संगठनात्मक व्यवहार

मनोवृत्ति का अर्थ एवं परिभाषा | मनोवृत्ति की प्रकृति | Meaning and Definition of Attitude in Hindi | Nature of Attitude in Hindi

मनोवृत्ति का अर्थ एवं परिभाषा | मनोवृत्ति की प्रकृति | Meaning and Definition of Attitude in Hindi | Nature of Attitude in Hindi

मनोवृत्ति का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and Definition of Attitude)

‘मनोवृत्ति’ भावना एवं विश्वास का मिश्रण है जो एक व्यक्ति विशिष्ट विचारों, स्थिति अथवा अन्य व्यक्तियों के बारे में रखता है। मनोवृत्ति भावनाओं, विचारों एवं मूल्यांकनात्मक दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है (Attitudes reflect how one fels about something)। मनोवृत्तियों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं- “मैं अपने कार्य को पसन्द करता हूँ, ‘नया विज्ञापन अत्यन्त प्रभावी है।’ यह मजदूरी नीति प्रेरणात्मक है, इस संगठन की नीतियाँ कर्मचारियों के हित में नहीं है, आदि’ ।

मनोवृत्ति को अनेक विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है-

(1) जोसेफ रिट्ज (Jseph Reitz) के शब्दों में, “मनोवृत्ति शब्द किसी वस्तु के प्रति किसी विशिष्ट ढंग से अनुभव एवं व्यवहार करने की एक सतत् प्रवृत्ति को दर्शाता है।”

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(2) स्टेफन पी0 रोबिन्स (Stephen P. Robbins) के अनुसार, “मनोवृत्तियाँ वस्तुओं, व्यक्तियों अथवा घटनाओं के सम्बन्ध में अनुकूल अथवा प्रतिकूल मूल्यांकनात्मक कथन है।”

(3) एन०एल०मन (N.L. Munn) के अनुसार, “मनोवृत्तियाँ हमारे वातावरण के पहलुओं के बारे में सीखी हुयी पूर्ववृत्तियों या झुकाव हैं। वे निश्चित व्यक्तियों सेवा अथवा संस्थाओं के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक रूप से निर्देशित होती है।”

(4) ब्लम एवं नेलर (Blum and Naylor) के शब्दों में, “मनोवृत्ति से हमारा आशय वस्तुओं, विचारों एवं व्यक्तियों के प्रति एक व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह के विश्वासों, भावनाओं तथा क्रिया प्रवृत्तियों से है। प्रायः व्यक्तियों के मस्तिष्कों में वस्तुओं, विचारों व मनुष्यों का क्षणसंसर्ग व साहचर्य बन जाता है, फलस्वरूप मनोवृत्तियाँ बहुआयामी एवं जटिल हो जाती हैं।”

(5) गोडर्न ऑपोर्ट (Gordon Allport) – के शब्दों में “मनोवृत्ति एक मानसिक एवं तन्त्रिकीय (Neural) तत्परता की स्थिति है जो अनुभव से संगलित होती है तथा यह समस्त वस्तुओं एवं स्थितियों, जिनसे यह जुड़ी होती है, के प्रति व्यक्ति के प्रत्युत्तर पर निदेशात्मक एवं गतिशील प्रभाव डालती है।

(6) क्रेच एवं कचफील्ड (Krech and Crutchfield) के अनुसार, “मनोवृत्ति व्यक्ति की दुनिया के कुछ पहलुओं के सम्बन्ध में अभिप्रेरणात्मक, भावनात्मक, बोधात्मक एवं विचारात्मक प्रक्रियाओं का सतत् संयोजन है।”

(7) काज एवं स्काटलैण्ड (Katz and Scotland) के अनुसार, “मनोवृत्ति किसी वस्तु या चिन्ह का एक निश्चित प्रकार के मूल्यांकन करने की प्रवृत्ति या पूर्ण-झुकाव है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि मनोवृत्ति एक प्रवृत्ति, मस्तिष्क का झुकाव (Mind set) अथवा किसी सामाजिक वस्तु, घटना या विचार का प्रत्युत्तर देने की तत्परता (Readiness to respond to some social object) है। यह “प्रत्युत्तर देने की प्रवृत्ति” (Tendency to respond ) अथवा कोई “कार्यवाही के लिये झुकाव या चित्तवृत्ति’ (Disposition to act) है। क्रियात्मक दृष्टि से, मनोवृत्ति का मूल्यांकनात्मक पहलू महत्वपूर्ण है।

मनोवृत्ति की प्रकृति

(Nature of Attitude)

मनोवृत्ति अवधारणा की प्रकृति को इसके निम्न लक्षणों से समझा जा सकता है-

(1) मनोवृत्ति व्यक्ति की मानसिक अवस्था, मनोदशा, चित्तवृत्ति एवं आन्तरिक झुकाब को दर्शाती है। यह व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक जगत् से सम्बन्धित है।

(2) मनोवृत्ति मनुष्य के ज्ञान (Cognition), बोध एवं व्यवहार से भी सम्बन्ध रखती है।

(3) यह मूल्यांकनात्मक चित्तवृत्ति है जिसमें किसी भी घटना, विचार या व्यक्ति के बारे में अनुकूल या प्रतिकूल निर्णय लिया जाता है।

(4) मनोवृत्ति तथ्यों के निश्चित समूह के प्रति प्रतिक्रिया प्रकट करने का झुकाव है।

(5) मनोवृत्ति सामाजिक मनोविज्ञान से सम्बन्धित है। यह व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करने वाला प्रमुख घटक है।

(6) यह निश्चित उद्दीपकों के प्रति बढ़ी हुयी प्रतिक्रियाशीलता (Responsiveness) है।

(7) मनोवृत्ति भावनात्मक एवं अभिप्रेरणात्मक तत्वों से सराबोर (Imbued) होती है।

(8) मनोवृत्ति व्यक्ति की भावनाएँ एवं विश्वास को दर्शाती हैं।

(9) इसकी दिशा दूसरे व्यक्तियों, चीजों, विचारों अथवा घटनाओं की ओर होती है।

(10) इसका परिणाम एक निश्चित प्रकार का व्यवहार या क्रिया होती है (It tends to result in certain type of behaviour or action) |

(11) मनोवृत्तियाँ बनती-बिगड़ती रहती हैं। इनकी मात्रा अथवा बल (Valance) को प्रतिकूलता एवं अनुकूलता के सातत्यक्रम (Continuum) पर मापा जा सकता है।

(12) मनोवृत्तियाँ लम्बे समय तक बनी रह सकती हैं (Attitudes endure)।

(13) मनोवृत्ति न केवल व्यापक है, वरन् सर्वव्याप्त (Pervasive) घटना भी है। यह व्यक्ति के अपने कई विषयों से सम्बन्धित होती है। समस्त व्यक्तियों चाहे वे किसी भी बौद्धिक स्तर अथवा सामाजिक स्थिति के हों, की विशिष्ट प्रकार की मनोवृत्तियाँ होती है।

(14) मनोवृत्ति के तीन प्रमुख तत्व हैं- संज्ञानात्मक Cognitive, भावात्मक (Affective) एवं व्यवहारात्मक (Behavioural)।

(15) मनोवृति व्यक्ति की आवश्यकताओं से भी सम्बन्ध है। उदाहरण के लिये कार्य एवं कार्य वातावरण के प्रति व्यक्ति की मनोवृत्तियाँ उसकी अनेक आवश्यकताओं जैसे सुरक्षा, उपलब्धि, मान्यता, सन्तुष्टि आदि की पूर्ति कर सकती हैं। फिल्मों के प्रति मनोवृत्ति व्यक्ति की कला एवं मनोरंजन की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होती है।

(16) मनोवृत्तियाँ मूल्यों से भिन्न हैं (Attitudes are not the same as values ) । मूल्य हमारे आदर्श (Ideals) हैं। वे हमारे श्रेष्ठ अपेक्षित व्यवहार को दर्शाते हैं। वे किसी विशिष्ट स्थिति से नहीं जुड़े हैं। मूल्य निरपेक्ष (Abstract) होते हैं, जबकि दूसरी ओर, मनोवृत्तियाँ संकीर्ण विश्वासों व भावनाओं का प्रतिपादन करती हैं। वे व्यक्ति-विशिष्ट होती हैं। मूल्यों की अपेक्षा वे कम स्थायी होती हैं।

(17) मनोवृत्तियों के स्रोत सम्पूर्ण सामाजिक व्यवहार, संस्कृति, वातावरण एवं हमारा दैनिक जीवन का परिवेश है।

(18) मनोवृत्तियाँ जन्मजात नहीं, वरन् अर्जित व सीखी हुयी होती हैं।

(19) मनोवृत्तियाँ कार्य, व्यवहार, उद्देश्य, निष्पादन स्तर एवं कार्यकुशलता को प्रभावित करती हैं।

(20) व्यक्ति अपनी मनोवृत्तियों के बीच तथा अपनी मनोवृत्तियों एवं व्यवहार (Behaviour) के मध्य सुसंगति एवं सामंजस्य (Consistency) ढूँढते हैं।

(21) एक व्यक्ति की हजारों प्रकार की मनोवृत्तियाँ होती हैं। कार्य से सम्बन्धित (Job related) मनोवृत्तियों के तीन प्रमुख प्रकार हैं- कार्य-सन्तुष्टि, कार्य भागिता (job involvement) तथा प्रतिबद्धता (Organisational Commitment)।

(22) यदि ‘मनोवृत्ति’ व्यक्ति के लक्षण प्राप्ति से जुड़ी है तो उसका महत्व बढ़ जाता है। लक्ष्यों से जुड़ी मनोवृत्तियों की केन्द्रीयता के कारण उनमें परिवर्तन कम संभव होता है।

(23) ‘मनोवृत्ति’ पूर्वधारणा, पक्षपात, द्वेष अथवा पूर्वाग्रह (Prejudice) के रूप में भी हो सकती है। (An attitude may involve a prejudice) जिसमें हम किसी मतभेद के बारे में उसके समस्त तथ्यों व प्रमाणों पर निष्पक्षतापूर्वक विचार किये बिना पूर्व-निर्णय (Pre-judgement) ले लेते हैं। किसी व्यक्ति के पक्ष में होकर भी हम पूर्वोत्तर से ग्रसित हो सकते है। अतः मनोवृत्ति भूर्व हो सकता है।

(24) मनोवृत्ति व्यक्तिगत अनुभवों का परिणाम होती है।

(25) मनोवृत्ति का मत, दृष्टिकोण (Opinion) तथा विश्वास (Belief) से भी अन्तर किया जाना चाहिये। मत, राय, सम्मति या अभिमत में तथ्यों के एक विशिष्ट समूह के बारे में व्यक्ति परिस्थितियों का मूल्यांकन करने के बाद अपने निर्णय (Judgement) का प्रतिपादन करता है। यह ध्यान देने योग्य है कि मनोवृत्तियाँ सामान्य पूर्व-झुकाव (Predisposition) हैं, जबकि अभिमत (Opinion) किसी बात के अत्यन्त विशिष्ट पहलुओं पर केन्द्रित होता है। इसके अतिरिक्त मनोवृत्तियों केका मापन सामान्य रूप से अभिमत, राय एवं सम्मति के आधार पर किया जाता है।

दूसरी ओर ‘विश्वास’ (Belief) व्यक्तिगत जगत के कुछ पहलुओं के बारे में अवबोध एवं संज्ञान (Cognition) का सतत् संयोजन है। विश्वास वस्तुओं की प्रकृति के सम्बन्ध में एक प्राकल्पना (Hypothesis) है। सार रूप में, विश्वास मनोवृत्ति का संज्ञानात्मक अंग है (Belief is a cognitive component of attitude) I

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Pankaja Singh

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