भारतीय दलीय पद्धति की विशेषताएँ | भारत में राजनीतिक दल | भारत के मुख्य राजनीतिक दल
भारतीय दलीय पद्धति की विशेषताएँ
भारतीय दलीय पद्धति की बहुत-सी विशेषताएँ हैं जो निम्नलिखित प्रकार हैं:-
(1) बहुदलीय पद्धति- भारत में अत्यधिक राजनीतिक दल हैं। वर्तमान समय में भारतीय लोकसभा में अनेक राजनीतिक दलों के सदस्य पाये जाते हैं। साथ ही अनेक निर्दलीय सदस्य भी हैं। राज्यों की विधान सभाओं में अनेक दलों के प्रतिनिधि हैं। भारतीय लोकतन्त्र के लिए राजनीतिक दलों की बहुलता अत्यन्त हानिकारक है।
(2) स्वतन्त्र सदस्यों की अधिकता- लोकसभा तथा राज्यों की विधान सभाओं में अनेक सदस्य ऐसे होते हैं जिनका किसी भी राजनीतिक दल से सम्बन्ध नहीं होता। वे स्वतन्त्र रूप से चुनाव लड़ कर विजयी होते हैं। लोकतन्त्र के लिए इस प्रकार के स्वतन्त्र सदस्य होना उचित नहीं है, क्योंकि ये सदा दुलमुल नीति अपनाते हैं।
(3) एक बल का प्राधान्य- भारत में अनेक राजनीतिक दल होते हुए भी प्रारम्भ में एक दल-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रधानता बनी रही है। परन्तु 1976 से एक नवीन दल जनता पार्टी का जन्म भी हुआ, जिसने कि एक बार 1976 में कांग्रेस को पराजित कर सत्ता हथिया ली थी।
(4) संगठित विपक्ष का अभाव— पहले भारत में राष्ट्रीय कांग्रेस का विरोध करने के लिए किसी भी संगठित विपक्ष का अभाव था। परन्तु 1976 में शक्तिशाली विपक्षी दल जनता पार्टी का उदय हुआ था।
(5) साम्प्रदायिक दल- भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश होते हुए भी यहाँ अनेक साम्प्रदायिक दल विकसित हुए हैं, जैसे-हिन्दू महासभा और मुस्लिम-लीग आदि। इनके अतिरिक्त अन्य. साम्प्रदायिक दल भी देखने को मिलते हैं। यह साम्प्रदायिकता देश के लिएक्षहानिकारक है।
(6) दल-बदल की प्रवृत्ति- भारत में चतुर्थ आम चुनाव के पश्चात् दल-बदल की प्रवृत्ति में अत्यधिक वृद्धि हुई है। अनेक राज्यों की विधान सभाओं के सदस्यों ने दल-बदल कर सरकार को अवनति तक पहुंचा दिया। परिणामस्वरूप अनेक राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। दल-बदल प्रवृत्ति लोकतन्त्र की जड़ें खोखली करने वाली प्रवृत्ति है।
(7) विभिन्न दलीय रूप- भारतीय दलीय पद्धति में अनेक राजनीतिक दलों के साथ- साथ उनके रूपों में भी विभिन्नता पायी जाती है। कुछ दल वामपंथी हैं तो कुछ दक्षिणपंथी या मध्यवर्गीय।
(8) भारत में अनेक राजनीतिक दल हैं तथा प्रत्येक क्षेत्र में विभिन्नता है, फिर भी अवसर पड़ने पर सभी राजनीतिक दल एक हो गये हैं। संक्षेप में कहा जा सकता है कि कुछ राजनीतिक दलों को छोड़कर सभी राजनीतिक दल राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत हैं।
प्रमुख राजनीतिक दल
भारत में निम्नलिखित मुख्य राजनीतिक दल पाये जाते हैं:-
(1) अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस- यह सबसे अधिक प्रभावशाली दल था। इसकी स्थापना 1885 में हुई थी। यह कांग्रेस स्वतन्त्रता में अपने उद्देश्य में सफल भी हुई। परन्तु चतुर्थ आम चुनाव में कांग्रेस को बहुत धक्का लगा। कांग्रेस दो गुटों-संगठन कांग्रेस तथा सत्तारूढ़ कांग्रेस में बँट गई। 1976 में एक नयी पार्टी जनता पार्टी का जन्म हुआ था तथा केन्द्र में उसी की सरकार बनी।
(2) प्रजा समाजवादी दल- इस दल का जन्म अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हुआ। 1948 में यह कांग्रेस से अलग हुआ। 1976 में यह जनता पार्टी में मिल गया।
(3) संयुक्त समाजवादी दल- 1964 में समाजवादी दल तथा प्रजा समाजवादी दल के एक भाग के सम्मिलन से इस दल की स्थापना हुई। 1976 में यह दल भी जनता पार्टी में मिल गया।
(4) साम्यवादी दल- साम्यवादी दल की स्थापना 1924 में हुई। आरम्भ में यह दल कांग्रेस के साथ था। परन्तु 1943 में रूस के ब्रिटेन के साथ मित्र राष्ट्रों से मिल जाने पर द्वितीय महायुद्ध में इसने ब्रिटिश सरकार का साथ दिया। 1951 में इस दल में परिवर्तन हुआ। साम्यवादी दल में फूट पड़ जाने से दो दल-दक्षिणपंथी साम्यवादी तथा वामपंथी साम्यवादी का जन्म हुआ।
(5) भारतीय जनसंघ- 1951 में इस दल का जन्म हुआ। 1976 में यह भी जनता पार्टी के साथ मिल गया।
(6) स्वतंत्र पार्टी – इसकी स्थापना भारत के भूतपूर्व गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजा राजगोपालाचारी ने की थी। यह पार्टी भी 1976 के आम चुनाव में जनता पार्टी के साथ मिल गई थी।
(7) भारतीय क्रान्ति दल- चतुर्थ आम चुनाव के पश्चात् असन्तुष्ट कांग्रेसियों द्वारा इस दल का गठन किया गया। 1976 में यह भी जनता पार्टी के साथ मिल गई थी।
(8) कुछ अन्य राजनीतिक दल- उपर्युक्त दलों के अतिरिक्त भी कुछ राजनीतिक दल हैं जो अपना महत्त्व रखते हैं। ये दल निम्नलिखित प्रकार हैं-हिन्दू-महासभा, मुस्लिम-लीग, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम तथा अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, राम राज्य परिषद्, रिपब्लिकन पार्टी तथा अकाली दल।
जनता पार्टी— इस पार्टी का जन्म अचानक 1976 में हुआ। इस दल के गठन में मुख्य रूप से श्री जयप्रकाश, श्री मोरार जी देसाई, श्री जगजीवन राम तथा श्री अटलबिहारी बाजपेयी का हाथ था। कांग्रेस की नीतियों से परेशान होकर अनेक दलों ने एकत्रित होकर जनता पार्टी का गठन किया। 1976 में इसने कांग्रेस को पराजित कर सत्ता प्राप्त कर ली थी।
भारतीय जनता पार्टी- 1976 में बनी जनता पार्टी के विघटन के फलस्वरूप भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ। वर्तमान में यह पार्टी केन्द्र में प्रमुख विपक्षी दल की रचनात्मक भूमिका निभा रही है। इसके अलावा चार प्रमुख हिन्दी प्रान्तों में इसकी सरकारें हैं। अन्य प्रान्तों में भी यह दल अन्य दलों की अपेक्षा काफी लोकप्रिय होता जा रहा है।
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