राजनीति विज्ञान

लोकमत के निर्माण के साधन | जनमत के निर्माण को प्रभावित करने वाले साधन

लोकमत के निर्माण के साधन | जनमत के निर्माण को प्रभावित करने वाले साधन

लोकमत के निर्माण के साधन

जनमत के निर्माण को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित साधन हैं:-

(1) प्रेस-पत्र-पत्रिकायें तथा साहित्य-

लोकमत के निर्माण का प्रमुख साधन प्रेस है। प्रेस के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के समाचारपत्र-पत्रिकायें तथा साहित्य आदि अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। अधिकांश लोग समाचारपत्र पढ़कर ही राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करते हैं। इनमें सामाजिक घटनाओं, विभिन्न प्रकार की आर्थिक सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण एवं योग्य तथा अनुभवी लोगों की सम्मतियाँ रहती हैं, जिनके द्वारा जनमत पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। समाचारपत्रों के द्वारा देश के समस्त पाठकों के सम्मुख समाचार तथा विचार दोनों ही आते हैं। इनमें विभिन्न दलों के कार्यक्रमों एवं कार्य-कलापों का विवेचन किया जाता है। सरकार की नीतियों एवं कार्यों की समीक्षा और आलोचना की जाती है तथा विद्वान् लेखकों के लेख एवं सम्पादकीय प्रकाशित किये जाते हैं। इन सबसे देश के समस्त पाठकों को विभिन्न विषयों पर विचार करके तथा अपना मत निर्धारित करने में सहायत मिलती है। समाचारपत्र जनता की दृष्टिकोण को शासन तक तथा शासन की नीतियों एवं कार्यक्रमों को जनता तक पहुँचाने का कार्य करते हैं; अतः जनमत का निर्माण एवं अभिव्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन समाचारपत्र ही हैं। समाचारपत्रों के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की पत्रिकाएं, पुस्तके तथा अन्य प्रकार का साहित्य भी जनमत के निर्माण में काफी सहायक होता है। लेकिन स्वतन्त्र, निर्भीक एवं निष्पक्ष प्रेस ही जनमत को सही दिशा प्रदान कर सकता है।

(2) रेडियो, टेलीविजन तथा सिनेमा-

आधुनिक जन-सम्पर्क-साधनों में रेडियो. टेलीविजन तथा सिनेमा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। ये केवल मनोरंजन के साधन ही नहीं अपितु, प्रचार एवं जनमत, निर्माण और जनशिक्षा के प्रभावशाली साधन भी हैं। इनके माध्यम से देश- विदेश की घटनायें, समाचारों की समीक्षायें तथा विभित्र विषयों पर वात्तयिं प्रसारित की जाती हैं, जिनसे राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं तथा ज्वलन्त प्रश्नों पर सोचने- विचारने के लिए पर्याप्त सामग्री मिलती है। रेडियो एवं टेलीविजन के माध्यम से सरकार अपने विचारों एवं नीतियों का प्रचार जनमत-निर्माण के लिए करती है। इनके माध्यम से सरकार जनता से सम्पर्क बनाये रखती है। रेडियो और टेलीविजन की भाँति सिनेमा भी केवल मनोरंजन का साधन नहीं है। समाज की ज्वलन्त समस्याओं को सिनेमा के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। प्रधाचार, कालाबाजारी, घूसखोरी, तस्करी, सामाजिक कुरीतियों के विद्ध जनमत के निर्माण से सिनेमा एक अत्यन्त प्रभावशाली माध्यम है। फिल्मों में कथानक जनता के मन पर गहरा असर करते हैं। इस प्रकार जनमत-निर्माण में रेडियो, टेलीविजन एवं सिनेमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

(3) सार्वजनिक सभाएँ-

सार्वजनिक सभाएँ नीतियों, समस्याओं और विचारों के वाद- विवाद का स्थल होती हैं। जहाँ एक ओर सभाओं द्वारा दल अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों को जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हैं, वहीं दूसरी ओर वे सरकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों की. आलोचना करके जनमत को अपने पक्ष में करने का प्रयत्न करते हैं। सभाओं के द्वारा सरकार अपनी नीतियों, कार्यक्रमों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालती है तथा जनता को आश्वासन देती है। इस प्रकार जनता के समक्ष दोनों पक्ष आ जाते हैं और उनके अनुसार वह अपने मत का निर्माण करती है।

(4) राजनीतिक बल तथा नेता-

प्रजातन्त्र में जनता के लोकप्रिय प्रतिनिधि ही शासन में भाग लेते हैं। अतः उनके भाषण एवं विचार जनता को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। विभिन्न राजनीतिक दल जनमत को प्रभावित करने के लिए समाचारपत्र, रेडियो, भाषण, विज्ञापन तथा सिनेमा आदि का प्रयोग करते हैं। राजनीतिक दल जनता के सम्मुख राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक समस्याओं के सम्बन्ध में अपने दृष्टिकोण रखते हैं तथा जटिल राजनीतिक तथ्यों की सरल एवं स्पष्ट भाषा में व्याख्या करते हैं। इससे देश की समस्याओं के प्रति रुचि उत्पन्न होती है तथा जनता विभिन्न प्रश्नों के सम्बन्ध में अपनी निश्चित धारणा बना लेती है। चुनाव के समय राजनीतिक दल अधिक सक्रिय हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक दल की एक सुसंगठित मशीनरी होती है, जिसकी शाखाएँ एवं उपशाखाएँ देश भर में होती हैं इन शाखाओं के माध्यम से राजनीतिक दल निरन्तर जनता से सम्पर्क बनाये रखते हैं और उसे प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं। बाइस के शब्दों में.-“लोकमत को प्रशिक्षित करने, उसके निर्माण और अभिव्यक्ति में राजनीतिक दलों के द्वारा अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कार्य किया जाता है।”

(5) शिक्षण संस्थाएँ-

शिक्षण संस्थायें देश के भावी नागरिकों के चरित्र का निर्माण करती हैं। शिक्षा-संस्थाओं में विद्यार्थियों को जो शिक्षा मिलती है, वह उनके चरित-निर्माण में तथा अपनी विचारधारा को सुव्यवस्थित करने में सहायक होती है। इनमें विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों पर विद्वानों के निष्पक्ष एवं संतुलित विचार पढ़ने एवं सुनने को मिलते हैं। प्रत्येक विचार के गुण एवं दोषों की पर्याप्त व्याख्या एवं ज्ञान कराया जाता है। अच्छी शिक्षा द्वारा नवयुवकों में स्वस्थ दृष्टिकोण का विकास होता है और वे. जटिल आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं पर विचार करने, निश्चित मत द्वारा उन्हें हल करने तथा समाज में उन्हें लागू करने में सफल हो जाते हैं। किस प्रकार शिक्षण संस्थाएं, स्थिर एवं विचार पूर्ण जनमत के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान देती हैं।

(6) धार्मिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक संस्थाएँ–

लोकमत के निर्माण, संगठन एवं अभिव्यक्ति में धार्मिक, सांस्कृतिक तथा अन्य संस्थाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। धार्मिक एवं सांस्कृतिक मंच ऐसे होते हैं जहाँ व्यक्ति आपस में मिलकर विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। एकधर्म द्वारा जुड़े हुए लोगों पर धार्मिक संस्था का व्यापक प्रभाव होता है। रोमन कैथोलिक देशों में गिरजाघरों एवं पोप का तथा मुस्लिम देशों में मस्जिदों का लोकमत के निर्माण में व्यापक योगदान देता है। इसी प्रकार सांस्कृतिक तथा आर्थिक संस्थाएँ भी जनमत के निर्माण में सहायक होती हैं। इन संस्थानों द्वारा निर्मित जनमत संकीर्ण एवं साम्प्रदायिक भी हो सकता है।

(7) निर्वाचन-

निर्वाचन भी जनमत के निर्माण एवं अभिव्यक्ति का एक साधन है। चुनाव के समय विभिन्न राजनीतिक दल अपने कार्यक्रम, नीतियों एवं योजनाओं को जनमत के समक्ष रखते हैं। चुनाव अभियान के दौरान वे प्रचार द्वारा जनमत को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं। जनता जिस दल से प्रभावित होती है, वह उसी पक्ष में अपने मत को अभिव्यक्त करती है।

(8) विधानमंडल-

विधानमण्डल जनता के लोकप्रिय एवं निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा बनता है। वहाँ प्रत्येक प्रतिनिधि को अपने विचार प्रस्तुत करने तथा वाद-विवाद करने की स्वतन्त्रता रहती है। विधानमण्डल शासन का केन्द्र-बिन्दु होता है; अतः इसकी कार्यवाही, वाद- विवाद एवं निर्णय जनता की उत्सुकता एनं आकर्षण का केन्द्र होती है। इसकी कार्यवाहियां समाचारपत्रों में छपती तथा रेडियो एवं टेलीविजन द्वारा प्रसारित की जाती हैं। इनसे जनता को अपना मत सुनिश्चित एवं निर्धारित करने में काफी सहायता मिलती है।

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Pankaja Singh

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