व्यूहरचनात्मक प्रबंधन

पोर्टफोलियो विश्लेषण | वित्तीय नीतियाँ तथा रणनीतियाँ | वित्तीय नीतियों तथा रणनीतियों का महत्व | विनियोगों पर प्रत्याय

पोर्टफोलियो विश्लेषण | वित्तीय नीतियाँ तथा रणनीतियाँ | वित्तीय नीतियों तथा रणनीतियों का महत्व | विनियोगों पर प्रत्याय | Portfolio Analysis in Hindi | Financial Policies and Strategies in Hindi | Importance of financial policies and strategies in Hindi | Return on investments in Hindi

पोर्टफोलियो विश्लेषण

पोर्टफोलियो में समता अंश ऋणपत्र, ब्राण्ड, ट्रेजरीबिल तथा सम्पत्ति आदि शामिल किये जाते हैं। पोर्टफोलियो विश्लेषण में इन्हीं विभिन्न आस्तियों का विनियोजन पर होने वाले प्रत्याय तथा जोखिम का विश्लेषण किया जाता है।

इस प्रकार के विश्लेषण की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने लिए सर्वोत्तम पोर्टफोलियो का निर्माण करना चाहता है। इस विश्लेषण में जोखिम और प्रत्याय का विश्लेषण आवश्यक है।

पोर्टफोलियों विश्लेषण द्वारा उन कारणों का पता लगाया जाता है जिसकी वजह से प्रत्याय कम तथा जोखिम ज्यादा हो जाता है। इसके पश्चात् प्रत्याय बढ़ाने और जोखिम कम करने के लिए विभिन्न उपाय संस्था द्वारा किये जाते हैं। पोर्टफोलियो विश्लेषण द्वारा वांछित प्रत्याय स्तर तथा अधिकतम प्रत्याय स्तर तक पहुँचा जा सकता है। पोर्टफोलियो विश्लेषण द्वारा विनियोगकर्त्ता द्वारा उन प्रतिभूतियों की पहचान की जा सकती है जो भविष्य में अच्छा तथा ऊंचा प्रत्याय देंगी।

वित्तीय नीतियाँ तथा रणनीतियाँ-

किसी भी संस्था के कोषों की उपलब्धता, प्रयोग तथा प्रबन्ध के सम्बन्ध में जो नीतियाँ बनायी गयी हैं वे ही वित्तीय नीतियाँ तथा रणनीतियाँ कहलाती हैं। व्यूह रचनाकार इन क्षेत्रों में नीतियों तथा रणनीतियों का निर्धारण करता है। यदि कोई कम्पनी परम्परागत नीति अपनाती है तो वह अधिकतम सीमा तक आंतरिक कोषों पर निर्भर होती है तथा वित्तीय संस्थओं से कोई चड़ी वित्तीय सहायता नहीं प्राप्त करना चाहती है। वित्तीय नीतियों तथा रणनीतियों, कोषों के स्त्रोत, उसके उपयोग तथा प्रबन्ध से सम्बन्ध रखती हैं।

कोषों के स्त्रोत की नीतियाँ तथा रणनीतियाँ पूँजी संरचना, पूँजी की प्राप्ति, कार्यशील पूँजी की उधारी, स्त्रोत के रूप में पूंजी का संचय एवं आधिक्य आदि बैकों तथा वित्तीय संस्थाओं से सम्बन्धित होती है। कोई भी कम्पनी रोकड़ साख प्रणाली साख व्यवहार पद्धति, साखा सुपुदर्गी प्रणाली, बाह्य, वित्तीय संसाधन तथा नवीकरण, वित्तीय योजना आदि के माध्यम से कोषों की व्यवस्था कर सकती है।

कोषों के उपयोग की नीतियाँ तथा रणनीतियाँ कोषों के निवेश से सम्बन्धित होती हैं। यदि कोषों का प्रयोग प्रभावशाली नहीं होता तो यह अनुकूलम उपयोग नहीं कहा जायेगा। कोषों के प्रयोग पर कम्पनी को इस बात पर विचार करना होता है कि अंशधारकों के हित एवं आकर्षण को कैसे बढ़ाया जाय।

कोषों का प्रबन्ध वित्तीय प्रबन्ध के क्रमबद्ध पक्षों से सम्बन्धित निर्णयों के बारे में व्यवहार करता है। इसके अन्तर्गत वित्तीय प्रणाली लेखांकन एवं बजटीकरण, प्रबन्धकीय नियंत्रण प्रणाली रोकड़, साख एवं जोखिम प्रबन्ध, लागत नियंत्रण, कर नियोजन तथा लाभ आदि आते हैं।

वित्तीय नीतियों तथा रणनीतियों का महत्व-

कोषों के स्त्रोतों के सम्बन्ध में नीतियाँ एवं व्यूह रचनाएँ महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि ये यह निर्धारित करती हैं कि व्यूह रचनाओं के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय संसाधन किस प्रकार उपलब्ध कराये जाएंगे। प्रयोग नीतियाँ विनियोग अथवा सम्पत्ति मिश्रण निर्णय में सहायक होती है। पेआउट नीतियाँ कोषों में उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कोषों का प्रबन्ध व्यूह रचना के क्रियान्वयन में एक केन्द्र बिन्दु की भूमिका निभाता है।

विनियोगों पर प्रत्याय-

प्रत्याय का आशय संस्था द्वारा अर्जित धन से होता है और विनियोगों पर प्रत्याय का तात्पर्य है। संस्था द्वारा विनियोजित पूँजी पर अर्जित आय विनियोग तथा विनियोजित पूँजी निम्नलिखित चार प्रकार की हो सकती है-

  1. सकल विनियोजित पूँजी- इसका आशय व्यवसाय कुल चल व अथवा सम्पत्तियों के योग से है। इसमें अमूर्त, अदृश्य एवं बनावटी सम्पत्तियाँ भी शामिल होती हैं।
  2. शुद्ध विनियोजित पूँजी- सकल विनियोजित पूँजी में से सकल दायित्व घटाने के बाद बचा हुआ शेष शुद्ध विनियोजित पूँजी कहलाता है।
  3. स्वामियों की शुद्ध विनियोजित पूँजी- समता अंशपूँजी पूर्वाधिकार अंशपूंजी तथा अवितरित लाभ संचय तथा आधिक्य का योग स्वामियों की शुद्ध विनियोजित पूँजी होती है।
  4. औसत विनियोजित पूँजी- वर्ष के प्रारम्भ तथा अंत की विनियोजित पूँजी की गणना करके दोनों के योग को दो से विभाजित करने पर जो परिणाम मिलता है वहीं औसत विनियोजित पूंजी कहलाता है।
व्यूहरचनात्मक प्रबंधन – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com

About the author

Pankaja Singh

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!