राजनीति विज्ञान

दलीय प्रणाली के रूप | एकदलीय पद्धति | एकदलीय पद्धति के गुण | एकदलीय पद्धति के दोष | द्विदलीय पद्धति | द्विदलीय पद्धति के गुण | द्विदलीय पद्धति के दोष | बहुदलीय पद्धति | बहुदलीय पद्धति के गुण | बहुदलीय पद्धति के दोष

दलीय प्रणाली के रूप | एकदलीय पद्धति | एकदलीय पद्धति के गुण | एकदलीय पद्धति के दोष | द्विदलीय पद्धति | द्विदलीय पद्धति के गुण | द्विदलीय पद्धति के दोष | बहुदलीय पद्धति | बहुदलीय पद्धति के गुण | बहुदलीय पद्धति के दोष

दलीय प्रणाली के रूप

(Various Forms of Party System)

विभिन्न राज्यों में दलीय प्रणाली विभिन्न रूपों में दिखाई देती है। अधिकांश राज्यों में द्विदलीय या बहुदलीय प्रणाली प्रचलित है। परन्तु कुछ राज्यों में दलीय प्रणाली भी दिखाई देती है।

एकदलीय पद्धति (One party system)- 

एकदलीय पद्धति के अनुसार देश में केवल एक ही राजनीतिक दल होता है। शासन सत्ता को वही दल देखता है तथा कोई भी विरोधी दल नहीं होता है। वर्तमान समय में एकदलीय व्यवस्था स्वतन्त्र देशों के राष्ट्रकुल (C.I.S) तथा साम्यवादी चीन में पायी जाती है। अन्य देशों हंगरी, रूमानिया, बल्गारिया, चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया आदि साम्यवादी देशों में भी एक ही राजनीतिक दल है।

एकदलीय पद्धति के गुण Merits of One Party System)—

एकदलीय पद्धति में कुछ गुण पाये जाते हैं, जो निम्नलिखित प्रकार हैं:-

(1) एकदलीय शासन-प्रणाली में सुदृढ़ शासन स्थापित होता है। साथ ही देश की उन्नति में कोई अवरोध भी उत्पन्न नहीं होता। सोवियत संघ में एकदलीय व्यवस्था के कारण ही उन्नति हुई है।

(2) एकदलीय पद्धति द्वारा भ्रष्टाचार पनपने नहीं पाता। शक्तियों के केन्द्रीभूत हो जाने से पक्षपात, तथा चोरवाजारी का अन्त हो जाता है।

(3) एकदलीय पद्धति से देश में एकता तथा अनुशासन की भावना पनपती है। दल के सभी लोग अनुशासन में रहते हैं तथा व्यर्थ की बातें नहीं पनपतीं।

(4) एकदलीय पद्धति के अन्तर्गत दीर्घकालीन योजनाएँ चलानी सम्भव हैं। क्योंकि उस दल के हाथ से शासन सत्ता के निकलने का डर नहीं होता। परिणामस्वरूप देश में अच्छी आर्थिक प्रगति होती है। सरकार विभिन्न वर्गों के सभी झगड़े दूर कर देती है, और सभी देश के उत्पादन की वृद्धि में लग जाते हैं।

(5) सत्ता का प्रवाह भी ऊपर से नीचे की ओर होता है।

एकदलीय पद्धति के दोष (demerits of one party system)-

एकदलीय पद्धति में कुछ दोष भी होते हैं जो निम्नलिखित प्रकार हैं:-

(1) एकदलीय पद्धति द्वारा व्यक्तियों की स्वतन्त्रता पर प्रतिवन्ध लग जाता है तथा उन्हें अधिकार प्रकट करने की स्वतन्नता भी नहीं रहती।

(2) इस पद्धति द्वारा तानाशाही प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलता है, सरकार मनमानी करती है तथा शासन अनुत्तरदायी बन जाता है। आतंकवाद पनपता है तथा विरोधियों को कठोर दण्ड दिया जाता है।

(3) एकदलीय शासन पद्धति लोकतांत्रिक भाव के विरुद्ध है। लोकतन्त्र को समान अवसर मिलने चाहिए तथा सभी को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त होनी चाहिए। परन्तु इस शासन-पद्धति में यह भावना नहीं दिखाई देती।

(4) एकदलीय पद्धति अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति के लिए भी हानिकारक है। यह तानाशाही प्रवृत्ति को जन्म देती है जिससे शासक वर्ग सैनिक तैयारियों और विजयनीतियों की अपनाना प्रारम्भ कर देता है। परिणामस्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति का संकट उत्पन्न हो जाता है।

द्विदलीय पद्धति

(Two Party System)

द्विदलीय पद्धति के अन्तर्गत केवल दो ही महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल होते हैं। इस प्रकार की पद्धति ब्रिटेन तथा अमेरिका में है।

ब्रिटेन में द्विदलीय पखरि (He-party system in Britain)-

ब्रिटेन संसदीय प्रजातन्त्र का जन्मदाता है तथा उसने द्विदलीय पद्धति को शासन-व्यवस्था के लिए श्रेष्ठ सिद्ध कर दिखाया है।

ब्रिटेन में द्विदलीय पद्धति के गुण Merits of two party system in Britain)- 

ब्रिटेन की द्विदलीय पद्धति में पाये जाने वाले गुण निम्नलिखित प्रकार हैं-

(1) द्विदलीय पद्धति शासन को स्थायित्व प्रदान करती है। ब्रिटेन इसका एक अच्छा उदाहरण है। सरकार बहुमत दल से बनने के कारण वह विरोधी दल के आक्रमणों तथा आलोचनाओं का सामना करने में समर्थ होती है।

(2) ब्रिटेन में द्विदलीय पद्धति के कारण उत्तरदायित्व के सिद्धान्त को दृढ़ता प्राप्त हुई। संसद में बहुमत प्राप्त करने वाला दल सरकार बनाता है। इस प्रकार शासन का समस्त उत्तरदायित्व उस दले. पर होता है। दल यदि शासन करने में असफल होता है तो जनता दूसरे दल को सरकार बनाने का अवसर देती है।

(3) स्थिर सरकार के परिणामस्वरूप शासन की नीतियों तथा कार्यों में एकता और स्थिरता दिखाई देती है। लॉस्की ने द्वि-दलीय पद्धति के विषय में कहा है-“द्वि-दलीय प्रणाली सरकार की नीति को कानूनी रूप प्रदान करती है।” परिणामस्वरूप ब्रिटेन की शासन-नीतियों में अधिक स्थिरता दिखाई देती है।

(4) द्विदलीय पद्धति के अन्तर्गत जनता सरकार का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से कर सकती है। मतदाता निर्वाचनों में सरकार के पक्ष या. विपक्ष में मत देता है।

(5) द्विदलीय पद्धति में विरोधी दल की आलोचना ठोस और रचनात्मक होती है। विपक्ष का उद्देश्य भविष्य में अपनी सरकार का निर्माण करना होता है; अतः वह आलोचना या विरोध नहीं करता है। ब्रिटेन में विपक्षी नेता को प्रधानमन्त्री के पश्चात् द्वितीय स्थान वैधानिक रूप से प्राप्त होता है तथा वह वैकल्पिक प्रधानमंत्री होता है।

(6) यह प्रणाली योग्य शासन करने के लिए बाध्य है। क्योंकि सरकार को विपक्ष की आलोचना तथा आगामी निर्वाचगों में अपनी हार का भय बना रहता है।

(7) द्विदलीय पद्धति के कारण सरकार सरलता से निर्मित हो जाती है, बल्कि एक सरकार द्वारा त्यागपत्र देने पर वैधानिक संकट भी कम रहता है।

लॉस्की ने द्विदतीय पद्धति की प्रशंसा करते हुए कहा है कि “इस प्रणाली के कारण सरकार के लिए सम्भव है कि वह अपनी नीतियों को कानून का रूप प्रदान कर सके। यह सरकार की असफलताओं के परिणामों को भी प्रकट कर देती है। इसके कारण स्थानापन्न सरकार बन सकती है, जब तक कि जनता फिर से विधानमण्डल का निर्माण न कर ले।

द्विदलीय पद्धति के दोष (Demerits of two party system)- 

द्विदलीय पद्धति में कुछ दोष भी पाये जाते हैं, जो निम्नलिखित प्रकार हैं:-

(1) रेन्जे म्योर ने ब्रिटेन की द्विदलीय पद्धति के विषय में लिखा है कि “द्विदलीय प्रणाली विधानमण्डल के सम्मान को कम करती है। इससे मन्त्रिमण्डल की तानाशाही का भय बना रहता है।

(2) इस पद्धति द्वारा राष्ट्र का लोकमत अस्वाभाविक रूप से दो वर्गों में विभक्त हो जाता है। छोटे तथा अन्ग दलों से बहुमत के व्यक्तियों का राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाता है।

(3) इस प्रणाली के अन्तर्गत अनुयायियों तथा नेताओं में विवेकपूर्ण प्रशंसा तथा चयन के स्थान पर अन्धभक्ति उत्पन्न हो जाती है।

(4) द्विदलीय पद्धति में विधानमण्डल में सभी विचारों को प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं हो पाता

(5) रैम्ने म्योर के अनुसार द्विदलीय पद्धति से संसद दो भागों में विभक्त हो गई है तथा शासन का स्वरूप बिगड़ गया है। बहुमत दल हरसम्भव तरीके से शासन पर अधिकार बनाये रखना चाहता है तथा विपक्ष उसे अपमानित करने का प्रयास करता रहता है।

(6) द्वि-दलीय पद्धति में केवल दो ही दल होने के कारण मतदाताओं को अपनी इच्छा के विपरीत भी मतदान करना पड़ सकता है। क्योंकि ऐसा भी सम्भव है कि मतदाताओं को दोनों ही दल नापसन्द हों। ऐसी स्थिति में उन्हें तटस्थ रहना पड़ता है।

अमेरिका में द्विदलीय पद्धति

(Two Party System in U. S. A.)

ब्रिटेन की भाँति अमेरिका में द्विदलीय पद्धति प्रचलित है। अमेरिका में प्रारम्भ से ही दो दल शक्ति में रहे हैं, केवल नाम ही बदलते रहते हैं। इस समय वहाँ दो दल ‘डेमोक्रेटिक’ तथा ‘रिपब्लिकन’ हैं। इनके अतिरिक्त भी वहाँ छोटे दल हैं, परन्तु इनका कार्य केवल नीति में नवीनता लाना है।

लाभ- अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन होते हुए भी यह पद्धतिं वहुत लाभदायक रही।

राष्ट्रपति तथा कांग्रेस में शक्ति पृथक्करण से गतिरोध उत्पन्न हो सकता है, परन्तु द्विदलीय पद्धति से इस प्रकार की आशंका समाप्त हो गई है। कांग्रेस तथा राष्ट्रपति के मध्य राजनीतिक दल एक कड़ी का काम करता है। अमेरिका इस पद्धति द्वारा केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों में सहयोग स्थापित रहता है। दोनों सरकारों पर बहुमत दल का नियन्त्रण रहता है। इस पद्धति से अमेरिका के निर्वाचन आदर्श एवं सच्चे रूप में होते हैं।

बहुदलीय पद्धति

(Multiple Party System)

बहुत से देशों में कई राजनीतिक दलों को महत्ता प्राप्त होती है। इस प्रकार की पद्धति बहुदलीय पद्धति कहलाती है। भारत, फ्रांस, इटली, जर्मनी तथा स्विट्जरलैण्ड में इसी प्रकार की पद्धति है।

बहुदलीय पद्धति के गुण Merits or Multiple Party System)—

बहुदलीय पद्धति के गुण अग्रलिखित प्रकार हैं-

(1) बहुदलीय पद्धति के अन्तर्गत सरकार निरंकुश या स्वेच्छाचारी नहीं हो सकती। इसी कारण दलों के परस्पर मिलने-जुलने से सरकार भी बदली जा सकती है।

(2) देश में बहुदलीय पद्धति होने से कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार राजनीतिक दल की सदस्यता प्राप्त कर सकता है। विचार-स्वातन्त्र्य- होने से राष्ट्र दो परस्पर विरोधी दलों में विभक्त नहीं हो सकता। रैम्प म्योर के अनुसार किसी भी राष्ट्र में कम से कम 3 राजनीतिक दल होने चाहिए, क्योंकि व्यक्ति की तीन राजनीतिक प्रवृत्तियाँ मुख्य रूप से होती हैं- वामपंथी, दक्षिणपंथी तथा मध्य-मार्गी ।

(3) सभी विचारधाराओं को विधानमण्डल में प्रतिनिधित्व प्राप्त हो जाता है।

(4) प्रजा में राजनीतिक जागृति उत्पन्न होती है तथा सार्वजनिक कार्यों में जनता की रुचि में वृद्धि होती है।

(5) बहुदलीय पद्धति में मतदाताओं को अपना प्रतिनिधि चुनने की अधिक स्वतन्त्रता होती है। क्योंकि अधिक दल होते हैं और जनता की भी मत .या इच्छाओं की अभिव्यक्ति अधिक सत्यतापूर्ण होती है।

(6) बहुदलीय पद्धति में समझौते की प्रवृत्ति में अधिक वृद्धि होती है। क्योंकि विधानमण्डल में सभी वर्गों तथा विचारधाराओं के लोगों को प्रतिनिधित्व प्राप्त हो जाता है। सदस्य अपने दल के सिद्धान्तों से मतभेद हो जाने पर अन्य दल में सम्मिलित हो सकते हैं।

(7) रोडी के अनुसार बहुदलीय पद्धति के लाभों के विषय में कहा गया है कि “मिले-जुले मन्त्रिमण्डल का अर्थ सदैव अस्थिरता नहीं है, क्योंकि मन्त्रिमण्डल में सम्मिलित होने वाले दलों में आर्थिक एवं सामाजिक कार्यों के आधारभूत सिद्धान्तों के सम्बन्ध में समझौता हो जाता है। मिले-जुले मन्त्रिमण्डल में विभिन्न दलों के योग्य नेताओं को स्थान मिल जाता है। द्वि-दलीय प्रणाली की ही भाँति बहुदलीय प्रणाली में प्रजातन्त्र की वास्तविकता सम्भव हैं।”

बहुदलीय प्रणाली के दोष (Demerits of Multiple Party System)-

बहुदलीय प्रणाली में उपरोक्त गुणों के साथ-साथ कुछ दोष भी पाये जाते हैं, जो निम्नलिखित प्रकार हैं-

(1) सरकार की निर्बलता- बहुदलीय प्रणाली के अन्तर्गत एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न होने के कारण मिले-जुले मन्त्रिमण्डल बनते हैं। इससे विभिन्न दलों में सौदेबाजी होती है तथा इस प्रकार से निर्मित सरकार अपनी नीतियाँ लागू करने में भी असमर्थ रहती है। मिश्रित मन्त्रिमण्डल की नीतियों पर विश्वास करना कठिन होता है।

(2) अनुशासनहीनता- बहुदलीय पद्धति से अनुशासनहीनता में वृद्धि होती है। कई बार भारत में ही 24 घंटों के अन्दर विधायकों ने तीन-चार दल बदल लिये हैं। साथ ही अनुशासन कठोर न होने से सौदेबाजी की भावना भी बलवती होती है।

(3) अस्थिर सरकारें- बहुदलीय पद्धति के अनुसार निर्मित सरकारों में स्थिरता नहीं होती। क्योंकि उनका बेमेल संयोग होता है। फ्रास में 1870 से 1928 के मध्य 88 मन्त्रिमण्डलों का निर्माण हुआ, जिनकी औसत कार्यावधि 9 माह से कम थी। कुछ विचारकों के मतानुसार-“फ्रांस की सरकार अस्त-व्यस्तता और विनाश को लिये हुए, एक के बाद दूसरी शीघ्रता से बदलती हुई एवं भौचक्का कर देने वाली नीतियों के उत्थान और पतन के नाटकीय क्रम के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।”

(4) दोष का उत्तरदायित्व निश्चित करने में कठिनाई- मिथित मन्त्रिमण्डल के असफल हो जाने पर इसके लिए किसी एक दले को उत्तरदायी ठहराना कठिन है।

(5) स्वस्थ विपक्षी दल का अभाव- बहुदलीय पद्धति में अनेक दल होने से स्वस्थ विरोधी दल का सर्वथा अभाव ही रहता है। इस प्रकार सत्तारूढ़ दल असंगठित दलों की कोई परवाह नहीं करता।

(6) शासन में अदक्षता- मन्त्रिमण्डलों के जल्दी-जल्दी परिवर्तित होने से प्रशासन में अदक्षता उत्पन्न हो जाती है।

(7) मतदाताओं को कठिनाई- बहुदलीय पद्धति में मतदाताओं को यह कठिनाई रहती है कि वह किन दलों को अपना वोट दे। उनको यह भी स्पष्ट नहीं होता कि कौन सा दल सरकार निर्मित करेगा। इस प्रकार वे प्रत्यक्ष रूप से सरकार निर्वाचित नहीं कर पाते।

(8) वैधानिक कठिनाइयाँ- बहुदलीय पद्धति में अनेक बार वैधानिक कठिनाइयाँ भी उत्पन्न हो जाती हैं। विधानमण्डल में किसका बहुमत है तथा कौन सा नेता सरकार बना सकता है आदि अनेक कठिनाइयाँ भी उत्पन्न होती हैं।

(9) अप्पादोराय (Appadurai)-  ने इस विषय में कहा है कि-“बहुदलीय प्रणाली में स्वार्थी अल्पसंख्यकों को अनुपात से कहीं अधिक शक्ति मिल जाती है। विधानमण्डल के लोकप्रिय सदनों में वर्गगत भ्रष्टचार फैलता है और सार्वजनिक जीवन का नैतिक स्तर गिरता है।”

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Pankaja Singh

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