उद्देश्य एवं प्राप्य उद्देश्य में अन्तर | उद्देश्य का अर्थ | इतिहास शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य | Difference between objective and attainable objective in Hindi | Meaning of Purpose in Hindi | Achievable Objectives of History Teaching in Hindi
उद्देश्य एवं प्राप्य उद्देश्य में अन्तर
(Difference between Aim & Objective)
प्रायः उद्देश्य और प्राप्य उद्देश्य दोनों का एक ही अर्थ लगाया जाता है। परन्तु ऐसा नहीं है। इनके वास्तविक अर्थ को स्पष्ट करने के लिए इनकी पृथक-पृथक परिभाषाएँ एवं उनके अन्तर को नीचे दिया जा रहा है-
उद्देश्य का अर्थ (Meaning of Aim ) —
इसके अर्थ को स्पष्ट करते हुए कार्टर वी० गुड ने लिखा है- “उद्देश्य पूर्व निर्धारित साध्य होता है जो किसी कार्य या क्रिया का मार्गदर्शन करता है।”
“Aim is a foreseen end that gives direction to an activity.”
-Carter V. Good
उद्देश्य में दूरदर्शिता होती है। साथ ही इसमें आदर्शवादिता होती है।
प्राप्य उद्देश्य का अर्थ (Meaning of Objective) — जब हम किसी लक्ष्य या उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य करते हैं तो उसके लिए हमें जिन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखना पड़ता है, उन्हें इस उद्देश्य के प्राप्य उद्देश्य कहते हैं। प्राप्य उद्देश्य के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कार्टर बी० गुड ने लिखा है- “प्राप्य उद्देश्य छात्र के व्यवहार में वह इच्छित परिवर्तन है जो विद्यालय द्वारा पथप्रदर्शित अनुभव का परिणाम होता है।”
“Objective is a desired change in the behaviour of a pupil as a result of experience directed by the school.”
-Carter V. Good
इस प्रकार प्राप्य उद्देश्य में लक्ष्य या उद्देश्य की अपेक्षा व्यावहारिकता औरअधिक होती है। दूसरे, इसको प्राप्त करने का दायित्व शिक्षक पर होता है।
उद्देश्य तथा प्राप्य उद्देश्य में अन्तर – इन दोनों के अन्तर को नीचे की तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा रहा है :-
उद्देश्य
- उद्देश्य का क्षेत्र व्यापक होता है।
- उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण विद्यालय कार्यक्रम, समाज तथा राष्ट्र उत्तरदायी होता है।
- उद्देश्य में आदर्शवादिता होती है। अतः इन्हें पूर्ण रूप से प्राप्त करना असम्भव होता है।
- उद्देश्य की प्राप्ति में अधिक समय लगता है।
प्राप्य उद्देश्य
- प्राप्य उद्देश्य का क्षेत्र सीमित होता है।
- प्राप्य उद्देश्य लक्ष्य की छोटी-छोटी शाखाएं होती हैं । अतः इनकी प्राप्ति का दायित्व शिक्षक तथा पाठ-विशेष को विषय-सामग्री पर होता है।
- प्राप्य उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव है, क्योंकि इनमें व्यावहारिकता होती है।
- प्राप्य उद्देश्य की प्राप्ति में अधिक समय नहीं लगता ।
इतिहास शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य
(Objectives of History Teaching)
- छात्र ऐतिहासिक ज्ञान-विषयक तथ्यों, सिद्धान्तों, धारणाओं, गतिविधियों आदि का पुनस्मंरण कर सकेगा।
- ऐतिहासिक तथ्यों, सिद्धान्तों आदि का पुनर्प्रस्तुतीकरण कर सकेगा।
- छात्र इतिहास विषयक तथ्यों, सिद्धान्तों, धारणाओं तथा गतिविधियों से सम्बन्धित गहनताओं में परस्पर विभेद कर सकेंगे ।
- छात्र ऐतिहासिक तथ्यों, सिद्धान्तों, धारणाओं आदि में परस्पर तुलना कर सकेंगे ।
- छात्र इन में व्याप्त विषमताओं को समझ सकेंगे ।
- छात्र ऐतिहासिक घटनाओं को स्पष्ट करने के लिए कारण बता सकेंगे ।
- छात्र इतिहास विषयक तथ्यों, सिद्धान्तों, धारणाओं तथा गतिविधियों से सम्बन्धित-
(i) उपलब्ध ऐतिहासिक सामग्री का विश्लेषण कर सकेंगे ।
(ii) सामान्य नियम बना सकेंगे ।
(iii) निष्कर्ष निकाल सकेंगे ।
(iv) भूत और वर्तमान में अन्तर सम्बन्ध स्थापित कर सकेंगे।
- छात्र इतिहास विषयक मानचित्रों, रेखाचित्रों, चित्रों, समय-तालिकाओं आदि में आवश्यक विवरण-
(i) पहचान सकेंगे।
(ii) अशुद्धियों को पकड़ सकेंगे।
- छात्रों में इतिहास की घटना, व्यक्तियों, समस्याओं आदि के बारे में जानने तथा अध्ययन करने की रुचि विकसित होगी ।
- छात्रों में अन्य व्यक्तियों, धर्मों, जातियों, संस्कृतियों, संस्थाओं आदि के लिए विधायात्मक अभिवृत्ति विकसित होगी ।
उपर्युक्त सभी प्राप्य उद्देश्य छात्र की व्यवहारगत विशिष्ट उपलब्धियों से सम्बन्धित हैं। इन व्यवहारगत परिवर्तनों को ज्ञानात्मक, अवबोधात्मक, कौशल तथा भावात्मक क्षेत्रों के अन्तर्गत रखा जा सकता है।
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