व्यूहरचनात्मक प्रबंधन

चार्ल्स होफर द्वारा व्यूह रचनात्मक चयन | व्यूह रचनात्मक चयन की बी०सी०जी० मॉडल

चार्ल्स होफर द्वारा व्यूह रचनात्मक चयन | व्यूह रचनात्मक चयन की बी०सी०जी० मॉडल | Array Creative Selection by Charles Hofer in Hindi | BCG model of array creative selection in Hindi

चार्ल्स होफर द्वारा व्यूह रचनात्मक चयन

चार्ल्स होफर ने व्यू रचनात्मक चयन के संदर्भ में व्यापक शोध अध्ययन के बाद निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले हैं-

(1) जब वातावरणीय अवसरों की पर्याप्तता हो और संसाधन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों तो कम्पनी को वर्तमान परिचालन क्षेत्र से और विकसित करने का प्रयास करना चाहिये क्योंकि संसाधनों की उपलब्धता एवं अवसरों की पर्याप्तता किसी भी संगठन को विस्तार प्रदान करने के लिये आधार का काम करते उपलब्ध संसाधनों से संस्था की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है और उसके विस्तार में सहायता प्राप्त होती है।

(2) वर्तमान बाजार में अपने उत्पाद के लिये उचित स्थान बनाने हेतु सर्वाधिक उपयुक्त व्यूह रचना का अनुसरण करना चाहिये। वर्तमान में विद्यमान बाजार में अपने उत्पादों को प्रवेश दिलाने के समस्त प्रयास करने चाहिये।

(3) जब वातावरणीय दशाएँ विपरीत हों और संसाधनों की कमी हो तो फर्म को कटौती व्यूह रचना अपनायी चाहिये अर्थात् अपने अनावश्यक खर्चों में कटौती करने का विकल्प चुनना चाहिये ताकि लागत कम हो और लाभ अधिक कमाया जा सके। ऐसी स्थिति में क्रियात्मक व्यूह रचनाओं में परिवर्तन करना चाहिये या असम्बन्धित विधिकरण का चुनाव करना चाहिये।

(4) आंतरिक विविधीकरण तथा लम्बवत् एकीकरण की दशा में न्यूनतम रूप से प्रयोग की जाने वाली व्यूह रचना का अनुसरण करना चाहिये।

(5) विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का प्रभाव विभिन्न प्रकार की व्यूह रचनाओं के अनुसरण पर विशेष बल देती है।

व्यूह रचनात्मक चयन की बी०सी०जी० मॉडल-

बी०सी०जी० मॉडल का विकास बोस्टन कंसाल्टिंग ग्रुप के द्वारा दो आयामी बाजार में वृद्धि दर तथा सापेक्ष बाजार को लेते हुए किया गया है। ग्रोथ शेयर भाग मार्केट्स को स्टार्स, कैश काउज, क्यूस्चन मार्क्स, डॉग्स आदि नाम दिया जाता है –

  1. स्टार्स- इसके अन्तर्गत उच्च वृद्धि एवं उच्च भाग शामिल होता। इस श्रेणी में व्यवसाय खण्ड में वृद्धि सम्भावना तथा प्रतिस्पर्द्धात्मक शक्ति को देखते हुए संसाधनों का आवंटन किया जाता है।
  2. कैश काठज (Cash Couse)- इसके अन्तर्गत निम्न वृद्धि एवं उच्च बाजार भाग को शामिल किया जाता है। इस श्रेणी में स्थित व्यावसायिक यूनिट्स यद्यपि सुदृद्ध प्रतिस्पर्द्धात्मक स्थिति में होती है लेकिन व्यूह रचना को अपना कर निम्न वृद्धि सम्भावना का प्रबन्ध किया जाना चाहिये। इस प्रबन्ध को इस प्रकार कार्यान्वित किया जाना चाहिये कि वर्तमान बाजार भाव को रखा जाये और वृद्धि खण्डों में प्रयोग किया जाने वाला रोकड़ प्रवाह को बढ़ाया जा सके।
  3. क्यूश्चन मार्क्स (Question Marks) – इसमें उच्च वृद्धि एवं निम्न बाजार भाग को शामिल किया जाता है। इसमें आने वाले व्यवसाय खण्ड अपने अपने परिचालनों को व्यूह रचनात्मक हानियों पर चलाते हैं। हानि पर चलाने के बाद भी वह उच्च वृद्धि बाजार सम्भावना द्वारा लाभ अर्जित कर सकता है।
  4. डॉग्स (Dogs)- डॉग्स के अंतर्गत निम्न वृद्धि और निम्न बाजार भाग शामिल होता है डॉग्स में स्थित व्यवसाय खण्ड निम्न वृद्धि बाजार के प्रतिस्पर्द्धात्मक हानि में रहता है।

बी०सी०जी० मॉडल की सीमाएँ- बी०सी०जी० मॉडल की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

(1) यह मॉडल केवल सापेक्ष बाजार भाग स्थित तथा विक्रय की वृद्धि पर ही विचार करता है जबकि भिन्न-भिन्न व्यवसायों की अवस्था प्रस्पिर्द्धात्मक लोगों की उपस्थिति, उदय होने वाली चुनौतियाँ एवं अवसर बाजार का आकार आदि पर विचार नहीं करता जो कि व्यूह रचनात्मक प्रबन्ध की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है।

(2) उच्च तथा निम्न के रूप में सैल मैट्रिक्स, आधारित व्यवसाय का वर्गीकरण पूर्णतः सही नहीं है। व्यवसाय को उच्च, निम्न, मध्य, अत्यधिक उच्च आदि विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

व्यूहरचनात्मक प्रबंधन – महत्वपूर्ण लिंक

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Pankaja Singh

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