व्यूहरचनात्मक प्रबंधन

क्रियात्मक संसाधन की अवधारणा | क्रियात्मक संसाधन की जांच प्रक्रिया | संगठनात्मक संरचना के प्रकार

क्रियात्मक संसाधन की अवधारणा | क्रियात्मक संसाधन की जांच प्रक्रिया | संगठनात्मक संरचना के प्रकार | Concept of Functional Resource in Hindi | Functional Resource Testing Process in Hindi | Types of Organizational Structure in Hindi

क्रियात्मक संसाधन की अवधारणा एवं जांच प्रक्रिया

(Concept and Process of Scanning Functional Resources)

साधारण रूप से निगमीय मूल्य शृंखला के विश्लेषण के अन्तर्गत परम्परागत रूप सेक क्षेत्रों में अच्छी शक्तियों एवं कमजोरियों का अध्ययन किया जाता है। वित्तीय संसाधन न केवल वित्तीय, भौतिक, एवं मानव सम्पत्तियों को समाहित करता है अपितु लोगों (मानवसंसाधन) की योग्यता को प्रत्येक क्षेत्र में लागू करता है। इसके द्वारा आवश्यक क्रियात्मक उद्देश्य, व्यूहरचना, एवं नीतियों को लागू किया जाता है। इन संसाधनों का प्रयोग यदि उचित ढंग से किया जाता है तो यह संस्थान/फर्म में शक्ति के रूप में मूल्य युक्त कार्यों (Value added activities) एवं व्यूह रचना निर्णायन में सहयोग करता है। इसके अतिरिक्त निम्न क्रियाएँ जैसे विपणन, वित्त, शोध, मानव संस्थान, सूचना आदि को सूचना प्रणाली में रखा जाता है।

संगठनात्मक संरचना के प्रकार-

संगठनात्मक संरचना के प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) साधारण संरचना- साधारण संरचना के अन्तर्गत मालिक एवं प्रबन्धक सभी क्रियाकालापो को नियन्त्रित करते हैं तथा सभी निर्णय लेते हैं। नये एवं छोटे संगठन के लिए यह संरचना उपयुक्त होती है। कार्यों में समन्वय प्रत्यक्ष देखभाल द्वारा होता है।

Owner-manager

Employess

Fig. Simple structure

लाभ- 1. शीघ्र निर्णयन 2. परिवर्तनीयता 3. कार्य कुशलता 4. शीघ्र उत्तर देने की योग्यता

हानि- बड़े संस्थान के लिए अनुपयुक्त

(2) कार्य संरचना- ऐसे संगठन जहाँ एक ही उत्पाद या बहुत ही निकटतम सम्बन्धित उत्पाद या सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है, कार्य संरचना कहते हैं। प्रत्येक कार्य क्रियात्मक स्पेशलिस्ट द्वारा किया जाता है।

CEO

  1. Manufacturing (निर्माण)
  2. Marketing (विपणन)
  3. Finance (वित्त)
  4. Human Resources (मानव संसाधन)
  5. R&D (शोधपूर्ण क्रिया)

लाभ- 1. क्रियात्मक विशिष्टीकरण का होना 2. कैरियर क्षेत्र एवं व्यावसायिक विकास 3. केन्द्रीयकृत निर्णयन 4. प्रबन्धकीय एवं तकनीकी ज्ञान का अत्यधिक कुशलतम प्रयोग

हानि- 1. रेखा स्टॉफ संघर्ष 2. एकरूप मानक की स्थापना में समस्याएं 3. उच्च प्रबन्धक को क्रियात्मक संघर्ष 4. सम्प्रेषण एवं समन्वय में कमी

(3) विभागीय संरचना (Divisional Structure) – विभागीय संरचना का प्रयोग विविधता वाले संगठन में किया जाता है। एक विभागीय संरचना में विभिन्न विभाग अलग-अलग इकाई में स्थापित किये जाते हैं। किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पाद के रूप में विभागीयकरण की स्थापना या ग्राहक एवं की जाती है उदाहरण-

CEO

Division 1

  1. Manufacturing (निर्माण)
  2. Marketing (विपणन)
  3. Finance (वित्त)

Division 2

  1. Manufacturing (निर्माण)
  2. Marketing (विपणन)
  3. Finance (वित)

Division 3

  1. Manufacturing (निर्माण)
  2. Marketing (विपणन)
  3. Finance (वित्त)

लाभ:- (1) व्यूह रचना एवं क्रियात्मक नियन्त्रण में अलगाव। (2) वाह्य पर्यावरण के परिवर्तन की दशा में शीघ्र निदान (3) क्रियात्मक क्षेत्रों में संघर्ष की कमी (4) जवाब देही में वृद्धि

हानि- 1. क्रियाओं के बहुतायत के कारण लागत में वृद्धि

  1. विभागीयकरण लघु समय के लिए उपयुक्त
  2. विभागीयकरण, संगठन के क्षेत्र में (prospective future) के लिए उपयुक्त होता है।
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Pankaja Singh

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