विभिन्न देशों की दलीय व्यवस्था | इंग्लैण्ड में राजनीतिक दल | अमेरिका में दलीय व्यवस्था | फ्रांस में राजनीतिक दल
विभिन्न देशों की दलीय व्यवस्था
इंग्लैण्ड में राजनीतिक दल
(Political Parties in England)
प्रसिद्ध विचारक मुनरो ने कहा है-“इंग्लैण्ड राजनीतिक दलों का घर है।” सत्य तो यह है कि इंग्लैण्ड की समस्त राजनीतिक व्यवस्था दलों पर ही आधारित है। इंग्लैण्ड के सभी दलों के निश्चित उद्देश्य हैं तथा इन्हीं के आधार पर वे चुनाव लड़ते हैं। वास्तव में दलों के सदस्यों की विजय होती है।
ये राजनीतिक दल ब्रिटिश शासन व्यवस्था के महत्त्वपूर्ण अंग बन गये हैं। शासन का सीधा सम्बन्ध राजनीतिक दलों से न होने पर भी संसद में जिस दल का वहुमत होता है, उसी के आधार पर शासन चलता है। ब्रिटेन के मुख्य राजनीतिक दल निम्नलिखित प्रकार हैं:-(1) अनुदार या रूढ़िवादी दल- 1800 में इस दल की स्थापना जॉन विल्सन क्रोकर ने की थी। इस खेल के अधिकांश सदस्य धनी, जमींदार, साहूकार, पादरी तथा व्यापारी आदि हैं। ये अधिक से अधिक सम्पत्ति के समर्थक, राजा के पद के समर्थक तथा कट्टर रूढ़िवादी हैं। रैम्जे म्योर के अनुसार-“चर्च, लाई सभा, सम्राट् वहाँ पूँजीपतियों का संरक्षण करना ही इस दल का उद्देश्य है। यह इन सभी को समाप्त करने के पक्ष में कभी नहीं है; अधिक से अधिक केवल कुछ सुधारों का हिमायती है।”
(2) श्रमिक दल- फरवरी 1900 में इंग्लैण्ड के एक मुख्य राजनीतिक दल की स्थापना हुई। इसमें अधिकांश सदस्य किसान तथा मजदूर हैं। यह दल सुधारवादी है। श्रमिक दल भी बड़े व्यवसायों तथा उद्योगों को राजकीय नियंत्रण में रखने के पक्ष में है। यह दल राष्ट्रीय धन का अधिक से अधिक समान वितरण चाहता है तथा उत्पादन के मुख्य साधनों के राष्ट्रीयकरण के पक्ष में है। यह दल साम्राज्यवाद का विरोधी है तथा अन्तर्राष्ट्रीयता का समर्थक है। इस दल के मुख्य कार्यक्रम हैं-मजदूरों की स्थिति सुधारना, बेकारी, बुढ़ापा, आर्थिक संकट से उनकी सुरक्षा, शिक्षा प्रसार तथा सर्व साधारण का जीवन-स्तर उच्च करना आदि।
(3) उदारवादी दल- 19वीं शताब्दी में यह दल अस्तित्व में आया। परन्तु उदारवादी इस दल का प्रारम्भ शानदार क्रान्ति से मानते हैं। यह दल टोरीवाद तथा समाजवाद के मध्य का मार्ग अपनाता है। परन्तु उदारवादियों का कथन है कि इस दल का मार्ग टोरीवाद और समाजवाद से पृथक् है। इस दल के संविधान के प्राक्कथन में कहा गया है-“इसका उद्देश्य एक ऐसे स्वतन्त्रतापूर्ण समाज का निर्माण करना है जिसमें प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता, सम्पत्ति एवं सुरक्षा प्राप्त होगी और कोई भी दरिद्रता, अज्ञानता और बेरोजगारी का दास नहीं होगा।
उदारवादी दल लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में राज्य के हस्तक्षेप का विरोध करता है। यह दल व्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थक है, परन्तु पूँजीपतियों द्वारा निर्धन जनता के शोषण का विरोधी है। इस दल के अनुसार विशेष संस्थाओं पर राज्य का नियंत्रण होना चाहिए, परन्तु साथ ही वह सर्वव्यापी राष्ट्रीयकरण के विरोधी हैं। वर्तमान समय में इस दल की शक्ति बहुत कम हो गई है।
(4) साम्यवादी दल- इंग्लैण्ड में साम्यवादी दल को अधिक लोकप्रियता प्राप्त नहीं है।
(5) अन्य दल- उपर्युक्त राजनीतिक दलों के अतिरिक्त इंग्लैण्ड में अन्य छोटे-छोटे दल भी बने और समाप्त हुए।
अमेरिका में दलीय व्यवस्था
(The Party System in America)
दलीय पद्धति की विशेषताएँ (Features of the Party System)-
अमेरिका की दलीय पद्धति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार हैं:-
(1) दो प्रमुख दल- अमेरिका में समय-समय पर अनेक छोटे-छोटे दलों की उत्पत्ति होने पर भी वहाँ दो ही दल प्रमुख रहे-डेमोक्रेट तथा रिरिपब्लिक।
(2) दलों में सैद्धान्तिक मतभेद नहीं- अमेरिका के दोनों मुख्य दलों में सैद्धान्तिक मतभेद नहीं है। ब्राइस ने इस विषय में कहा है-“दो राजनैतिक दल उन दो बोतलों की तरह है जिन पर लेबल तो अलग-अलग हैं परन्तु दोनों ही खाली हैं।” एसर्सन ने भी इसी प्रकार कहा है- “साधारणत: हमारे दल परिस्थितियों के दल हैं, सिद्धान्तों के नहीं।” फाइनर का कथन इस सम्बन्ध में काफी उचित प्रतीत होता है- “अमेरिका में केवल एक ही दल है-रिपब्लिकन डेमोक्रेटस्स जो कि स्वभाव और अधिकार संघर्ष के फलस्वरूप दो बराबर भागों में विभाजित है।”
(3) वर्गीय स्वरूप-अमेरिका में दलों का गठन राष्ट्रीय आधार पर हुआ है। दोनों राजनीतिक दल विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्गहित की भावना के आधार पर उनका निर्माण हुआ है। ब्रेयर्ड ने इस सम्बन्ध में कहा है-“सिद्धान्त एवं शासन के रूप की अपेक्षा व्यक्तिगत तथा वर्गीय प्रश्नों के कारण अमेरिका के दलों का निर्माण हुआ है।
(4) आर्थिक कार्यक्रमों पर बल नहीं- अमेरिका के राजनीतिक दल आर्थिक कार्यक्रमों पर अधिक बल नहीं देते। इसका एक मुख्य कारण वहाँ की जनता की आर्थिक स्थिति पर बहुत अच्छा होना है।
(5) प्रभावशाली समूहों की महत्ता- अमेरिका की राजनीतिक तथा दलीय पद्धति में प्रभावशाला समूह अपना विशेष महत्त्व रखते हैं। वास्तव में इन प्रभावशाली समूहों का वही कार्य होता है जो अन्य देशों में छोटे-छोटे राजनीतिक दलों का चुनाव संघर्ष में समूह जिसका समर्थन करते हैं, वह विजय प्राप्त करता है। इस प्रकार के कुछ समूह हैं-बैम्बर ऑफ कॉमर्स, उत्पादकों का राष्ट्रीय संघ तथा कृषि संघ ।
(6) दलों की वैधानिक स्वीकृति- अमेरिकी संविधान में दलों के विषय में कोई उल्लेख परन्तु इन दलों के विकसित होने के पश्चात् उनकी कार्य प्रणाली आदि से सम्बन्धित बहुत कानून कांग्रेस तथा राज्य की व्यवस्थापिका के लिए हैं। दलीय पद्धति को कानूनी मान्यता प्राप्त है तथा दलों की परिभाषा कानून के अनुसार होती है।
(7) दोनों दल आर्थिक वर्गों के साथ-साथ प्रादेशिक तथा स्थानीय वर्गों के हितों को अधिक महत्त्व देते हैं। दलों के संगठन में राज्यों तथा स्थानीय इकाइयों की प्रधानता है न कि किसी राष्ट्रीय संगठन की।
फ्रांस में राजनीतिक दल
(Political Parties in France)
फ्रांस में बहुदलीय पद्धति है। अतः वहाँ अनेक छोटे-बड़े राजनीतिक दल हैं। कुछ मुख्य राजनीतिक दल निम्नलिखित प्रकार हैं:-
(1) साम्यवादी दल- 1920 में यह दल फ्रांस में स्थापित हुआ। 1944 तक इस दल के सदस्यों ने मास्को स्थित इण्टरनेशनल के अनुसार कार्य किया। इस दल के मुख्य उद्देश्य क्रान्तिकारी उपायों द्वारा पूँजीवादी व्यवस्था समाप्त करना, सर्वहारा वर्ग का अधिनायकत्व उत्पादन और वितरण आदि का समाजीकरण। परन्तु वर्तमान समय में इस दल का फ्रांस में अधिक प्रभाव नहीं है।
(2) समाजवादी दल- इस दल की स्थापना 1879 में हुई थी। यह दल ब्रिटेन के श्रमिक दल की भाँति है। 1905 में इसका नाम संयुक्त समाजवादी दल रख दिया गया। यह दल अमेरिका के सिद्धान्तों में विश्वास रखने पर भी अधिनायंकशाही तथा आतंक को नहीं मानता। यह दल काफी प्राचीन होने पर भी मजदूरों का पूर्ण समर्थन नहीं प्राप्त कर पाया है। द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् इसकी शक्ति बहुत कम हो गई।
(3) एम० आर० पी०- इस दल की उत्पत्ति द्वितीय महायुद्ध काल में हुई। इस दल के नेताओं ने विरोधी आन्दोलन में मुख्य भाग लेकर फॉसिस्टवाद का विरोध किया। यह दल उदार पूँजीवाद तथा सर्वाधिकारवादी सामूहिकवाद का विरोधी है। यह दल समाजवादियों की भाँति व्यक्ति की गरिमा में विश्वास करता है और दक्षिणपंथियों की भाँति गिरजे के स्कूलों के लिए राज्य की सहायता प्राप्ति का इच्छुक रहता है। इस प्रकार यह दल न तो पूर्ण अनुदारवादी है और न पूर्ण उदारवादी।
(4) रेडिकल समाजवादी तथा आर० पी० आर०- 1901 में इस दल की स्थापना हुई। 1936 तक इसने निम्न वर्ग तथा छोटे दूकानदारों का प्रतिनिधित्व किया। चौथे गणतन्त्र के प्रारम्भ में इसका प्रभाव कम हुआ था परन्तु शीघ्र ही बढ़ गया। आर० पी० आर० छोटे संसदीय समूहों के निर्वाचन के लिए एक समूह है जिसके मुख्य अंग रेडिकल समाजवादी तथा यू० डी० एस० आर० है।
(5) अनुदारवादी- आर० जी० आर० के दक्षिण में अनेक छोटे छोटे दल है, इन्हें अनुदारवादी समूहों में रखा जा सकता है। इनके कार्यक्रम बहुत अस्पष्ट हैं। ये अनुदारवादी धार्मिक संस्थाओं तथा चर्च के समर्थक है।
(6) पू० एन० आर०- इसकी स्थापना 1958 में आम चुनाव से दो माह पूर्व हुई। इसका निर्माण राष्ट्रपति डि गॉल के समर्थक तीन समूहों ने मिलकर किया। इसके नियमों के अनुसार आधारभूत इकाइयाँ निर्वाचन क्षेत्रों के संगठन हैं तथा इनसे मिलकर विभागीय संगठन बनते हैं। अन्य दलों की भाँति राष्ट्रीय स्तर पर इस दल की एक नेशनल कांग्रेस, नेशनल कौसिल केन्द्रीय समिति, राजनीतिक समिति तथा सचिवालय है। वर्तमान समय में यह दल अत्यधिक प्रभावशाली है।
विशेषताएँ– फ्रांस में अनेक राजनीतिक दल हैं। उनका संगठन दुर्बल है तथा उनमें परस्पर स्थायी सहयोग भी नहीं है। अधिकांश राजनीतिक दलों में सैद्धान्तिक विभाजन नहीं है. तथा संगठन का आधार विभिन्न राजनीतिक विचारधाराएँ हैं। फ्रांस के दल हित समूहों तथा गैर-दलीय संस्थाओं से प्रभावित रहते हैं। फ्रांस के राजनीतिक दलों को संविधान द्वारा वैधानिक मान्यता प्राप्त है।
राजनीति विज्ञान – महत्वपूर्ण लिंक
- राजनीतिक दल की परिभाषा | राजनीतिक दल के आवश्यक तत्त्व | राजनीतिक दलों के कार्य | राजनीतिक दलों का महत्त्व
- दलीय प्रणाली के रूप | एकदलीय पद्धति | एकदलीय पद्धति के गुण | एकदलीय पद्धति के दोष | द्विदलीय पद्धति | द्विदलीय पद्धति के गुण | द्विदलीय पद्धति के दोष | बहुदलीय पद्धति | बहुदलीय पद्धति के गुण | बहुदलीय पद्धति के दोष
- भारतीय दलीय पद्धति की विशेषताएँ | भारत में राजनीतिक दल | भारत के मुख्य राजनीतिक दल
- दयाव-समूह का अर्थ | दबाव-समूह तथा राजनीतिक दल में अन्तर | दबाव-समूहों से लाभ तथा हानियाँ | दबाव-समूह का महत्व
- दबाव-समूहों की कार्य-प्रणाली | ब्रिटेन में दबाव-समूह | अमेरिका में दबाव-समूह | फ्रान्स में दबाव-समूह | भारत में दबाव-समूह
- दबाव समूह के लक्षण क्या है? | दबाव समूहों का महत्त्व | What are the characteristics of pressure group in Hindi | importance of pressure groups in Hindi
Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com