शिक्षाशास्त्र

शिक्षा मनोविज्ञान और शिक्षाशास्त्र का सम्बन्ध | शिक्षा मनोविज्ञान और मनोविज्ञान का सम्बन्ध | शिक्षा मनोविज्ञान का शिक्षा पर प्रभाव | शिक्षा मनोविज्ञान की समस्या | शिक्षा मनोविज्ञान का विषय-क्षेत्र

शिक्षा मनोविज्ञान और शिक्षाशास्त्र का सम्बन्ध | शिक्षा मनोविज्ञान और मनोविज्ञान का सम्बन्ध | शिक्षा मनोविज्ञान का शिक्षा पर प्रभाव | शिक्षा मनोविज्ञान की समस्या | शिक्षा मनोविज्ञान का विषय-क्षेत्र

शिक्षा मनोविज्ञान और शिक्षाशास्त्र का सम्बन्ध

शिक्षाशास्त्र आधुनिक समय में एक विज्ञान, कहा जाता है और शिक्षा मनोविज्ञान भी एक विज्ञान है। इसलिए दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। इसके अलावा शिक्षाशास्त्र मनुष्य के अनुभव एवं ज्ञान प्राप्त करने की क्रिया का क्रमबद्ध अध्ययन करता है। शिक्षा मनोविज्ञान इस क्रिया का मनुष्य की आनुवंशिकता के प्रसंग में अध्ययन करता है। अतएव शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति (सीखने वाले तथा सिखाने वाले दोनों) के साथ अनुभव एवं ज्ञान की क्रिया या व्यवहार का अध्ययन करता है। ऐसी दशा में निश्चय ही शिक्षा मनोविज्ञान एवं शिक्षाशास्त्र में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। इस सम्बन्ध के कारण ही शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन स्वतन्त्र रूप में होने पर भी शिक्षाशास्त्र के साथ ही किया जाता है। कुछ विद्वानों ने इस आधार पर शिक्षा मनोविज्ञान को शिक्षाशास्त्र का अंग बना दिया है और कुछ ने मनोविज्ञान की एक प्रयुक्त शाखा मनोविज्ञान, शिक्षा मनोविज्ञान तथा शिक्षाशास्त्र तीनों विषय में परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है।

शिक्षा मनोविज्ञान और मनोविज्ञान का सम्बन्ध

अभी तक विद्वानों का विचार है कि शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की ही एक शाखा है। लोगों ने मनोविज्ञान के (1) शुद्ध एवं (2) प्रयुक्त । ऐसे दो विभाजन किए हैं और प्रयुक्त मनोविज्ञान के अन्तर्गत औद्योगिक, व्यावसायिक, वैधिक, चिकित्सा, निर्देशन, सेवा- चुनाव, परीक्षण-मूल्यांकन, शिक्षा मनोविज्ञान रखे गए हैं। इससे स्पष्ट है कि मनोविज्ञान के विभिन्न रूपों में से शिक्षा मनोविज्ञान भी एक है। अतएव दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। यद्यपि शिक्षा मनोविज्ञान तथा मनोविज्ञान के अध्ययन क्षेत्र में अन्तर पाया जाता है फिर भी यह निश्चित है कि दोनों के नियम, सिद्धांत, अभिगम एवं विधियाँ समान होती हैं। अन्तर केवल इतना होता है कि शिक्षा मनोविज्ञान इन सबका प्रयोग शैक्षिक पर्यावरण एवं परिस्थितियों में करता है और मनोविज्ञान जीवन की सामान्य की परिस्थितियों में। इस आधार पर शिक्षा मनोविज्ञान केवल विशिष्ट पर्यावरण एवं परिस्थिति में मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला मनोविज्ञान है। ऐसी हालत में शिक्षा मनोविज्ञान और मनोविज्ञान में बहुत समीपी सम्बन्ध पाया जाता है। कुछ विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शिक्षा का मनोवैज्ञानिक आधार’ ऐसा नाम शिक्षा मनोविज्ञान के प्रश्न पत्र को दिया जाता है। इससे ज्ञात होता है कि शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की क्रिया को मनोविज्ञान के सिद्धान्तों-नियमों के अनुसार अध्ययन करने वाला विषय है। अतएव बिना मनोविज्ञान के शिक्षा मनोविज्ञान की कल्पना करना सम्भव नहीं है। अस्तु दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध कहा जाता है।

शिक्षा मनोविज्ञान का शिक्षा पर प्रभाव

प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री पेस्तालोजी ने कहा है कि “मैं शिक्षा को मनोवैज्ञानिक बनाना चाहता हूँ ।” इस दशा में उसने बहुत प्रयल किया और सफल भी रहा क्योंकि बाद के शिक्षाशास्त्री उनके विचारों और कार्यों का अनुसरण करते हुए आगे बढ़े। शिक्षा मनोविज्ञान का प्रभाव शिक्षा पर पड़ने से निम्नलिखित परिणाम मिले हैं-

  1. शिक्षा बाल या विद्यार्थी तक केन्द्रित हो गई।
  2. शिक्षक अपने मन से नहीं बल्कि विद्यार्थी के मन के अनुसार कार्य करने लगा।
  3. शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति की निजी विशेषताओं के अनुरूप दी जाने लगी।
  4. शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का प्रयत्न किया जाने लगा।
  5. पाठ्यक्रम व्यक्ति की रुचि, झुकाव, शक्ति के आधार पर बना ।
  6. व्यक्तिगत विकास के लिए सभी को सुविधा, अवसर, अधिकार मिला।
  7. शिक्षा क्रियाशील हो गई, क्रिया द्वारा ज्ञान दिया जाने लगा।
  8. शिक्षा की नई विधियाँ बनाई गईं। खेत पर बल दिय गया ।
  9. शिक्षा के नए सिद्धान्त निकाले गए जैसे सीखने के सिद्धान्त |
  10. विद्यार्थी के साथ नम्र, सहृदय व्यवहार होने लगा।
  11. शिक्षा में परीक्षण एवं मूल्यांकन का कार्य नए ढंग से होने लगा।
  12. शिक्षा के लिए उचित निर्देशन एवं परामर्श की व्यवस्था की गई।
  13. सामान्य, असामान्य, विकलांग सभी के लिये शिक्षा की उचित व्यवस्था की गई।
  14. शिक्षा में सामान्य ज्ञान एवं तकनीकी ज्ञान को समान रूप से महत्त्व मिला।
  15. शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न समस्याओं पर शोधकार्य आरम्भ किया गया। इससे शिक्षा तथा शिक्षा मनोविज्ञान दोनों का विकास हुआ।

शिक्षा मनोविज्ञान की समस्या

शिक्षा सीखने-सिखाने की मानवीय प्रक्रिया होती है। इस सीखने-सिखाने में कुछ-न- कुछ समस्याएँ उठती हैं जिनका शमाधान शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा होता है। ऐसी स्थिति में शिक्षा की समस्या शिक्षा मनाविज्ञान की भी समस्या होती है। सीखने की विभिन्न समस्याएँ हैं जैसे सीखने में क्या कठिनाइयाँ हैं जो व्यक्तिगत और परिस्थिति सम्बन्धी कारणों से उत्पन्न हुई हैं अथवा सिखाने की क्या कठिनाइयाँ हैं। इन सब का विश्लेषण शिक्षा मनोविज्ञान करता है। ऐसी स्थिति में सीखने-सिखाने की क्रिया से सम्बन्धित, सीखने-सिखाने की विधि से सम्बन्धित, सीखने-सिखाने की सामग्री से सम्बन्धित, सीखने-सिखाने के लिये आवश्यक परामर्श एवं सलाह से सम्बन्धित, सीखने- सिखाने के मूल्यांकन से सम्बन्धित अन्यान्य समस्याओं का समाधान शिक्षा मनोविज्ञान को करना पड़ता है।

शिक्षा मनोविज्ञान की समस्याएँ क्या हैं इसको समझने के लिए यह जरूरी है कि हम उसके विषय-क्षेत्र को भी समझें। शिक्षा मनोविज्ञान की समस्या एक दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान का विषय विस्तार भी बताती है क्योंकि शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन इन्हीं बातों को लेकर होगा जो सीखने एवं सिखाने की क्रिया में उत्पन्न होंगी। ऐसी दशा में शिक्षा मनोविज्ञान की समस्या का सीधा सम्बन्ध शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन क्षेत्र से होता है।

शिक्षा मनोविज्ञान का विषय-क्षेत्र

इसका विषय-क्षेत्र भी व्यापक कहा जाता है। शिक्षा मनुष्य के द्वारा जीवन की परिस्थितियों में विकास के विचार से की गई क्रिया है। इस प्रकार से मनुष्य, उसकी परिस्थिति, उसके व्यवहार और व्यवहार के लिए अभिप्रेरक सभी कुछ शिक्षा मनोविज्ञान के विषय-क्षेत्र में शामिल किए गये हैं।

(1) शैक्षिक परिस्थितियों का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान उन सभी शैक्षिक परिस्थितियों का अध्ययन करता है जिनके अन्तर्गत निम्न चीजें शामिल हैं-

(i) विद्यालय, उसकी स्थिति, रचना, दशा, भवन, वातावरण

(ii) शिक्षा लेने की कक्षा, उसकी रचना, उसकी स्थिति, उसका प्रभाव

(iii) शिक्षा की क्रिया का आधार या पाठ्यक्रम, विषय एवं क्रियाएँ

(iv) शिक्षा की सहायक सामग्री, चित्र, मॉडेल, मानचित्र, पुस्तकें आदि

(v) शिक्षा की सहयोगी क्रियायें

(vi) अध्यापक एवं छात्र और उसके व्यवहार

(2) मानवीय व्यवहार का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान भी मानव व्यवहार का क्रमबद्ध अध्ययन करता है। इसमें मानव की कई अवस्थाओं का अध्ययन होता है जैसे

(i) शैशवावस्था के व्यवहार का अध्ययन, (ii) बाल्यावस्था के व्यवहार का अध्ययन, (iii) किशोरावस्था के व्यवहार का अध्ययन (iv) युवावस्था के व्यवहार का अध्ययन, (v) प्रौढ़ावस्था के व्यवहार का अध्ययन । मानवीय व्यवहार में सामान्य तथा असामान्य सभी व्यवहार होते हैं।

सीखने की क्रिया का अध्ययन- सीखने की क्रिया सीखने के साथ स्मरण-विस्मरण, कल्पना, चिन्तन, तर्क, आदि की क्रियाओं का भी अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान करता है।

(3) अध्यापन विधियों का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान विषयों के अध्यापन की विधियों की ओर भी ध्यान देता है। उसके विषय-क्षेत्र इन्हें भी ध्यान में रखते हैं।

(4) शैक्षिक मूल्यांकन, परीक्षण, मापन की विधियों का अध्ययन- इसके विषय- क्षेत्र में सीखने के परीक्षण, मापन मूल्यांकन आते हैं।

(5) शैक्षणिक निदान एवं उपचार का अध्ययन- आजकल शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन क्षेत्र में छात्रों के दोषों व उपचार को रखते हैं।

(6) शैक्षिक वृद्धि व विकास का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान में विद्यार्थियों के अनुभव-ज्ञान की वृद्धि एवं विकास को भी जानने का प्रयत्न होता है।

(7) शैक्षिक समस्याओं का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान विद्यालय एवं उससे बाहर भी विद्यार्थी अध्यापक से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन करता है।

(8) शिक्षा लेने वालों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों की विभिन्नताओं का अध्ययन करता है।

(9) विद्यार्थी एवं अध्यापक के मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन- आज शिक्षा मनोविज्ञान विद्यार्थी तथा अध्यापक के मानसिक स्वास्थ्य और समायोजन का अध्ययन करता है।

(10) शोध और प्रयोग का अध्ययन- शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन शिक्षा सम्बन्धी प्रयोग-शोध करता है और निष्कर्ष निकालता है।

शिक्षा मनोविज्ञान के कोर्स में प्रायः (i) आनुवंशिकता और पर्यावरण, (ii) शारीरिक संरचना और विकास, (iii) मानसिक बौद्धिक तथा संवेगात्मक क्रियाओं का अध्ययन, (iv) बुद्धि, व्यक्तित्व तथा इनका मापन, (v) मार्ग-प्रदर्शन, निर्देशन, अध्यापन सम्बन्धी अध्ययन, (vi) वैयक्तिक भिन्नताओं, चरित्र, संकल्प का अध्ययन, (vii) सीखना, सीखने के अभिप्रेरक, सीखने में रुचि, ध्यान, थकान, अभिक्षमता, विशेष योग्यता आदि का अध्ययन, (ix) विभिन्न शैक्षिक समस्याओं का अध्ययन, जैसे व्यवहार सम्बन्धी समस्याएँ, ज्ञानात्मक पिछड़ापन, उपचार की समस्याएँ, मानसिक रोग की समस्याएँ, अनुशासनहीनता की समस्यायें, शिक्षण विधियों समस्यायें, पाठ्यक्रम की समस्याएँ, (x) शिक्षा के परिणामों, उद्योग की जाँच, मापन और मूल्यांकन के साधनों का अध्ययन विषय, कुछ शिक्षाशास्त्रियों ने केवल सीखने या अधिगम को ही शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में रखा है और इसके कार्यों में सीखने वाले के पर्यावरण और आनुवंशिक विशेषताओं का अध्ययन सीखने की क्रिया का अध्ययन जिसमें स्मरण, कल्पना, चिन्तन, तर्कना आदि क्रियाओं का अध्ययन, तथा सीखने के उत्पाद्य का अध्ययन जैसे संवेदन, प्रत्यक्षीकरण, प्रत्यय-निर्माण, उपलब्धि का अध्ययन करना है। इसी उत्पाद्य में सीखने की सृजनात्मकता को भी शामिल कर दिया है।

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Pankaja Singh

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