राजनीति विज्ञान

राजनैतिक समाजीकरण की परिभाषा | राजनीतिक समाजीकरण की विशेषताएँ | राजनैतिक समाजीकरण का महत्त्व | राजनैतिक समाजीकरण के भेद

राजनैतिक समाजीकरण की परिभाषा | राजनीतिक समाजीकरण की विशेषताएँ | राजनैतिक समाजीकरण का महत्त्व | राजनैतिक समाजीकरण के भेद

राजनैतिक समाजीकरण की परिभाषा

स्टीफन वास्वी के अनुसार, “इस प्रत्यय की विषय वस्तु वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति न केवल सक्रिय राजनैतिक भूमिका अदा करते समय वन अभिव्यक्त राजनैतिक कार्यवाहियों में भाग लेने से पूर्व राजनैतिक मूल्यों की प्राप्ति करते हैं।”

ज्युफरी के० राबर्टस के अनुसार: “राजनैतिक समाजीकरण एक विधि है, जिसके द्वारा एक ओर एक व्यक्ति, राजनैतिक तथ्यों के प्रति अभिवृत्ति सीखता है और दूसरी ओर इस विधि के द्वारा समाज राजनैतिक विश्वासों और स्तरों को एक पीढ़ी से आने वाली पीढ़ी को देता है।”

उपर्युक्त वर्णित परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि राजनैतिक समाजीकरण वह विधि है, जिसके द्वारा लोगों को राजनैतिक संस्कृति की शिक्षा दी जाती है, अर्थात् राजनैतिक प्रणाली के प्रति लोगों के दृष्टिकोणों, विश्वासों, मूल्यों और अभिवृत्ति के निर्माण करने की विधि को भी राजनैतिक समाजीकरण ही कहा जाता है। संक्षेप में, राजनैतिक संस्कृति की शिक्षा देने, इसका निर्माण करने, इसको कायम रखने, इसमें परिवर्तन करने, इसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने, इसे स्थिर रखने, इसमें परिवर्तन करने आदि की क्रियाओं को राजनैतिक समाजीकरण की संज्ञा दी जाती है।

राजनीतिक समाजीकरण की विशेषताएँ

(Characteristics of Political Socialization)

राजनीतिक समाजीकरण की कतिपय प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार हैं:-

(1) स्पष्ट रूप एवं गुप्त रूप (Manifest Form or Latent Form)-  राजनीतिक समाजीकरण का सदैव स्पष्ट रूप में होना आवश्यक नहीं है। यह गुप्त रूप में भी सम्भव है। जब गैरराजनीतिक उद्देश्यों के प्रति लोगों की अभिवृत्ति उनकी राजनैतिक अभिवृत्ति पर अप्रत्यक्ष रूप में प्रभाव डालती हैं तो यह राजनैतिक समाजीकरण की अप्रत्यक्ष या गुप्त क्रिया होती है। परन्तु जब कुछ विशेष राजनैतिक उद्देश्यों के प्रति स्पष्ट रूप से लोगों की राजनीतिक अभिवृत्ति को प्रभावित करने के प्रयत्न किये जाते हैं तो राजनीतिक समाजीकरण का यह प्रत्यक्ष रूप होता है। इस प्रकार राजनीतिक समाजीकरण की क्रिया प्रत्येक समाज में होती है।

(2) प्रत्येक समाज में उपलब्ध (Available in every Society)- राजनीतिक समाजीकरण की प्रक्रिया प्रत्येक सरकार की राजनैतिक प्रणाली में पायी जाती है चाहे वह प्रजातन्त्रात्मक हो अथवा सर्वसत्तावादी । सर्वसत्तावादी राजनैतिक प्रणाली के अन्तर्गत राजनैतिक समाजीकरण का रूप शासक की इच्छाओं और उस विशिष्ट राजनैतिक विचारधारा के अनुसार होगा जिस पर राजनैतिक प्रणाली आधारित है। ऐसी शासन-प्रणाली के अन्तर्गत राजनैतिक समाजीकरण साम्यवादी दिशा के प्रति ही हो सकता है और अन्य किसी राजनैतिक उद्देश्य के आधार पर लोगों के राजनैतिक समाजीकरण की सम्भावना नहीं हो सकती।

(3) अनौपचारिक एवं औपचारिक राजनैतिक शिक्षा (Formal as well as Informal Learning)- राजनैतिक समाजीकरण का अभिप्राय लोगों की राजनैतिक संस्कृति को स्थिर रखना अथवा उसमें परिवर्तन लाना है अर्थात् राजनैतिक समाजीकरण द्वारा लोगों के राजनैतिक मूल्यों, राजनैतिक दृष्टिकोणों, राजनैतिक अभिवृत्तियों को निर्मित अथवा स्थिर रखा अथवा परिवर्तित किया जाता है। यह सब कार्य औपचारिक रूप से ही नहीं वरन् अनौपचारिक विधि द्वारा भी होता है। जब लोगों में राजनैतिक संस्कृति विकसित करने या उनकी राजनैतिक संस्कृति को स्थिर रखने या बदलने के लिये विशेष यल किये जाते हैं, तो ऐसी क्रिया को औपचारिक क्रिया कहा जाता है। परन्तु जब लोगों की राजनैतिक संस्कृति स्वयमेव बिना किसी सुचेत यलों के किसी भी रूप में प्रभावित होती है तो उसे राजनैतिक समाजीकरण की अनौपचारिक क्रिया कहा जाता है। अनेक बार व्यक्तियों को यह सचेत ज्ञान नहीं होता कि राजनैतिक प्रणाली के प्रति उनका कोई दृष्टिकोण बन रहा है अथवा उनके दृष्टिकोण में कोई परिवर्तन आ जाता है। अनेक बार देश भीतर अथवा बाहर कोई ऐसी महान घटना घटित हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्तियों के दृष्टिकोण में स्वतः ही परिवर्तन आ जाता है। राजनैतिक समाजीकरण में औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार की राजनैतिक शिक्षा सम्मिलित है।

(4) राजनैतिक समाजीकरण की विधि में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक राजनैतिक संस्कृति का संचारण सम्मिलित (The Process of Political Socialization Involves Transmission of Political Culture from on Generation to another)- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में राजनैतिक संस्कृति का संचारण करना राजनैतिक समाजीकरण की विधि की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विशेषता है। यह विशेषता केवल उन देशों में अधिकांशतः अनिवार्य समझी जाती है जहाँ एक रूप राजनैतिक संस्कृति (Homogenous Political Culture) पायी जाती है, जहाँ राजनैतिक स्थायित्व का अस्तित्व भी मिलता है। विचारकों ने सुझाव दिया है कि केवल उस राजनैतिक संस्कृति लोगों को भारी बहुमत से स्वीकार्य है। इस प्रकार की राजनैतिक संस्कृति केवल उन समाजों में ही सम्भव हो सकती है जहाँ राजनैतिक प्रणाली निरन्तर रूप में लम्बी अवधि से स्थिरता सहित कार्य कर रही है और लोग उस राजनैतिक प्रणाली के प्रति सच्ची लगन और श्रद्धा रखते हैं। इसके विपरीत जो राजनैतिक संस्कृति लोगों पर बलपूर्वक थोपी जाती है उस राजनीतिक संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने से लाभ न होकर हानि ही होती है।

(5) राजनैतिक समाजीकरण एक निरन्तर विधि (Political Socialization is a Continuous Process)- राजनैतिक समाजीकरण केवल बचपन अथवा किशोर अवस्था तक ही सीमित न रहकर एक निरन्तर विधि है। यह आयुपर्यन्त मनुष्यों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। किसी भी व्यक्ति के राजनैतिक विश्वास या राजनैतिक स्तर सदैव के लिये स्थिर नहीं रहते अपितु नवीन परिस्थितियों के अनुसार मनुष्यों के राजनैतिक दृष्टिकोण में प्रायः कुछ परिवर्तन आता रहता है।

राजनैतिक समाजीकरण का महत्त्व

(Significance of Political Socialization)

ऑलमण्ड और पावेल ने राजनैतिक समाजीकरण के महत्त्व पर विचार व्यक्त करते हुए कहा है-“राजनैतिक समाजीकरण एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा राजनैतिक संस्कृतियों को स्थिर रखा और बदला जाता है। राजनैतिक समाजीकरण के द्वारा ही व्यक्तियों को राजनैतिक संस्कृति में प्रवेश कराया जाता है तथा राजनीतिक उद्देश्यों के प्रति उनके दृष्टिकोणों का निर्माण समाजीकरण के द्वारा किया जाता है।” राजनैतिक समाजीकरण के महत्त्व का वर्णन करवाया जाता है। राजनैतिक संस्कृति के विशेष नमूनों में भी परिवर्तन राजनीतिक निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है:-

(1) राजनैतिक संस्कृति के संधारण द्वारा राजनीतिक प्रणाली के स्थायित्व का आश्वासन (Transmission of Political Culture Ensures Political Stability)- रॉबर्ट सीजल का मत है कि, “राजनैतिक समाजीकरण का उद्देश्य व्यक्तियों को ऐसा प्रशिक्षण देना है जिससे वे राजनैतिक समाज के अच्छे क्रियाशील सदस्य बन सकें। जब तक राजनैतिक समाज प्रचलित राजनैतिक मूल्यों के अनुकूल नहीं होता तब तक राजनैतिक प्रणाली को कार्य करने में और अपनी स्थिरता बनाने में कठिनाई उत्पन्न होगी।”

(2) राजनैतिक समाजीकरण का आधुनिक युग में विशेष महत्व (Special Importance of Political Socialization in Modern Times)-  आधुनिक युग में मानव-जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नित्य नवीन परिवर्तन हो रहे हैं। वैज्ञानिक और यान्त्रिक विकास ने सामाजिक जीवन के मूल आधारों को ही बदल दिया है। मानव विचारधारा में आधारभूत परिवर्तन आया है। उग्र राष्ट्रवाद के स्थान पर अन्तर्राष्ट्रीयवाद की भावना प्रस्फुटित हो रही है। ऐसे क्रान्तिकारी परिवर्तन राजनैतिक प्रणालियों और राजनैतिक विचारधाराओं पर भी प्रभाव डालते हैं।

(3) राजनैतिक समाजीकरण राजनैतिक प्रणाली को वैधता प्रदान करने हेतु सहायक (Political Socialization help in Imparting Legitimacy Political System)- राजनीतिक प्रणाली सफलता एवं कुशलतापूर्वक कार्य उसी समय कर सकती है जब उसकी वैधता के प्रति कोई संशय न हो। यदि लोग राजनीतिक प्रणाली की वैधता को स्वीकार नहीं करते तो ऐसी प्रणाली दमनकारी शक्ति के आधार पर ही अस्तित्व में रह सकती है। राजनीतिक समाजीकरण एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा राजनीतिक प्रणाली के प्रति लोगों के हृदय में विश्वास, राजनीतिक उद्देश्य के प्रति सहमति और राजनीतिक प्रणाली का मूल्यांकन करने के लिए राजनीतिक मूल्य विकसित किये जाते हैं। यदि लोग इन तथ्यों के आधार पर राजनीतिक प्रणाली की वैधता को स्वीकार कर लें तो वह प्रणाली सहज ही अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल हो जाती है।

(4) राजनीतिक समाजीकरण के बारा सुचेत नागरिकता का निर्माण (Political Socialization Creates Enlightened Citizenship)- राजनीतिक प्रणाली की सफलता के लिये यह आवश्यक है कि प्रणाली के राजनीतिक उद्देश्य स्पष्ट हों और उन उद्देश्यों के प्रति लोगों को पूर्ण ज्ञान और उनकी सहमति हो। लोगों में राजनीतिक विश्वासों, राजनीतिक दृष्टिकोणों, राजनीतिक मूल्यों इत्यादि को विकसित करने के लिए प्रयास किये जाने चाहिए। यह राजनीतिक समाजीकरण की क्रिया है।

राजनैतिक समाजीकरण के भेद

(Kinds of Political Socialization)

(i) प्रत्यक्ष तथा स्पष्ट राजनैतिक समाजीकरण (Direct and Manifest Political Socialization)- स्पष्ट राजनैतिक समाजीकरण वह विधि है जिसके द्वारा प्रत्यक्ष या स्पष्ट रूप में राजनैतिक प्रणाली के प्रति लोगों की अभिवृत्ति निश्चित करने के लिये प्रयास किये जाते हैं।

सोवियत संघ, चीन आदि साम्यवादी देशों की राजनैतिक प्रणालियाँ स्पष्ट राजनैतिक समाजीकरण के सर्वोपरि उदाहरण हैं। इन देशों में प्रत्येक प्रकार की संस्था को साम्यवादी विचारधारा के अनुसार चलाने का प्रयास किया जाता है। विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षा का मूल उद्देश्य लोगों के मनों में साम्यवादी प्रवृत्तियाँ उत्पन्न करना है। संचार के साधन सरकारी नियन्त्रण के अधीन होते हैं | इनका प्रयोग साम्यवादी विचारधारा का विस्तार करने के लिए किया जाता है। इन समस्त बातों का प्रभाव लोगों के राजनैतिक आचरण पर पड़ता है।

(ii) अप्रत्यक्ष तथा गुप्त राजनैतिक समाजीकरण (Indirect or Latent Political Socialization)- गुप्त राजनैतिक समाजीकरण का अभिप्राय उस विधि से है जो स्पष्ट अथवा प्रत्यक्ष रूप से राजनैतिक उद्देश्यों तथा राजनैतिक तथ्यों से सम्बन्धित नहीं होती; तथापि इसका अर्थ यह नहीं है कि इस प्रकार का समाजीकरण सदैव स्वत: (Involuntarily) होता है। व्यक्ति की इच्छा मी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस विधि का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण परिवार है। बच्चा परिवार में रहता है और परिवार के वातावरण के अनुरूप वह अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन नहीं करता अपितु उनके प्रति विद्रोही व्यवहार ग्रहण कर लेता है। बच्चे के ऐसे व्यवहार का राजनैतिक प्रणाली या किसी राजनैतिक तथ्य से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है। परन्तु सम्भव है कि वह बच्चा बड़ा होकर सरकार की सत्ता को भी ग्रहण करने से घृणा करे और सरकार की सत्ता के प्रति भी विरोधी भावनाएँ विकसित कर ले । इसका अभिप्राय यह हुआ कि राजनैतिक प्रणाली के प्रति उसके दृष्टिकोण को अप्रत्यक्ष रूप से उन गैर-राजनीतिक भावनाओं ने प्रभावित किया है जो भावनायें उसने गैर राजनीतिक सत्ता के विरुद्ध ग्रहण की थी। ऐसे राजनैतिक समाजीकरण को नुप्त या अप्रत्यक्ष राजनैतिक समाजीकरण कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यदि गैरराजनीतिक तथ्यों के प्रति किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति उसके राजनैतिक विश्वासों, मूल्यों अथवा प्रवृत्तियों पर प्रभाव डालती है तब उसे गुप्त राजनीतिक समाजीकरण की संज्ञा दी जाती है।

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Pankaja Singh

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