शिक्षाशास्त्र

इतिहास-शिक्षण के मूल्य |Values ​​of History-Teaching in Hindi

इतिहास-शिक्षण के मूल्य |Values ​​of History-Teaching in Hindi

इतिहास-शिक्षण के मूल्य

इतिहास-शिक्षण से हमें बहुत से मूल्य प्राप्त होते हैं, जिनके कारण इसे पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है। यद्यपि यह रोटी तथा मक्खन (Bread and Butter) प्रदान करने वाला विषय नहीं है; परन्तु जीवन में इसकी बहुत काफी उपयोगिता है उसकी यह उपयोगिता सांस्कृतिक क्षेत्र में है। इसके द्वारा हमे अपने जीवन को सफल बनाने में पर्याप्त सहायता मिलती है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि इसके द्वारा हमें बहुत से मूल्य प्राप्त होते हैं जिनकी वजह से हमारा जीवन सफलीभूत होता है। स्वतः ही प्रश्न उठता है कि इसके द्वारा कौन-से मूल्य प्राप्त होते हैं।

इसके द्वारा प्राप्त होने वाले मूल्यों का विवरण नीचे दिया जा रहा है-

(1) नैतिक मूल्य –

बहुत-से विद्वानों का मत है कि इतिहास-शिक्षण के द्वारा बालकों में नैतिक मूल्यों का विकास किया जाता है। उनका कहना है कि इसके द्वारा उनमें धैर्य तथा विस्तृत सहानुभूति उत्पन्न की जाती है। उनका मत यह है कि बालक इसके ज्ञान से यह भी जान जाता है कि अन्त में सत्य की विजय होती है, मेंपरन्तु वे लोग जब यह कहते हैं कि बालकों के समक्ष ऐतिहासिक व्यक्तियों या घटनाओं को आदर्श रूप में उनका अनुकरण करने हेतु प्रस्तुत किया जाय । इस तथ्य पर सन्देह प्रकट किया जाता है । सन्देह प्रकट करने वालों का मत यह है कि महानुभावों के चरित्र जटिलताओं से परिपूर्ण होते हैं। उनके चरित्र में गुण एवं अवगुण- दोनों ही विद्यमान होते हैं। यदि उनके गुणों का ही अनुकरण कराया जाय तो यह अवैज्ञानिक होगा और दोषों का विवरण दिया जाय तो उनमें अवगुण उत्पन्न होने की सम्भावना रहेगी। दुसरे, उन लोगों का कहना है कि अनुभव के आधार पर यह देखा गया है कि भारतीय छात्र सन्तों, साधुओं आदि के चरित्रों की अपेक्षा क्रियात्मक चरित्रों; उदाहरणार्थ- क्लाइव, तैमूर आादि में रुचि रखते हैं। ये तर्क निराधार नहीं हैं, परन्तु हम इतिहास-शिक्षण से प्राप्त नैतिक मूल्यों को अनुपयुक्त नहीं कह सकते हैं। यहाँ शिक्षक का कायं बड़ा महत्वपूर्ण है। वह छात्रों के समक्ष इतिहास के तथ्यों को निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत करे और उनका विवेचन समस्यात्मक विधि से कराये। उन्हें तैयार किये हुए निर्णयों को न दे, वरन् उनसे निष्कर्षो का निर्माण कराये जिससे वे सत्य तथा असत्य का ज्ञान प्राप्त कर सकें। इस बात से कोई भी मना नहीं कर सकता कि इतिहास के द्वारा छात्रों में धैर्य एवं विस्तृत सहानुभूति का विकास किया जाता है।

(2) सामाजिक तथा सांस्कृतिक मूल्य –

इतिहास एक सामाजिक विषय है इसके द्वारा छात्रों में सामाजिक गुणों का विकास किया जाता है। यह हमें इस बात का ज्ञान प्रदान करता है कि अतीत में समाज की क्या विशेषताएं थीं, उसमें क्या  अवगुण थे। इसके अतिरिक्त वह इस अतीत के समाज को विवेचना की साहयता से वर्तमान समाज को स्पष्ट करता है। इतिहास के द्वारा हमें हमारी संस्कृति का भी ज्ञान प्रदान किया जाता है।

(3) राष्ट्रीय तथा अनुशासनात्मक महत्व –

इतिहास शिक्षण द्वारा छात्रों में देश-प्रेम की भावना का विकास किया जाता है। छात्र अपने पूर्वजों की देनों से परिचित होते हैं। इसी कारण मध्यकाल के शिक्षालयों के पाठ्यक्रम में इतिहास को स्थान प्रदान किया गया था। जर्मन निवासियों ने इतिहास को बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया था। वे उसके शिक्षण द्वारा एक पवित्र आर्य जाति का सृजन करना चाहते थे। उनके अनुसार इतिहास शिक्षण का उद्देश्य था – नागरिकों में आत्मगौरव की भावना परना। परन्तु इस ध्येय से किया गया इतिहास – शिक्षण इतिहास के वैज्ञानिक आधारों की जड़ों को खोखला बनाता है। यदि निष्पक्ष रूप से इतिहास- शिक्षण किया जाय तो मानव-प्रेम के लिए मार्ग बाधाहीन हो जायगा।

इस सम्बन्ध में एक विद्वान का मत है -“It is a broad and human patriotism which develops rational humility rather the overbearing audaciousness and which desires to perpetuate those principles of justice and humanity that control the life of a nation.”

आज भावनात्मक तथा राष्ट्रीय एकता के लिए इतिहास शिक्षण का बहुत महत्व है। इसके द्वारा इनकी स्थापना में बहुत सहयोग प्राप्त हो सकता है। इसके अतिरिक्त इसके द्वारा बालकों को मानसिक प्रशिक्षण प्राप्त होता है। दूसरे उन में ऐसे गुणों का विकास किया जाता है जो कि उनके भावात्मक प्रशिक्षण में सहयोग प्रदान  करते हैं। इसके अतिरिक्त छात्रों में उन गुणों का भी विकास किया जाता है जो स्वानुशासित होने के लिए आवश्यक माने जाते हैं। हेपोल्ड (F. C. Happold) महोदय का मत कि इतिहास शिक्षण का फल स्पष्ट एवं शुद्ध चिन्तन होता है।

(4) नागरिक मूल्य–

कुछ विद्वानों का मत है कि इतिहास शिक्षण का उद्देश्य छात्रों को अच्छे नागरिक बनाना है। यहाँ स्वतः हो यह प्रश्न उठता है कि इतिहास- शिक्षण का योदे यह उद्देश्य है तो नागरिक शास्त्र को शिक्षालय पाठ्यक्रम में एक पृथक विषय के रूप में क्यों स्थान प्राप्त हुआ। नागरिक शास्त्र के शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य अच्छे नागरिक उत्पन्न करना है। पहले जब नागरिक शास्त्र इतिहास का एक अंग था, तब अच्छे नागरिक उत्पन्न करना इतिहास-शिक्षण का उद्देश्य माना जा सकता था, परन्तु जब वैज्ञानिक और प्रजातान्त्रिक प्रवृत्तियों ने नागरिक शास्त्र को पृथक् विषय का स्थान प्रदान कर दिया तब इतिहास-शिक्षण का अच्छ नागरिक उत्पन्न करना उद्देश्य नहीं माना जा सकता । इसका शिक्षण अच्छे नागरिक उत्पन्न करने में सहयोग प्रदान कर सकता है; क्योंकि इसके द्वारा छात्रों के समक्ष अतीत में नागरिकों ने अपने कर्तव्यों का किस प्रकार निर्वाह्न किया ? नागरिकों को राज्य ने क्या सुविधाएँ प्रदान की ? आदि बातों का विवेचन प्रस्तुत करके अच्छे नागरिक बनाने में सहायता प्रदान की जा सकती है। अतः अच्छे नागरिक बनाने में सहायता प्रदान करना इतिहास- शिक्षण का एक मूल्य है, न कि एक उद्देश्य

आज का विश्व बढ़ी दूतगति से भौतिक दूरियों को कम कर रहा है। साथ ही वह नरसंहार के साधनों को बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है। इस कारण राष्ट्रों के बीच भावात्मक तादात्म्य स्थापित करना अनिवार्य है। इतिहास के द्वारा इस मूल्य को विकसित किया जा सकता है। विश्व इतिहास के द्वारा छात्र यह जानने में समर्थ होंगे कि किस प्रकार से मानव ने विभिन्न देशों में विभिन्न प्रकार के रहन- सहन के तरीके विकसित किये और किस प्रकार से उसने अपनी परम्पराओं एवं विचारों को विकसित किया। वे यह भी जानने का अवसर प्राप्त करेंगे कि आज की सभ्यता एवं संस्कृति का किस प्रकार विकास हुआ। विश्व इतिहास के अध्ययन से वे वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को समझने में समर्थ हो सकेंगे। आज के विश्व को इस भावना की महती आवश्यकता है। यही इतिहास का अन्तर्राष्ट्रीय महत्व है।

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Pankaja Singh

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