ती जा रही हैं। पहले श्रम परिवर्तन (Labour turnover) हुआ करता था, किन्तु आज खुले रूप से कार्यकारी परिवर्तन (Executive turnover) हो रहा है। आज एक युवा एम. बी. ए. कम ही समय में अपनी योग्यता के बल पर किसी भी कम्पनी का प्रबन्धकीय निदेशक (Managing Director) बन जाना चाहता है। आज का शिक्षित श्रमिक/पदाधिकारी इतना ज्यादा महत्वाकांक्षी (Ambitious) है कि कई कारणों से वह तुरन्त एक संगठन को छोड़कर दूसरे संगठन से जुड़ जाना चाहता है, जिससे कार्यकारी परिवर्तन दर में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसका सबसे बुरा प्रभाव मानव संसाधन नियोजन पर पड़ रहा है कि नियोजनकर्ता ही नियोजन कर दूसरे संगठन में अच्छे कार्य की तलाश में चले जाते हं। कार्यकारी परिवर्तन की बढ़ती दरों के निम्नलिखित मूल कारण हैं

(a) अच्छे अवसर की तलाश में (In search of better Prospects)

(b) अधिक जिम्मेदारियों के दबाव के कारण,

(c) विदेशों में नियुक्ति की ललक में,

(d) तीव्र गति से पदोन्नति के अवसर की चाहत के कारण,

(e) अपने बुरे उच्च पदाधिकारी (Bad Boss) के व्यवहार के कारण,

(f) संगठन के वातावरण (Organisational Climate) के कारण जहाँ कि उन्हें पूर्ण सम्मान की प्राप्ति नहीं होती है, आदि।

  1. अपर्याप्त मानव संसाधन सूचना पद्धति (Inappropriate HR Information System)- अपर्याप्त मानव संसाधन सूचना पद्धति विकसित नहीं रहने के कारण भी मानव संसाधन नियोजन में कठिनाई होती है इसके अभाव में सही नियोजन सम्भव नहीं है।

मानव संसाधन नियोजन को प्रभावकारी बनाने के उपाय

(Measure For Making HR Planning Effective)

मानव संसाधन नियोजन एक अनिवार्य तथा महत्वपूर्ण मानव संसाधन प्रबन्ध प्रक्रिया है और इसके मार्ग में कई बाधाएँ भी हैं। इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए पूर्व में इसी अध्याय में कुछ रणनीति (Strategies) सुझाये गये हैं, उनका अनुपालन करना आवश्यक है। चूँकि आज की वैश्विक प्रतियोगिता के युग में एक सफल मानव संसाधन नियोजन की नितांत आवश्यकता है अतः मानव संसाधन नियोजन को प्रभावकारी बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाये जा सकते हैं

(1) संगठन के स्पष्ट एवं सुपरिभाषित उद्देश्य (Clear and defined objectives) का निर्धारण किया जाना चाहिए, जिसमें सभी महत्वपूर्ण तथ्यों, कार्य की दशाएँ, मानवीय सम्बन्धों आदि पर ध्यान रखते हुए मानव संसाधन नियोजन का निगम के नियोजन के साथ जोड़ने का प्रयास होने चाहिए।

(2) उच्च प्रबन्धकों (Top Management) का लगातार सहयोग प्राप्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए। उनकी भी प्रतिबद्धता (Commitment) एवं लगाव (Involvement) बनी रहें, क्योंकि उच्च प्रबन्धकों में सहयोग के बिना मानव संसाधन नियोजन सफल नहीं हो सकते।

(3) मानव संसाधन प्रवन्धकों को विभिन्न क्षेत्र प्रबन्धको व्यावसायिक, अनुसंसाधन प्रबन्धक, उत्पादन प्रबन्धक, विपणन प्रबन्धक, आदि की भागीदारी प्राप्त करनी चाहिए।

(4) प्रभावी संगठन (Sound organisation) की स्थापना करनी चाहिए जहाँ सभी स्तर पर लोगों का सहयोग प्राप्त किया जा सके और उनको उत्तरदायित्व सौंपा जा सके।

(5) प्रभावी सूचना पद्धति (Effective Information System) विकसित किया जाना चाहिए और इसके लिए नवीन सूचना पद्धति का प्रयोग किया जाना चाहिए।

(6) समन्वय एवं एकीकरण (Co-ordination and Integration) विकसित कर मानव संसाधन के सफल प्रयोग की सम्भावनाएँ विकसित करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

(7) योजना के नियमित मूल्याकंन (Evaluation) की पद्धति विकसित की जानी चाहिए।

(8) मानव संसाधन नियोजन को एक संस्थागत स्वरूप प्रदान किया जाना चाहिए।

(9) मानव संसाधन नियोजन लचीली (Flexible) बनायी जानी चाहिए ताकि बदलती परिस्थिति एवं वातावरण का सामना किया जा सके।

(10) मानव संसाधन नियोजन एक निश्चित समयावधि (Time Horizon) के परिप्रेक्ष्य में तैयार किया जाना चाहिए। इसमें अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन निगमीय नियोजन के साथ सम्बद्धता प्राप्त करनी चाहिए।

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Pankaja Singh

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