व्यूहरचनात्मक प्रबंधन

पर्यावरणीय जांच विश्लेषण तकनीक | पर्यावरणीय जांच के विभिन्न पहलू

पर्यावरणीय जांच विश्लेषण तकनीक | पर्यावरणीय जांच के विभिन्न पहलू | Environmental Detection Analysis Techniques in Hindi | Various Aspects of Environmental Investigation in Hindi

पर्यावरणीय जांच विश्लेषण तकनीक

(Environmental Scanning analysis technique)

पर्यावरणीय जांच विश्लेषण तकनीक की दो अवस्थाएं हैं:

(i) सूचना को एकत्र करना (ii) विश्लेषण करना

Glueck and Jauch ने पर्यावरणीय जांच विश्लेषण हेतु निम्नलिखित स्रोतों का वर्णन किया है:

(1) मौखिक एवं लिखित (Oral and Written information)- मौखिक सूचना मुख्ययः लोगों से प्रत्यक्ष रूप से बात करके प्राप्त की जाती है जैसे सभाओं एवं सेमिनार में भाग लेकर या मीडिया द्वारा। लिखित डाक्यूमेन्टरी डाटा द्वारा सूचनाएं प्रकाशित या अप्रकाशित सामग्री द्वारा प्राप्त किया जाता है।

(2) खोज एवं जांच द्वारा (Scanning)- इसके अन्तर्गत शोध द्वारा आवश्यक सूचनाएं प्राप्त की जा सकती हैं।

(3) गुप्तचर द्वारा (Spying)- हालांकि यह तरीका नैतिक रूप से सही नहीं है फिर भी प्रतियोगितात्मक लाभ हेतु यह पद्धति अपनायी जाती है।

(4) पूर्वानुमान (Fare casting)- पूर्वानुमान के द्वारा व्यवसाय के भविष्य की प्रवृत्ति एवं पर्यावरण में परिवर्तन के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। पूर्वानुमान की विभिन्न तकनीके हैं जो कि कन्सल्टैन्ट (Consultants) या निगमीय योजनाकर्त्ता (Corporate Planners) के द्वारा प्रयोग में लायी जा सकती है।

उर्पुक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु फर्म विभिन्न यन्त्रों एवं तकनीकों का प्रयोग सुविधानुसार या आवश्यकता के अनुरूप लागत एवं गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए कर सकती है।

कुछ तकनीकें जो कि पर्यावरणी जांच एवं विश्लेषण हेतु प्रयुक्त की जाती है निम्नलिखित है-

  1. PESTEL विश्लेषण
  2. SWOT विश्लेषण
  3. ETOP
  4. QUEST
  5. EFE Matrix
  6. CPM
  7. Forecasting techniques

(a) Time series analysis

(b) expert opinion.

(c) Judgement forecasting

(d) Delphi’s technique

(e) Statistical modelling

(f) Brain Storming

(g) Demand / Hazard for casting

पर्यावरणीय जांच के विभिन्न पहलू

(Various approaches to Environmental Scanning)

Kubr ने पर्यावरणीय जांच के लिए तीन पहलुओं के द्वारा सूचना प्राप्त करने का प्रयास किया है। ये तीन पहलू निम्नलिखित है-

(1) प्रणाली पहलू (Systematic Approaches): पर्यावरणीय जांच के इस पहलू के अन्तर्गत जांच हेतु सूचनाएं क्रमबद्ध रूप में एकत्रित की जाती है। ये सूचनाएं निम्नलिखित हैं :-

बाजार से सम्बन्धित सूचना, ग्राहक सम्बन्धी सूचनाएं, गवर्नमेन्ट पालिसी जो कि संगठन, व्यवसाय एवं उद्योग के लिए उपयोगी है। ये सूचनाएं लगातार एकत्रित की जाती हैं। तथा व्यवसाय में परिवर्तन के साथ यह लागू किया जाता है। यह सूचनाएं व्यवसाय के व्यूहरचनात्मक प्रबन्ध के लिए ही नहीं अपितु कार्मिक कार्य प्रबन्ध के लिए भी उपयोगी होता है। इन सूचनाओं का व्यवसाय पर विस्तृत प्रभाव पड़ता है।

(2) अस्थायी प्रणाली (Adhoc Approach)- इस प्रणाली के अन्तर्गत संगठन समय-समय पर सर्वेक्षण एवं अध्ययन करता रहता है जिससे विशिष्ट पर्यावरणी तथ्यों एवं चुनौतियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती रहती है। इसके अन्तर्गत अध्ययन उस समय किया जाता है जब संगठन विशिष्ट रिपोर्ट तैयार करना चाहता है, वर्तमान व्यूरचना का विश्लेषण करना चाहता है या नयी व्यूहरचना को लागू करना चाहता है। परिवर्तन एवं पूर्वानुमानों का भी अध्ययन करना चाहिए तथा उनके संगठन पर प्रभावों का विश्लेषण भी करना चाहिए।

(3) प्रक्रियात्मक फार्म पहलू (Processed Form Approach)- इसके अन्तर्गत संगठन सूचनाओं का उपयोग संगठन के आन्तरिक एवं बाह्य दोनों स्रोतों से किया जाता है। जब एक संगठन गवर्नमेट एजेन्सी या प्राइवेट संस्थानों के द्वारा द्वितीय समंको (Secondary Data) का प्रयोग परिमार्जित रूप में करती है तो सभी सूचनाएं शुद्ध एवं सही रूप में प्राप्त होती हैं उल्लेखनीय है कि पर्यावरणीय जांच संगठन के व्यूहरचनात्मक परिदृश्य के लिए आवश्यक होता है।

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Pankaja Singh

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