दबाव समूहों के तरीकों की विवेचना | Discuss the methods of pressure groups in Hindi
दबाव समूहों के तरीके
दबाव समूह अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए उपयुक्त साधन या तरीके अपनाते हैं। प्राचीन समय में उनके साधनों को बुरी नजर से तथा घृणा से देखा जाता था, किन्तु आज इन्हें बुरा नहीं माना जाता। दबाव समूह द्वारा अपनाये जाने वाले साधन इस प्रकार हैं-
(1) प्रचार व प्रसार के साधन-
अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, जनता में अपने पक्ष में सद्भावना का निर्माण करने के लिए और उद्देश्य प्राप्ति में सहायक सिद्ध होने वालों के दृष्टिकोण को अपने पक्ष में करने के लिए ये विभिन्न दबाव समूह अथवा वर्गीय या आर्थिक हितों के प्रभावशाली संगठन प्रेस, रेडियो, टेलीविजन और सार्वजनिक सम्बन्धों के विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग व प्रयोग करते हैं।
(2) आँकड़े प्रकाशित करना-
नीति-निर्माताओं के समक्ष अपने पक्ष को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए दबाव समूह आंकड़े प्रकाशित करते हैं, ताकि अपनी बात को पूरा करवा सकें।
(3) गोष्ठियाँ आयोजित करना-
आजकल दबाव समूह विचार-विमर्श तथा वाद-विवाद के लिए गोष्ठियाँ, सेमिनार तथा भाषणमालाएँ एवं वार्ताएँ आयोजित करते हैं। इन गोष्ठियों में विधायिका तथा प्रशासिका के प्रमुख अधिकारियों को आमन्त्रित करते हैं और उन्हें अपने मत से प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
(4) संसद की लॉबियों में सक्रिय रहना-
दबाव समूह अपने एजेण्टों के माध्यम से संसद के सभाकक्षों में जाकर सदस्यों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं। व्यावसायिक संगठन संसद की लॉबियों में संसद सदस्यों को प्रभावित करने के लिए चतुर वकीलों या एजेण्टों को नियुक्त करते हैं, जो अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु कठोर परिश्रम करते हैं। लॉबी क्षेत्र के एजेण्ट अपने न्यायसंगत अधिकारों की रक्षा हेतु खुले उपायों का भी सहारा लेते हैं। विधायकों के साथ सम्पर्क स्थापित करते हैं, उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखते हैं और विचारधारा को बदलने का प्रयास करते हैं।
(5) रिश्वत, बेईमानी तथा अन्य उपाय-
अपने ध्येय की रक्षा के लिए दबाव समूह रिश्वत व घूस देने से नहीं कतराते। बेईमानी के तरीकों का भी यथासम्भव प्रयोग करते हैं तथा विरुद्ध हितों को अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए बदनाम करवा देते हैं। कहीं-कहीं पर तो आवश्यकतानुसार सुरा और सुन्दरी का भी प्रयोग करते हैं। प्रत्येक देश की राजधानी में दबाव समूहों के प्रतिनिधि सक्रिय रूप से क्रियाशील रहते हैं। व्यावसायिक दबाव समूह धन खर्च कर अपने साध्यों की प्राप्ति में लगे रहते हैं। आधुनिक उपायों के प्रयोग में व्यावसायिक दबाव समूह अन्य दबाव समूहों से सदैव आगे रहते हैं।
(6) लॉबीइंग-
लॉबीइंग से अभिप्राय है ‘सरकार को प्रभावित करना’। यह एक राजनीतिक उपाय है। लॉबीस्ट का कार्य करने वाले व्यक्ति दबाव समूह और सरकार के बीच मध्यस्थ होते हैं। ये लॉबीस्ट तीन प्रकार के कार्य करते हैं सूचनाएं प्रसारित करते हैं, नियोजनकर्ता के हितों की रक्षा करते हैं तथा विधियों के राजनीतिक प्रभावों को स्पष्ट करते हैं। लॉबीस्ट के माध्यम से दबाव समूह विधि निर्माताओं को प्रभावित करते हैं और वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति करते हैं।
(7) संसद-सदस्यों के मनोनयन में रुचि–
दबाव समूह ऐसे व्यक्तियों को चुनावों में दलीय प्रत्याशी मनोनीत करवाने में मदद देते हैं जो आगे चलकर संसद में उनके हितों की अभिवृद्धि में सहायक हों। ऐसा कहा जाता है कि लोकतन्त्रात्मक शासन व्यवस्था में संसद-सदस्य दबाव समूहों की जेब में होते हैं। चुनावों में संसद सदस्यों को पैसा चाहिए और जिसे दबाव समूह उपलब्ध कराते हैं। वे पैसे की खोज में दबाव समूहों के पास जाते हैं और बदले में उन्हें दबाव समूहों की मांग का समर्थन करना पड़ता है।
(8) प्रदर्शन-
कभी-कभी दबाव समूह उग्र आन्दोलनात्मक तथा प्रदर्शनकारी साधनों का भी प्रयोग करते हैं। प्रायः प्रदर्शनकारी दबाव समूहों द्वारा ही ऐसे साधनों का अधिक प्रयोग किया जाता है। आजकल तो दूसरे अन्य दबाव गुट भी हड़ताल, जुलूस, रैली, आदि साधनों का आमतौर से प्रयोग करने में लगे हैं।
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