दबाव-समूहों की कार्य-प्रणाली | ब्रिटेन में दबाव-समूह | अमेरिका में दबाव-समूह | फ्रान्स में दबाव-समूह | भारत में दबाव-समूह
दबाव-समूहों की कार्य-प्रणाली
(Working of Pressure, Groups)
दबाव समूहों की कार्य प्रणाली निम्नलिखित प्रकार हैं:-
(1) ये दबाव समूह शासन तथा जनमत को प्रभावित करने के लिए विस्तृत प्रचार तथा प्रख्यापन करते हैं।
(2) दबाव समूह अपने प्रतिनिधि नियुक्त करते हैं तथा सार्वजनिक सम्बन्धों के विशेषज्ञों की सेवाएँ प्राप्त करते हैं।
(3) दल में कार्य करते समय ये सदैव पक्ष में समर्थन करते हैं।
(4) विधायकों तथा संसद सदस्यों को वे सम्बन्धित मामलों में आवश्यक सूचना तथा आँकड़े देते हैं।
(5) इसके अतिरिक्त दबाव समूह वैध कार्यों द्वारा अपने-अपने उद्देश्य पूरा करने का प्रयास करते हैं।
(6) दबाव-समूह चुनावों में सक्रिय भाग न लेकर अपने हितों के समर्थक उम्मीदवारों को जिताने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार वे अपने प्रतिनिधि चुनाव के लिए खड़े न करके अपने हितैषियों को हरसम्भव प्रयास द्वारा व्यवस्थापिका में पहुँचाने का प्रयल करते हैं।
(7) वर्तमान समय में इन्होंने लॉबी क्षेत्रों को प्रभावित करने के लिए किसी प्रश्न पर संसद सदस्य के पास निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत पुत्र, तार, टेलीफोन, संदेश तथा व्यक्तिगत सम्पर्क आदि करते हैं तथा उसी प्रश्न पर धुआँधार लेख छपवाने का प्रयास करते हैं।
ब्रिटेन में दबाव-समूह
(Pressure Groups in Britain)
ब्रिटेन में दबाव-समूह संविधान के भाग के रूप में माने जाते हैं। ये समूह संसदीय समितियों पर अपना दबाव डालकर कार्य पूरा करते हैं। ब्रिटेन में इन समितियों में विभिन्न दबाव-समूहों के विचारों को सुना जाता है। अनेक दवाव-समूह तो सरकारी विभागों को सलाह तक देते हैं। ब्रिटेन के मुख्य दबाव-समूह निम्नलिखित प्रकार हैं:-
(i) नेशनल फार्मर-यूनियन,
(ii) द फेबियन सोसायटी,
(iii) नेशनल यूनियन ऑफ माइन वर्कर्स,
(iv) इलेक्ट्रिकल ट्रेड यूनियन ।
अमेरिका में दबाव-समूह
(Pressure Groups in America)
अमेरिका में अत्यधिक दबाव-समूह हैं। ये राष्ट्रीय धरातल, राज्यों के धरातल तथा स्थानीय शासनिक निकायों के धरातल आदि सभी पर क्रियाशील हैं। वहाँ अधिकांश ऐसे दबाव-समूह हैं जो विभिन्न माध्यमों द्वारा कांग्रेस तथा सरकार पर अपना व्यापक प्रभाव डालते हैं। बहुत से दबाव-समूह प्रचार तथा अन्वेषण के आधुनिक साधनों से सुसज्जित इतने प्रभावशील हैं कि बहुधा वे अपने अनुकूल विधायन कार्य करा लेते हैं। इसी कारण इन्हें संविधान से बाहर कार्यरत कांग्रेस का तृतीय सदन कहा जाता है। ये समूह राष्ट्रीय नीतियों के अतिरिक्त राज्य सरकारों तथा स्थानीय शासन के प्रति भी क्रियाशील रहते हैं।
अमेरिका में उत्पादकों तथा व्यापारियों के हितों का संरक्षण करने वाला दबाव समूह संयुक्त राज्य अमेरिका का चैम्बर ऑफ कामर्स, अमेरिका के उत्पादकों का राष्ट्रीय समूह, अमेरिकी महाजनों का संघ आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। कुछ संगठन कृषकों तथा श्रमिकों आदि का ध्यान रखने वाले भी हैं। अमेरिकन फार्मर्स ब्यूरो, अमेरिकन श्रमिक संघ आदि समूह हैं। इनके अतिरिक्त अमेरिकन मेडिकल कालेज एसोसिएशन, अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ रेलवे एक्जीक्यूटिव तथा नेशनल पेट्रोलियम एसोसिएशन आदि समूह भी उल्लेखनीय हैं।
अमेरिका में दबाव समूहों के प्रतिनिधि कांग्रेस के सदस्यों के इर्द-गिर्द मँडराते रहते हैं तथा उन्हें अपने पक्ष में करने का प्रयल कर महं. इन्हें लाकिंग कहा जाता है।
फ्रान्स में दबाव-समूह
(Pressure Groups in France)
फ्रान्स में दबाव-समूहों का प्रभाव अन्य देशों की भाँति नहीं है। फिर भी कुछ दबाव-समूहों का महत्त्व है।
भारत में दबाव-समूह
(Pressure Groups in India)
भारत में पश्चिमी जनतंत्रीय की अपेक्षा दबाव-समूहों का महत्त्व कम है। भारत में प्रारम्भिक दबाव-समूह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का था परन्तु बाद में यह राजनीतिक दल बन गया। भारत में वर्तमान समय में निम्नलिखित प्रकार के दबाव-समूह पाये जाते हैं:-
(1) विशेष हितों वाले दबाव समूह-व्यापार ट्रेडिंग यूनियन, अध्यापक एवं छात्र संगठन ।
(2) साम्प्रदायिक समूह तथा धार्मिक संगठन ।
(3) जाति तथा भाषा पर आधारित समूह ।
(4) गांधीवादी विचारधारा पर आधारित प्रश्न ।
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