शिक्षाशास्त्र

शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता | usefulness of educational psychology in Hindi

शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता | usefulness of educational psychology in Hindi

शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता

इसके उद्देश्यों को देखने से पता चलता है कि यह विषय न केवल शिक्षार्थी और शिक्षक बल्कि शिक्षा के प्रशासक, अधिकारी, प्रबंधक, शिक्षा समिति के सदस्य और अभिभावकों के लिए अत्यन्त उपयोगी माना जाता है क्योंकि यह शिक्षा का एक सबल आधार है।

  1. अध्यापक की दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता

(i) अध्यापक विद्यार्थी के स्वभाव, गुण, शक्ति, रचना आदि की जानकारी करने में लाभ उठाता है। प्रो० स्किनर ने कहा है कि छात्रों को जानकर उन्हें उचित पथ-प्रदर्शन और निर्देशन देने में शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक की सहायता करता है।

(ii) अध्यापक विद्यार्थी के शारीरिक, मानसिक, भावात्मक, नैतिक, आध्यात्मिक सामाजिक विकास की स्थितियों को जानने और तदनुकूल शिक्षा देने में लाभ उठाता है।

(iii) अध्यापक विद्यार्थी को उसके पर्यावरण के साथ समुचित ढंग से अनुकूलन और समायोजन करने में सहायता देता है।

(iv) अध्यापक विद्यार्थी के व्यक्तित्व सम्बन्धी भिन्नताओं को समझाता है और उसके विकास में योगदान देता है। विद्यार्थी में अच्छे गुणों व संस्कारों के निर्माण में शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक की सहायता करता है।

(v) अध्यापक अपने आपको शिक्षा मनोविज्ञान से समझता है और विद्यार्थी के साथ अच्छा व्यवहार करता है तथा अपने कार्य को सरल एवं सफल बनाता है।

(vi) अध्यापक इसी सहायता से पाठ्यक्रम का निर्माण करते हैं।

(vii) अध्यापक इसी प्रकार से उचित एवं उपयुक्त शिक्षण विधियों का भी निर्माण करता है और शिक्षा देने में लाभ उठाता है।

(viii) अध्यापक विशिष्ट बालक-जैसे अंधे, लँगड़े-लूले, बहरे-गूंगे, रोगी आदि-को विशेष प्रणालियों से शिक्षा देने में समर्थ होता है।

(ix) अध्यापक बालकों को किस पकार कक्षा में शान्त रखे और पढ़ाई में लगाए रहे; यहाँ भी शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता मालूम पड़ती है।

(x) अध्यापक बालकों के लिए अच्छी पाठ्य पुस्तकें तैयार करने में शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धान्तों से अधिक लाभ उठाता है।

(xi) अध्यापक के लिए विषयों के शिक्षण हेतु समय सारणी तैयार करने में शिक्षा मनोविज्ञान उपयोगी कहा जाता है।

(xii) अध्यापक को मूल्यांकन के साधन शिक्षा मनोविज्ञान से ही मिलते हैं। छात्रों की उपलब्धियों का सही मूल्यांकन शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा होता है।

(xiii) अध्यापक हर एक छात्र को व्यक्तिगत, शिक्षा सम्बन्धी एवं व्यवसाय सम्बन्धी निर्देशन एवं परामर्श शिक्षा मनोविज्ञान के आधार पर ही होता है।

(xiv) अध्यापक शिक्षा में पिछड़े विद्यार्थियों के निदान एवं उपचार के लिए भी शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता लेता है।

(xv) अध्यापक शिक्षा की विभिन्न समस्याओं का शोध व समाधान करने में भी शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता लेता है।

(xvi) अध्यापक शिक्षा व्यवस्था के विचार से, शिक्षा की योजना की दृष्टि से तथा अपनी संस्तुतियों को देने में शिक्षा मनोविज्ञान से लाभ उठाता है।

(xvii) आधुनिक युग के छात्रों में ‘प्रतिभा’ की खोज की जा रही है। इसी प्रकार से ‘नेतृत्व’ की भी खोज एवं विकास का प्रयत्ल हो रहा है। इस दिशा में भी शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता मिलती है।

  1. विद्यार्थी की दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता

(i) विद्यार्थी अपनी आनुवंशिकता एवं अपने पर्यावरण के बारे में जानकारी करता है और अपने जीवन में अपने आपको आगे बढ़ाकर लाभ उठाता है।

(ii) विद्यार्थी अपनी मानसिक शक्तियों एवं क्रियाओं से परिचित होता है और इनको प्रयोग करके अपने शैक्षिक विकास में पूरा-पूरा लाभ उठाता है।

(iii) विद्यार्थी अपनी विशिष्टताओं, कमजोरियों आदि का ज्ञान पाता है और इसके आधार पर वह अपनी शिक्षा का चुनाव सही-सही ढंग से करता है।

(iv) शिक्षा मनोविज्ञान विद्यार्थी को विकास के सही मार्ग पर ले जाता है।

(v) विद्यार्थी को व्यवहार के अभिप्रेरकों का सही ज्ञान मिलता है। वह व्यवहार पर नियत्रण करता है।

(vi) विद्यार्थी यह जानने में समर्थ होता है कि किस प्रकार की शिक्षा के योग्य वह है। उसी प्रकार की शिक्षा वह लेने लगता है।

(vii) विद्यार्थी अपने साथियों को सलाह, राय, मार्ग-दर्शन दे सकता है।

(viii) विद्यार्थी को अपनी बुद्धि, व्यक्तित्व, चरित्र आदि के लिए मूल्यांकन के साधन मिलते हैं और वह अपना मूल्यकरण खुद कर लेता है।

(ix) विद्यार्थी को अपनी व दूसरों की शिक्षा के परिणाम मालूम होते हैं, अतएव वह अपने स्थान को निर्धारित करता है।

(x) विद्यार्थी नेता की दृष्टि से भी शिक्षा मनोविज्ञान उपयोगी है क्योंकि वह अपने पक्ष में दूसरों को कर लेना जान जाता है।

  1. विद्यालय प्रशासक एवं शिक्षाअधिकारी की दृष्टि की उपयोगिता

(i) प्रशासक, अधिकारी एवं प्रबन्धक विद्यार्थी और अध्यापक के स्वभाव, प्रकृति एवं उनकी आवश्यकताओं को जानकर तदनुसार व्यवहार करते हैं।

(ii)] प्रशासक, अधिकारी आरि को शिक्षा सम्बन्धी नीतियों को निर्धारित करने में शिक्षा मनोविज्ञान उपयोगी सिद्ध होता है।

(iii) प्रशासक अधिकारी एवं प्रबन्धक विद्यालय का वातावरण शिक्षा के अनुकूल बनाने में समर्थ होते हैं, इससे शिक्षा का कार्य सरलतापूर्वक चलता जाता है।

(iv) प्रशासक एवं अधिकारी लोग शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से शिक्षा केbउद्देश्य, पाठ्यक्रम आदि भी निर्धारित करते हैं।

(v) प्रशासक एवं अधिकारीगण शिक्षा किस ढंग से दी जावे, कौन से साधन प्रयोग किए जावें तथा विभिन्न कार्यक्रम क्या हों आदि का निर्धारण करते हैं।

(vi) प्रशासक एवं अधिकारी देश की शिक्षा को प्रगति एवं विकास देने में सफल होते हैं यदि वे शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धान्तों को समझते रहते हैं।

(vii) प्रशासक एवं शिक्षा के अधिकारी देश तथा विश्व की परिस्थिति को ध्यान में रखकर शिक्षा की योजना बनाते हैं।

(viii) प्रशासक एवं शिक्षा के अधिकारी शिक्षा की अनिवार्यता, निःशुल्क शिक्षा का प्रचलन भी करने में सफल होते हैं।

ई-शोधकर्त्ता की दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता

(i) शोधकर्त्ता को कार्य करने की प्रेरणा मिलती है जिसके परिणामस्वरूप नए तथ्य अध्ययन के लिए मिलते हैं।

(ii) शोधकर्त्ता को शिक्षण, शिक्षक-विधियों, शिक्षार्थी, पाठ्यक्रम आदि से सम्बन्धित नवीन तथ्यों की खोज विकास की दृष्टि से करनी पड़ती है।

(iii) शोधकर्त्ता का प्रयोग करने एवं परीक्षण करने के अवसर मिल रहे हैं जिससे नए सिद्धान्त निकल रहे हैं। फलस्वरूप प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का विकास हुआ है तथा शिक्षा मनोविज्ञान में भी बहुत से प्रयोगों का अध्ययन किया जा रहा है।

(iv) शोधकर्त्ताओं के प्रयास से दूसरों को आगे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है; उन्हें नई दिशा में कार्य करने का मार्गदर्शन भी मिलता है।

(v) शोधकर्त्ता और अन्य लोगों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्राप्त होता है। यह शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन एक विज्ञान के रूप में होने से हुआ है।

(vi) शोधकर्त्ताओं के द्वारा नई-नई शोध प्रविधियाँ निकाली जा रही हैं और उनके अनुप्रयोग के लिए अवसर मिल रहे हैं। ये सब प्रगति के सूचक हैं।

  1. अभिभायक और अन्य व्यक्तियों की दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता

(i) शिक्षा मनोविज्ञान अभिभावक और अन्य व्यक्तियों को उनके बालक-बालिकाओं की प्रकृति, आदत, शक्ति आदि का ज्ञान होता है। उनकी विशेषताओं एवं कमजोरियों से वे परिचित हो जाते हैं और सहायता देते हैं।

(ii) शिक्षा मनोविज्ञान अभिभावक और अन्य व्यक्तियों को उनके बच्चों के विकास में पूरा योगदान देता है जिससे वे सर्वांगीण विकास करते हैं।

(iii) शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में घर पर भी देखभाल करता तथा सहायता देता है।

(iv) शिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा अभिभावक बच्चों के व्यवहार में शीघ्र सुधार करते हैं तथा समस्या को दूर रखते हैं। ।

(v) शिक्षा मनोविज्ञान अभिभावकों को विशिष्ट बालकों की जानकारी कराता है और वे उन्हें उचित साधन प्रदान करके उन्हें अच्छी तरह शिक्षा देते हैं।

(vi) शिक्षा मनोविज्ञान अभिभावकों को अपने आपको समझने और अपने उत्तरदायित्व को पूरा करने में सहायता देता है।

(vii) शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से व्यक्तियों को सामान्यतया सीखने की प्रेरणा मिलती है और उनकी सीखने की शक्ति भी बढ़ती है।

(viii) मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के सिद्धान्तों को समझ कर अभिभावक जीवन से सुसमायोजन स्वस्थ शरीर एवं अन्य मन बनाते हैं।

(ix) शिक्षा मनोविज्ञान अभिभावकों एवं अन्य व्यक्तियों की शिक्षा के लिए सामाजिक संस्थाओं के विकास तथा समाजीकरण में सहायता करता है।

(x) शिक्षा मनोविज्ञान अभिभावक को और अन्य व्यक्तियों को भी शिक्षा के कार्य में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहन देता है।

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Pankaja Singh

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